✍️ Blog Drafting (Layout ) 👉 ब्लॉग को आकर्षक और आसान बनाने के लिए इसमें ये पॉइंट शामिल करें: भूमिका (Introduction) संविधान क्यों ज़रूरी है? संशोधन (Amendment) की ज़रूरत क्यों पड़ती है? संविधान संशोधन का महत्व संविधान को लचीला और प्रासंगिक बनाए रखने में भूमिका। बदलते समय और समाज के अनुसार ज़रूरी बदलाव। प्रमुख संशोधन (Amendments List + सरल व्याख्या) कालानुक्रमिक क्रम में (जैसे 1st, 7th, 31st...) हर संशोधन का साल, विषय और प्रभाव । आसान उदाहरण ताकि आम आदमी भी समझ सके। उदाहरण आधारित व्याख्या जैसे 61वां संशोधन: “अब 18 साल का कोई भी युवा वोट डाल सकता है।” 42वां संशोधन: “भारत को समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता वाला देश घोषित किया गया।” आज के दौर में प्रासंगिकता क्यों इन संशोधनों को जानना ज़रूरी है (UPSC, जनरल नॉलेज, नागरिक जागरूकता)। निष्कर्ष (Conclusion) संविधान को "जीवित दस्तावेज़" कहे जाने का कारण। बदलते भारत में संशोधनों की भूमिका। 📝 Blog Post प्रमुख संविधान संशोधन : सरल भाषा में समझिए भारत का संविधान दुन...
भारत और भारत में जाति व्यवस्था भारतीय जाति व्यवस्था को किस प्रकार से खत्म किया जाए. India and Indian caste system
जाति प्रथा का प्रादुर्भाव प्राचीन काल की वर्ण व्यवस्था से माना जा सकता है पहले चार ही वर्ण हुआ करते थे इन वर्णो के नाम और कार्य निम्न वत है ब्राह्मण: - वे लोग ब्राह्मण कहलाए जो शास्त्रों में पारंगत होते थे और धार्मिक एवं विद्यार्जन के कार्यों के प्रति समर्पित रहते थे. क्षत्रिय: - वे लोग क्षत्रिय कहलाये जिन पर भू प्रदेश की रक्षा का भार रहता था। वैश्य: - वे लोग वैश्य कहलाए जिन पर व्यापार और वाणिज्य का कार्य करते थे. शुद्र: - उक्त कार्यों को छोड़कर शेष कार्य करने वाले लोग शूद्र कहलाए उनका कार्य वस्तुओं का निर्माण करना एवं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य वर्गों की सेवा करना था. धीरे-धीरे यह वर्ण विभिन्न जातियों और उप जातियों में बढ़ गया कालांतर में जाति व्यवस्था वंशानुगत हो गई अर्थात ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला स्वता ही ब्राह्मण हो जाता था और यही बात अन्य तीन वर्गों पर भी लागू होती थी इस प्रकार व्यक्ति की जाति उसके जन्म से निश्चित होने लगी। जाति प्रथा के दोष: - (1) जाति व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष कुछ जातियों को उच्च और कुछ को निम्न क...