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Showing posts from November, 2021

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

Namdev (संत नामदेव कौन थे?)

There have been many saints in North India who devoted their entire lives to the devotion of God.  Similarly, in South India also there have been great saints who have brought God under their control because of their devotion.  In our Maharashtra province, great scholars and hardworking leaders have been born in this era also, Namdev was also born in the same province.  Nothing is known exactly about Namdev's life.  Like many ancient great men, the date of his birth, the names of his parents are all in the dark.  It is known that the name of the person who brought them up was Damodar, Damodar's wife's name was Gunabai, she is famous for her caste and lived in a village called Gokulpur in Pandharpur, on the banks of the Bhima river.  These people are considered to be his parents. The incident happened about 800 years ago. It is not known where his education took place, it is known that he started practicing yoga from the age of 8, from that time he stopped e...

Tulsidas कौन थे ?(गोस्वामी तुलसीदास)

गीता में कृष्ण ने कहा है कि जब जब संसार में धर्म का लोप हो जाता है और अधर्म की वृद्धि होती है तब तब मैं धर्म की स्थापना के लिए संसार में किसी न किसी रूप में प्रकट होता हूं। आज से तीन चार सौ साल पहले भारत की अवस्था बहुत गिर गई थी ।देश की स्वतंत्रता छीन गई थी , हिंदू धर्म शक्तिहीन हो गया था और सबसे बड़ी बात यह थी  कि लोगों मे उत्साह  नहीं रह गया था। लोगों का मन मर चुका था ।ऐसे ही समय तुलसीदास आए और उन्होंने हिंदू जाति के मरते हुए शरीर में प्राण फूंक दिया।               इनके जन्म की कथा विचित्र है। यह बांदा जिले में यमुना के किनारे राजापुर में पैदा हुए। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी कहा जाता है ।यह भी कहा जाता है कि जब उन्होंने जन्म लिया दांत जमे हुए और रोने की बजाय इनके मुख से राम नाम निकला था। जिस नक्षत्र में इनका जन्म हुआ वह भी माता-पिता के लिए अनिष्ट कारक समझा जाता है ।स्त्रियां इस शिशु को अभागा समझने लगी और 3 दिनों के पश्चात इनकी माता की मृत्यु हो गई ।मरने के समय उन्होंने अपनी दासी से कहा इसे लेकर तू चली ज...

Mirabai (मीराबाई) कौन थीं?

हम उन सम्राटों को भूल सकते हैं जिन्होंने जीवन भर तलवार म्यान में नहीं रखी और पृथ्वी का कोना कोना जीतते चले गए किंतु हमारा इतिहास उन महान व्यक्तियों को नहीं भूल सकता ।जिन्होंने बड़े-बड़े प्रलोभनों को ठुकरा दिया। मनुष्य की सेवा में अपना अथवा भगवान की भक्ति में। दूसरी श्रेणी में मीराबाई थी। इनके जन्म की ठीक-ठीक तिथि का पता नहीं है ।ऐसा माना जाता है कि इनका जन्म संवत 1555 और संवत 1561 के बीच हुआ था।                 राजस्थान में एक राज्य था जोधपुर। इसके संस्थापक राठौर राजा जोधा जी थे। इनके पुत्र राव दूदा जी को मेवाड़ की जागीर मिली थी। दूदाजी  के पुत्र रतन जी थे ।रतन जी की पुत्री मीराबाई थी। इनकी माता उसी समय मर गई थी जब वह बच्ची थी ।इसलिए उनका बाल काल अपने दादा के साथ ही बीता। दादा वैष्णो भक्त थे और भगवान की उपासना में ही इनका अधिक समय बीता था। इसमें संदेह नहीं है कि अपने दादा का प्रभाव मीरा पर पड़ा।               मीरा को बाल काल से ही गिरधर लाल जी के प्रति भक्ति हो गई। इसकी एक कहानी भी प्रचलित है ।एक...

Adi Shankara (आदि शंकराचार्य) कौन थे?

