इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट
- कोर्ट ऑफ डायरेक्टर का कार्यकाल 1 वर्ष के स्थान पर 4 वर्ष का हो गया
- बंगाल का प्रशासक अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल बना
- कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।इम्पे मुख्य न्यायधीश बना।
- कर्मचारियों का निजी व्यापार प्रतिबंधित कर दिया गया
1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- द्वैध शासन की स्थापना कोर्ट आफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड आफ कंट्रोल।
- गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्यों को नियम तथा अध्यादेश पारित करने का आदेश दिया गया। 6 कमिश्नरों के 1 बोर्ड का गठन।
1793 का चार्टर एक्ट
- कंपनी का भारत में व्यापार करने का अधिकार 20 वर्ष के लिए बढा।
- गवर्नर जनरल का बम्बई तथा मद्रास प्रेसीडेंसी पर भी प्राधिकार हो गया।
1833 का चार्टर एक्ट:
- बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया.
- कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार पूर्णतया समाप्त हो गया उसे अब केवल राजनीतिक अधिकार थे.
1858 का भारत सरकार अधिनियम:
- भारत का प्रशासन ब्रिटिश क्राउन को सौंपा गया.
- भारत का गवर्नर जनरल अब भारत का वायसराय कहलाने लगा.
- समस्त अधिकार भारत सचिव( secretary of state for India) को सौंप दिए गए.
- 15 सदस्यीय भारत परिषद का गठन.
1861 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- गवर्नर जनरल की शासकीय परिषद में अब भारतीय भी शामिल किए जा सकते थे.
- परिषद को कानून बनाने की शक्ति प्रदान की गई जिसके अंतर्गत लॉर्ड कैनिंग ने विभागीय प्रणाली का सूत्रपात किया इसी से मंत्रिमंडलीय प्रणाली का जन्म हुआ.
1892 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- परिषद के सदस्य बजट पर बहस व प्रश्न पूछ सकते थे किंतु उस पर वोट देने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया.
- इस अधिनियम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रावधान चुनाव पद्धति का सूत्रपात होना था.
1909 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- केंद्रीय काउंसिल में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 60 कर दी गई.
- राज्य काउंसिलों में भी सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई।
- मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था।
- अध्यक्ष की सहमति से सार्वजनिक हितों से संबंधित प्रश्न पूछ सकते थे।
1919 का भारत सरकार अधिनियम
- भारतीय कार्यों की देखभाल के लिए भारतीय उच्चायुक्त की नियुक्ति।
- सांप्रदायिक निर्वाचन के दायरे में सिख एल्गो इंडियन भारतीय ईसाईं और यूरोपियन भी शामिल किए गए।
- पहली बार उत्तरदाई शासन शब्द का स्पष्ट प्रयोग किया गया तथा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली लागू की गई। प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था को प्रारंभ किया गया।
- पहली बार भारतीय महिलाओं को मताधिकार का अधिकार प्रदान किया गया।
1935 भारत सरकार अधिनियम
- संघीय विषयों को दो भागों संरक्षित एवं हस्तांतरित में विभाजित किया गया।
- इस अधिनियम में किसी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार ब्रिटिश संसद के पास था।
- इसके द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।
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