सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
यदि हम बात करते हैं पृथ्वी के गतियो की तो दूसरे ग्रहों के समान पृथ्वी की दो गतियां है
(1) घूर्णन
(2) परिक्रमण
घूर्णन गति:
(a) पृथ्वी को प्रकाश और ऊष्मा सूर्य से मिलती है.
(b) पृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है और लगभग 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है यह प्रक्रिया घूर्णन कहलाती है. जिसके कारण पृथ्वी का आधा भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है और दूसरा भाग अंधेरे में रहता है प्रकाश वाले भाग में दिन तथा अंधेरे वाले भाग में रात होती है.
परिक्रमण:
(a) पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई सूर्य की परिक्रमा भी करती है.
(b) पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा लगभग 365 दिन और 6 घंटे में पूरा करती है परंतु सुविधा के लिए हम 1 वर्ष में 365 दिन की ही गिनती है और 6 घंटे का समय छोड़ देते हैं. इस प्रकार 4 वर्षों में( 6 घंटे* 4 वर्ष= 24 घंटे अर्थात एक दिन) 24 घंटे का अथवा 1 दिन का अंतर हो जाता है और प्रत्येक चौथे वर्ष के फरवरी माह में इस एक अतिरिक्त दिन को जोड़ दिया जाता है यही कारण है कि प्रत्येक 4 वर्ष 366 दिन( लीप वर्ष) का होता है.
(c) सूर्य के परिक्रमण मार्ग पर पृथ्वी का अच्छे सदैव एक और झुका हुआ रहता है इसके कारण उत्तरी गोलार्ध 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है और उत्तरी गोलार्ध का अधिकांश भाग सूर्य के प्रकाश में रहता है जिसके परिणाम स्वरूप यहां दिन बड़े और रातें छोटी होती है इसके विपरीत इस अवधि में दक्षिणी गोलार्ध सूर्य से दूर होता है अतः वहाँ दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं।
(d) सूर्य के परिक्रमा मार्ग पर जब दक्षिण गोलार्ध सूर्य के सामने झुका होता है तो उसके सभी स्थानों पर दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं.
(e) जब उत्तरी गोलार्ध 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है तो उत्तरी ध्रुव पर सदा सूर्य का प्रकाश रहेगा जिसके फलस्वरूप यहां 24 घंटे का दिन होगा और रात बिल्कुल नहीं होगी इसके विपरीत जब दक्षिण गोलार्ध 6 महीने सूर्य की ओर झुका रहता है तो दक्षिणी ध्रुव पर सदा सूर्य का प्रकाश रहेगा जिसके फलस्वरूप यहां 24 घंटे का दिन होगा रात बिल्कुल नहीं होगी.
(f) केवल विषुवत रेखा पर ही दिन और रात की अवधि बराबर होती है विश्वत रेखा से जैसे-जैसे हम उत्तर या दक्षिण दिशा से दूर जाते हैं दिन और रात की अवधि में अंतर बढ़ता जाता है.
सूर्य की लंबवत और तिरछी रेखाएं:
(a) दोपहर के समय सूर्य की किरणें लंबवत( सीधी) होती है और यह कहने पृथ्वी के छोटे भाग पर पड़ती है अतः उन किरणों से अधिक गर्मी प्राप्त होती है।
(b) सुबह और सायंकाल के समय सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती है और पृथ्वी के बहुत बड़े भाग पर फैलती हैं अतः उन किरणों से कम गर्मी प्राप्त होती है।
(c) सूर्य की लंबवत किरणों से दोपहर के समय अधिक गर्मी और तिरछी किरणों से सुबह और सायं काल में कम गर्मी प्राप्त होती है।
ऋतु चक्र:
(a) सूर्य के चारों ओर पृथ्वी वृत्ताकार कक्षा में परिक्रमण करती है और तीन तीन महीने के अंतराल पर पृथ्वी चार स्थितियों से गुजरती है इन स्थितियों की तिथियां लगभग निश्चित होती हैं और इन सभी स्थितियों में पृथ्वी का अंत सदैव एक ही दिशा में झुका रहता है और कक्षा तल से 661/2 अंश का कोण बनाती है।
(b) पृथ्वी चार स्थितियों यथा 21 जून, 23 सितंबर, 22 दिसंबर और 21 मार्च से गुजरती है.
21 जून:
(a) इस स्थिति में पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव सूर्य के सामने झुका है जबकि दक्षिणी ध्रुव सूर्य से दूर है.
(b) सूर्य की किरणें विश्वत रेखा से 23 सही एक बटे दो अंश उत्तर में अर्थात कर्क रेखा पर सीधी पड़ रही है उस स्थिति में उत्तरी गोलार्ध का अधिकांश भाग प्रकाशित हो रहा है जिससे यहां दिन बड़े रात छोटी और दोपहर के समय सूर्य की किरणें लंबवत पड़ रही है इसलिए यहां ग्रीष्म ऋतु है इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने के कारण गोलार्ध का अपेक्षाकृत कम भाग प्रकाशित हो रहा है जिससे यहां दिन छोटे और रात बड़ी है इसलिए यहां शीत ऋतु है.
22 दिसंबर:
(a) इस स्थिति में दक्षिणी ध्रुव सूर्य के सामने झुका हुआ है और उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर है.
(b) सूर्य की किरणें विश्वत रेखा से 23 सही एक बटे दो अंश दक्षिण में अर्थात मकर रेखा पर सीधी पड़ रही है इस स्थिति में दक्षिणी गोलार्ध में दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं इसलिए यहां ग्रीष्म ऋतु है इसके विपरीत उत्तरी गोलार्ध में रात बड़ी और दिन छोटे होते हैं इसलिए यहां शीत ऋतु है.
23 सितंबर और 21 मार्च:
इन दोनों स्थितियों में सूर्य की किरणें दोपहर के समय विषुवत रेखा पर लंबवत पड़ रही है इस समय दोनों ध्रुवों पर भी सूर्य की किरणें पड़ती हैं प्रणाम शुरू पृथ्वी के दोनों गोलार्ध के ठीक आधे भाग प्रकाशित हो रहे हैं इसलिए इन दोनों तिथियों को सारे संसार में दिन और रात बराबर होते हैं 23 सितंबर को उत्तरी गोलार्ध में शरद ऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में बसंत ऋतु होती है जबकि इसके विपरीत 21 मार्च को उत्तरी गोलार्ध में बसंत ऋतु और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु होती है.
Some journals and importance knowledgeable thoughts:
(a) पृथ्वी के घूर्णन के कारण दिन और रात होते हैं तथा पृथ्वी की परिक्रमण से ऋतु बदलती हैं.
(b) सबसे बड़ा दिन 21 जून है.
(1) कर्क रेखा: - उत्तरी गोलार्ध में विश्वत रेखा से 23 सही एक बटे दो अंश की कोणीय दूरी पर खींची गई काल्पनिक रेखा है।
(2) मकर रेखा: - धरातल पर दक्षिणी गोलार्ध में विश्वत रेखा से 23सही एक बटे दो अंस की कोणीय दूरी पर खींची गई काल्पनिक रेखाएं।
(3) आर्केटिक व्रत: - धरातल पर उत्तरी गोलार्ध में विश्वत रेखा से 66 सही एक बटे दो अंश की कोणीय दूरी पर खींची गई काल्पनिक व्रत।
(4)अंटार्कटिक व्रत: - धरातल पर दक्षिणी गोलार्ध में विश्वत रेखा से 66 सही एक बटे दो अंश की कोनी यह दूरी पर खींचा गया काल्पनिक व्रत
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