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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

G7 ग्रुफ क्या है और इसके क्या कार्य हैं?

G7  जिसे सात समूह के संगठन रूप में भी जाना जाता है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। यह यूरोपीय संघ के साथ-साथ 7 देशों की अर्थव्यवस्थाओं का एक अनौपचारिक समूह  है । यूरोपीय संघ (EU) एक संप्रभु सदस्य राज्य नही बल्कि यह अद्वितीय सुपरनॅशनल संगठन है।  G7 दुनिया की सात सबसे बडी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है, इसमें सात देश फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है।  G7 ग्रुफ नीति-निर्माताओं और सभी देशों के बीच वैश्विक रूप से एक मंच का कार्य करता है। G7 संगठन की स्थापना आज से 50 वर्ष पहले 1973 में की गई थी। इसको पहले विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन के रूप भी जाना जाता था। इसे 1975 में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी एस्टाइंग और तत्कालीन संघीय चांसलर हेल्मुट श्मिट द्वारा इसकी आधारशीला रखी गयी थी।  सबसे पहले इस संगठन में 6 देशों फ्रांस, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और पश्चिमी जर्मनी द्वारा इसकी स्थापना की गयी थी। G-7 का कोई औपचारिक चार्टर या सचिवालय नही है। प्रेसीडेंसी जो प्रत्येक वर्ष सदस्य देश...

चन्द्रयान 3 मिशन क्या है ?यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है ?

भारत के लिये ये एक बहुत ही ऐतिहासिक पल है जब चांद पर हमारा तिरंगा लहरा रहा है। चन्द्रयान - 3 के लैंडर ने सफलतापूर्वक चांद के साउथ पोल पर लैडिंग कर ली है।  चन्द्रयान - 3 भारत का एक महत्वाकांक्षी चन्द्र मिशन है। 24 अगस्त, 2023 को ISRO के अनुसार चन्द्रयान 3 रोवर प्रज्ञान लैडर से नीचे उत्तर गया है। और भारत चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।        चन्द्रयान-3 को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लांच किया गया है. " यह लगभग 40 दिनों के बाद चन्द्रमा की सतह पर लैंड होगा। चन्द्रयान में इस्तेमाल होने वाले ईधन की बात करें तो यह सॉलिड व लिक्विड दोनों तरह के फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है। रॉकेट के पहले भाग में सॉलिड फ्यूल और दूसरे भाग में लिक्विड फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है।               रॉकेट के आखिरी भाग में क्रायोजेनिक 'इंजन है। इसमें लिक्विड हाइड्रोजन और आक्सीजन का इस्तेमाल होता है। चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट के फ्यूल टैंक की क्षमता 27000 किग्रा से ज्यादा है। रॉकेट में इस्तेमाल क...

भारत में कैसे पड़ी अंग्रेजी शासन की नीव ?How the foundation of British rule was laid in India?

भारत में अंग्रेजी शासन की नींव 18वीं सदी में डाली गई थी, जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सुप्रसिद्ध मुग़ल वंश की शासन प्रणाली को ध्वस्त करके भारत में अपनी सत्ता स्थापित की। आरंभिक दौर में, ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापारी और आर्थिक हिस्सेदारी का काम कर रही थी, लेकिन समय के साथ कंपनी ने अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए सैनिक और राजनीतिक कदम उठाए। इसके पश्चात्, 1858 में वेलेस्ली अधिनियम के पास होने से ब्रिटिश सरकार ने भारत में सीपीओ (गवर्नर जनरल) पद की स्थापना की और उन्हें भारतीय सत्ता का प्रमुख नियंत्रक बनाया। यह पद स्थायी ब्रिटिश सत्ता की प्रतीक बन गया और इससे पहले सत्ताधारी नायक और बाद में वाइसराय के रूप में जाना जाता था। ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता पर अपनी शासन प्रणाली को लागू किया और अंग्रेजी भाषा को शिक्षा, न्यायिक प्रणाली, सरकारी कार्य, और स्थानीय सभा में आधिकारिक भाषा के रूप में अभिव्यक्ति का स्तर उच्च करने का प्रयास किया। वे विद्यालयों, कानून के माध्यम से न्याय प्रणाली, शासनिक इंस्टीट्यूशन, और न्यूनतम विधान सभा के गठन के माध्यम से अंग्रेजी शिक्षा और शासन को बढ़ावा दिया। इसके ...

आजादी के बाद भारतीय समाज में क्या सुधार हुआ?What improvement happened in the Indian society after independence?

भारत की आजादी के बाद, देश की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। आजादी के समय, देश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित थी और बड़ी हिस्सेदारी लोगों के हाथ में थी। इसके परिणामस्वरूप, देश में गरीबी, बेरोजगारी, और उच्च जनसंख्या के कारण आर्थिक समस्याएं उभरने लगीं। आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए, भारत सरकार ने कई प्रमुख कदम उठाए। विशेष रूप से, प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956) आरंभ की गई, जिसके माध्यम से आर्थिक विकास और न्यायसंगत आर्थिक वितरण को प्रोत्साहित किया गया। यह योजना भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण थी और उद्यमिता, औद्योगिकी, कृषि, और प्रौद्योगिकी को स्थापित करने पर बल दिया। इसके अलावा, भारत सरकार ने भूमि सुधार कानूनों को लागू किया, उद्यमिता को प्रोत्साहित किया, और बाजार नीतियों को सुधारा। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत की आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे सुधारने लगी। हालांकि, ये प्रयास धीरे-धीरे फल देने लगे और वाणिज्यिकीकरण, औद्योगिकीकरण, और तकनीकी प्रगति के क्षेत्र में सुधार हुआ। भारतीय अर्थव्यवस्था ने 1991 में मनमोहन सिंह की वित्त मंत्री में सरकार द्वारा आर्थिक लिबरलीक...

केंद्र सरकार के बजट 2023 24 में देश के अमृत काल की दिशा में अपनाई गई कौन-कौन सी प्रमुख प्राथमिकताएं हैं?What are the major priorities adopted in the Central Government's Budget 2023-24 towards the Amrit Kaal of the country?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार , एक वर्ष के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण ( Annual financial Statement ) कहा जाता है । यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण है । ( जो चालू वर्ष में 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है । केन्द्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के केन्द्रीय बजट में व्यक्त योजनाओं को निम्नप्रकार से है शामिल किया है जिससे देश के विकास में सतत गति बनी रही ।  विकास और  रोजगार का सृजन करना : → इस वित्तवर्ष 2023-24 में केन्द्रीय बजट के माध्यम से भारत के विकास में रोजगार देने का संकल्प रखा गया है । जिससे देश में बढ़ रही बेरोजगारी पर काबू पाया जा सके । जिससे देश के विकास में और भी ज्यादा सहयोग किया जा सके । युवाओं पर फोकस के साथ नागरिकों के लिये अवसर प्रदान करना जिससे वे लोग देश की विकास गति को और भी तेजी से बढ़ा सके ।    वचितों को समग्र प्राथमिकता  मजबूत और न्यूनतम सरकार स्थिर मैक्रो - इकोनामिक पर्यावरण         न्यूनतम सरकार   अधिकतम शासन पूँजीगत परिव्यय...