Skip to main content

इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

रविंद्र नाथ टैगोर की बाल्यावस्था की कुछ अनसुनी बातें. Ravindra Nath Tagore ki balyavastha

होनहार वीरवान के होते चिकने पात के अनुसार बालक रविंद्र के बचपन में एक विशिष्टता थी जो साधारणतया  इस आयु के बालकों में नहीं पाई जाती है।


         बालाघाट रविंद्र का जन्म धनी घराने में हुआ था पर धनी परिवार के बच्चों में बहुत भोग विलास की जो अधिकता पाई जाती है वह बालक रविंद्र के भाग्य में ना थी।


        आज बीसवीं सदी के इस बदलते हुए जमाने में जो पोशाके तुम पहनते हो उनकी सूची बनाई जाए तो काफी लंबी होगी सर्दी के मौसम में तो इन वस्त्रों की संख्या और भी बढ़ जाती है कोर्ट स्वेटर जैकेट्स इत्यादि परंतु बालक रविंद्र केवल दो सूती कुर्तों से अपना काम चलाया करता था यह तो हुई सर्दी के मौसम की बात।


          गर्मी के दिनों में तो एक कुर्ता ही काफी होता था परंतु इस छोटी सी बात के लिए बालक रविंद्र ने हमजोली के बच्चों की तरह माता-पिता से ना कोई शिकायत की और ना ही जिद पकड़ी है।


     रविंद्र के बचपन में ठाकुर परिवार के कपड़े दर्जी नियामत खलीफा सिया करता था। यह नियामक खलीफा कभी-कभी रविंद्र के कुर्ते में जेब लगाने की आवश्यकता ना समझता एक तो केवल एक या दो कुर्ते और उसमें यदि जेब ना हो तो इससे छोटे बालक के लिए कितनी कठिनाई होगी । क्योंकि बचपन में ही बच्चों को जीवो की आवश्यकता सबसे ज्यादा पड़ती है क्योंकि वह बच्चे उसमें कांच की गोलियां रंगीन पेंसिल एक टुकड़े मूल्यवान संपत्ति कुर्तों की ही जेब के अलावा भला और कहां सुरक्षित रख सकते हैं इसलिए जब नियामक बिना पॉकेट का कुर्ता सीकर लापता बालक रविंद्र और खेल हो उठता था।


       बालक रविंद्र ने 10 वर्ष की अवस्था से पहले मौजे की सूरत नहीं देखी थी जूते ही नहीं थे फिर भला मुझे कहां से आते केवल 1 जोड़ी चप्पल थी वह भी पैर के नाप के नहीं बेडौल एवं भारी।


          धनी परिवार में जन्म लेने से सुख और दुख दोनों ही सहने पड़ते हैं पर हमारे इस कवि के हिस्से में भगवान ने केवल दुख ही दुख लिखे थे कभी का बचपन नौकरों के बीच में भीतर रविंद्र का बचपन जिन नौकरों के बीच में बीता हुआ स्वभाव से अच्छे ना थे कवि ने अपनी जीवनी में बचपन का वर्णन करते हुए लिखा है कि बचपन के संरक्षक नौकरों की मर्यादा अब तक वजनी पुरुषों का तेल जलने वाले चारों के रूप में ताजी है इन लोगों में से एक नौकर का नाम ईश्वर था ऊपर वाला ईश्वर संसार के लोगों को भोजन देता है उसी प्रकार इस ईश्वर नामक नौकर के जिम्मे ठाकुर परिवार के बच्चों के भोजन की व्यवस्था थी।


        बच्चों को खाना परोसने में वह ऐसी कंजूसी दिखाता की भूख रहते हुए भी शर्म के मारे अधिक ना मांगा जाता था बच्चों से दो पूरियां परोस कर कहता की और कहता और पूरियां तो नहीं चाहिए।


       * इन पूरियों में उस नौकर के प्राण बसते थे अतः मारे शर्म के बालक रविंद्र अधिक ना मांग सकते थे।

             ईश्वर की खुराक खूब थी वह अफीमची था अतः उसे भूख  लगना स्वाभाविक था वह तो बच्चों के हिस्से का दूध भी उन्हें पूरा न  देकर आधे से अधिक स्वंय  पी जाता था.


