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Showing posts from June, 2021

असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

Blog बनाने के कितने दिनों बाद Blog पर Organic traffic आने लगता है: Blog par organic traffic aane par Kitna Samay lagta hai

अगर हम BLOG की बात करते हैं तो मैं सबसे पहले अगर कोई भी यह बात करता है कि यार मेरे BLOG पर TRAFFIC नहीं आ रहा है और बगैर ट्रैफिक के मेरी INCOME नहीं हो सकती है तो यह एकदम सही बात है कि बिना ट्रैफिक के आपके ब्लॉग पर इनकम नहीं की जा सकती है.          जो भी ब्लॉगिंग शुरू करता है वह अब सबसे पहले अपनी ब्लॉगिंग में यही देखता है कि उसकी BLOG  पर TRAFFICआ रहा है या नहीं आ रहा है और अगर TRAFFIC आ रहा है तो ट्रैफिक आने में कितना वक्त लग रहा है और कितने वक्त के बाद हमारा  BLOGपर एक सही ट्रैफिक आ सकता है.            हर एक नए BLOGGER के मन में यह एक बात रहती है कि हमारे blog पर कितना दिनों बाद या कितने Time के बाद हमारे ब्लॉग पर ट्रैफिक आएगा. यदि जहां तक मेरा जानकारी है तो मेरे अनुसार हम बात कर सकते हैं कि यह किसी को भी नहीं पता होता है कि आपके ब्लॉग पर कितने समय में ट्राफिक आएगा यहां तक कि आप ही कोई यकीन नहीं होगा कि कभी कभी ऐसा हो जाता है कि आपके ब्लॉग पर शुरुआत के 2 से 3 महीने तक किसी भी तरह का कोई  traffic नहीं आता...

भारत के उपराष्ट्रपति की अर्हताये निर्वाचन पद्धति कार्य एवं स्थिति के विस्तार से विवेचना कीजिए। describe the qualification election system function and position of Vice President of India

भारत में एक उपराष्ट्रपति पद की व्याख्या भी की गई है उपराष्ट्रपति: - ( 1) राज्यसभा का पदेन सभापति होता है. ( 2) अपने पद के अलावा  अन्य कोई पद धारण नहीं कर सकता है ( 3) मृत्यु ,पद त्याग, महाभियोग अनुपस्थिति बीमारी आदि अवस्था में राष्ट्रपति के स्थान पर राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन तब तक करता रहता है जब तक की - (a) नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने पद का कार्यभार नहीं संभाल लेता है अथवा (b) अवकाश बीमारी आदि पर गया राष्ट्रपति पुनः अपने कार्य पर नहीं लौट आता है ( 4) राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने पर राष्ट्रपति की उपलब्धियां भक्तों विशेषाधिकार सखियों उपयोग उपभोग का हकदार होता है. ( 5) राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करते समय वह राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का पालन नहीं करता और ना सभापति को  वेतन भत्ते आदि का हकदार होता है. (अनुच्छेद 63, 64 एवं 65). इस प्रकार उपराष्ट्रपति के पद की दोहरी उपयोगिता है - ( 1) राज्यसभा के सभापति के रूप में एवं ( 2) राष्ट्रपति को अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में.             भारत में अक्सर...

पृथ्वी की गतियाँ Prathvi ki ghatiya

यदि हम बात करते हैं पृथ्वी के गतियो की तो दूसरे ग्रहों के समान पृथ्वी की दो गतियां है (1) घूर्णन  (2) परिक्रमण घूर्णन गति: (a) पृथ्वी को प्रकाश और ऊष्मा सूर्य से मिलती है. (b) पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है और लगभग 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है यह प्रक्रिया घूर्णन कहलाती है. जिसके कारण पृथ्वी का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है और दूसरा भाग अंधेरे में रहता है प्रकाश वाले भाग में दिन तथा अंधेरे वाले भाग में रात होती है. परिक्रमण: (a) पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा भी करती है. (b) पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा लगभग 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करती है परंतु सुविधा के लिए हम 1 वर्ष में 365 दिन की ही गिनती है और 6 घंटे का समय छोड़ देते हैं. इस प्रकार 4 वर्षों में( 6 घंटे* 4 वर्ष= 24 घंटे अर्थात एक दिन) 24 घंटे का अथवा 1 दिन का अंतर हो जाता है और प्रत्येक चौथे वर्ष के फरवरी माह में इस एक अतिरिक्त दिन को जोड़ दिया जाता है यही कारण है कि प्रत्येक 4 वर्ष 366 दिन( लीप वर्ष) का होता है. (c) सूर्य के परिक्रमण मार्ग पर पृथ्वी का अच्छे सदैव एक और झ...

