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Showing posts from January, 2022

UPSC परीक्षा में मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में परिचर्चा करो?

सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं।                      भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं।          भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...

रानी दुर्गावती जीवनी कौन थीं? - Biography of Rani Durgavati in Hindi

जैसे महान पुरुषों की हमारे देश में कोई कमी नहीं है ।उसी प्रकार ऊंचे चरित्र वाली, वीर, साहसी ,बुद्धिमती स्त्रियों की भी कमी हमारे देश में नहीं है ।इसका कारण है हमारे देश के आरंभ से ही यह परंपरा रही है अच्छे कार्य के लिए, दूसरों की भलाई के लिए ,देश और समाज के हित के लिए अपने को बलिदान दे देना ।अपना लाभ अपना हित सबसे पीछे रखना। इन्हें उज्जवल नक्षत्रों में दुर्गावती भी है।         इस वीर राजपूत रमणी का जन्म सन 1530 ईस्वी के लगभग हुआ था। इनके पिता का नाम कीर्तिराय था। कीर्तिराय चंदेल राजपूत थे। किसी समय इनका राज्य  महोबा तथा कालिंजर तथा उसके आसपास के प्रदेशों पर था। उन दिनों उनकी राजधानी खजुराहो ही थी जहां के मंदिर अब भी हमारे देश में बहुत विख्यात हैं। चंदेल राजपूत किसी समय बड़े बलशाली थे। इनके पास बड़ी सेना संपत्ति थी तथा कई दुर्ग थे। आसपास के अनेक छोटे राज्यों ने इनकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। किंतु बाद में आपसी लड़ाई हुई और मुसलमान राजाओं और जिनसे चंदेलों की शक्ति घटती गई। जब इन लोगों की शक्ति बहुत कम हो गई तब इनके राजा कालिंजर के किले में रहने लगे। चंदेलों अंतिम र...

Who is Sher Shah Suri? And why most people says Former Sultan of the Suri Empire

हमारे देश के इतिहास में एक से बढ़कर एक शासक हुए हैं। मध्ययुगीन भारत में शेरशाह बहुत ही योग्य और ऊंची श्रेणी का शासक हुआ और सच पूछा जाए तो अकबर से भी अधिक अच्छा तथा योग्य शासक वह था। शेरशाह ना होता तो अकबर को शासन करने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता। शेरशाह ने नीव डाली अकबर महल की ईंट  उस पर धरता चला गया।          शेरशाह का नाम पहले फरीद था। उसके पितामह पहले भारत आए और दिल्ली के मुसलमान शासकों के यहां उन्होंने नौकरी कर ली। शेरशाह का जन्म भारत में ही हुआ था। फरीद के पिता का नाम हसन खान था। वह जौनपुर के राज्यपाल के यहां नौकरी करते थे। कुछ दिनों में इन्हें बिहार में जागीर मिल गई और हसन खां वहीं  रहने लगे।               हसन खां ने कई विवाह किए थे। फरीद की माता से हसन की पटी नहीं उनका व्यवहार फरीद के साथ अच्छा ना था। 1 दिन फरीद दुखी होकर जौनपुर भाग गया और वहीं रहने लगा। फरीद ने फारसी के अनेक ग्रंथ पढे और अनेक विद्याओं का अध्ययन किया। उन दिनों अधिकांश उच्च कुल के मुसलमान पढ़ते लिखते नहीं थे, सैनिकों का का...

Who is Chhatrapati Shivaji Maharaj (शिवाजी महाराज कौन थे?)

15 वी 16वीं 17वीं सदी इतिहास  का मध्य युग कहा जाता है। उस युग का इतिहास साहस, वीरता ,त्याग तथा बलिदान से भरा है। मुगलों का राज्य बहुत उन्नत अवस्था को पहुंच गया था। लड़ाइयां बहुत होती थी, किंतु लोग अपने लिए नहीं लड़ते थे, लड़ते थे अपने देश के लिए। ऐसे ही समय, तुलसीदास के मरने के 4 साल पीछे, महाराष्ट्र के निर्माता शिवाजी का जन्म संवत 1684 में हुआ। इनके पिता का नाम शाहजी था जो चित्तौड़ के राणा लक्ष्मण सिंह के कुल में कहे जाते हैं। शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था। 4 साल पहले शाह जी के 1 पुत्र हो चुका था। इसके बाद उनको युद्ध में ही अधिकतर रहना पड़ा। कहा जाता है एक रात को शाह जी ने सपना देखा कि एक साधु चीथडा लपेटे अंग में भभूत पोते सामने खड़ा है। इनके हाथ में एक आम उसने दिया और कहा इसका आधा भाग अपनी पत्नी को खिलाओ और तुम्हारे 1 पुत्र होगा जो शिवजी का अवतार होगा। शाह जी की नींद खुल गई। उन्होंने अपने हाथ में आम पाया। उसका आधा भाग उन्होंने जीजाबाई को दिया। कुछ दिनों के बाद शिवाजी का जन्म हुआ। साधु की बातों का विश्वास करके इन्होंने पुत्र का नाम शिवाजी ही रखा।     ...