     इसी  ठाकुर परिवार के एक दूसरे नौकर का नाम श्याम था. वह बालक रविंद्र को एक निश्चित स्थान पर बैठा कर उसके चारों और खड़िया से एक गहरा खींच देता और फिर मुंह को गंभीर बना आंखें फैलाकर तर्जनी उंगली से उस को दिखाकर कहता यदि घेरे  को पार किया तो आफत आएगी। इस आने वाली आफत का कोई स्पष्ट ज्ञान कभी को ना था किंतु आशंका से कवि का हृदय दहल जाता था खीरे के बाहर जाने से बेचारी सीता पर कैसी-कैसी आंखों का पहाड़ टूटा था यह कवि ने रामायण में अच्छी तरह से पढ़ लिया था अतएव वे उस घेरे की महिमा को आ विश्वासी की तरह हंसकर नहीं टाल सकते थे।


         उनका बचपन श्याम के उस खीचे घेरे के भीतर बैठे बैठे ही बीता यह स्थान दुम जिले के दक्षिण पूर्व  वाले कमरे में था घेरे में बंदी बालक कमरे की खुली खिड़की से बाहर संसार का दृश्य देखता यह दृश्य देखते हुए उसे समय का ज्ञान ना रहता समय मानो पंख लगाकर उड़ जाता।



           खिड़की खोलते ही दिखाई पड़ता है एक तालाब तालाब के पक्के बंदे घाट के किनारे ऋषि-मुनियों की तरह जटा जूट फैलाए एक बूढ़ा बरगद का पेड़ था दक्षिण की और नारियल के वृक्षों की कतार भय से घबराए शिष्यों की तरह हवा से कांपती हुई वृद्ध बरगद के सामने सिर झुकाती। सवेरे से दोपहर तक घाट पर नहाने वालों की भीड़ भाड़ रहती है।

                 घर को सीढ़ियों पर फैली धूप एक एक सीढी सिमटने लगती है नहाने वालों की संख्या भी कम हो आती घाट सुनसान हो जाता तालाब में इस समय दिखाई देते राजहंस और बत्तक तैरते  हुए।


          कैदी जिस तरह जेल की कोठरी से बाहर का दृश्य देखता है उसी प्रकार रविंद्र का बचपन खिड़की के बाहर के वृक्षों और पशु पक्षियों को देखने में बीता.

                 प्रकृति के इन दृश्यों को देखकर कवि उससे मित्रता करने उसमे स्वयं को रमाने के लिए झटपटाता वह प्रकृति के पास जाना चाहता था परंतु ठाकुर परिवार का आदेश ऊंची दीवारों से भी अधिक कठोर था।


                बचपन में रविंद्र नाथ टैगोर को कोलकाता से बाहर जाने का अवसर कभी नहीं मिला परंतु उसके कवि मन ने कल्पना के सुंदर राज्य में प्रवेश कर लिया था.


       कवि रविंद्र के विषय में जो कुछ कहा गया है वह उनके बाल्यकाल की अधूरी इच्छाओं का ही चित्रण है.

           कवि के बचपन के 7 या 8 वर्ष नौकरों की देखरेख में बीते नौकरों में कृतिवास रामायण और चाणक्य श्लोक बहुत प्रचार था इन्हें दो पुस्तकों से बालक रविंद्र ने काव्य पढ़ना प्रारंभ किया।


            कवि के भांजे का नाम ज्योति प्रकाश था यह कवि से आयु में बड़े थे इन्होंने ही पहले पहल कभी को पध्द लिखने की विधि और शैली  सिखलाई।


           कविता बनाने का ढंग सीखने के उपरांत बालक काफी उत्साहित हो कविता रचने भीड़ गया अपने बचपन के उन दिनों की कवि ने बाद में बड़ी सुंदर व्याख्या की है हिरण का छौना नए-नए सिंघ निकलने पर जिस प्रकार यहां वहां सिंघ मारता फिरता है या एक छोटा बच्चा दूध के दो नए दांत निकलने पर जिस प्रकार उन दातों से मिट्टी पत्थर बटन इत्यादि किसी भी चीज को नहीं छोड़ता है उसी प्रकार कवि ने भी नई कविता रचना के नाम पर उत्पात मचाना प्रारंभ कर दिया दीवार कागज के पर इस उत्पात के अस्त्र बने.