पृथ्वी के परिमंडल ( earth circle)

पृथ्वी हमारा निवास स्थान है यह एक अद्वितीय ग्रह है क्योंकि इस पर जीवन है . यहां पर जीवन इसलिए संभव है क्योंकि यहां पर 3 जीवनदायिनी वस्तुएं भूमि, जल एवं वायु पाई जाती है जिसे क्रमसा स्थलमंडल , जलमंडल और वायुमंडल कहा जाता है और पृथ्वी का वह सीमित क्षेत्र जहां उपरोक्त तीनों परिमंडल एक दूसरे के संपर्क में आते हैं वह जैवमंडल कहलाता है जहां सभी प्रकार का जीवन संभव है. स्थलमंडल: - महाद्वीप पृथ्वी के भूमि भाग जो कि शैलो पत्थर+ मिट्टी से मिलकर बना है उसे स्थलमंडल या पृथ्वी की ऊपरी सतह कहते हैं इसमें पृथ्वी के सभी छोटे बड़े भूखंड शामिल हैं. धरातल का लगभग 1\3 भाग ही भूमि है. धरातल के विशाल भूखंडों को महाद्वीप कहते हैं अतः पृथ्वी प्रमुखता  7 विशाल भूखंड या महाद्वीप है जो कि निम्न प्रकार से हैं   (1)  एशिया    (2)  यूरोप    (3) अफ्रीका       (4) उत्तरी अमेरिका        (5) दक्षिणी अमेरिका       (6) ऑस्ट्रेलिया (7) अंटार्कटिका      " एशिया  सबसे बड़ा महाद्वीप है और यह उत्तरी गोला...

रविंद्र नाथ टैगोर की बाल्यावस्था की कुछ अनसुनी बातें. Ravindra Nath Tagore ki balyavastha

होनहार वीरवान के होते चिकने पात के अनुसार बालक रविंद्र के बचपन में एक विशिष्टता थी जो साधारणतया  इस आयु के बालकों में नहीं पाई जाती है।          बालाघाट रविंद्र का जन्म धनी घराने में हुआ था पर धनी परिवार के बच्चों में बहुत भोग विलास की जो अधिकता पाई जाती है वह बालक रविंद्र के भाग्य में ना थी।         आज बीसवीं सदी के इस बदलते हुए जमाने में जो पोशाके तुम पहनते हो उनकी सूची बनाई जाए तो काफी लंबी होगी सर्दी के मौसम में तो इन वस्त्रों की संख्या और भी बढ़ जाती है कोर्ट स्वेटर जैकेट्स इत्यादि परंतु बालक रविंद्र केवल दो सूती कुर्तों से अपना काम चलाया करता था यह तो हुई सर्दी के मौसम की बात।           गर्मी के दिनों में तो एक कुर्ता ही काफी होता था परंतु इस छोटी सी बात के लिए बालक रविंद्र ने हमजोली के बच्चों की तरह माता-पिता से ना कोई शिकायत की और ना ही जिद पकड़ी है।      रविंद्र के बचपन में ठाकुर परिवार के कपड़े दर्जी नियामत खलीफा सिया करता था। यह नियामक खलीफा कभी-कभी रविंद्र के कुर्ते में जेब...

मेरी मां का मेरे प्रति आत्मविश्वास: (meri mata Ka Mere Prati aatmvishwas

दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थॉमस अल्वा एडिसन बहुत ही मेहनती इंसान थे उन्होंने कई आविष्कार किया जिनमें से सबसे विशेष है बल्ब का आविष्कार था और जब थॉमस छोटे थे तब उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया था. विद्यालय से उनकी मां के लिए एक पत्र भी दिया गया था बालक थॉमस विद्यालय से घर पहुंचा और अपनी मां को एक कागज दिया थॉमस ने मां से कहा मेरे अध्यापक ने यह पत्र दिया है और कहा है कि केवल मा  ही इसे पढ़ें.              बच्चे ने अपनी माता से पूछा कि “ मां इसमें क्या लिखा है?” मां ने पत्र पढ़ना प्रारंभ किया तो उसकी आंखों से आंसू बह निकले बेटे के सामने पत्र जोर-जोर से पड़ने लगी आपका बेटा बुद्धिमान है हमारा विद्यालय बहुत छोटा है हमारे पास थॉमस को पढ़ाने लायक अच्छे अध्यापक नहीं है कृपया आप इसे स्वयं पढ़ाये।             उस दिन के बाद से मां ने ही अपने बेटे थॉमस को पढ़ाया थॉमस एडिसन दुनिया के महानतम अविष्कारक बन गए थे मां की मृत्यु के बाद एक दिन थॉमस को अध्यापक का वह पत्र मिला उन्होंने पत्र खोला और पढ़ने लगे तो...

