सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
एशिया महाद्वीप के बाद अफ्रीका दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है जो पृथ्वी के संपूर्ण स्थल क्षेत्र का लगभग 20% है.
अफ्रीका महाद्वीप को यूरोप से भूमध्य सागर (mediterranean sea) तथा एशिया से अरब सागर (arabian Sea) अलग करता है परंतु यह तीन स्थलों पर यूरेशिया महाद्वीप के बहुत निकट है यह स्थल निम्न प्रकार से हैं -
(1) उत्तर पश्चिम में जिब्राल्टर जलसंधि (strait of Gibraltar in Northwest)
( 2) उत्तर पूर्व में स्वेज नहर (Suez canal in North East)
( 3) पूर्व में बाब - एल - मंदेब जलसंधि (strait of bab El mandeb in East)
बीसवीं शताब्दी के आरंभ में अफ्रीका किसी ना किसी यूरोपीय शक्ति के अधीन था वर्तमान में तो अधिकतर अफ्रीकी देश स्वतंत्र हो गए और जो अभी भी विदेशी शासन के अधीन है वे अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं.
- भौगोलिक स्थिति: -
- अफ्रीका पठारो का महाद्वीप है लगभग पूरा अफ्रीका एक विशाल पठार जैसा दिखाई पड़ता है।
- अफ्रीका का पठार दक्षिण तथा पूर्व में अपेक्षाकृत ऊंचा है।
- अफ्रीका महाद्वीप से गुजरने वाली विश्वत रेखा के निकट पठार के पूर्वी उच्च भूमि प्रदेश में अफ्रीका का सबसे ऊंचा शिखर किलिमंजारो स्थित है जिस की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 5895 मीटर है यह वर्ष भर हिम से ढका रहता है।
- अफ्रीका में दो छोटी पर्वत श्रेणियां है
(1) एटलस पर्वत( उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है)
(2) ड्डेकेंसबर्ग पर्वत( दक्षिण पूर्वी तट पर स्थित)
- अफ्रीका में निम्न भूमि प्रदेश वाले क्षेत्: - पश्चिमी भाग उत्तरी भाग एवं समुद्र तटअफ्रीका का एक विशेष भौतिक लक्षण जहां की महान भू भ्रंश घटिया है यह घटिया धरातल में दरार या भ्रंश पडने से बनी लंबी और गहरी घाटियों के रूप में स्थित है इन के दोनों किनारे दीवार की तरह सीधे खड़े ढाल वाले होते हैं। अफ्रीका में ऐसी भू भ्रंश घटियों की एक लंबी श्रंखला मलावी झील के दक्षिण से उत्तर में लाल सागर स्वेज की खाड़ी और अकाबा की खाड़ी से होते हुए मृत सागर तक चली गई है इसी कारण इसे महान भू भ्रंश घाटी कहते हैं.
महान भू भ्रंश घटिया की बहुत ही घटिया पानी से भरी हैं जिन्हें झील करते हैं अफ़्रीका के उच्च भूमि प्रदेश में अनेक बड़ी झीलें हैं जिनमें विक्टोरिया झील प्रमुख है यह अफ्रीका की सबसे बड़ी झील है.
- अफ्रीका की प्रमुख नदियां निम्नलिखित हैं: -
( 1) नील नदी: - यह विक्टोरिया झील से निकलती है और संसार की सबसे बड़ी नदी है यह विश्वत रेखा के निकट के भारी वर्षा वाले क्षेत्रों से निकलकर उत्तर की ओर बहती और सहारा रेगिस्तान से बहुत लंबी यात्रा करती हुई है भूमध्य सागर से गिर जाती है.
( 2) जायरे नदी: - यह मध्य अफ्रीका में बहती है इसके तीन भाग में कांगो नाम से भी जाना जाता है यह नदी एक विस्तृत क्षेत्र का जल बहा कर लाती हो अटलांटिक महासागर में मिल जाती है अफ़्रीका की नदियों में सबसे अधिक जल यह नदी बहा कर ले जाती है.
अन्य नदियां: - नाइजर ( पश्चिम अफ्रीका में) जेबेंजी और ऑरेंज( दक्षिणी भाग में)है।
- नील एवं जायरे नदी को छोड़कर अफ्रीका की दूसरी नदियां ऊंचे पठारी भागों से नीचे तटीय भागों की ओर उतरते समय जलप्रपात बनाती हैं जेबेंजी नदी का विक्टोरिया जलप्रपात इसका उदाहरण है।
- अफ्रीका का लगभग एक तिहाई भाग मरुस्थल है सहारा मरुस्थल उत्तरी अफ्रीका में स्थित संसार का सबसे बड़ा दक्षिण अफ्रीका में कालाहारी दूसरा प्रमुख मरुस्थल है.
