Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।
पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक जीव को जीवन के लिए अजीवों( वायु ,जल, ऊर्जा) की एक उचित मात्रा की आवश्यकता होती है। जब तक जैविक एवं अजैविक घटकों की उचित मात्रा प्रकृति में विद्यमान रहती है तब तक प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। किंतु वर्तमान में मनुष्यों ने विकास के लिए इन अजीव कारकों का अंधाधुंध प्रयोग कर पर्यावरण को बिगाड़ कर उसे प्रदूषित कर दिया है। पर्यावरण प्रकृति का ऐसा वातावरण है जिसमें मनुष्य श्वास लेता है तथा अपना जीवन जीता है। वर्तमान समय में संसार के सभी देशों के सामने प्रदूषण की एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है क्योंकि आज के औद्योगिक युग में मनुष्य को ना तो स्वच्छ हवा ही मिलती है और ना स्वच्छ जल। शुद्ध वायु एवं स्वच्छ जल मानव के जीवन के लिए अपरिहार्य है परंतु आज मानव ने अंधाधुंध विकास की होड में वातावरण में प्रदूषण उत्पन्न कर दिया जो आज मानव समाज के सामने चुनौती बनकर खड़ा हुआ है।
पर्यावरण का अर्थ एवं परिभाषा( definition and meaning of environment)
पर्यावरण शब्द परि+आवरण दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ परिवृति( surrounding) अंग्रेजी में पर्यावरण के लिए environment शब्द का प्रयोग किया जाता है। environment का अर्थ होता है घेरना। इस प्रकार एनवायरनमेंट का शाब्दिक अर्थ होता है चारों ओर से घेरना।
मानव के चारों ओर का वह क्षेत्र जो उसे चारों ओर से घेरे रहता है, उसके जीवन तथा क्रियाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है; पर्यावरण कहलाता है। दूसरे शब्दों में हम पर्यावरण को पास पड़ोस जैसे शब्द से भी अभिव्यक्त कर सकते हैं। निश्चित रूप से पर्यावरण एक विस्तृत शब्द है। इस परिवृति में मनुष्य से संबंधित वे सभी तथ्य, वस्तुएं, स्थितियां और दशायें सम्मिलित हैं; जो मानव के जीवन विकास को प्रभावित करती हैं।
पर्यावरण जीवो की क्रियाओं प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करने वाली समस्त भौतिक अथवा अजैविक( physical or Abiotic ) तथा जैविक (biotic ) परिस्थितियों का योग है। दूसरे शब्दों में पर्यावरण को जीवमंडल( biosphere) कहा जा सकता है जो स्थलमंडल(Lithosphere ) , जलमंडल(Hydrosphere) तथा वायुमंडल(Atmosphere ) के जीवन युक्त भागों का योग है। पर्यावरण का अर्थ उस भौतिक परिवेश से है जो पृथ्वी के जैव हो जगत को आवृत किए हुए है तथा जिसके प्रभाव से जीवन स्पंदित होता है । यह भौतिक एवं जैविक घटकों की विभाज्य रचना है। जिनकी पारस्परिक अंत: प्रक्रियाओं से भूतल पर जीवन का विकास संभव हुआ है।अतः समस्त जैव जगत को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों के योग को पर्यावरण कहते हैं।
वास्तव में प्रकृति के अंतर्गत जो कुछ भी हमें दिखलाई देता है, वह पर्यावरण का एक अंग है अर्थात वायु ,जल ,मृदा ,पर्वत, पठार ,मैदान, मरुस्थल ,समुद्र , पेड़ पौधे तथा जीव जंतु आदि सभी सम्मिलित रूप से पर्यावरण की रचना करते हैं।
According C.C. Park( सी.सी. पार्क) के अनुसार पर्यावरण का अर्थ उन दशाओं के योग से लगाया है जो मनुष्य को निश्चित समय में निश्चित स्थान पर आवृत्त(encircle) करती है।
सामान्य रूप से पर्यावरण को प्रकृति का समानार्थी माना जाता है जिसमें पृथ्वी भौतिक घटकों: स्थल ,वायु,मिट्टी ,जल, वनस्पति ,वन्य पशु व पक्षियों को आधार प्रस्तुत करके आश्रय प्रदान करते हैं और उनके विकास और संवर्धन के लिए आवश्यक दशायें प्रस्तुत करते हैं।
इस प्रकार समस्त सजीव विश्व का आधार पर्यावरण ही है। पर्यावरण ही वह मूलभूत आवश्यकता है जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ है। पृथ्वी का पर्यावरण जीवन के लिए अनुकूल है,अतः यहां जीवन संभव हुआ है; वहीं दूसरी और चंद्रमा पर पर्यावरण नहीं है, इसलिए वहां जीवन के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं ।