भारत और भारत में जाति व्यवस्था भारतीय जाति व्यवस्था को किस प्रकार से खत्म किया जाए. India and Indian caste system

जाति प्रथा का प्रादुर्भाव प्राचीन काल की वर्ण व्यवस्था से माना जा सकता है पहले चार ही वर्ण हुआ करते थे इन वर्णो के नाम और कार्य निम्न वत है ब्राह्मण: - वे लोग ब्राह्मण कहलाए जो शास्त्रों में पारंगत होते थे और धार्मिक एवं विद्यार्जन के कार्यों के प्रति समर्पित रहते थे. क्षत्रिय: - वे लोग क्षत्रिय कहलाये जिन पर भू प्रदेश की रक्षा का भार रहता था। वैश्य: - वे लोग वैश्य कहलाए जिन पर व्यापार और वाणिज्य का कार्य करते थे. शुद्र: - उक्त कार्यों को छोड़कर शेष कार्य करने वाले लोग शूद्र कहलाए उनका कार्य वस्तुओं का निर्माण करना एवं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य वर्गों की सेवा करना था.               धीरे-धीरे यह वर्ण विभिन्न जातियों और उप जातियों में बढ़ गया कालांतर में जाति व्यवस्था वंशानुगत हो गई अर्थात ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाला स्वता ही ब्राह्मण हो जाता था और यही बात अन्य तीन वर्गों पर भी लागू होती थी इस प्रकार व्यक्ति की जाति उसके जन्म से निश्चित होने लगी। जाति प्रथा के दोष: - (1) जाति व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष कुछ जातियों को उच्च और कुछ को निम्न क...

बंगाल का विभाजन स्वदेशी आंदोलन और क्रांतिकारी आतंकवाद उदय: - bangal ka vibhajan Swadeshi Andolan aur Krantikari aatankwad ka Uday

Question (1): - वर्ष 1905 में बंगाल को प्रशासकीय कारणों की अपेक्षा राजनीतिक उद्देश्यों से विभाजित किया गया. व्याख्या  कीजिए? Answer: - लार्ड कर्जन द्वारा वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन का प्रमुख कारण प्रशासकीय व्यवस्था को सुदृढ़ करना बताया गया है जबकि उस समय राष्ट्रवाद एवं एकता की भावना जनमानस में प्रबल हो रही थी अंग्रेजी शासन ने इसे को तोड़ने के लिए बंगाल का विभाजन किया.               अर्थात राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करने के लिए बंगाल का विभाजन किया गया इस विभाजन का मुख्य कारण राजनीतिक था क्योंकि बंगाल से ही राजनीतिक गतिविधियों का संचालन होता था बंगाली राष्ट्रीयता भारतीय राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में बन रही थी जैसा कि गृह सचिव रिजले के कथन से स्पष्ट है कि अविभाजित बंगाल एक बड़ी ताकत है और विभाजित होने से यह कमजोर हो जाएगी हिंदू और मुसलमानों के बीच दरार उत्पन्न कर फूट डालो और राज करो की नीति को अमलीजामा पहनाया गया।            जैसा कि कर्जन ने कहा था कि विभाजन के साथ ढाका मुस्लिम बहुसंख्यक वाली पूर्वी बंगाल प्रांत की र...

UPSC previous year civil services paper part 8

( 1): - संविधान सभा के गठन के संबंध में कैबिनेट मिशन में वयस्क मताधिकार पर आधारित निर्वाचन से इनकार कर दिया क्योंकि इसमें अत्यंत विलंब होता.        यह व्यवस्था की गई कि संविधान निर्मात्री सभा का गठन अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाएगा इसलिए प्रत्येक प्रांत के लिए जनसंख्या के अनुपात में कुछ सीटें आवंटित की गई यह समानता 1000000 की जनसंख्या पर एक सीट थी.            संविधान सभा के लिए उसके स्थानों हेतु हुए चुनावों में कांग्रेस को ब्रिटिश भारत के 214 सामान्य स्थानों में से 205 स्थानों पर जीत हासिल हुई.                  संविधान सभा के चुनाव के आधार पर 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई.                 मुसलमानों को 1909 के मार्ले मिंटो सुधार हो द्वारा पहले ही पृथक निर्वाचन मंडल की सुविधा दी जा चुकी थी.                इसके तहत केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्था स्थापित की गई एक सदन को राज्य परिषद तथा दूसरे को के...