महात्माओं विद्वानों तपस्वियों की पुण्य भूमि भारत में शंकराचार्य ऐसे प्रतिभापूर्ण व्यक्ति हो गए हैं जिनकी क्षमता का दूसरा धर्म प्रचारक मिलना कठिन है। प्राचीन काल का विशिष्ट व्यक्तियों के जन्म इत्यादि के संबंध में सही विवरण अज्ञात है। यह ठीक-ठीक पता नहीं चलता है कि स्वामी शंकराचार्य का जन्म कब हुआ। विद्वानों ने इतनी खोज की है कि आज से लगभग 1200 वर्ष पहले इनका जन्म दक्षिण के केरल प्रदेश में पूर्णा नदी के तट पर कालरीग्राम में हुआ था ।इनके पिता का नाम शिव गुरु तथा माता का नाम सती बताया जाता है ।इनके पिता बड़े विद्वान और पंडित थे। इनके दादा भी शास्त्रों तथा वेदों के पंडित थे । इनके परिवार में इनके पूर्वज पांडित्य के लिए विख्यात थे।                 कहा जाता है कि इनके शरीर पर अनेक शुभ लक्षण थे ।इनके पिता ने ज्योतिष के विद्वान पंडितों से पुत्र के भविष्य के संबंध में पूछा। उन्होंने कहा आपका पुत्र महान पंडित यशस्वी तथा भाग्यशाली होगा। इसका यस विश्व में फैलेगा  और अनंत काल तक इसका नाम अमर रहेगा। इनके पिता यह सब सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्ह...

Harshavardhana (c. 590–647 CE)ruled North India from 606 to 647 CE हर्षवर्धन कौन था? (590-647 ई.)

हमारे देश में  ऐसे सम्राट   हो गए हैं जो राज्य तो करते थे किंतु राज्य का लालच उन्हें नहीं था। लोगों की सेवा के लिए शासन अपने हाथों में ले रखा था किंतु राज्य के मोह में फंसे नहीं। बिहार में राजा जनक थे आज से सदियों पहले राज्य करते हुए भी वही योगी थे। इसी प्रकार इधर भी कोई 1400 वर्ष पहले एक राजा हुआ उनका नाम हर्षवर्धन था। जिन्हें साधारण बोलचाल में हर्ष कहते हैं।            हर्ष का जन्म संवत 590 में हुआ था ।इनके पिता प्रभाकर वर्धन थानेश्वर में राज्य करते थे। थानेश्वर दिल्ली के निकट था राज्य छोटा था फिर भी प्रभाकर वर्धन शक्तिशाली राजा थे। सम्वत् 661 में प्रभाकर वर्धन का देहांत हो गया ।उनके बड़े पुत्र सिंहासन पर बैठे किंतु 2 वर्ष उन्होंने राज्य किया मर गए। हर्ष उस समय केवल 16 वर्ष के थे। राज्य का उत्तर दायित्व संभालने योग्य अपने को नहीं समझते थे किंतु मंत्रियों के आग्रह से उन्होंने राज्य भार लेना स्वीकार किया। सम्वत् 663 में उनका राज्याभिषेक हुआ। राज्य ग्रहण करने के बाद 6 साल तक हर्ष को लड़ते ही बीता। सब विरोधी राजाओं को इन्होंने परास्त किय...

Samudragupta (समुद्रगुप्त)Ruler कौन था?

हमारे देश के राजा बड़े विद्वान ,वीर ,दानी और उदार होते आए हैं। उनमें कुछ तो ऐसे हैं जो आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व जन्मे थे ।उन्होंने राज्य किया और मर गए, किंतु उनके कार्य इतने गौरवपूर्ण थे उन्होंने देश की इतनी उन्नति की कि जब तक संसार रहेगा उनकी गाथा रहेंगी।ऐसे ही राजा हमारे सम्राट चंद्रगुप्त थे।           गुप्त वंश में कई राजा हो गए हैं। इनके समय में इस देश की जितनी उन्नति हुई उतनी फिर कभी नहीं हुई ।समुद्रगुप्त के पिता ने इस वंश की नींव डाली ।इनके पिता छोटे राजा थे ।थोड़ा सा उनका राज्य था ।इनके पिता का नाम चंद्रगुप्त था ।उन्होंने समुद्रगुप्त का गुण और उनकी योग्यता पहले ही समझ ली थी और यद्यपि यह उनका सबसे छोटा लड़का था। फिर भी उन्होंने इन्हीं को गद्दी देना उचित समझा। उन्होंने कहा तुम महान व्यक्ति हो संसार की रक्षा करो ।जब समुद्रगुप्त के पिता ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना ।उसने पुत्र से प्रतिज्ञा करायी कि दिग्विजय करना और पुत्र ने वचन दिया ।संसार में कम ऐसे राजा हुए होंगे जिन्होंने ऐसी कठिन प्रतिज्ञा कराई होगी और उससे भी कम हुए हुए होंगे जिन्होंने प्रतिज्ञा का स...

महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास कौन थे?

व्यास का नाम हमारे देश में अनेक बातों के स्मृति ताजा कर देता है। वे महाकवि थे धर्म के आचार्य थे समाज को मार्ग दिखाने वाले थे राजनीतिक नेता थे। संपादक थे विश्वकोश के रचयिता थे। हमारे देश के इतिहास की परंपरा में जो लोग हमारे धार्मिक ग्रंथों का संग्रह तथा संपादन करते थे उन्हें व्यास कहते हैं। जिस व्यास का जीवन चरित्र हम लिख रहे हैं वह 28वें व्यास थे। इनके पहले 27 व्यास हो गए हैं।उनका जन्म यमुना नदी के किनारे एक छोटे से व्दीप में हुआ था। इनके पिता पराशर ऋषि थे इनकी माता मछुए की कन्या थी।इनका रंग काला था ।इसलिए इनका नाम कृष्ण  रखा गया और व्दीप में पैदा होने के कारण व्दैपायन कहते हैं इसलिए इन्हें कृष्ण व्दैपायन व्यास कहा जाता है। महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे ।  कृष्णद्वैपायन वेदव्यास ... जन्म स्थल: यमुना तट हस्तिनापुर अन्य नाम: कृष्णद्वैपायन, बादरायणि, पाराशर्य नाम: कृष्णद्वैपायन वेदव्यास माता-पिता: सत्यवती और ऋषि पराशर               यह बहुत बड़े विद्वान और तपस्वी थे। इनका सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ महाभारत है ...

Bhishma (भीष्मपितामाह्)कौन थे?और महाभारत से इनका कैसे सम्बन्ध है ?

त्याग और तपस्या को आजकल लोग अनावश्यक समझते हैं. किंतु इतिहास से पता चलता है कि संसार में वही महान माना गया है और उसी का नाम अमर है जिसने दूसरों के लिए अपने स्वार्थ का बलिदान किया. हमारे देश में सदा से ऐसे लोग होते चले आए हैं इन्हीं में एक महान पुरुष  पितामह भीष्म है.            जिन दिनों महाभारत की लड़ाई हुई उसके कुछ ही पहले एक राजा थे जिनका नाम शांतनु था. यह उत्तरी भारत में राज्य करते थे और उनकी राजधानी हस्तिनापुर थी. इनकी पत्नी का नाम गंगा था. इन्हीं के पुत्र का नाम भीष्म था. भीष्म के जन्म के कुछ ही दिनों बाद गंगा का देहांत हो गया. शांतनु एक दिन शिकार के लिए जा रहे थे. रास्ते में इन्हें एक नदी पार करनी थी. जब यह नदी के तट पर पहुंचे इन्होंने किनारे पर एक युवती को देखा. हमसे चंचल लहरों की गति निरख रही थी. अद्वितीय सुंदरी थी. शांतनु ने उसे देखा और आखेट भूल गए. अपने साथियों के पास लौट आए और उस युवती से विवाह करने की इच्छा प्रकट की.                  युवती मल्लाह की कन्या थी. उसका नाम सत्यवती था. उसक...

