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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

रामसर स्थल क्या होते हैं? रामसर स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दो?

भारत में वर्तमान में 82 रामसर साइट्स हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं। ये वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) हैं जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की हैं और इनके संरक्षण के लिए रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त है। 

भारत में ये रामसर साइट्स विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं, जैसे:→
आंध्र प्रदेश: → कोल्लेरू झील
असम:→  दीपोर बील
बिहार:  →कबरताल वेटलैंड, नागी पक्षी अभयारण्य, नक्ति पक्षी अभयारण्य
गुजरात:→   नलसरोवर, वधवाना वेटलैंड, थोल लेक वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, खिजादिया वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी
हरियाणा: → सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, भिंडावास वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी
जम्मू और कश्मीर:→  वुलर झील, सुरिनसर-मंसर झीलें, होकेरा वेटलैंड
केरल:  →वेंबनाड कोल वेटलैंड, अष्टमुडी वेटलैंड
लद्दाख:  →त्सो मोरिरी झील, त्सो कर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स
महाराष्ट्र: →नंदूर मधमेश्वर, लोणार झील
मणिपुर:→ लोकटक झील
उड़ीसा: → चिल्का झील, भितरकणिका मैन्ग्रोव

इन वेटलैंड्स का क्षेत्रफल और संरक्षण की स्थिति अलग-अलग है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


रामसर कन्वेंशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देता है। इसके महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं में समझाया जा सकता है:→

1. पर्यावरणीय महत्व: → आर्द्रभूमियां जैव विविधता के हॉटस्पॉट होती हैं, जहां कई प्रकार के वनस्पति और जीव जंतु पाए जाते हैं। ये स्थल विभिन्न प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करते हैं, जिनमें पक्षी, मछली, और अन्य जलजीव शामिल हैं।

2. जल संसाधन प्रबंधन: →वेटलैंड्स जल की गुणवत्ता को सुधारते हैं और प्राकृतिक रूप से जल को शुद्ध करते हैं। वे भूजल पुनर्भरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

3. कार्बन स्टोरेज: → आर्द्रभूमियां कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सक्षम होती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलती है।

4. आर्थिक और सामाजिक लाभ: → वेटलैंड्स पर्यटन, मछली पालन, और कृषि के लिए महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान करते हैं। इनसे स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ होता है और उनकी आजीविका में सुधार होता है।

5. संविधानिक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग:→  रामसर कन्वेंशन देशों को आर्द्रभूमियों के संरक्षण में सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीति और रणनीतियों के विकास में मदद करता है।

6. शैक्षिक और अनुसंधान मूल्य: →वेटलैंड्स अनुसंधान और शिक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। वे वैज्ञानिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्थल हैं, जहां पारिस्थितिकी, जीवविज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जा सकता है।

रामसर कन्वेंशन के माध्यम से, विश्व भर के देश आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, जिससे इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों का सतत उपयोग और प्रबंधन सुनिश्चित होता है।




रामसर स्थल उन आर्द्रभूमियों [ wetlands] को कहा जाता है जिन्हें अन्तरराष्ट्रिय महत्त्व की आर्द्रभूमि के रूप में पहचाना गया है। रामसर स्थलों की पहचान और संरक्षण का उद्देश्य आर्द्रभूमियों के पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करना है और इनके सतत उपयोग को सुनिश्चित करना है।

 रामसर स्थल का इतिहास:→

 रामसर कन्वेंशन, जिसे "कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स" भी कहा जाता है, 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर - में स्थापित किया गया था। यह विश्व की सबसे पुरानी अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधियों में से एक है। इस संधि का मुख्य उद्‌देश्य आद्रभूमियों का संरक्षण और सतत उप‌योग सुनिश्चित करना है।


 [1] प्रारंभिक अवधारणा और जागरुकता : →

 • 1960 के दशक में आर्द्रभूमियों की घटती संख्या और इनके पारिस्थितिकी तंत्र पर बढ़ते खतरों के प्रति वैश्विक जागरुकता बढ़ी।

 • वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने आर्द्रभूमियों की महत्ता को समझाया और इनके संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की मांग की।

 [2] स्थापना और संधि : →

30 जनवरी से 3 फरवरी 1971 के बीच ईरान के  रामसर शहर में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया


 • 2 फरवरी 1971 को " कन्वेंशन ऑन वेटलैंडस ऑफ इंटरनेशनल इम्पोर्टस एस्पेशली ऐज वाटरफॉउल हैबिटेट पर हस्ताक्षर किये गये जिसे रामसर कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है।


 [3] प्रारंभिक लक्ष्य :→

 • इस कन्वेंशन का मुख्म उद्देश्य आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करना था।


