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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

वित्त विधेयक और धन विधेयक क्या है? What is money bill describe the procedure by which Parliament passes money bill how does it differ from ordinary bill?

वित्त विधेयकों  के बारे में विशेष उपबंध: - ( 1) अनुच्छेद 199 के खंड (1) के उपखंड (क) से उपखंड (च) मे  विनिर्दिष्ट किसी विषय के लिए उपबंध करने वाला विधेयक या  संशोधन राज्यपाल की सिफारिश से ही पुनः स्थापित या प्रस्तावित किया जाएगा अन्यथा नहीं और ऐसा उपबंध करने वाला विधेयक विधान परिषद में पुनः स्थापित नहीं किया जाएगा.               परंतु किसी कर के घटाने या उत्पादन के लिए उपबंध करने वाले किसी संशोधन के प्रस्ताव के लिए इस खंड के अधीन सिफारिश की अपेक्षा नहीं होगी.        (2) कोई विधेयक या संशोधन केवल इसलिए कि वह जुर्मानों या अन्य धन संबंधी शक्तियों के अधिरोपण  का अथवा अनुज्ञप्तियों के लिए फीसों की  या कि गयी सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या  उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इसीलिए कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण उत्सादन परिहार परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है उक्त विषयों में से किसी विषय के लिए उपबंध करने वाला नहीं समझा जाएगा.     ...

राज्य के विधान मंडल एवं उनके सदस्यों की शक्तियों तथा विशेषाधिकार का उल्लेख कीजिए? Describe the powers and privilege rights of state and their members?

राज्य के विधान मंडल एवं उनके सदस्यों की शक्तियों तथा विशेषाधिकार  विधायिका के सदस्यों का मुख्य कार्य राज्य की जनता की समस्याओं को सदन के समक्ष रखना उन पर चर्चाएं करना संबंधित मंत्रियों अधिकारियों से प्रश्न करना उनका समाधान करना एवं तत्संबंधी समुचित विधि का निर्माण करना है यह कार्य उतना आसान नहीं है जितना लगता है इसके लिए सदस्यों में निडरता और निर्भीकता एवं निष्पक्षता का होना आवश्यक है यही कारण है कि विधान मंडल के सदस्यों को विधान मंडल के सदनों की चारदीवारी में कतिपय विशेष अधिकार प्रदान किए गए हैं जो अधिकार उन्हें सदन की चारदीवारी में है वे उन्हें सदन के बाहर उपबंध नहीं है यही कारण है कि हम उन्हें अधिकार नहीं विशेषाधिकार कहते हैं।               अनुच्छेद 194 में इन्हीं विशेषाधिकारों  शक्तियों एवं उन्मुक्तयों का उल्लेख किया गया था - ( 1) वाक स्वतंत्रता: - इसे हम भाषण अथवा बोलने की स्वतंत्रता भी कह सकते हैं विधान मंडल के सदस्यों को अपने मन की बात सदन में रखने का पूर्ण अधिकार है वे जन समस्याओं को निर्भीकता से सदन में रख सकते हैं एवं संबंधित मंत्र...

Some important general knowledge question for competition exam

(1) नासा ने सौर मंडल में शनि ग्रह के छठे सबसे बड़े चंद्रमा एनसेलाडस पर जीवन होने की संभावना व्यक्त की है नासा के अनुसार एनसेलाडस की सतह के नीचे द्रव के रुप में पानी विधमान है जो वहां जीवन होने की प्रबल संभावना को व्यक्त करता है वैज्ञानिकों के अनुसार अंतरिक्ष यान के द्वारा शनि के इस चादं पर बर्फीले   ज्वालामुखी पर्वतों और उनकी वर्फ के अध्ययन में एनसेलाडस  की सतह के नीचे समुद्र की मौजूदगी के  संकेत मिले  हैं।पृथ्वी की सतह पर इस तरह आयन झारनों और समुद्र की लहरों  जैसे गतिमान जल मंच पर पैदा होते हैं बिटीश अखबार द डेली टेलीग्राफ   की रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों का मानना है कि एनसेलाडस पर द्रव  रुपी जल मौजूद है तो उस पर जीवन के लिए जरूरी स्थितियां भी  मौजूद हो सकती हैं अंतरिक्ष यान द्वारा निकाली गई इस तस्वीर में दिखाया गया है कि उनसे एनसेलाडस  की बर्फीली सतह पर पृथ्वी के  समान पपड़ी फैली है जिसने समय के साथ बदलाव हुआ है.             नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एनसेलाडस   के दक्षिणी धुव्र ...

