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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

अफ्रीका महाद्वीप का परिचय: Introduction of Africa

एशिया महाद्वीप के बाद अफ्रीका दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है जो पृथ्वी के संपूर्ण स्थल क्षेत्र का लगभग 20% है.                 अफ्रीका महाद्वीप को यूरोप से भूमध्य सागर (mediterranean sea) तथा एशिया से अरब सागर (arabian Sea) अलग करता है परंतु यह तीन स्थलों पर यूरेशिया महाद्वीप के बहुत निकट है यह स्थल निम्न प्रकार से हैं - (1) उत्तर पश्चिम में जिब्राल्टर जलसंधि (strait of Gibraltar in Northwest) ( 2) उत्तर पूर्व में स्वेज नहर (Suez canal in North East) ( 3) पूर्व में बाब - एल - मंदेब जलसंधि (strait of bab El mandeb in East)              बीसवीं शताब्दी के आरंभ में अफ्रीका किसी ना किसी यूरोपीय शक्ति के अधीन था वर्तमान में तो अधिकतर अफ्रीकी देश स्वतंत्र हो गए और जो अभी भी विदेशी शासन के अधीन है वे अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं. भौगोलिक स्थिति: - अफ्रीका पठारो का महाद्वीप है लगभग पूरा अफ्रीका एक विशाल पठार जैसा दिखाई पड़ता है। अफ्रीका का पठार दक्षिण तथा पूर्व में अपेक्षाकृत ऊंचा है। अफ्रीका महाद्वीप से ...

अनुच्छेद 356 के अनुप्रयोग द्वारा जिन आधारों पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है उनका वर्णन उच्चतम न्यायालय द्वारा एसआर बोम्मई वाद के निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए करिए अनुच्छेद 356 को किसी राज्य में लागू करने के परिणामों को भी इंगित कीजिए? Discuss the ground upon which the president is rule can be imposed in a state under article 356 of the constitutions give you answer in the light of ruling of supreme courts is S.R. Bommai case also point the consequence of imposition of act 356 in a state.

अनुच्छेद 356 जब राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट करें या राष्ट्रपति को अपने आप यह अनुभव हो जाए कि किसी राज्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे वह संविधान के उपबंधों का पालन करने में असफल है तो उस राज्य में आपात स्थिति घोषित कर सकता है ऐसी घोषणा के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं - ( 1) वह राज्यपाल राज्य सरकार या राज्य अधिकारी में निहित किसी भी शक्ति को अपने हाथ में ले सकता है. ( 2) संसद विधानमंडल की शक्तियों का स्वयं प्रयोग कर सकती है. ( 3) राष्ट्रपति  की घोषणा के उद्देश्य से पूरा करने के लिए कोई भी उपबंध बनाया जा सकता है.              संविधान के 38 वें संशोधन में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राष्ट्रपति शासन की घोषणा का निर्णय राष्ट्रपति की इच्छा पर होगा जो कि अंतिम माना  जाएगा. ऐसी घोषणा की अवधि (duration of such proclamation): - ऐसी घोषणा की अवधि 2 महीने के लिए प्रभाव में रहती है राष्ट्रपति की उद्घोषणा इस अवधि में संसद के समक्ष प्रस्तुत की जानी आवश्यक होती है यदि 2 माह के भीतर संसद संकल्प द्वारा उद्घोषणा का अनुमोदन कर देता है तो ...

भारत के संविधान में वर्णित अनुच्छेद 365 के प्रावधानों को निर्मित वादों सहित स्पष्ट कीजिए? (describe the provisions of article 365 of constitution of India with decided cases

जहां अनुच्छेद 356 के खंड (1) के अधीन जारी की गई उद्घोषणा द्वारा यह घोषणा की गई है कि राज्य के विधान मंडल की शक्तियां संसद द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन होंगी वहां - (a) राज्य के विधान मंडल की विधि बनाने की शक्ति राष्ट्रपति को प्रदान करने की और इस प्रकार प्रदत्त शक्ति का किसी अन्य प्राधिकारी को जिसे राष्ट्रपति इस नियमित्त  विनिर्दिष्ट करें ऐसी शर्तों के अधीन जिन्हें राष्ट्रपति अधिकृत करना ठीक समझें लागू करने के लिए राष्ट्रपति को प्राधिकृत करने की संसद का (b) उसके अधिकारियों और प्राधिकार यों को शक्तियां प्रदान करने या उन पर कर्तव्य अधि रोपित करने के लिए अथवा शक्तियों का प्रदान किया जाना या कर्तव्यों का आदि रोपित किया जाना प्राधिकृत करने के लिए विधि बनाने की संसद को अथवा राष्ट्रपति को या ऐसे अन्य पदाधिकारी को जिसमें ऐसी विधि की शक्ति उपखंड (a) के  अधीन निहित है। () जब लोकसभा सत्र में नहीं है तब राज्य की संचित निधि में से व्यय के लिए संसद की मंजूरी लंबित रहने तक ऐसे वे को प्राधिकृत करने की राष्ट्रपति को क्षमता होगी. ( 2) क्या विधानमंडल की शक्ति का प्रयोग करते हुए सं...