अतः यह स्पष्ट है कि पर्यावरण भौतिक तत्वों दशाओं एवं प्रभाव का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष सहयोग या सम्मिश्रण है जो जीव धारियों को आवृत कर उनकी क्रियाओं को प्रभावित करता है और स्वयं भी उनसे प्रभावित होता रहता है।
पी.जिस्बर्ट(P.Gisbert) ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए लिखा है ," पर्यावरण उस सबको कहते हैं जो किसी वस्तु को निकट से घेरे हुए हैं और उन्हें प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
जर्मन विद्वान ए. फिटिंग(A.Fitting) के अनुसार" एक जीवधारी पारिस्थितिक कारकों का योग( the totality of milieu factors of an organism) ही पर्यावरण है।
अमेरिकन नृ तत्वशास्त्री एम.जे. हर्सकोविट्स(M.J. Harskovits) के शब्दों में , पर्यावरण उन समस्त बाह्य दशाओं(external conditions ) और प्रभावों(influences) का योग है , जो प्राणियों के जीवन और विकास पर प्रभाव डालते हैं । दूसरे शब्दों में पर्यावरण संपूर्ण बाह्य परिस्थितियों और उनका जीवधारियों पर पड़ने वाला प्रभाव है , जो जैव जगत के जीवन चक्र का नियामक है ।
पर्यावरण पद का अर्थ इस भाव में बहुत व्यापक है क्योंकि इसके अंतर्गत उन सभी कारकों को सम्मिलित किया जाता है जिनका प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव मानव जाति के प्राकृतिक परिवेश पर होता है ।" according to doctor T.N . Khosu पर्यावरण को उन सभी परिस्थितियों तथा प्रभावों के योग , जो सभी अंगों के विकास तथा जीवन को प्रभावित करते हैं के रूप में परिभाषित किया गया है ।
पर्यावरण शब्द का अर्थ आसपास या पास पड़ोस से होता है जिसमें मानव जंतुओं या पौधों की वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले बाह्य परिस्थितियां , कार्यप्रणाली तथा जीवन यापन की दशाएं सम्मिलित है । इस प्रकार किसी स्थान विशेष में मनुष्य के आसपास भौतिक वस्तुएं जिनमें स्थल , जल ,मृदा और वायु सम्मिलित है। इनका आवरण जिनके द्वारा मनुष्य घिरा होता है को पर्यावरण कहा जाता है ।
साधारण रूप में पर्यावरण की प्रकृति से समानता की जाती है जिसके अंतर्गत ग्रहीय पृथ्वी के भौतिक घटकों जैसे स्थल , वायु, जल ,मृदा आदि को सम्मिलित किया जाता है जो जीव मंडल में जीवों को आधार प्रदान करते हैं ,उन्हें आश्रय देते हैं, उनके विकास तथा संवर्धन हेतु दशाएं प्रस्तुत करते हैं तथा उन्हें प्रभावित भी करते हैं.
ए. माउडी ने अपनी पुस्तक the nature of the in wider mint में पृथ्वी के भौतिक घटकों को ही पर्यावरण का प्रतिनिधि माना है तथा उनके अनुसार पर्यावरण को प्रभावित करने में अनुपम एक महत्वपूर्ण कारक है ।
According to Mr K.R. Dikshit पर्यावरण विश्व का समग्र दृष्टिकोण(Holistic view) है, क्योंकि यह किसी काल संदर्भ में बहु स्थानिक , तत्वीय एवं सामाजिक , आर्थिक तंत्रों , जो जैविक एवं अजैविक रूपों के व्यवहार आचार पद्धति , स्थान की गुणवत्ता तथा गुणों के आधार पर एक दूसरे से अलग होते हैं , के साथ कार्य करता है ।
सामान्य रूप से पर्यावरण( environment) को प्रकृति( Nature ) का समानार्थी माना जाता है , जिसमें पृथ्वी भौतिक घटकों स्थल वायु मिट्टी जल वनस्पति वन्य पशु व पक्षियों को आधार प्रस्तुत करके आश्रय प्रदान करते हैं और विकास और संवर्धन के लिए आवश्यक दशाएं प्रस्तुत करते हुए उन्हें प्रभावित करते हैं ।
ए. गाउडी ने अपनी पुस्तक " the nature of environment " में पृथ्वी के भौतिक घटकों को पर्यावरण माना है।
इस प्रकार समस्त सजीव विश्व का आधार पर्यावरण ही है । पर्यावरण ही वह मूलभूत आवश्यकता है , जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ है । पृथ्वी का पर्यावरण जीवन के लिए अनुकूल है , अतः यहां जीवन संभव हुआ है।
