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Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

भारतीय राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों का उल्लेख कीजिए. (describe the privilege of the president of India)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को निम्नलिखित विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं -

( 1) न्यायालय के प्रति उत्तरदाई ना होने का विशेषाधिकार: - राष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन के लिए या उन शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए अभिप्रेत किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदाई नहीं होगा अनुच्छेद 361 (1) यह विशेषाधिकार निम्नलिखित दो परंतुको के अधीन भी है -

(a) अनुच्छेद 361 अधीन यदि दोषारोपण (महा - अभियोग का आरोप) की जांच पड़ताल अनुसंधान के लिए संसद के किसी सदन द्वारा कोई न्यायालय न्यायाधिकरण या निकाय नियुक्त या नमोदिष्ट किया जाता है तो राष्ट्रपति के आचरण का पुनरावलोकन कर सकेगा।

(b) अनुच्छेद 361 (1) के अधीन प्रदत्त विशेषाधिकार किसी व्यक्ति के भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के विरुद्ध समुचित कार्यवाही यों के चलने के अधिकार को निर्बंधित नहीं करता है.

( 2) दांडिक कार्रवाई के विरुद्ध विशेषाधिकार अनुच्छेद361(2) के अनुसार राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसके पद की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की दांण्डिक कार्रवाई किसी भी न्यायालय में नहीं चलाई जाएगी और न चालू रखी जाएगी।

(3) गिरफ्तारी या कारावास के विरुद्ध विशेषाधिकार: - अनुच्छेद 361 (3) के अनुसार राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल को गिरफ्तार करने या कारावास के लिए किसी भी न्यायालय में कोई आदेश का उसके पद की अवधि के दौरान जारी नहीं की जा सकती है.

( 4) दीवानी कार्रवाई के विरुद्ध विशेषाधिकार: - अनुच्छेद 361 (4) के अनुसार ऐसी कोई भी दीवानी कार्यवाही जिसमें राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध किसी अनुतोष के लिए दावा किया जाता है तब तक किसी न्यायालय में उसके पद की अवधि के दौरान उसके द्वारा अपनी व्यक्तिगत हैसियत में चाहे अपना ऐसा पद ग्रहण करने के पूर्व या पश्चात किए गए या किए जाने के लिए अभिप्रेत किसी कार्य के लिए दायर नहीं किया जाएगा जब तक की -

(a) उसे दावेदार के द्वारा 2 महीने की मियादी नोटिस नहीं दी जाएगी.

(b) नोटिस की ऐसी मियादी खत्म नहीं हो जाती है एवं

(c) ऐसी नोटिस में निम्नलिखित बातों का वर्णन नहीं किया जाएगा

( 1) कारवाही की प्रकृति

( 2) उसके वाद  हेतु

( 3) दावेदारों का नाम विवरण एवं निवास स्थान

( 4) अनुतोष जिसके लिए वह दावा करता है

( 5) सूचना प्रकट नहीं करने का विशेषाधिकार: - प्रेसिडेंट तथा गवर्नर को लोक अधिकारी माना गया है परंतु उन्हें अपने संप्रभु कृत्यों से संबंधित सूचनाएं प्रकट नहीं करने की छूट अर्थात विशेष विशेष अधिकार दिया गया है.

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