"भारत का सबसे बड़ा Wetland स्थल या क्षेत्र पश्चिम बंगाल में  स्थित सुन्दरबन को माना जाता है।"



 • आर्द्रभूमियों की सूची तैयार करना और इन्हें रामसर स्थल के रूप में पहचानना इसका प्राथमिक लक्ष्य था।


 [4] प्रवर्तन और सदस्यता :→


 • 1975 में रामसर कन्वेंशन औपचारिक रूप  से लागू हुआ। 

• समय के साथ इसमें सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गयी अब तक 170 से अधिक देश इस संधि के सदस्य हैं।

 [5] महत्त्वपूर्ण घटनायें और मील के पत्थर:→

 • 1980 और 1990 के दशक में कई महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन आयोजित किये गये, जिसमें आर्द्रभूमियों के संरक्षण की दिशा में नयी रणनीतियाँ और योजनायें तैयार की गयी।

 • मोंट्रेक्स रिकॉर्ड की स्थापना की गयी, जिसमें उन रामसर स्थलों को सूचीबद्ध किया गया जो खतरों का सामना कर रहे थे। 


रामसर कन्वेंशन के सिद्धांत और उद्देश्य:→


 [1] आर्द्रभूमियों की पहचान और सूचीकरण :→

 • सदस्य देशों को अपनी आर्द्रभूमियों की सूची बनानी होती है और उन्हें रामसर स्थल के रूप में घोषित करना होता है। 

• यह सूची "रामसर लिस्ट " के नाम से जानी जाती है।

 [2] संरक्षण और प्रबन्धन :→

 • आर्द्रभूमियों के सरंक्षण के लिये राष्ट्रीय स्तर पर योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना। 

• इन स्थलों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करना ताकि इनकी पारिस्थितिकी तंत्र सेवायें बनी रहें।

 [3] वैश्विक सहयोग : अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और ज्ञान . का आदान-प्रदान ।



• विभिन्न देशों के बीच आद्रभूमियों के संरक्षण के लिये साझेदारी और सहयोग को प्रोत्साहित करना।

"{ विश्व आर्द्रभूमि दिवस २ फरवरी की हर वर्ष मनाया जाता है। 2 फरवरी 1971 को आर्द्रभूमि पर अन्तराष्ट्रिय समझौता के कारण। यह समझौत ईरान में हुआ ।}"



 भारत में रामसर का कन्वेंशन का प्रभाव}:-→


 भारत ने 1982 में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये। इसके बाद से भारत में कई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में घोषित किया गया है। भारत में आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिये कई योजनायें और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।


 रामरार कन्वेंशन ने वैश्विक स्तर पर आद्रभूमियों के संरक्षण की दिशा में एक नई दिशा प्रदान की है। यह संधि आर्द्रभूमियों की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाये रखने और इनके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


 आद्रभूमियों} :→   आद्रभूमियां [ wetlands] ऐसे स्थल होते हैं जहां जल का स्थायी या अस्थायी जमाव रहता है। ये स्थल जलीय और स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के बीच की संक्रमणीय भूमि होती हैं और इनमें पानी, मृदा, और बनस्पतियों का अनोखा मिश्रण होता है।


 {आर्द्रभूमियों की परिभाषा:} → रामसर कन्वेंशन के अनुसार, आद्रभूमियाँ निम्न- लिखित प्रकार के क्षेत्रों को सम्मिलित करती हैं।

 }• दलदल, मडफ्लैटस, नमक दलदल।

} स्थायी या अस्थायी झीलें और तालाब •

 }• जलमग्न चरागाहें ।

} मैंग्रोव जंगल •।

 }• प्रवाल भित्तियाँ • 

}• चावल के खेत और मानव निर्मित जलाशय



“[भारत का पहला wetland शहर उदयपुर को घोषित किया गया है।"]

  आर्द्रभूमियों के प्रकार :} -→

[1.] नम भूमि :} → इसमें दलदल, बाढ के मैदान और जलीय वन शामिल होते हैं। 

[2.] स्थायी आई भूमि : } →इसमें झीलें, तालाब और नदियाँ शामिल होती हैं। 

[3.] तटीय आर्द्र भूमिः } →इसमें मंग्रोव, मूंगा चट्टान और समुद्री घास के मैदान शामिल होते हैं। 

[4] मानव निर्मित आर्द्रभूमि :}→  इसमें चावल के खेत जलाशय और बाँध शामिल होते हैं।

 आर्द्रभूमियों का महत्व:}→

 [1] जैव विविधता का संरक्षण:}  →आद्रभूमियाँ विभिन्न प्रकार के पौधों और जीवों के लिये महत्त्वपूर्ण आवास प्रदान करती हैं। 

[2] जल शोधनः }→ ये स्थल जल को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करते हैं और प्रदूषकों को अवशोषित करते हैं।.


