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UPSC परीक्षा में मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में परिचर्चा करो?

सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं।                      भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं।          भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...

रामसर स्थल क्या होते हैं? रामसर स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी दो?

भारत में वर्तमान में 82 रामसर साइट्स हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हैं। ये वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) हैं जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की हैं और इनके संरक्षण के लिए रामसर कन्वेंशन के तहत मान्यता प्राप्त है।  भारत में ये रामसर साइट्स विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई हैं, जैसे:→ आंध्र प्रदेश: → कोल्लेरू झील असम:→   दीपोर बील बिहार:  → कबरताल वेटलैंड, नागी पक्षी अभयारण्य, नक्ति पक्षी अभयारण्य गुजरात:→   नलसरोवर, वधवाना वेटलैंड, थोल लेक वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, खिजादिया वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी हरियाणा: → सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, भिंडावास वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी जम्मू और कश्मीर:→   वुलर झील, सुरिनसर-मंसर झीलें, होकेरा वेटलैंड केरल:  → वेंबनाड कोल वेटलैंड, अष्टमुडी वेटलैंड लद्दाख:  → त्सो मोरिरी झील, त्सो कर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स महाराष्ट्र: → नंदूर मधमेश्वर, लोणार झील मणिपुर:→ लोकटक झील उड़ीसा: → चिल्का झील, भितरकणिका मैन्ग्रोव इन वेटलैंड्स का क्षेत्रफल और संरक्षण की स्थिति अलग-अलग है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत...

भूगोल किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है । विस्तार से चर्चा करो।

भूगोल जिसका शाब्दिक अर्थ है " पृथ्वी का वर्णन " Geography यूनानी भाषा के दो शब्द Geo [ पृथ्वी] और Graphy [वर्णन] से मिलकर बना है। अगर हम सरल भाषा में बात करें भूगोल का तात्यपर्य- ब्रहमांड में मानव निवास के रूप में एक ग्रह  पृथ्वी के आकार, प्रकार, जीवन, पर्यावरण की  चर्चा करना ही भूगोल है। यानी भूगोल का शाब्दिक अर्थ है भू+ गोल → गोल पृथ्वी ।               यह विषय न केवल हमारी पृथ्वी की पृथ्वी की संरचना और उसकी सतह को समझने में मदद करता है, बल्कि इसमें मानव सभ्यता का भी अध्ययन शामिल है और इस बात का भी अध्ययन होता है कि मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्ध कैसे हैं।  भूगोल के प्रमुख भाग: →   भूगोल को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा गया है-  [1] भौतिक भूगोल [Physical Geography ]:-→  भौतिक भूगोल में पृथ्वी की प्राकृतिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता  है, जैसे कि पर्वत, नदियों, महासागर, वायुमण्डल और जलवायु । यह भाग हमें बताता है कि कैसे प्राकृतिक प्रक्रियाएं, जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प और मौसम परिवर्तन पृथ्वी की ...

ब्रम्हाण्ड किसे कहते हैं? यह UPSC की परीक्षा के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण topic है?

ब्राह्मंड जिसे अंग्रेजी में " यूनिवर्स " कहा जाता है। वह सम्पूर्णता है जिसमें हम और सब कुछ मौजूद है। यह एक विशाल असीम और रहस्यमय स्थान है, जिसमें अनगिनत तारे, ग्रह, गैलेक्सियाँ, और अन्य खगोलिय  पिंड शामिल हैं। ब्राम्हांड के अध्ययन को खगोलविज्ञान [ एस्ट्रोनॉमी कहते हैं ।           मानव मस्तिष्क में एक क्रमबद्ध रूप में जब सम्पूर्ण विश्व का चित्र उभरा तो उसने इसे ब्राम्हांड [Cosmos की संज्ञा दी। मिस्र यूनानी परम्परा के प्रख्यात खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी ने सर्वप्रथम इसका नियमित अध्ययन कर जियोसेन्टिक अवधारणा का प्रतिपादन किया। इस अवधारणा के अनुसार, पृथ्वी ब्राम्हांड के केन्द्र में है तथा सूर्य व अन्य ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। ब्राम्हाड के सम्बन्ध में यह अवधारणा लम्बे समय तक बनी रही। परन्तु 1543 ई० में कॉपरनिकस ने जब हेलियोसेट्रिंक अवधारणा का प्रतिपादन किया तो उसके पश्चात ब्राम्हांड के सम्बन्ध में एक नयी theory के  तहत कॉपरनिकस ने यह बताया कि ब्राम्हांड पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य है। इस theory से ब्राम्हांड के अध्ययन की दिशा को ही बदल कर ...

Satyavadi Raja Harishchandra (सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र) कौन थे? Who was Satyavadi Raja Harishchandra?

भारत के पंडितों ने चार युग माने हैं ।हम लोग जिस युग में रहते हैं वह कलयुग कहा जाता है। इसके पहले द्वापर  उसके पहले त्रेता और उसके पहले सतयुग था। कल युग समाप्त होने पर फिर सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग होंगे । इसी प्रकार चारों युग बारी-बारी से आते-जाते रहते हैं। प्रत्येक युग सहस्त्र वर्ष का होता है । सत्ययुग में एक प्रसिद्ध क्षत्रियों का परिवार था ।जिसे इक्ष्वाकु कहते हैं ।यह बहुत बड़े राजा थे ।इन्हीं के वंश में हरिश्चंद्र राजा हुए हैं । यह वंश सूर्यवंश भी कहा जाता है ।यह उत्तरी भारत में राज्य करते थे। आज ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता कि कहां से कहां तक इनका राज्य फैला हुआ था.             इनके सम्बन्ध  में सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह कभी झूठ नहीं बोलते थे । जो बात एक बार कह दी। वह फिर पत्थर की लकीर हो गई ।चाहे जो कुछ भी हो वह उसे करते ही थे ।अनेक ढंग से उनकी परीक्षा ली गई और सब में वह खरे उतरे । उनकी सच्चाई यहां तक बढ़ी हुई थी कि सपने में यदि उनके मुख से कुछ निकल जाता तो जाग जाने पर उसे भी वह पूरा करते थे उनके संबंध में कहा गया - “चन्द्र टरै  सूरज ...