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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

G7 ग्रुफ क्या है और इसके क्या कार्य हैं?

G7  जिसे सात समूह के संगठन रूप में भी जाना जाता है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। यह यूरोपीय संघ के साथ-साथ 7 देशों की अर्थव्यवस्थाओं का एक अनौपचारिक समूह  है । यूरोपीय संघ (EU) एक संप्रभु सदस्य राज्य नही बल्कि यह अद्वितीय सुपरनॅशनल संगठन है।


 G7 दुनिया की सात सबसे बडी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है, इसमें सात देश फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है।

 G7 ग्रुफ नीति-निर्माताओं और सभी देशों के बीच वैश्विक रूप से एक मंच का कार्य करता है। G7 संगठन की स्थापना आज से 50 वर्ष पहले 1973 में की गई थी। इसको पहले विश्व आर्थिक शिखर सम्मेलन के रूप भी जाना जाता था। इसे 1975 में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति वालेरी गिस्कार्ड डी एस्टाइंग और तत्कालीन संघीय चांसलर हेल्मुट श्मिट द्वारा इसकी आधारशीला रखी गयी थी।

 सबसे पहले इस संगठन में 6 देशों फ्रांस, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका और पश्चिमी जर्मनी द्वारा इसकी स्थापना की गयी थी। G-7 का कोई औपचारिक चार्टर या सचिवालय नही है। प्रेसीडेंसी जो प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच आवंटित होती है. एजेंडा तय करने हेतु प्रभारी होते है। शिखर सम्मेलन से पहले शेरपा, मंत्री और दूत नीतिगत पहल करते हैं।

 G7 की स्थापना के कारण : → 7 देशों के समूह वाले G7 की स्थापना 1973 में की गयीं थी तेल संकट से उबरने के लिये इसकी स्थापना की गई थी। अमेरिका द्वारा इजरायल को वित्तीय सहायता दी थी
इसलिये अमरीका को सबक सिखाने के लिये OPEC (ओपेक) देश  सऊदी अरब के राजा फैजल के निर्देश पर तेल के उत्पादन में भारी कटौती कर दी गई थी । इससे पूरे विश्व में तेल संकट गहरा गया था और दामों में बढोत्तरी हो गई थी। इसके कारण महंगाई बढ़ रही थी। तेल का उत्पादन कम करने का मकसद सिर्फ यही था कि जो देश फिलिस्तीन के खिलाफ इजरायल का समर्थन करेगें उन्हें सबक सीखाना था। पश्चिमी देश अमरीका और उसके अमीर साथी देशों की इसका अधिक खामियाजा भुगतना पड़ा था। तेल के उत्पादन में कटौती कर देने से इसकी कीमते 300% तक बढ़ गई थी। 

 आर्थिक विकास :  G7 जिसे समृद्धि के सात बड़े देशों का समूह कहा जाता है आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और विश्व अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिये कई माध्यमों का उपयोग करता है। इस समूह के सदस्य देश इस मुद्दे पर विचार करते हैं और कई क्षेत्रों में सहयोग करते हैं जैसे कि वित्त, व्यापार, प्रौद्योगिकी और वाणिज्यिक संबन्ध |


 G-7 देशों का समूह अपने आप को कम्यूनिटी ऑफ वैल्यूज यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है। स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा लोकतंत्र और कानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास इसके महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं। 


(2) विश्व सुरक्षा :- इस समूह के विश्व में अपराधिकता, आतंकवाद, और अन्य सदस्य देश सुरक्षा मुद्दों को साझा दृष्टिकोण से देखते हैं और इन मुद्दों का समाधान ढूंढने के लिये मिलकर काम करते हैं। G7 विश्व सुरक्षा के मामले में   निम्नलिखित कार्य करते हैं-

1. आतंकवाद के खिलाफ : G7 देश आतंकवाद के खिलाफ साझा स्थिरता दिखाते हैं और विभिन्न सुरक्षा पहलुओं को समर्थन प्रदान करते हैं।

 2. संघर्षो के समाधान :- यदि विश्व में किसी संघर्ष की समस्या उत्पन्न होती है तो G7 देश समाधान की खोज करने में सदद करते हैं और समझौते की कोशिशें करते हैं। 


3. साझा रक्षा: इन देशों के बीच साझा रक्षा "सहयोग होता है। जिसमें विमान, नौकरी, और सैन्य तंतुस्तों के विकास और उपयोग के मामले शामिल होते हैं।


 G7 और साइबर सुरक्षा :


G 7 साइबर हमलों के प्रति सजगता :-G7 देश साइबर हमलों के प्रति सजग रहते हुये और अपनी सुरक्षा प्रणालियों को सुधारने का प्रयास करते रहते हैं ताकि साइबर हमलों के खतरों से बचा जा सके और डिजिटल संबन्धित सुरक्षा  को मजबूत किया जा सके। 



 1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया और जब 1998 में रूस अंतत: शामिल हुआ तो यह पूर्व और पश्चिम के बीच सहयोग का संकेत था। शिखर सम्मेलन के समाप्ति के बाद नेताओं के बयान कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है क्योंकि G7 देश एक अनौपचारिक समूह है जो कोई आधिकारिक निर्णय नहीं लेता है।




G7 और जलवायु प्रबन्धन मुद्दे : 


G7 समूह के सदस्य देश विश्व के जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को महत्त्वपूर्ण मानते है और इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं । यह विचारशीलता के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने और उनके खिलाफ कदम उठाने की कोशिश का हिस्सा है। 