 [3] बाढ़ नियंत्रण:} → आर्द्रभूमियाँ बाढ के जल को अवशोषित करके उसे नियंत्रित करने में मदद करती हैं। 

[4] जलवायु नियंत्रण:}→  ये स्थल कार्बन डाइ‌ऑक्साइड को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान करते हैं। 

[5] मिट्टी का संरक्षण:}→  आर्द्रभूमियाँ मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती हैं। 

आर्द्र भूमियों के संरक्षण की चुनौतियाँ:} →


[1] प्रदूषण :}→  औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट आर्द्र भूमियों को प्रदूषित करते हैं।

 [2] अतिक्रमण :}→  शहरीकरण और खेती के लिये आद्रभूमियों का अतिक्रमण ।

 [3.] जलवायु परिवर्तनः}→  जलवायु परिवर्तन से आर्द्रभूमियों के जल स्तर में परिवर्तन होता है।


[4.]{ अवैध शिकार :}  →आर्द्रभूमियों में वन्यजीवों का अवैध शिकार।

 {संरक्षण के प्रयासः }→ आद्रभूमियों के संरक्षण के लिये अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रम और पहलें चलाई जा रही हैं। रामसर कन्वेंसन जैसी अन्तरराष्ट्रीय संधियाँ आद्रभूमियों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।


  आद्रभूमियाँ पारिस्थितिकी तंत्र की धरोहर हैं और इनके संरक्षण से न केवल पर्यावरणीय संतुलन बना रहता है, बल्कि यह मानव समाज के लिये भी अनेक लाभकारी सेवायें प्रदान करती हैं।


" {भारत में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान [राजस्थान] एवं लोकतक झील (मणिपुर] को मान्ट्रो रिकार्ड 2024 में भारत के आर्दभूमि स्थल के रूप में शामिल किया गया है।}"


 {"• भारत के हिमाचल में स्थित रेणूका वेटलैंड को सबसे छोटा रामसर स्थल है। जिसका क्षेत्रफल केवल 0.2 वर्ग किमी है। इसको 2012 में रामसर स्थल का दर्जा दिया। "}


{ विश्व अद्रिशूमि दिवस 2024 का विषय :}  → वेटलैंड्स और मानव कल्याण। यह मध्यप्रदेश के इंदौर के सिरपुर झील में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।"


 {• भारत में स्थिति सबसे अधिक आद्रभूमियों वाले प्रदेशः→}

 [2] लक्षद्वीप→96.12%

 [2] अंडमान और निकोबर द्वीप समूह →[18.52%]

 [3] दमन एवं दीव- [18.46%]



 [4] गुजरात [17.50] %

 Important; विश्व आद्रिभूमि दिवस 2025 का विषय जुडी हुई आद्रभूमियाँ : पहाड़ों से समुद्र तक।



[1] तमिलनाडु:-

 [1] कुंथन कुलम पक्षी अभयारण्य

 [2] गल्फ ऑफ मन्नार मैरीन बायोस्फीयर रिजर्व

 [3] वेम्बानूर वेटलैण्ड कॉम्प्लेक्स

 [५] वेल्लोड पक्षी अभयाख्य 

[5] वेदाथंगल पक्षी अभयारण्य 


[6] प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य

 [7] चित्रणगुडी पक्षी अभयारण्य


 [8] सुचिंदम धकर तेटलैण्ड कॉम्प्लेक्स

 [१] वाढवर पक्षी अभयारण्य 

[10] कांजीरवुलम पक्षी अभयारण्य

 [11] लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन

 [12] उदयमार्थऽपुरम पक्षी अभयारण्य 


[13] कराइवेट्टी पक्षी अभयारण्य


[14] प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य


 उत्तर प्रदेश: -

[1] नवाबगंज पक्षी अभयारण्य

 [२] पार्वती आगरा पक्षी अभयारण्य 

[3] समन पक्षी अभयारण्य 

[4] सैंडी पक्षी अभयारण्य

 [5] सरसई जवर झील


 [6] ऊपरी गंगा नदी

 [7] समसपुर पक्षी अभयारण्य

 [8] सूर सरोवर 

[१] परनीरा वन्यजीव अभयारण्य

 [10] हैदरपुर वेटलैण्डस 


गुजरात :- : 


[1] थोल झील

 [2] वाधवाना

 [3] रिवजादिया वन्यजीव अभयारण्य

 [4] किरिकिली पक्षी अभयारण्य [ गुजरात ] 

[5] पल्लीकर्नई मार्श रिजर्व फोरेस्ट

 [6] पिचवरम मैग्रोव

 [7] नालसरोवर पक्षी अभयारण्य

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