संयुक्त राज्य पर्यावरण गुणवत्ता परिषद का यह मत है कि मनुष्य की कुल पर्यावरण संबंधी प्रणाली में ना केवल जैव मंडल(Biosphere ) सम्मिलित है , बल्कि उसके प्राकृतिक तथा मानव निर्मित परिवेश के साथ उसकी अंत: क्रियाएं भी सम्मिलित है । encyclopaedia Britannica में पर्यावरण को जीव भौतिक तथा जैविक दोनों पर कार्य करते हुएबाह्य प्रभाव का संपूर्ण क्षेत्र अर्थात अन्य जीव ,व्यक्ति की प्रतिवेशी प्रकृति का बल ,के रूप में परिभाषित किया गया है ।
पर्यावरण नियंत्रण अधिनियम 1986 की धारा(2क) में पर्यावरण को रूप से परिभाषित किया गया है: पर्यावरण के अंतर्गत जलवायु तथा भूमि तथा उनके मध्य जो संबंध है । इसके अतिरिक्त वायु ,जल, भूमि का जो संबंध मनुष्य, अन्य जीवित प्राणियों , पौधों, सूक्ष्म जीवों तथा संपत्ति से है वह भी पर्यावरण की परिभाषा के अंतर्गत आता है । कार पर्यावरण की परिभाषा के अंतर्गत प्रत्येक संभाव्य स्थिति आ जाती है।
environment includes water, air and land and the interrelationship which exits among and between water, air and land human beings, the living creatures, plants, microorganism and property.
(section 2(C))
पर्यावरण विधि का क्षेत्र: पर्यावरण विधि का संबंध कई अन्य विधाओं जैसे जैविकी पारिस्थितिक अर्थशास्त्र जल विज्ञान जीव प्रौद्योगिकी राजनीतिक शास्त्र मनोविज्ञान और लोक प्रशासन से जुड़ा हुआ है। यह ध्यान देने की बात है कि पर्यावरण विधि को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता है और इसका अध्ययन पारिस्थितिकी और अर्थशास्त्र की जानकारी की भी अपेक्षाकृत है।
पर्यावरण विधि अन्य विधियों में प्रतिपादित सिद्धांतों संकल्पनाओं मानो और मांनकों संश्लेषण है। पर्यावरण विधि उन विधियों से जो पर्यावरण से सरोकार रखती हैं संबंधित है। पर्यावरण विधि और संवैधानिक विधि में घनिष्ठ संबंध है। पर्यावरण के संरक्षण की चिंता का प्रभाव एक कल्याणकारी विधियों पर भी है। पर्यावरण विधि का सबसे घनिष्ठ संबंध प्रशासनिक विधि से है। साथ ही साथ इसका घनिष्ठ संबंध आपराधिक विधि से भी है। ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो पर्यावरण को क्षति पहुंचाता है वह भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय अपराध करता है। वर्तमान समय में पर्यावरण विधि का क्षेत्र अत्याधिक व्यापक हो गया है। संवैधानिक विधि के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है कि वह स्वच्छ वातावरण में अपना जीवन विताये। साथ ही साथ उसका यह मौलिक कर्तव्य भी है कि वह वातावरण को स्वच्छ रखें। पर्यावरण विधि के अंतर्गत प्रशासनिक अधिकारियों का यह उत्तरदायित्व है कि वह पर्यावरण का संरक्षण करें।
पर्यावरण की विशेषताएं( characteristics of environment)
(1) पर्यावरण भौतिक और जैविक तत्वों का एक समूह है।
(2) पर्यावरण के भौतिक तत्व अपारशक्ति के भंडार हैं।
(3) पर्यावरण में विशिष्ट भौतिक प्रक्रियाएं क्रियाशील रहती हैं।
(4) पर्यावरण का प्रभाव सभी प्राणियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में पड़ता है।
(5) पर्यावरण परिवर्तनशील होता है
(6) पर्यावरण स्वयं पूर्ति( self-supporting) और स्वनियंत्रित प्रणाली( self controlling system) पर आधारित होता है।
(7) पर्यावरण में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है।
(8) पर्यावरण में पार्थिव एकता पाई जाती है।
(9) पर्यावरण में जीव धारियों का प्राकृतिक निवास क्षेत्र है।
(10) पर्यावरण संसाधनों का भंडार है।
पर्यावरण का महत्व( importance of environment)