1. ऊर्जा के स्वरूपों की परिवर्तन और नवाचार :→ G7 देश नई स्वच्छ  जलवायु पर्याप्त ऊर्जा स्त्रोतों के लिये नवाचारी संमाधनों की खोज करते है जो कार्बन निकासी को कम करने में मदद करते हैं ।


 2. पेरिस समझौता : G7 सदस्य देश पेरिस समझौता के प्रावधानों का पालन करने के लिये प्रतिबद्ध है जिसमें वे अपने कार्बन निकासी के लिये लक्ष्यों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।


 3. जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के साथ लड़ाई:→ G7 सदस्य देश समय-समय पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के साथ लड़ने के लिये अनुसंधान और जानकारी साझा करते हैं और सुरक्षा प्राथमिकताओं के रूप  में इसे देखते हैं। 


        G7. समूह जलवायु परिवर्तन के समाधान को ढूंढने में सहयोग करता है और सुरक्षा प्राथमिकताओं में इसे शामिल करता है ताकि विश्व को जलवायु संबन्धित खतरों से सुरक्षित रखा जा सके। वनस्पति, जैव विविधता और प्रदूषण से संबन्धित मुद्दों का समाधान किया जाये और प्राकृतिक संसाधनों का सहयोग किया जाये।


 व्यापार एवं वाणिज्य:→ G7 देशों द्वारा डिजिटल व्यापार सिद्धान्तों को अपनाया है।ये सिद्धान्त निम्नलिखित हैं।

 (i) समावेशी वैश्विक शासन 

(२) खुले डिजिटलू बाजार 

(3) सीमा पार डेटा प्रवाह, 

4 उपभोक्ताओं जैसे की स्टूडेन्ट, श्रामिक और उद्यमों के लिये सुरक्षा उपाया

 5 डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म 


 G7 समूह अपनी कई उपलब्धियों का दावा करता है जिसमें एड्स, टीवी और मलेरिया से लड़ने के लिये वैश्विक फंड की शुरुआत करना भी है। G7 का यह दावा है कि इसने साल 2002 के बाद से अब तक 2.7 करोड़ लोगों की जान बचायी है।


 G7 और सुरक्षा एवं रक्षा : वर्ष 2022 का G7 शिखर सम्मेलन जापान के हिरोशिमा में आयोजित किया गया। जिसमें चीन ,रूस और उत्तर कोरिया के परमाणु सशस्त्रीकरण तथा रूस द्वारा यूक्रेन पर युद्ध जैसे विषयों पर चर्चा की गयी। जिसमें रूस और यूक्रेन के युद्ध का दुनिया पर क्या प्रभाव पडेगा। इसमें चीन द्वारा ताइवान पर अतिक्रमण के मुद्दे को लेकर भी चर्चा की गयी।



G7 देशों में दुनिया की आबादी का 10% और दुनिया के नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद का 46% हिस्सा है, जो 1980 में क्रमश: 13% और 62% था। 

G7 का कोई औपचारिक चार्टर और  सचिवालय नहीं है।


G7 से रूस का निष्कासन :→ वर्ष 1998 में इसमें रुस को शामिल किया गया था लेकिन बाद में रूस को इस समूह से हटा दिया गया था दरअसल वर्ष 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर अतिक्रमण कर लिया था । रूस के इस कृत्य की कड़ी आलोचना हुई और G7 ने इसे अपने सिद्धान्तों के विरुद्ध माना था जिसके चलते इस समूह से रूस को बर्खास्त कर दिया गया और फिर से यह ग्रुप  G7 बन गया।


 G7 के शिखर सम्मेलन में के निमंत्रित देश : →

 1 आस्ट्रेलिया 

2 ब्राजील 

(3) कोमोरोस

 (4) क्रुक आइलैण्ड 

5) भारत 

6 इण्डोनेशिया 

7 दक्षिण कोरिया 

(८)वियतनाम 

G7 के शिखर सम्मेलन में निमंत्रित संगठन : → 

(१) संयुक्त राष्ट्र 

2 अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एंजेसी 

3 अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 

४.आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

 (5) विश्व बैंक 

6. विश्व स्वास्थ्य संगठन

 (७) विश्व व्यापार संगठन

 भारत को G7 से होने वाले फायदे : G7 ग्रुप में भारत इसका सदस्य नही है लेकिन इसके बावजूद भी लगातार चौथी  बार अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी है। वहीं चीन भी इस गुट का हिस्सा नहीं है, ऐसे में चीन की बढ़ती हुई विस्तारवादी नीति से निपटने के लिये यह समूह भारत के लिये एक सेतु के रूप में कार्य करेगा | G7 की बैठक में चीन को काबू करने के लिये भारत , अमेरिका और जापान के साथ मिलकर काम कर सकता है G7 के मौके पर क्वाड लीडर्स समिट का भी आयोजन किया गया। इसमें क्वाड समूह के राष्ट्राध्यक्षों की एक शिखर वार्ता का भी आयोजन किया गया था। 


क्वाड समूह में शामिल देश: 


1 भारत 

2.अमेरिका 

3.जापान 

4.आस्ट्रेलिया 


क्वाड समूह का उद्देश्य मुक्त स्पष्ट और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करना एवं उसका समर्थन करना है।


 चीन- G7 का सदस्य क्यों नहीं है ?


G7 विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। जो कि दुनिया के इकोनोमी का लगभग 16% तक इनकम जनरेट करते हैं। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था है फिर भी इसकी सबसे बड़ी आबादी के कारण प्रति व्यक्ति आय संपत्ति G7 समूह देशों के मुकाबले बहुत ही कम है। जिसके कारण G7 का हिस्सा नही है | G7 सम्पन्न देशों का एक ग्रुफ है जो कि अपनी आबादी के हिसाब से देश की अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ को मजबूत किये हुये है।


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