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Showing posts with the label political science

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

नागरिकता (Citizenship) का भारत में क्या मतलब है विस्तार से जानकारी दो?

भारतीय नागरिकता से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को समझना किसी प्रतियोगी परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक है। इस विषय में भारतीय संविधान, नागरिकता अधिनियम, 1955, और नागरिकता अर्जित करने के विभिन्न तरीकों का संपूर्ण विवरण नीचे दिया गया है। 1. भारतीय संविधान में नागरिकता से संबंधित प्रावधान भारतीय संविधान के भाग II (अनुच्छेद 5 से 11) में नागरिकता से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं: (i) अनुच्छेद 5 : भारत की प्रारंभिक नागरिकता यह प्रावधान बताता है कि 26 जनवरी 1950 (संविधान के लागू होने की तारीख) को कौन व्यक्ति भारत का नागरिक होगा। वे व्यक्ति जो भारत में जन्मे हों। वे व्यक्ति जिनके माता-पिता में से कोई एक भारत में जन्मा हो। वे व्यक्ति जो सामान्यतः भारत में 5 साल से निवास कर रहे हों। (ii) अनुच्छेद 6 : पाकिस्तान से भारत में प्रवास करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आया है और उसने यहाँ निवास करना शुरू कर दिया है। यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आया है, तो उसे सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपना पंजीकरण कराना होगा। (iii) अनुच्छेद 7 :...

भारतीय संविधान की प्रस्तावना: संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र का व्यापक विश्लेषण

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) भारतीय संविधान का पहला भाग है, जो संविधान की उद्देश्य और दिशा को स्पष्ट करता है। यह प्रस्तावना संविधान की आत्मा मानी जाती है, क्योंकि इसके माध्यम से भारतीय राज्य के लक्ष्यों और उद्देश्य का संकेत मिलता है। प्रस्तावना में निम्नलिखित प्रमुख तत्व होते हैं: 1. "हम, भारत के लोग" यह वाक्यांश भारतीय जनता की सर्वोच्च सत्ता को दर्शाता है। यह इस बात का संकेत देता है कि भारतीय संविधान को भारतीय नागरिकों द्वारा स्वीकार किया गया है और उनकी इच्छा के अनुसार बनाया गया है। इसमें यह भी अभिप्रेत है कि सरकार और कानून जनता के लिए और जनता द्वारा होंगे। 2. "संविधान को अंगीकार करते हुए" यह वाक्य यह दर्शाता है कि भारतीय लोग संविधान को अपने जीवन का मार्गदर्शक मानते हैं और इसे अपने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन के सिद्धांतों के रूप में अपनाते हैं। 3. "सम्पूर्ण भारत" यह शब्द भारत के सम्पूर्ण क्षेत्र को संबोधित करता है, जो संविधान के दायरे में आता है। यह भारतीय संघ के क्षेत्रीय एकता और अखंडता को प्रमाणित करता है। 4. "लोकतंत्रात्मक ...

क्वाड शिखर सम्मेलन वैश्विक चुनौतियों से निपटने का नया रास्ता

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के डेलावेयर में छठा “ क्वाड शिखर सम्मेलन ”आयोजित किया गया। यह सम्मेलन दुनिया की चार बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियों—भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया—को एक मंच पर लाकर वैश्विक समस्याओं से निपटने की एक संयुक्त रणनीति बनाने पर केंद्रित था। यह न केवल राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों जैसे स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन, और साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान केंद्रित करता है।       इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि इस सम्मेलन के मुख्य बिंदु क्या थे, और किस तरह से यह साझेदारी दुनिया में सकारात्मक बदलाव ला रही है। क्वाड:→क्या है यह समूह और क्यों बना? “क्वाड (चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता)” भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक कूटनीतिक मंच है, जिसकी शुरुआत एक मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयास के रूप में हुई थी। वर्ष 2004 की हिंद महासागर सुनामी के दौरान, जब इन चार देशों ने मिलकर आपदा राहत कार्यों का नेतृत्व किया, तब से यह गठबंधन धीरे-धीरे एक वैश्विक साझेदारी के रूप में विकसित हुआ। वर्ष 20...

लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका: Loktantra Mein Nagrik Samaj ki Bhumika

लोकतंत्र में नागरिकों का महत्व: लोकतंत्र में जनता स्वयं अपनी सरकार निर्वाचित करती है। इन निर्वाचनो  में देश के वयस्क लोग ही मतदान करने के अधिकारी होते हैं। यदि मतदाता योग्य व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करता है, तो सरकार का कार्य सुचारू रूप से चलता है. एक उन्नत लोक  प्रांतीय सरकार तभी संभव है जब देश के नागरिक योग्य और इमानदार हो साथ ही वे जागरूक भी हो। क्योंकि बिना जागरूक हुए हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती है।  यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपने देश या क्षेत्र की समस्याओं को समुचित जानकारी के लिए अख़बारों , रेडियो ,टेलीविजन और सार्वजनिक सभाओं तथा अन्य साधनों से ज्ञान वृद्धि करनी चाहिए।         लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को सुनना और समझना जरूरी होता है. चाहे वह विरोधी दल का क्यों ना हो। अतः एक अच्छे लोकतंत्र में विरोधी दल के विचारों को सम्मान का स्थान दिया जाता है. नागरिकों को सरकार के क्रियाकलापों पर विचार विमर्श करने और उनकी नीतियों की आलोचना करने का ...