समस्त जीव समुदाय का अपना भौतिक एवं रासायनिक अस्तित्व होता है। वे स्वयं नियंत्रित तथा स्वचालित होते हुए भी अपने चारों ओर व्याप्त पर्यावरण पर निर्भर करते हैं। जीवो के चारों ओर उपस्थित समस्त कारक जो उनको प्रभावित करते हैं ,पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वास्तव में जीव एवं पर्यावरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरे की कल्पना करना नितांत असंभव है क्योंकि जीवो का अस्तित्व उसके चारों और विस्तृत पर्यावरण पर आधारित होता है। पर्यावरण से जीवो को मात्र एक आधार ही प्राप्त नहीं होता, बल्कि समस्त जैविक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं के संचालन के लिए एक परम आवश्यक माध्यम भी प्राप्त होता है। इस प्रकार पर्यावरण एवं जीव समुदाय एक दूसरे पर आश्रित एवं अंतर संबंधित है।
पर्यावरण के प्रकार( types of environment)
(1) physical or natural environment( भौतिकी या प्राकृतिक पर्यावरण): पर्यावरण के इस प्रकार के अंतर्गत वे सभी भौतिक तत्व सम्मिलित किए जा सकते हैं, जो अपनी प्रक्रियाओं से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। इन तत्वों में जल, सूर्य का प्रकाश, खनिज पदार्थ, वायु, आद्रता, भूपटल को प्रभावित करने वाले बल, गुरुत्वाकर्षण बल, ज्वालामुखी, भूकंप आदि कारक सम्मिलित किए जाते हैं। इन तत्वों में होने वाली क्रियाएं भूमि के अपरदन, ताप विकिरण, संचालन, अवसादीकरण , ताप संवहन वायु व जल की गतियां, जीव धारियों की गतियां तथा जन्म मरण और विकास को आकार प्रदान करती है।
भौतिक पर्यावरण को मुख्यतः दो बड़े समूहों में बांटा गया है:
(1) जैव तत्व
(2) अजैव तत्व
भूमि ,जल ,वायु और जैविक प्राणी पर्यावरण के चार प्रमुख घटक है, जो पर्यावरण की रचना करते हैं। इनमें भूमि, जल और वायु भौतिक पर्यावरण की रचना करते हैं, जबकि पौधे पशु व मानव जैविक पर्यावरण( जीवमंडल) का निर्माण करते हैं।
यह सभी तत्व प्रकृति की देन है इसी कारण पर्यावरण की तुलना प्रकृति से की गई है।
(2) सांस्कृतिक या मानव निर्मित पर्यावरण( cultural or men made environment) सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण मानव क्रियाकलापों से होता है। मानव के द्वारा किए गए कार्य, उसके द्वारा बनाई गई वस्तुएं, उन वस्तुओं की क्रिया विधि , यह सभी सांस्कृतिक पर्यावरण को बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन सभी तत्वों का निर्माण मनुष्य ने अपनी आवश्यकतानुसार तकनीकी ज्ञान विज्ञान, बुद्धि कौशल एवं चातुर्य का सहारा लेकर किया है। आवश्यकतानुसार में भूमि को जोतकर कृषि करता है जंगलों को साफ करता है, सड़कें रेल मार्ग आदि बनाता है, पर्वतों को काटकर सुरंगे बनाता है तथा प्राकृतिक शक्तियों का विभिन्न प्रकार से उपयोग करता है। मानव द्वारा निर्मित यह सभी वस्तुएं जिस संस्कृति को जन्म देती हैं, उसे मानव निर्मित सांस्कृतिक या प्राविधिक पर्यावरण( technological environment) कहते हैं। इसे मानो कि बहुत ही किया पार्थिव संस्कृति का भी नाम दिया जा सकता है।
घातक पदार्थ(Hazardous ): यदि कोई पदार्थ अथवा उसके बनाने से उसमें निहित रासायनिक तत्वों के कारण अथवा भौतिक रासायनिक गुणों के कारण अथवा उसके संभालने की प्रक्रिया में मानव को क्षाति अथवा प्राणी मात्रा को क्षाति या पौधों क नुकसान अथवा सूक्ष्म जीवों को अथवा संपत्ति या पर्यावरण को क्षति पहुंचाने की क्षमता हो सकती है तो उस पदार्थ को घातक पदार्थ माना जाएगा। चमड़े के कारखानों से निकलने वाला नुकसानदायक पानी इसी श्रेणी में आता है। इस प्रकार घातक पदार्थ की परिभाषा अत्यंत व्यापक है। कोई भी पदार्थ जो घातक है अथवा जिसके द्वारा नुकसान होने की संभावना है घातक पदार्थ की श्रेणी में आता है।
Hazardous substance means any substance or preparation which by reason of its chemical and physico-chemical properties or handling is liable to cause harm to human being other living creatures plants microorganism property or the environment.
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