Bhartiya share Bajar Mein blank check companiyon ka future kya yah fayde Ka Sauda hoga

ब्लैंक चेक कंपनियों के कंपनियां हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर किसी प्रकार का वाणिज्यिक परिचालन नहीं करती लेकिन जिनके शेयरों का क्रय विक्रय शेयर बाजार में होता है सामान्य तौर पर यह एक स्टार्टअप के रूप में पूंजी बाजार से निधियां जुटाती है और उसका उपयोग पहले से संचालित किसी कंपनी के अधिग्रहण हेतु किया जाता है आमतौर पर ब्लैंक चेक कंपनियों का गठन विशेष उद्देश्य अधिग्रहण कंपनियों ( special purpose Acquisition  companies) के रूप में लक्षित कंपनी के अधिग्रहण हेतु आईपीओ (initial public offer) के माध्यम से पूंजी जुटाने के वास्ते किया जाता है पारंपरिक आईपीओ के बजाय कई भारतीय तकनीकी और नई पीढ़ी की स्टार्टअप कंपनियां जो अभी लाभ कमाने की स्थिति में भी नहीं है वह इसके माध्यम से आसानी और तेजी से शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराने की संभावना तलाशती हैं।                    ब्लैंक चेक कंपनियों का चलन वस्तुतः संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के विकसित देशों में अधिक है संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिभूतियां विनिमय आयोग ने इन कंपनियों की गतिविधियों को ...

एक सिविल कर्मचारी को कौन-कौन से संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है कि क्या वे संरक्षण सार्वजनिक निगम के कर्मचारियों को भी प्राप्त है. What are the constitutional safeguards available to Civil Servant? are there available to an employees of public corporation

राज्य के कार्यकलापों से संबंधित लोक सेवकों के पदों की भर्ती और उनकी सेवा शर्तों के विनियमन के लिए विधि बनाने की शक्ति समुचित विधान मंडलों को प्रदत्त की गई है.              जब एक विधान मंडलों द्वारा ऐसी कोई विधि नहीं बनाई जाती है थोड़ा ऐसी विधि का अभाव होता है तब राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल अथवा उनके द्वारा नियुक्त व्यक्ति द्वारा  संबंधित सेवाओं के विनियमन के लिए नियम बनाए जा सकते हैं.               (अनुच्छेद 309) लेकिन यहां एक बात उल्लेखनीय है कि लोक सेवकों के संबंध में निर्मित विधि अथवा नियमों का संविधान के उपबंधों के अनुकूल होना आवश्यक है यदि ऐसी कोई विधि अथवा नियम संविधान के बंधुओं के प्रतिकूल है जैसे मूल अधिकारों को अतिक्रमण करने वाला अथवा अनुच्छेद 311 अथवा 320 के उपबंधों  का  उल्लंघन करने वाला तो वह असंवैधानिक माना जाएगा. डा नयना डी पवार  बनाम डाक्टर विमल नन्दकिशोर के मामलों में मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा यह भी निश्चित किया गया कि जहां नियमों में किसी सेवा के संबंध में विनिर्दिष्ट शर्तों का प्र...

अपने कर्मचारियों द्वारा किए गए अप कृतियों के लिए राज्य के दायित्व की विवेचना: Discuss the liability of state for the torts committed by its servant

विधि के शासन में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रवर्तन के लिए वाद लाने का अधिकार होता है वह किसी भी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध जो अधिकारों के अति लंघन का दोषी है वाद ला सकता है चाहे वह राज्य अथवा सरकार ही क्यों ना हो आपके मन में यहां यह विचार आ सकता है कि आप का यह विचार सही है कि राज्य और सरकार जीवित व्यक्ति नहीं है उन्हें व्यक्तिशः न्यायालयों में लाकर खड़ा नहीं किया जा सकता लेकिन इसका भी उपाय किया गया है राज्य को इस प्रयोजनार्थ  विधिक अथवा न्यायिक व्यक्ति माना गया है विधिक अथवा न्यायिक  व्यक्ति के रूप में उसके नाम पर वाद लाया जा सकता है और जब उसके विरुद्ध वाद लाया जा सकता है तो वह स्वयं भी अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध वाद ला सकता है इस प्रकार यदि केंद्रीय सरकार की ओर से अथवा उसके विरुद्ध वाद लाया जाना है तो पक्षकार यूनियन आफ इंडिया अर्थात भारत संघ होगा और यदि किसी राज्य सरकार की ओर से अथवा उसके विरुद्ध वाद लाया जाना है तो पक्षकार वह  राज्य  होगा जैसे राजस्थान राज्य पंजाब राज्य आदि.                   (अनुच्छेद 300) ...

भारत का भूगोल महत्वपूर्ण टॉपिक भाग - 2 Indian geography important topics for one day exam and civil services exams part 2

हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण नदियों के आधार पर हुआ प्रादेशिक वर्गीकरण को  ही हिमालय का क्षैतिज वर्गीकरण कहते हैं. सिंधु: - पंजाब या कश्मीर हिमालय ( चौड़ाई सर्वाधिक अधिक) सतलज: - कुमायूं हिमालय( हिम नदियां( glacier)) काली: - नेपाल हिमालय (ऊंचाई सर्वाधिक) तीस्ता: - असम हिमालय ( विविधता सर्वाधिक) उत्तरी मैदान: - उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों सिंधु गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों से निर्मित है यह मैदान जलोढ़ मृदा से निर्मित है. यह मैदान लगभग 3200 किलोमीटर लंबा एवं डेढ़ सौ से 300 किलोमीटर चौड़ा है. यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है जो समृद्ध मृदा आवरण पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है सिंधु तथा सहायक नदियों द्वारा निर्मित इस मैदान का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान में है मैदान के इस भाग में तो दोआबो की संख्या अधिक है दोआब का सामान्य अर्थ दो नदियों के मध्य के भाग से है। दोआब भ...