सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
जैसे महान पुरुषों की हमारे देश में कोई कमी नहीं है ।उसी प्रकार ऊंचे चरित्र वाली, वीर, साहसी ,बुद्धिमती स्त्रियों की भी कमी हमारे देश में नहीं है ।इसका कारण है हमारे देश के आरंभ से ही यह परंपरा रही है अच्छे कार्य के लिए, दूसरों की भलाई के लिए ,देश और समाज के हित के लिए अपने को बलिदान दे देना ।अपना लाभ अपना हित सबसे पीछे रखना। इन्हें उज्जवल नक्षत्रों में दुर्गावती भी है। इस वीर राजपूत रमणी का जन्म सन 1530 ईस्वी के लगभग हुआ था। इनके पिता का नाम कीर्तिराय था। कीर्तिराय चंदेल राजपूत थे। किसी समय इनका राज्य महोबा तथा कालिंजर तथा उसके आसपास के प्रदेशों पर था। उन दिनों उनकी राजधानी खजुराहो ही थी जहां के मंदिर अब भी हमारे देश में बहुत विख्यात हैं। चंदेल राजपूत किसी समय बड़े बलशाली थे। इनके पास बड़ी सेना संपत्ति थी तथा कई दुर्ग थे। आसपास के अनेक छोटे राज्यों ने इनकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। किंतु बाद में आपसी लड़ाई हुई और मुसलमान राजाओं और जिनसे चंदेलों की शक्ति घटती गई। जब इन लोगों की शक्ति बहुत कम हो गई तब इनके राजा कालिंजर के किले में रहने लगे। चंदेलों अंतिम र...