Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
भारतीय राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों का उल्लेख कीजिए. (describe the privilege of the president of India)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 के अंतर्गत राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपालों को निम्नलिखित विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं -
( 1) न्यायालय के प्रति उत्तरदाई ना होने का विशेषाधिकार: - राष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन के लिए या उन शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए अभिप्रेत किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदाई नहीं होगा अनुच्छेद 361 (1) यह विशेषाधिकार निम्नलिखित दो परंतुको के अधीन भी है -
(a) अनुच्छेद 361 अधीन यदि दोषारोपण (महा - अभियोग का आरोप) की जांच पड़ताल अनुसंधान के लिए संसद के किसी सदन द्वारा कोई न्यायालय न्यायाधिकरण या निकाय नियुक्त या नमोदिष्ट किया जाता है तो राष्ट्रपति के आचरण का पुनरावलोकन कर सकेगा।
(b) अनुच्छेद 361 (1) के अधीन प्रदत्त विशेषाधिकार किसी व्यक्ति के भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के विरुद्ध समुचित कार्यवाही यों के चलने के अधिकार को निर्बंधित नहीं करता है.
( 2) दांडिक कार्रवाई के विरुद्ध विशेषाधिकार अनुच्छेद361(2) के अनुसार राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसके पद की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की दांण्डिक कार्रवाई किसी भी न्यायालय में नहीं चलाई जाएगी और न चालू रखी जाएगी।
(3) गिरफ्तारी या कारावास के विरुद्ध विशेषाधिकार: - अनुच्छेद 361 (3) के अनुसार राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल को गिरफ्तार करने या कारावास के लिए किसी भी न्यायालय में कोई आदेश का उसके पद की अवधि के दौरान जारी नहीं की जा सकती है.
( 4) दीवानी कार्रवाई के विरुद्ध विशेषाधिकार: - अनुच्छेद 361 (4) के अनुसार ऐसी कोई भी दीवानी कार्यवाही जिसमें राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध किसी अनुतोष के लिए दावा किया जाता है तब तक किसी न्यायालय में उसके पद की अवधि के दौरान उसके द्वारा अपनी व्यक्तिगत हैसियत में चाहे अपना ऐसा पद ग्रहण करने के पूर्व या पश्चात किए गए या किए जाने के लिए अभिप्रेत किसी कार्य के लिए दायर नहीं किया जाएगा जब तक की -
(a) उसे दावेदार के द्वारा 2 महीने की मियादी नोटिस नहीं दी जाएगी.
(b) नोटिस की ऐसी मियादी खत्म नहीं हो जाती है एवं
(c) ऐसी नोटिस में निम्नलिखित बातों का वर्णन नहीं किया जाएगा
( 1) कारवाही की प्रकृति
( 2) उसके वाद हेतु
( 3) दावेदारों का नाम विवरण एवं निवास स्थान
( 4) अनुतोष जिसके लिए वह दावा करता है
( 5) सूचना प्रकट नहीं करने का विशेषाधिकार: - प्रेसिडेंट तथा गवर्नर को लोक अधिकारी माना गया है परंतु उन्हें अपने संप्रभु कृत्यों से संबंधित सूचनाएं प्रकट नहीं करने की छूट अर्थात विशेष विशेष अधिकार दिया गया है.
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