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इजरायल ईरान war और भारत ।

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बंगाल का विभाजन स्वदेशी आंदोलन और क्रांतिकारी आतंकवाद उदय: - bangal ka vibhajan Swadeshi Andolan aur Krantikari aatankwad ka Uday

Question (1): - वर्ष 1905 में बंगाल को प्रशासकीय कारणों की अपेक्षा राजनीतिक उद्देश्यों से विभाजित किया गया. व्याख्या  कीजिए?


  • Answer: - लार्ड कर्जन द्वारा वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन का प्रमुख कारण प्रशासकीय व्यवस्था को सुदृढ़ करना बताया गया है जबकि उस समय राष्ट्रवाद एवं एकता की भावना जनमानस में प्रबल हो रही थी अंग्रेजी शासन ने इसे को तोड़ने के लिए बंगाल का विभाजन किया.


              अर्थात राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करने के लिए बंगाल का विभाजन किया गया इस विभाजन का मुख्य कारण राजनीतिक था क्योंकि बंगाल से ही राजनीतिक गतिविधियों का संचालन होता था बंगाली राष्ट्रीयता भारतीय राष्ट्रीयता के प्रतीक के रूप में बन रही थी जैसा कि गृह सचिव रिजले के कथन से स्पष्ट है कि अविभाजित बंगाल एक बड़ी ताकत है और विभाजित होने से यह कमजोर हो जाएगी हिंदू और मुसलमानों के बीच दरार उत्पन्न कर फूट डालो और राज करो की नीति को अमलीजामा पहनाया गया।


           जैसा कि कर्जन ने कहा था कि विभाजन के साथ ढाका मुस्लिम बहुसंख्यक वाली पूर्वी बंगाल प्रांत की राजधानी बन जाएगी जहां मुसलमान अधिक सुविधा प्राप्त करेंगे जो पहले के मुस्लिम शासन के बाद उन्हें कभी नहीं मिली अर्थात धार्मिक आधार का सहारा लेकर अंग्रेजी हुकूमत का एक उद्देश्य बंगाल में बंगालियों की आबादी कम करके उन्हें अल्पसंख्यक बनाना था बंगाल भद्रलोक की आर्थिक स्थिति को कमजोर बनाना ताकि उनकी राजनीतिक शक्ति कमजोर हो सके और अंग्रेज अपना स्वार्थ सिद्ध कर सके।



Question (2): - बंगाल में स्वदेशी आंदोलन में किस प्रकार राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित किया?

  • Answer: - स्वदेशी आंदोलन में मुख्यता राष्ट्रवाद के वैचारिक आधार को विस्तृत बनाया इसने औपनिवेशिक संस्थाओं के वर्चस्व को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस आंदोलन ने जन संगठन एवं कार्य पद्धति के अनेक तरीकों का विकास किया. जैसे निष्क्रिय प्रतिरोध अहिंसा असहयोग जेल भरना सामाजिक सुधार आदि.


      स्वदेशी के प्रभाव के कारण ही अनेक भारतीय उद्योगों की स्थापना हुई जिनमें बंगाल केमिकल फैक्ट्री प्रमुख थी इसके अलावा कपड़ा उद्योग इन मले साबुन माचिस के कारखाने तथा बीमा कंपनियां अस्तित्व में आई इस में आत्मनिर्भरता एवं स्वालंबन पर बल दिया गया. शिक्षा संस्थानों की स्थापना हुई जैसे बंगाल नेशनल कॉलेज आदि इसके तहत साहित्यिक वैज्ञानिक तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया बांग्ला साहित्य की उन्नति हुई तथा अनेक शब्द को शो एवं गीतों का निर्माण किया गया कला तथा विज्ञान के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति हुई.


            कुल मिलाकर स्वदेशी आंदोलन का प्रभाव यह रहा कि इसमें राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक दायरे का विकास किया तथा उसे एक नई दिशा प्रदान की जिसके तहत अब राजनीतिक उदारवाद से राजनैतिक उग्रवाद की ओर राष्ट्रीय आंदोलन ने गति पकड़ी और अब नया लक्ष्य स्वराज की प्राप्ति था. नहीं आंदोलन की पद्धति थी जन संगठन पर आधारित आंदोलन नई विचार पद्धति थी स्वदेशी की विचारधारा आंदोलन के नए तरीके से निष्क्रिय प्रतिरोध बहिष्कार धरना प्रदर्शन आदि.



Question (3): - स्वदेशी आंदोलन की उत्पत्ति की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए जनसमूह इस से कैसे संबध्द  हुआ?

