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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

भारत में संवैधानिक विकास( constitutional development in British India)

1773 का रेगुलेटिंग एक्ट कोर्ट ऑफ डायरेक्टर का कार्यकाल 1 वर्ष के स्थान पर 4 वर्ष का हो गया बंगाल का प्रशासक अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल बना कलकत्ता  में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।इम्पे मुख्य  न्यायधीश बना। कर्मचारियों का निजी व्यापार प्रतिबंधित कर दिया गया 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट द्वैध शासन की स्थापना कोर्ट आफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड आफ कंट्रोल। गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्यों को नियम तथा अध्यादेश पारित करने का आदेश दिया गया। 6 कमिश्नरों के 1 बोर्ड का गठन। 1793 का चार्टर एक्ट कंपनी का भारत में व्यापार करने का अधिकार 20 वर्ष के लिए बढा। गवर्नर जनरल का बम्बई तथा मद्रास प्रेसीडेंसी पर भी प्राधिकार हो गया। 1833 का चार्टर एक्ट: बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया. कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार पूर्णतया समाप्त हो गया उसे अब केवल राजनीतिक अधिकार थे. 1858 का भारत सरकार अधिनियम: भारत का प्रशासन ब्रिटिश क्राउन को सौंपा गया. भारत का गवर्नर जनरल अब भारत का वायसराय कहलाने लगा. समस्त अधिकार भारत सचिव( secretary of state for India) को सौंप दिए गए. 15 सदस्य...

राष्ट्रीय आंदोलन और भारत में कांग्रेस पार्टी का उदय indian National Movement and indian National Congress

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(1885) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज अधिकारी ए .ओ. ह्यूम द्वारा 1885 ईसवी में की गई। गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय बम्बई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन हुआ। इसके प्रथम अध्यक्ष हुए व्योमेश चंद्र बनर्जी थे, इसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। बंगाल विभाजन(1905 ई) राष्ट्रीय चेतना का दमन करने के लिए लॉर्ड कर्जन ने 20 जुलाई 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा की ।जो 16 अगस्त 1905 से प्रभावी हुई। इस अवसर पर रविंद्र टैगोर ने आमार सोनार बांग्ला नमक गीत लिखा जो बाद में बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन के दिन पूरे देश में शोक दिवस मनाया गया ।इसके विरोध में स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन हुए। मुस्लिम लीग की स्थापना(1906 ई.) नवाब सलीमुल्लाह के नेतृत्व में 30 दिसंबर 1906 को ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। सलीमुल्लाह लीग के संस्थापक अध्यक्ष थे, जबकि प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता मुस्ताक हुसैन ने की। मुस्लिम लीग ने अमृतसर अधिवेशन(1908 ई.) में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की मांग की जि...

Social and religious Movement in Indiaभारत में सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

Brahmo Samaj:- Raja Rammohan Roy founded the Brahmo Samaj in 1828 AD.  This society opposed Sati practice, polygamy, casteism, untouchability.  After Raja Ram Mohan Roy, Devendra Nath Tagore and Keshav Chandra Sen led the Brahmo Samaj. (2) Prarthana Samaj: - In 1867 AD, Prarthana Samaj was established by Atmaram Pandurang under the guidance of Keshav Chandra Sen in Mumbai.  Ranade and Bhandarkar were its prominent members.  (3) Arya Samaj:- Arya Samaj was founded by Dayanand Saraswati in Mumbai in 1875 AD.  Later the headquarter of Arya Samaj was made in Lahore.  Dayanand Saraswati composed Satyarth Prakash.   Ramakrishna Mission:- Ramakrishna Mission was established in 1897 AD.  Which was founded by Swami Vivekananda, a disciple of Ramakrishna Paramhansa?  Swami Vivekananda formed the Vedanta Society in New York in 1896 AD.   Theosophical Society: It was founded in 1875 by Madame Blavatsky and Colonel Alcott in New York.  Its i...

मुद्रा एवं मुद्रा बाजार( money and money market)

मुद्रा(MONEY):- मुद्रा वह शक्तिशाली वस्तु है जो सभी प्रकार के लेनदेन में भुगतान के माध्यम के रूप में सभी को स्वीकार होती है अर्थात मुद्रा का अर्थ केवल कागज के नोट या सिक्के नहीं जिनका निर्गमन केंद्रीय बैंक तथा सरकार करती है बल्कि वे सभी वस्तुएं इसके अंतर्गत आती है जो भुगतान के रूप में सामान्य रूप से स्वीकार की जाती है।            एक व्यक्ति यदि बाजार से कोई वस्तु खरीदा है तो वह इसका भुगतान कई तरीकों से कर सकता है जैसे चेक क्रेडिट कार्ड नगद इंटरनेट इत्यादि यह सभी मुद्रा के स्वरूप हैं। Money (MONEY): - Money is that powerful thing which is accepted by everyone as a medium of payment in all types of transactions, that is, money does not mean only paper notes or coins which are issued by the central bank and the government, but all of them  Commodities come under this which are normally accepted as payment.  If a person has bought an item from the market, then he can pay for it in many ways such as check, credit card, cash, internet, etc. These are a...