भारतीय राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों का उल्लेख कीजिए. (describe the privilege of the president of India)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को निम्नलिखित विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं - ( 1) न्यायालय के प्रति उत्तरदाई ना होने का विशेषाधिकार: - राष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन के लिए या उन शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए अभिप्रेत किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदाई नहीं होगा अनुच्छेद 361 (1) यह विशेषाधिकार निम्नलिखित दो परंतुको के अधीन भी है - (a) अनुच्छेद 361 अधीन यदि दोषारोपण (महा - अभियोग का आरोप) की जांच पड़ताल अनुसंधान के लिए संसद के किसी सदन द्वारा कोई न्यायालय न्यायाधिकरण या निकाय नियुक्त या नमोदिष्ट किया जाता है तो राष्ट्रपति के आचरण का पुनरावलोकन कर सकेगा। (b) अनुच्छेद 361 (1) के अधीन प्रदत्त विशेषाधिकार किसी व्यक्ति के भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के विरुद्ध समुचित कार्यवाही यों के चलने के अधिकार को निर्बंधित नहीं करता है. ( 2) दांडिक कार्रवाई के विरुद्ध विशेषाधिकार अनुच्छेद361(2) के अनुसार राष्ट्रपति या ...

राष्ट्रपति कब अध्यादेश जारी कर सकता है? (When president can issue ordinance? Describe condition under which ordinance can be issued

भारत के संविधान के अनुच्छेद 123 में उप बंधित है कि जब पार्लियामेंट के दोनों सदन सत्र में ना हो तथा राष्ट्रपति को इसका समाधान हो जाएगी ऐसी परिस्थितियां विद्यमान है कि जिसमें तुरंत कार्यवाही करना जरूरी हो गया है तब वह ऐसे आध्यादेश जारी कर सकेगा जो उक्त  परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हो। अध्यादेश का प्रभाव (effect of ordinance): - राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का वही पल और प्रभाव होगा जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है प्रत्येक ऐसा अध्यादेश संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाएगा और संसद के पुनः समवेत (reassemble) होने की तारीख के 6 सप्ताह की समाप्ति पर समाप्त हो जाएगा जब तक कि 6 सप्ताह के पूर्व दोनों सदन उसके अनुमोदन के संकल्प को पारित ना कर दे राष्ट्रपति किसी समय अपने द्वारा जारी किए गए अध्यादेश को वापस ले सकता है राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति सदन की विधायि नी शक्ति की सहविस्तारी(Co extensive)है अर्थात  यह उन्हीं विषयों से संबंधित है जिन पर संसद को विधि बनाने की शक्ति प्राप्त है अतः यदि कोई अध्यादेश ऐसा उपबंध करता है जिसे अधिनियमित ...

Blog बनाने के कितने दिनों बाद Blog पर Organic traffic आने लगता है: Blog par organic traffic aane par Kitna Samay lagta hai

अगर हम BLOG की बात करते हैं तो मैं सबसे पहले अगर कोई भी यह बात करता है कि यार मेरे BLOG पर TRAFFIC नहीं आ रहा है और बगैर ट्रैफिक के मेरी INCOME नहीं हो सकती है तो यह एकदम सही बात है कि बिना ट्रैफिक के आपके ब्लॉग पर इनकम नहीं की जा सकती है.          जो भी ब्लॉगिंग शुरू करता है वह अब सबसे पहले अपनी ब्लॉगिंग में यही देखता है कि उसकी BLOG  पर TRAFFICआ रहा है या नहीं आ रहा है और अगर TRAFFIC आ रहा है तो ट्रैफिक आने में कितना वक्त लग रहा है और कितने वक्त के बाद हमारा  BLOGपर एक सही ट्रैफिक आ सकता है.            हर एक नए BLOGGER के मन में यह एक बात रहती है कि हमारे blog पर कितना दिनों बाद या कितने Time के बाद हमारे ब्लॉग पर ट्रैफिक आएगा. यदि जहां तक मेरा जानकारी है तो मेरे अनुसार हम बात कर सकते हैं कि यह किसी को भी नहीं पता होता है कि आपके ब्लॉग पर कितने समय में ट्राफिक आएगा यहां तक कि आप ही कोई यकीन नहीं होगा कि कभी कभी ऐसा हो जाता है कि आपके ब्लॉग पर शुरुआत के 2 से 3 महीने तक किसी भी तरह का कोई  traffic नहीं आता...

भारत के उपराष्ट्रपति की अर्हताये निर्वाचन पद्धति कार्य एवं स्थिति के विस्तार से विवेचना कीजिए। describe the qualification election system function and position of Vice President of India

भारत में एक उपराष्ट्रपति पद की व्याख्या भी की गई है उपराष्ट्रपति: - ( 1) राज्यसभा का पदेन सभापति होता है. ( 2) अपने पद के अलावा  अन्य कोई पद धारण नहीं कर सकता है ( 3) मृत्यु ,पद त्याग, महाभियोग अनुपस्थिति बीमारी आदि अवस्था में राष्ट्रपति के स्थान पर राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन तब तक करता रहता है जब तक की - (a) नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अपने पद का कार्यभार नहीं संभाल लेता है अथवा (b) अवकाश बीमारी आदि पर गया राष्ट्रपति पुनः अपने कार्य पर नहीं लौट आता है ( 4) राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने पर राष्ट्रपति की उपलब्धियां भक्तों विशेषाधिकार सखियों उपयोग उपभोग का हकदार होता है. ( 5) राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करते समय वह राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का पालन नहीं करता और ना सभापति को  वेतन भत्ते आदि का हकदार होता है. (अनुच्छेद 63, 64 एवं 65). इस प्रकार उपराष्ट्रपति के पद की दोहरी उपयोगिता है - ( 1) राज्यसभा के सभापति के रूप में एवं ( 2) राष्ट्रपति को अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में.             भारत में अक्सर...