सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
(1) . बंगाल विभाजन की प्रतिक्रिया स्वरूप आरंभ हुए स्वदेशी आंदोलन में विदेशी वस्तुओं व वस्त्रो का बहिष्कार करने के साथ-साथ विदेशी स्कूलों अदालतों उपाधियों व सरकारी नौकरियों का भी बहिष्कार किया गया इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत एक अवयव के रूप में वर्ष 1906 में राष्ट्रीय शिक्षा परिषद की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य साहित्यिक साइंटिफिक व टेक्नोलॉजी क्षेत्र में स्वदेशी नियंत्रण के तहत राष्ट्रीय शिक्षा को बल प्रदान करना था साथ ही इसके द्वारा देशी शिल्पकारों कौशल तथा उद्योगों हथकरघा रेशम वस्त्र लौह इस्पात चमड़ा उद्योग को भी पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया। (2) सन 1905 में बंगाल विभाजन की घोषणा की गई उस समय भारत का गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन था विभाजन का तर्क था कि तत्कालीन बंगाल जिसमें बिहार और उड़ीसा भी शामिल थे काफी विस्तृत है अतः इसका प्रशासन एक लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा बेहतर तरीके से नहीं चलाया जा सकता किंतु वास्तविक कारण प्रशासनिक नहीं अपितु राजनीतिक था अतः कर्जन के बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का सूत्रपात हुआ. ...