- जलवायु और प्राकृतिक वनस्पति: -
(1) अफ्रीका महाद्वीप का विस्तार 37अंश 14 डिग्री उत्तरी और 34 अंश 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच है. अतः इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबंध में फैला हुआ है जिसके परिणाम स्वरूप यहां लगभग सारे साल ऊंचा तापमान रहता है केवल ऊंचे पठार एवं पर्वतीय भागों में साधारण तापमान रहता है पठारों पर भी दिन में ऊंचा तापमान रहता है किंतु रातें ठंडी होती हैं।
अफ्रीका में वर्षा के वितरण में काफी भिन्नता है जिससे यहां की जलवायु में काफी भिंन भिंन क्षेत्र पाए जाते हैं विषुवत रेखा के निकट दोनों ओर फैले क्षेत्रों में ऊष्ण और आद्र जलवायु पाई जाती है इन स्थानों में प्राया प्रतिदिन वर्षा होती है और वर्ष भर केवल ऊष्णऔरआद्र देश में रितु ही रहती है इसे विश्वती है जलवायु कहते हैं अत्यधिक गर्मी और वर्षा के कारण इस क्षेत्र का अधिकतर भाग घने वनों से ढका है इन वनों को उष्णकटिबंधीय वर्षा वन कहते हैं इन वनों में विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी रहते हैं।
( विश्व बतिया वर्षा वनों के उत्तर और दक्षिण में ऐसे प्रदेश है जहां ग्रीष्म ऋतु होती है और शीत ऋतु में ज्यादा ठंड नहीं पड़ती है इन प्रदेशों में अधिकतर वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है परंतु इन स्थानों में वर्षा का कुल औसत उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों से काफी कम रहता है इस जलवायु को सवाना या सूडान तुल्य जलवायु कहते हैं अफ्रीका महाद्वीप का एक बहुत बड़ा भाग इस प्रकार की जलवायु के अंतर्गत आता है वनस्पति के नाम पर यहां ज्यादातर घास ही उठती है और लंबी और मोटी घास के क्षेत्र को सवाना कहते हैं.
(2) सवाना के उत्तर और दक्षिण दोनों ही और विस्तृत मरुस्थल पाए जाते हैं उत्तरी मरुस्थल का नाम सहारा और दक्षिणी मरुस्थल का नाम कालाहारी है यहां की जलवायु बहुत ही गर्म और शुष्क है विश्व के सबसे ऊंचे तापमान इन्हीं मरुस्थल में दर्ज किए गए हैं यहां वर्षा नाम मात्र की होती है इस प्रकार की सूचना एवं अत्यधिक शुष्क जलवायु को मरुस्थलीय जलवायु कहते हैं इन मरुस्थल में केवल कटीली झाड़ियां ही मिलती हैं.
(3) अफ्रीका के उत्तरी और दक्षिणी तटीय प्रदेशों में भूमध्यसागरीय जलवायु पाई जाती है यहां वर्षा शीत ऋतु में होती है और ग्रीष्म ऋतु शुष्क रहती है इन प्रदेशों में शीत ऋतु ना ज्यादा ठंडी होती है और ना ही ग्रीष्म ऋतु ज्यादा गर्म होती है.
(4) अफ्रीका के दक्षिण और पूर्वी उच्च भूमि प्रदेशों की जलवायु शीतल है.
- प्राकृतिक साधन और उनका उपयोग: -
(1) किसी क्षेत्र में प्रकृति से प्राप्त विभिन्न प्रकार के उपहारों को प्राकृतिक साधन कहते हैं जैसे मिट्टी जल खनिज वन और जीव जंतु आदि.
(a) मिट्टी: - मिट्टी एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्राकृतिक साधन है अफ्रीका के विशाल महाद्वीप की केवल 10% भूमि कृषि के योग्य है।पूर्वी अफ्रीका में स्थित ज्वालामुखी के लावे से बनी मिट्टी नील घाटी की कांप या जलोढ़ मिट्टी या सवाना घास के मैदानों की ही उपजाऊ है अन्य भागों में जलवायु और धरातल अच्छी मिट्टी के निर्माण के लिए अनउपयुक्त है।
जल: - अफ्रीका महाद्वीप का बहुत बड़ा भाग सूखा है लेकिन उसके शेष भागों में पर्याप्त वर्षा होती है वर्षा के जल को नदियां बहा कर ले जाती है जिसके अधिकांश भाग से सिंचाई कार्य किए जाते हैं यहां की नदियां उच्च पठारी क्षेत्रों से समुद्र तटीय मैदानों पर उतरते हुए जलप्रपात बनाती है यही कारण है कि इन नदियों में नाव या स्टीमर नहीं चलाया जा सकता परंतु इन जलप्रपातो से जल विद्युत का उत्पादन किया जा सकता है उदाहरण के रूप में जेजेंबी नदी पर निर्मित करीबा बांध से अफ्रीका में सबसे अधिक जल विद्युत पैदा की जाती है मिस्र देश में नील नदी पर निर्मित अस्वान बांध इसका एक अन्य उदाहरण है.