स्तूप क्या होते है? इनका निर्माण कैसे होता है?

जब से बौद्ध धर्म पृथ्वी पर आया तभी से स्तूप बनने शुरू हुए। स्तूप संस्कृत का शब्द है। यह प्रतीक है ज्ञानोदय का यह सिर का ऊपर का हिस्सा है। जिसका अर्थ होता है शिखर तक पहुंचना। यह पवित्र गतिविधि है जहां बनाया जाता है प्रतीकात्मक और सम्मानजनक। स्तूप बहुत शक्तिशाली हैं जो हमारी नकारात्मक सोच को शुद्ध करते हैं। जहां कहीं भी स्तूप बनाए जाते हैं वह स्थान बहुत ही शक्तिशाली, उपचारात्मक और प्रेरित करने वाला बन जाता है। कब और कैसे बने स्तूप? स्तूपों का निर्माण होना कैसे शुरू हुआ इस विषय में एक कथा प्रचलित है। जब भगवान गौतम बुद्ध अंतिम क्षणों में रोग सैया पर पड़े थे तब उनके पास बैठे दुखी  भिक्षुगण यह जानना चाहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे करें? तब उन्होंने अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा,' आनंद जैसे चक्रवर्ती राजा का होता है' इसलिए उनके शिष्यों ने जब भगवान बुध का देहांत हुआ उनके दाह संस्कार के बाद उनकी अस्थियों के ऊपर मिट्टी और पाषाणों का स्तूपाकार ढेर निर्मित कर दिया। इससे यह पता चलता है कि स्तूप मृत्यु संबंधित थे तथा यह किसी के अंतिम संस्कार स्थल या मृतक की अस्थियों के ...

भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति के नायक स्वामी विवेकानंद कौन थे?( indian spiritual culture hero Swami Vivekananda

भारतीय सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक पुनर्जागरण में स्वामी विवेकानंद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। भारत के वह ऐसे संत थे जिनका रोम-रोम राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत था। उनके सारे चिंतन का केंद्र बिंदु राष्ट्र था।वे नए भारत के निर्माण के प्रणेता थे। स्वामी विवेकानंद ,गौतम बुद्ध ,भगवान महावीर स्वामी और महात्मा गांधी की  ही तरह अहिंसा ,सत्य और धर्म कर्म के योगी थे। वह भास्कर संता थे, जो एक सुर्निर्दिष्ट प्रयोजन के लिए एक उच्चतम मंडल से इस मातृभूमि पर अवतरित हुए थे। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि हिंदू धर्म केवल हिंदुओं के लिए नहीं वरन समस्त संसार के लिए अत्यंत उपयोगी है। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति को गौरवपूर्ण स्थान प्रदान करने तथा मानवता दीन दुखियों दरिद्र नारायण की सेवा मे अपना जीवन उत्सर्ग कर दिया। नैतिक आध्यात्मिक और अंतरराष्ट्रीय वाद के तथा राजनैतिक चेतना के उन्नायक थे। भारत की स्वतंत्रता प्रगति और मानव समाज के उत्थान के लिए उनका चिंतन राष्ट्रीय था। जीवन परिचय स्वामी विवेकानंद का जन्म 1863 में कोलकाता में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता विश्वना...

