🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट
- कोर्ट ऑफ डायरेक्टर का कार्यकाल 1 वर्ष के स्थान पर 4 वर्ष का हो गया
- बंगाल का प्रशासक अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल बना
- कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई।इम्पे मुख्य न्यायधीश बना।
- कर्मचारियों का निजी व्यापार प्रतिबंधित कर दिया गया
1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
- द्वैध शासन की स्थापना कोर्ट आफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड आफ कंट्रोल।
- गवर्नर जनरल काउंसिल के सदस्यों को नियम तथा अध्यादेश पारित करने का आदेश दिया गया। 6 कमिश्नरों के 1 बोर्ड का गठन।
1793 का चार्टर एक्ट
- कंपनी का भारत में व्यापार करने का अधिकार 20 वर्ष के लिए बढा।
- गवर्नर जनरल का बम्बई तथा मद्रास प्रेसीडेंसी पर भी प्राधिकार हो गया।
1833 का चार्टर एक्ट:
- बंगाल के गवर्नर को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया.
- कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार पूर्णतया समाप्त हो गया उसे अब केवल राजनीतिक अधिकार थे.
1858 का भारत सरकार अधिनियम:
- भारत का प्रशासन ब्रिटिश क्राउन को सौंपा गया.
- भारत का गवर्नर जनरल अब भारत का वायसराय कहलाने लगा.
- समस्त अधिकार भारत सचिव( secretary of state for India) को सौंप दिए गए.
- 15 सदस्यीय भारत परिषद का गठन.
1861 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- गवर्नर जनरल की शासकीय परिषद में अब भारतीय भी शामिल किए जा सकते थे.
- परिषद को कानून बनाने की शक्ति प्रदान की गई जिसके अंतर्गत लॉर्ड कैनिंग ने विभागीय प्रणाली का सूत्रपात किया इसी से मंत्रिमंडलीय प्रणाली का जन्म हुआ.
1892 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- परिषद के सदस्य बजट पर बहस व प्रश्न पूछ सकते थे किंतु उस पर वोट देने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया.
- इस अधिनियम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रावधान चुनाव पद्धति का सूत्रपात होना था.
1909 का भारतीय परिषद अधिनियम:
- केंद्रीय काउंसिल में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर 60 कर दी गई.
- राज्य काउंसिलों में भी सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई।
- मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था।
- अध्यक्ष की सहमति से सार्वजनिक हितों से संबंधित प्रश्न पूछ सकते थे।
1919 का भारत सरकार अधिनियम
- भारतीय कार्यों की देखभाल के लिए भारतीय उच्चायुक्त की नियुक्ति।
- सांप्रदायिक निर्वाचन के दायरे में सिख एल्गो इंडियन भारतीय ईसाईं और यूरोपियन भी शामिल किए गए।
- पहली बार उत्तरदाई शासन शब्द का स्पष्ट प्रयोग किया गया तथा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली लागू की गई। प्रांतों में द्वैध शासन व्यवस्था को प्रारंभ किया गया।
- पहली बार भारतीय महिलाओं को मताधिकार का अधिकार प्रदान किया गया।
1935 भारत सरकार अधिनियम
- संघीय विषयों को दो भागों संरक्षित एवं हस्तांतरित में विभाजित किया गया।
- इस अधिनियम में किसी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार ब्रिटिश संसद के पास था।
- इसके द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।
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