खनिज : अफ्रीकन एक बहुमूल्य खनिजों जैसे सोना हीरा और प्लेट में नियम के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है अन्य खनिज के रूप में कोबाल्ट मैगजीन क्रोमियम टीन बॉक्साइट यूरेनियम तांबा एवं खनिज तेल के भंडार हैं.
- अफ्रीका में खनिज संपदा का प्रयोग: -
(1) कोबाल्ट और मैग्नीज अफ्रीका के दक्षिणी भाग में पाया जाता है इन दोनों खनिजों को मिलाकर इस्पात बनाया जाता है.
(2) क्रोमियम दक्षिण अफ्रीका में निकाला जाता है यह एक ऐसी धातु है जिस पर जंग नहीं लगती है.
(3) जायरे और दक्षिण अफ्रीका में तांबे बॉक्साइट और यूरेनियम के प्रचुर भंडार हैं तांबे का प्रयोग बिजली के तार बनाने में तथा बॉक्साइट का प्रयोग एलमुनियम तैयार करने में किया जाता है यूरेनियम का प्रयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है अफ्रीका के कई देशों जैसे नाइजीरिया लीबिया और अंगोला में खनिज तेल के भंडार हैं.
- वन: - मध्य अफ्रीका का विस्तृत भू-भाग घने वनों से ढका हुआ है उन से कठोर लकड़ी प्राप्त होती है जो इमारती कार्यों के प्रयोग में आती है इन वनों में महोगनी आबनूस और शाल्मली(कैपाक) जैसे अनेक प्रकार के मूल्यवान पेड मिलते हैं इन वनों में रबड के वृक्ष जंगली रूप में उठते हैं जिसका बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है अफ्रीका में तीन प्रकार के ताड वृक्ष मिलते हैं जिनके नाम निम्नवत है
(1) नारियल: - यह वृक्ष विषुवत वृत्त के निकट डिपो जैसे जंजीबार और पेंबा में तथा तंजानिया के समुद्र तटीय भागों में मिलते इन फलों की गिरी से नारियल का तेल प्राप्त किया जाता है.
( 2) तेलताड: - यह पश्चिमी अफ्रीका में अधिक मिलता है इसके फल से भी तेल निकाला जाता है नाइजीरिया बहुत बड़ी मात्रा में इस तेल का निर्यात करता है.
( 3) खजूर: - यह मरुस्थलों तथा शुष्क भागों में पैदा होता है यह स्थानीय लोगों का एक मुख्य खाद्य पदार्थ है।मिस्र से भारी मात्रा में खजूर का निर्यात किया जाता है।
अफ्रीका में दो प्रमुख पेय पदार्थ कैको और कोला के वृक्ष से प्राप्त होते हैं।
( 1) कैको: - इस वृक्ष से कोको को प्राप्त होता है जो काफी के समान एक लोकप्रिय पर है इससे चॉकलेट भी बनती है कैको के वृक्ष विश्वतीय निम्न भूमि प्रदेश में बहुत होते हैं जैसे नाइजीरिया और घाना यह देश को कोको भारी मात्रा में निर्यात करता है.
( 2) कोला: - इस वृक्ष के फल से कई प्रकार के कोला पेय पदार्थ तैयार किए जाते हैं कोला के फलों से चिंगम भी बनती है.
अफ्रीका में अनेक प्रकार के फलो के वृक्ष मिलते हैं जैसे
- उष्णकटिबंधीय प्रदेश में केला अनानास पपीता कटहल आम एवं अनेक प्रकार के नींबू जाति के पेड़ जैसे संतरे नींबू आदि.
- भूमध्यसागरीय जलवायु प्रदेश में जैतून तेल नाशपाती एवं अंगूर.
- अफ्रीका के पूर्वी भाग में काजू
- जंजीबार और पेंबा द्वीप लॉन्ग संसार में सर्वाधिक लॉन्ग उत्पादन स्थल यहां से लॉन्ग का निर्यात सबसे अधिक होता है.