Tipu Sultanटीपू सुल्तान

टीपू सुल्तान हैदर अली का पुत्र था और इसका जन्म सन 1753 ईस्वी में हुआ था ।इसके पिता मैसूर के शासक थे ।कुछ लोग समझते हैं कि हैदर अली मैसूर का राजा था ।यह बात नहीं है ।हैदर अली बहुत चालाक आदमी था ।उसने अपने को कभी राजा नहीं बनाया ।बहुत दिनों तक तो वह बहुत ऊंचे सैनिक पद पर भी था ।इसके बाद जब मैसूर का राजा मर गया तो उसके छोटे पुत्र को जिसकी अवस्था 3 से 4 वर्ष की थी उस ने उसको राजा घोषित कर दिया और उन्हीं के नाम पर सब राजकाज करता रहा ।हैदर अली भी महान व्यक्ति था ।उसने धीरे-धीरे मैसूर राज्य की सीमा बढ़ा दी थी। कुछ पढ़ा लिखा ना होने पर भी उसको सेना संबंधी अच्छा ज्ञान था। उसका सहायक खंडेराव एक  मराठी व्यक्ति था।                टीपू जब तीस साल का हुआ, हैदर अली की मृत्यु हो गई। युद्ध का तथा शासन का तब तक उसे बहुत अच्छा ज्ञान हो गया था ।उस समय भारत में इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी अपना राज्य फैला रही थी ।हैदर अली कई बार कंपनी से लड़ा और लड़ाईयों में लड़ने के कारण टीपू को अंग्रेजों के लड़ने के रंग ढंग की अच्छी खासी  जानकारी हो गई थी। इन ...

Chhatrasal (महाराजा छत्रसाल कौन था?)

छत्रसाल देश के उन गिने-चुने महापुरुषों में है जिन्होंने अपने बल अपनी बुद्धि तथा अपने परिश्रम से बहुत साधारण स्थिति में अपने को बहुत बड़ा बना लिया। सोचने में तो ऐसा लगता है कि ऐसा संभव भी नहीं हो सकता। ऐसा विश्वास नहीं होता कि ऐसा कैसे संभव हो गया।           छात्रसाल के पिता का नाम चंपत राय था। उनका जीवन सदा  रणक्षेत्र में ही बीता। वे बड़े वीर थे। उनकी रानी भी सदा उनके साथ लड़ाई के मैदान में जाती थी। उन दिनों  रानियां बहुधा अपने पति के साथ रण में जाती थी और पति को उत्साहित करती थी। जब छात्रसाल अपनी माता के पेट में थे तब भी उनकी माता चंपत राय के साथ रण क्षेत्र में ही थी। चारों तरफ तलवारों की खनखनाहट और गोलियों की वर्षा हो रही थी। रक्त से पृथ्वी लाल हो रही थी और मारकाट के शब्द हवा में गूंज रहे थे। ऐसे ही वातावरण में छत्रसाल का जन्म हुआ। यूरोप का विख्यात महापुरुष नेपोलियन भी ऐसे ही वातावरण में पैदा हुआ था। वह बड़ा ही योग्य सैनिक और विश्व विख्यात सेनापति हुआ। कहा जाता है कि जन्म के समय जो वातावरण होता है उसी का प्रभाव संतान पर पड़ता है। छत्रसाल ...

Guru Gobind Singh (गुरु गोबिन्द सिंह)

गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। सिख धर्म की नींव बाबा नानक ने डाली थी। ये तो संत थे। हिंदू मुसलमान सभी धर्म उनके सामने समान थे, इन्हीं का भेदभाव मिटाने के लिए उन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। धीरे-धीरे गुरुओं का प्रभाव बढ़ने लगा और उनके शिष्यों की संख्या में वृद्धि होने लगी। पहले मुसलमान बादशाह उसे भी इनका मेलजोल था किसी भी प्रकार का बैर ना था न तो मुसलमान शासक इनको  सताते थे और ना ही यह उनका किसी प्रकार का विरोध करते थे। इनके चौथे गुरू रामदास को अकबर बादशाह ने कुछ जगह भेट की थी। उसी जगह अमृतसर में सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा बना है।            गुरु गोविंद सिंह का जन्म बिहार के पटना में हुआ था। वह इनके पिता गुरु तेग बहादुर मुगल सम्राट के एक राजपूत सेनापति के साथ गए हुए थे। गुरु तेग बहादुर पटना से लौटे तब एक घटना घटी मुगल शासकों के समय कुछ कश्मीरी ब्राह्मण दुखी थे।ये ब्राह्मण गुरु तेग बहादुर के पास आए और उनसे सहायता की प्रार्थना की। गुरु ने भी उनका पक्ष लिया। इससे दिल्ली का सम्राट औरंगजेब उनसे रूष्ठ हो गया। सन 1674 ईस्वी में औरंगजे...