Bharata (भरत)

यह तो सभी जानते हैं कि राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चारों भाई महाराज दशरथ के पुत्र थे. किंतु राम के महान चरित्र के सामने और लोगों की बातें साधारण लोग भूल जाते हैं. भरत का चरित्र बहुत ऊंचा और इतना महान है कि उन्हें भी हम अपने देश के विशेष महापुरुषों में ही गिनते हैं.            राजा दशरथ की तीन रानियां थी. कौशल्या कैकेई और सुमित्रा. भरत केकई के पुत्र थे कैकई बहुत सुंदर थी और राजा दशरथ उसे बहुत मानते थे और उसी के कहने पर रामचंद्र वन भेजे गए रामचंद्र के वन जाने के पश्चात दशरथ की मृत्यु हो गई उसी समय भरत बुलाए गए भरत उस समय अपने नाना के यहां थे.                  भारत के चरित्र में अनेक विशेषताएं हैं चरित्र की विशेषताएं उसी समय दिखाई देती है जब काम पड़ता है रामचंद्र यदि वन्ना गए होते तो उनकी वीरता साहस तब कहां देखे जाते अयोध्या में उन्हें देखने का अवसर कब मिलता भारत की विशेषताएं उसी समय देखी जाती है जब वह घर पहुंचे और उन्होंने सब बात सुनी माता से बढ़कर संतान को और कोई प्रिय नहीं होता किंतु भरत जी को सारा समाचा...

याज्ञवल्क्य

आजकल प्रत्येक देश में जनता की चुनी सभाएं हैं, जो अपने अपने देश के लिए कानून बनाती हैं. प्राचीन काल में आज की तरह सभाओं में बैठकर कानून बनाने का ढंग नहीं था. बड़े-बड़े विद्वान अनुभवी और तपस्वी समाज की और लोगों की आवश्यकता समझकर नियम बनाते थे. हमारे यहां कानून में सभी बातें बताई जाती थी. खाना-पीना विवाह इत्यादि से लेकर आपस में कैसा व्यवहार करना चाहिए यह भी कानून में ही समझा जाता था. हर एक मनुष्य को क्या करना चाहिए क्या ना करना चाहिए यह बताएं जाता था. इसे हमारे प्राचीन विद्वान और नेता धर्म कहते थे और आज कल जिसे कानून कहते हैं उसे हमारे प्राचीन लोग धर्म शास्त्र कहते थे.             याज्ञवल्क्य  के धर्म शास्त्र के रचयिता थे. इसका यह अर्थ नहीं है कि इन्होंने सब कानून स्वयं बनाएं. पहले जितने धर्मशास्त्र थे और जो कानून या नियम प्रचलित थे उन्होंने उन्हें एकत्र किया और उन्होंने भी जिस बात की देश में या हमारे समाज में आवश्यकता समझी उसके लिए नियम बनाएं. जो चलन जो व्यवहार हमारे लिए उचित नहीं था उसका निषेध किया.             ...

Art and culture के क्षेत्र में अपना career कैसे बनाएं?

Curator ( क्यूरेटर) :- सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और उनसे संबंधित कला की प्रदर्शनी आयोजित करने वालों के लिए curator ( क्यूरेटर) शब्द का प्रयोग किया जाता है.        एक curator की जिम्मेदारी होती है कि वह किसी खास संस्कृत से जुड़ी चित्रकला या किसी  Artists की arts को कला प्रेमियों के सामने प्रस्तुत करें. हमारे देश में जैसे-जैसे Art and culture से लोगों का जुड़ाव बढ़ता जा रहा है. इसी प्रकार हम कह सकते हैं के CURATORS की क्षेत्र में काफी संभावनाएं नजर आने लगी है.          Museums and art galleries खुलते जा रहे हैं ।curators की मांग भी बढ़ती जा रही है. बदलते समय के अनुसार इनकी भूमिका भी बदल रही है. अब  curators आर्ट्स एंड कल्चर को सुरक्षित संरक्षित रखने में योगदान के साथ देश के विविधा पूर्ण खानपान की संस्कृति को भी बताने बनाने का काम कर रहे हैं.              some important career in curators (अपनी रूचि के अनुसार युवा किन क्षेत्रों में क्यूरेटर के रूप में खुद को आगे बढ़ा सकते हैं): -...