- जीव जंतु अफ्रीका में जंगली जीव प्राणी बहुत बड़ी संख्या में पाए जाते हैं जैसे विश्वती वन एवं दलदली वन प्रदेश में हाथी जंगली भैंसे सांप अजगर बंदर दरियाई घोड़ा और गैंडा
- विशाल घास के मैदान हिरण बारहसिंघा जेब्रा जिराफ यहां सिंह और बाघ जैसे कुछ पशु घास खाने वाले पशुओं का शिकार करते हैं.
- मरुस्थल में ऊंट बड़े आकार के और तेज दौड़ने वाले पक्षी शुतुरमुर्ग कालाहारी मरुस्थल में पाए जाते हैं सवाना प्रदेश की उच्च भूमियों पर पशुपालन बहुत महत्वपूर्ण है सवाना प्रदेश की यह उच्च भूमियों अफ्रीका के पूर्वी उत्तरी और पश्चिमी भागों में फैली है चलवा सी जातियां पशुओं के बड़े-बड़े झुंड पालती है यह चरवाहे अपने पशुओं के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं.
- कृषि: - अफ्रीका में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती है जैसे खाद्य फसल एवं नकदी फसलें.
- खाद्य फसलें जिन्हें लोग खाने के लिए उगाते हैं उन फसलों को खाद्य फसलें कहते हैं जैसे मक्का एवं गेहूं चावल और ज्वार थोड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है अफ्रीका में अधिकतर खाद्य प्रश्न एक कंदमूल है इनमें खालू और कैसावा मुख्य
- नगदी फसलें जीन फसलों को मुख्यता निर्माण उद्योगों के लिए उगाया जाता है उन्हें नगदी फसलें कहते हैं जैसे ताड़ का तेल मूंगफली को को कहवा कपास और सीसल आदि महत्वपूर्ण है.
सीसल एक वनस्पति रेशा है इससे बोरियां और रसिया बनाई जाती हैं अफ्रीका संसार में सीसल का सबसे बड़ा निर्यातक है अफ्रीका में तंजानिया सिसल के उत्पादन में सभी देशों से आगे हैं.
- जनसंख्या अफ्रीका के लोगों में काफी विविधता है इनमें से 70% लोग अश्वेत है ऐसी जनसंख्या संसार के अन्य भागों जैसे यूरोप और एशिया से आए हुए हैं यूरोप के प्रवासियों ने अपनी सबसे पहली बस्ती दक्षिण अफ्रीका में 1652 में बसाई थी अभी अफ्रीक दक्षिण अफ्रीका में लगभग 30 लाख सेसर्वात्मवादी स्वतंत्र नहीरहते हैं किंतु फिर भी उनकी संख्या यहां की कुल जनसंख्या का केवल 20% ही है यद्यपि स्वेत लोग दक्षिण अफ्रीका में अल्प संख्या में है फिर भी देश में शासन वही लोग करते हैं और देश में अश्वेतरूप से नहीं रहने देते हैं जो कि एक गंभीर समस्या हमारे देश की बात यहां भी कई सारी भाषाएं बोली जाती है आता एक दूसरे से बातचीत करने में दिक्कत ना इसलिए वे कम से कम 2 भाषा बोलने की योग्यता रखते हैं लाभदायक बातें इनमें से एक स्थानीय भाषा होती है जिससे भी अपने गांव या फिर जाति के लोगों से बातचीत करते हैं और दूसरी भाषा के रूप में हुए फ्रांसीसी अल्वी अंग्रेजी अरबी एवं स्वाहिली भाषाओं में से 1 सीटें अफ्रीका में अनेक धर्मों जैसे मुसलमान ईसाई और सर्वात्मवादीजी आदि धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं.
सर्वात वादी कई जनजातियों का धर्म है यह प्राकृतिक प्रेम और आदर प्रभावित है.
- यातायात अफ़्रीका में यातायात के पर्याप्त साधन नहीं है विस्तृत मरुस्थल और घने वन सड़कों एवं रेलगाड़ियों के विकास में बाधक नदियां केवल स्थानीय यातायात के लिए ही उपयोगी है क्योंकि उनके मार्गों में जल प्रपात पड़ते हैं अतः उन्हें नावे चलाना संभव नहीं है यही कारण है कि वायु यातायात का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन यह अधिक महंगा साधन है.
अफ्रीका का भविष्य काफी उज्जवल है क्योंकि यहां भरपूर प्राकृतिक साधनों अफ्रीका के नाव स्वतंत्र देश अपने यहां कृषि उद्योगों तथा यातायात का विकास करने के लिए काफी प्रयत्नशील है भारत सहित अनेक देश अफ्रीकी देशों को उनके विकास कार्य में सहायता दे रहे हैं.
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