                 खेद है कि कभी के उत्पाद के निशान ढूंढने से नहीं मिलते हैं ठाकुर परिवार के एक मुनीम से कवि ने नीले रंग का एक रजिस्टर बड़ी खुशामद कर मांगा था इसी रजिस्टर में कवि ने अपने बचपन में पहले पहल कविता लिखना प्रारंभ किया था पता नहीं वह रजिस्टर कहां खो गया है.


         कवि को छोटी आयु में ही ओरिएंटल सेमिनरी में भर्ती किया गया परंतु विद्यालय की पढ़ाई में कवि का मन नहीं लगा लाचार हो  देवेंद्रनाथ कवि के पिता ने बालक रविंद्र को साधारण विद्यालय में भर्ती करवा दिया इसी साधारण विद्यालय में पढ़ते समय बालक रविंद्र की कविता रचना आरंभ हुई इस समय कवि की प्रशंसा विद्यालय के शिक्षकों के कानों तक पहुंची वह कभी-कभी बालक रविंद्र को कविता बनाकर लाने को कहते हैं।


            बालक रविंद्र विद्यालय जाने से जी चुराता था उस समय के शिक्षकों का मत था कि मार के बिना विद्या नहीं आती है विद्यालयों में नाना प्रकार के दंड विधान प्रचलित थे इसी से कोमल बालक का मन विद्यालय जाने के नाम से कांप उठता हुआ विद्यालय ना जाने के लिए बड़े भाइयों के जूतों में पानी भर उन्हें पहन छत पर चहलकदमी करता जिससे उसे ज्वर आ जाए और विद्यालय रूपी बूचड़खाने से छुट्टी मिले पर ईश्वर ने बालक को ऐसा अच्छा स्वास्थ्य दिया कि दुष्ट ज्वर पास बैठने का नाम नहीं लेता और बेचारे बालक को मन मार कर विद्यालय जाना पड़ता शिक्षा पद्धति का यह दोष  कवि के ह्रदय  में कांटे की तरह चुभता था बाद में उन्होंने आदर्श शिक्षा पद्धति के लिए बोलपुर शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय की स्थापना की. आज कवि की यह शिक्षा संस्था विश्व की श्रेष्ठ शिक्षा संस्थाओं में गिनी जाती है.


           

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है किंतु उसका सार एकात्मक है . इस कथन पर टिप्पणी कीजिए? (the Indian constitutional is Federal in form but unitary is substance comments

संविधान को प्राया दो भागों में विभक्त किया गया है. परिसंघात्मक तथा एकात्मक. एकात्मक संविधान व संविधान है जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में निहित होती है जो कि प्राया केंद्रीय सरकार होती है जोकि प्रांतों को केंद्रीय सरकार के अधीन रहना पड़ता है. इसके विपरीत परिसंघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजन रहता और सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है यह संविधान विशेषज्ञों के बीच विवाद का विषय रहा है. कुछ विद्वानों का मत है कि भारतीय संविधान एकात्मक है केवल उसमें कुछ परिसंघीय लक्षण विद्यमान है। प्रोफेसर हियर के अनुसार भारत प्रबल केंद्रीय करण प्रवृत्ति युक्त परिषदीय है कोई संविधान परिसंघात्मक है या नहीं इसके लिए हमें यह जानना जरूरी है कि उस के आवश्यक तत्व क्या है? जिस संविधान में उक्त तत्व मौजूद होते हैं उसे परिसंघात्मक संविधान कहते हैं. परिसंघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व ( essential characteristic of Federal constitution): - संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं...