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Showing posts with the label GEOGRAPHY

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

मीथेन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन: चुनौतियाँ और समाधान

पिछले कुछ दशकों में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया है। इसके पीछे मुख्य कारणों में से एक है ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन, जिनमें मीथेन (CH₄) एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम मीथेन उत्सर्जन, इसके प्रभाव और इसे कम करने के वैश्विक प्रयासों पर सरल भाषा में चर्चा करेंगे। मीथेन क्या है और इसका जलवायु पर क्या प्रभाव है? मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है, जो वातावरण में गर्मी को रोककर धरती की सतह के तापमान को बढ़ाती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की तुलना में लगभग 80 गुना अधिक प्रभावी होती है, यानी ये बहुत तेजी से धरती को गर्म कर सकती है। हालाँकि, मीथेन वायुमंडल में केवल 7 से 12 साल तक ही रहती है, जबकि CO₂ सैकड़ों सालों तक वातावरण में बनी रहती है। इस कारण मीथेन को कम करने से हम अल्पावधि में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित कर सकते हैं। मीथेन उत्सर्जन के स्रोत:→ मीथेन के उत्सर्जन के मुख्य स्रोतों को तीन प्रमुख क्षेत्रों में बांटा जा सकता है:→ 1. ऊर्जा क्षेत्र:→ तेल, गैस, और कोयले का उपयोग करने से मीथेन उत्सर्जन होता है। 2. कृषि:→ पशुधन (जैसे गाय) ...

रामसर स्थल क्या होते हैं? रामसर स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दो?

भारत में वर्तमान में 82 रामसर साइट्स हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं। ये वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) हैं जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की हैं और इनके संरक्षण के लिए रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त है।  भारत में ये रामसर साइट्स विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं, जैसे:→ आंध्र प्रदेश: → कोल्लेरू झील असम:→   दीपोर बील बिहार:  → कबरताल वेटलैंड, नागी पक्षी अभयारण्य, नक्ति पक्षी अभयारण्य गुजरात:→   नलसरोवर, वधवाना वेटलैंड, थोल लेक वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, खिजादिया वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी हरियाणा: → सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, भिंडावास वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी जम्मू और कश्मीर:→   वुलर झील, सुरिनसर-मंसर झीलें, होकेरा वेटलैंड केरल:  → वेंबनाड कोल वेटलैंड, अष्टमुडी वेटलैंड लद्दाख:  → त्सो मोरिरी झील, त्सो कर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स महाराष्ट्र: → नंदूर मधमेश्वर, लोणार झील मणिपुर:→ लोकटक झील उड़ीसा: → चिल्का झील, भितरकणिका मैन्ग्रोव इन वेटलैंड्स का क्षेत्रफल और संरक्षण की स्थिति अलग-अलग है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत...

भूगोल किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है । विस्तार से चर्चा करो।

भूगोल जिसका शाब्दिक अर्थ है " पृथ्वी का वर्णन " Geography यूनानी भाषा के दो शब्द Geo [ पृथ्वी] और Graphy [वर्णन] से मिलकर बना है। अगर हम सरल भाषा में बात करें भूगोल का तात्यपर्य- ब्रहमांड में मानव निवास के रूप में एक ग्रह  पृथ्वी के आकार, प्रकार, जीवन, पर्यावरण की  चर्चा करना ही भूगोल है। यानी भूगोल का शाब्दिक अर्थ है भू+ गोल → गोल पृथ्वी ।               यह विषय न केवल हमारी पृथ्वी की पृथ्वी की संरचना और उसकी सतह को समझने में मदद करता है, बल्कि इसमें मानव सभ्यता का भी अध्ययन शामिल है और इस बात का भी अध्ययन होता है कि मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध कैसे हैं।  भूगोल के प्रमुख भाग: →   भूगोल को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा गया है-  [1] भौतिक भूगोल [Physical Geography ]:-→  भौतिक भूगोल में पृथ्वी की प्राकृतिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता  है, जैसे कि पर्वत, नदियों, महासागर, वायुमण्डल और जलवायु । यह भाग हमें बताता है कि कैसे प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प और मौसम परिवर्तन पृथ्वी की ...

ब्रम्हाण्ड किसे कहते हैं? यह UPSC की परीक्षा के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण topic है?

ब्राह्मंड जिसे अंग्रेजी में " यूनिवर्स " कहा जाता है। वह सम्पूर्णता है जिसमें हम और सब कुछ मौजूद है। यह एक विशाल असीम और रहस्यमय स्थान है, जिसमें अनगिनत तारे, ग्रह, गैलेक्सियाँ, और अन्य खगोलिय  पिंड शामिल हैं। ब्राम्हांड के अध्ययन को खगोलविज्ञान [ एस्ट्रोनॉमी कहते हैं ।           मानव मस्तिष्क में एक क्रमबद्ध रूप में जब सम्पूर्ण विश्व का चित्र उभरा तो उसने इसे ब्राम्हांड [Cosmos की संज्ञा दी। मिस्र यूनानी परम्परा के प्रख्यात खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी ने सर्वप्रथम इसका नियमित अध्ययन कर जियोसेन्टिक अवधारणा का प्रतिपादन किया। इस अवधारणा के अनुसार, पृथ्वी ब्राम्हांड के केन्द्र में है तथा सूर्य व अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। ब्राम्हाड के सम्बन्ध में यह अवधारणा लम्बे समय तक बनी रही। परन्तु 1543 ई० में कॉपरनिकस ने जब हेलियोसेट्रिंक अवधारणा का प्रतिपादन किया तो उसके पश्चात ब्राम्हांड के सम्बन्ध में एक नयी theory के  तहत कॉपरनिकस ने यह बताया कि ब्राम्हांड पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य है। इस theory से ब्राम्हांड के अध्ययन की दिशा को ही बदल कर ...

चन्द्रयान 3 मिशन क्या है ?यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?

भारत के लिये ये एक बहुत ही ऐतिहासिक पल है जब चांद पर हमारा तिरंगा लहरा रहा है। चन्द्रयान - 3 के लैंडर ने सफलतापूर्वक चांद के साउथ पोल पर लैडिंग कर ली है।  चन्द्रयान - 3 भारत का एक महत्वाकांक्षी चन्द्र मिशन है। 24 अगस्त, 2023 को ISRO के अनुसार चन्द्रयान 3 रोवर प्रज्ञान लैडर से नीचे उत्तर गया है। और भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।        चन्द्रयान-3 को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लांच किया गया है. " यह लगभग 40 दिनों के बाद चन्द्रमा की सतह पर लैंड होगा। चन्द्रयान में इस्तेमाल होने वाले ईधन की बात करें तो यह सॉलिड व लिक्विड दोनों तरह के फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। रॉकेट के पहले भाग में सॉलिड फ्यूल और दूसरे भाग में लिक्विड फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है।               रॉकेट के आखिरी भाग में क्रायोजेनिक 'इंजन है। इसमें लिक्विड हाइड्रोजन और आक्सीजन का इस्तेमाल होता है। चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट के फ्यूल टैंक की क्षमता 27000 किग्रा से ज्यादा है। रॉकेट में इस्तेमाल क...

भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य मे मिला व्हाइट गोल्ड (लिथियम आयन ) के भण्डारण White Gold (Lithium Ion) deposits found in the Indian state of Jammu and Kashmir

 भारत के केन्द्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (UT) के रियासी जिले के सलाल - हैमाना क्षेत्र में जियोलॉजिकल आफ इंडिया ( GSI ) ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुये 5.9 मिलियन टन के लिथियम  अनुमानित भण्डार  का पता लगाया है ।  भारत फिलहाल लिथियम , कोबॉट और निकल जैसे कई खनिजों के लिये दूसरों देशों पर निर्भर है । लेकिन इस खोज से भारत की निर्भरता अन्य देशो पर कम होगी । दरअसल लिथियम ईवी बैटरी में एक मुख्य घटक के रूप में उपयोग होता है । भारत के खान मंत्रालय ने देश के लिये बहुत बड़ी खबर दी है सरकार ने बताया कि देश में पहली बार जम्मू - कश्मीर में लिथियम के भण्डार  का पता लगा है ।  Lithium क्या है ?   लीथियम ग्रीक भाषा के Lithos से बना है । जिसका अर्थ होता है Stone ( पत्थर ) | मानक परिस्थितियों में लीथियम सबसे हल्की धातु और हल्का  ठोस तत्व है । लिथियम भी हाइड्रोजन हिलियम के साथ Big - Bang में बना है ।  लिथियम की खोज : → लीथियम की खोज सन् 1817 में स्टॉक होम स्थान पर जोहान अगस्त आरफवेडसन द्वारा पेटेलाइट खनिज ( LiAlsi2 o5 ) में की थी । लिथियम आयन बैटरी का उपयोग :...