  • Answer: - बंगाल विभाजन के विरोध स्वरूप जो आंदोलन उमरा उसे स्वदेशी आंदोलन कहते हैं दिसंबर 1903 में ही विभाजन के प्रस्ताव की जानकारी लोगों को मिल चुकी थी. जिसके कारण विरोध की लहर इसी समय से सुग बुगा रही थी। सुरेंद्रनाथ बनर्जी कृष्ण कुमार मित्र तथा पृथ्वीश चंद्र राय जैसे लोगों ने बंगाली हितवाद ,संजीवनी जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से विरोध शुरू कर दिया था कांग्रेस ने वर्ष 1903से 1906 तक प्रत्येक अधिवेशन में प्रस्ताव पेश कर विभाजन के पूर्व ही सैकड़ों सभाएं की और विभाजन के विरोध स्वरूप बायकाटऔर स्वदेशी का आवाहन किया जाने लगा।



              7 अगस्त 1905 को कोलकाता के टाउन हॉल में एक बड़ी जनसभा हुई जिसमें सभी प्रमुख नेताओं तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया और इसी दिन से स्वदेशी और बायकाट आंदोलन का श्री गणेश हो गया।


           स्थानीय स्तर पर प्रारंभ में इस आंदोलन से जनसमूह धीरे-धीरे जुड़ता चला गया और अंकिता इसने एक व्यापक स्वरूप धारण कर लिया जनसमूह की भागीदारी बढ़ाने में हितैषी और संजीवनी जैसे पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान था जगह-जगह जनसभाएं कर के लोगों को आंदोलन में शामिल किया गया तथा स्वदेशी को अपनाने पर बल दिया गया इसी के परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों महिलाओं जमीदारों एवं किसानों तथा सीमित मात्रा में मुसलमानों ने आंदोलन में भाग लिया इस आंदोलन के विस्तृत आधार तथा विरोध को देखते हुए अंततः बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया।



Question (4): - भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में आतंकवादी आंदोलन कैसे सशक्त हुआ?


  • Answer: - क्रांति सामाजिक घटना है जो अत्याचार शोषण तथा अन्याय पूर्ण वितरण से उपजाति है भारत में अंग्रेजी राज्य ने इन्हें प्रवृत्तियों को जन्म दिया जिससे बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में भारत में उग्रवाद के साथ-साथ आतंकवाद का भी उदय हुआ यह आतंकवादी गतिविधियों बंगाल महाराष्ट्र पंजाब दिल्ली उत्तर प्रदेश आज तक विस्तृत थी और जब इन पर अंग्रेजी राज्य का शिकंजा कसा जाने लगा तो अनेक क्रांतिकारी देशभक्तों ने सरकारी कोप से बचने के लिए अपनी गतिविधियां विदेशों में भी संचालित करने लगे.


              विदेशों में यह आतंकवादी आंदोलन विशेष का लंदन पेरिस उत्तरी अमेरिका जर्मनी जापान वर्मा मलाया आदि जगहों से संचालित होते थे लंदन में श्यामजी कृष्ण वर्मा ने वर्ष 1905 में इंडियन होमरूल सोसाइटी की स्थापना की तथा इंडिया हाउस की भी स्थापना की जो आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बन गया पेरिस में सरदार सिंह तथा श्रीमती भीकाजी रुस्तम कामा आतंकवादी गतिविधियों का संचालन कर रहे थे अमेरिका में आतंकवादी गतिविधियों को आधार प्रदान करने तथा सशक्त बनाने में मोहम्मद बरकतउल्ला तारक नाथ दास रामनाथपुरी प्रमुख थे. वर्ष 1913 में लाला हरदयाल एवं उनके साथियों ने सैन फ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना की. जिसका प्रमुख उद्देश्य उद्देश्य अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध बगावत को बढ़ावा देना था. इसके अलावा काबुल में राजा महेंद्र प्रताप बरकतउल्ला तथा उनके साथियों ने आजाद हिंदुस्तान सरकार की स्थापना कर अंग्रेजों के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों को सुदृढ़ता प्रदान की.


Question (5): - डिवाइडेड - एट इंपेरा पर एक टिप्पणी लिखिए।


  • Answer: - डिवाइडेड एंपरा अंग्रेजों की प्रसिद्ध नीति फूट डालो और शासन करो जिसे लॉर्ड डलहौजी ने प्रारंभ किया था तथा बाद में गवर्नर इसी नीति का पालन करके भारत का शासन करते रहे।


Question (6): - वर्ष 1905 में बंगाल का विभाजन किस कारण हुआ?

  • Answer: - वर्ष 1905 का बंगाल विभाजन लॉर्ड कर्जन की बढ़ती हुई भारतीय एकता की चिंता का प्रतीक था बंगाल विभाजन के मुख्यता दो कारण थे एक घोषित तथा दूसरा अघोषित.


             घोषित कारणों में इस प्रांत के बड़े आकार को प्रशासनिक क्षमता का कारण बताया गया लेकिन अघोषित कारण अधिक विस्तृत है तदनुसार अंग्रेजी हुकूमत का प्रयास बंगाली आबादी को दो भागों में बांटना था एक ऐसे केंद्र को समाप्त करना जहां से बंगाल व पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का संचालन होता था. साजिश रची जाती थी अविभाजित बंगाल एक बड़ी ताकत था और विभाजित कर इसे कमजोर करना था.


          इस विभाजन के माध्यम से मूल बंगाल में बंगालियों की आबादी को कम कर उन्हें अल्पसंख्यक बनाना था.


         विभाजन का एक अन्य उद्देश्य धार्मिक आधार पर विभाजन था जिसके द्वारा एक नए मुस्लिम बाहुल्य प्रांत को जन्म देकर ढाका को उसकी राजधानी बनाना था इस प्रकार इस विभाजन का उद्देश्य सांप्रदायिक ताकतों का सशक्तिकरण था.




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