पठार को 'खनिजों का खज़ाना क्यों कहा जाता है ? एक जानकारी के माध्यम से बताओ तथा पठार से सम्बन्धित UPSC exam में पूछे गये प्रश्नोत्तरों को भी विस्तार से बताओ।
ब्लॉग टॉपिक: पठार - खनिजों का खज़ाना और आर्थिक विकास की रीढ़
पठार पृथ्वी की भू-आकृतियों में एक अद्भुत संरचना है, जिसे "खनिजों का खज़ाना" कहा जाता है। विश्व के विभिन्न पठार न केवल खनिज संपदा से भरपूर हैं, बल्कि वे वैश्विक आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस ब्लॉग में हम विश्व के प्रमुख पठारों, उनकी खनिज संपदा और उनके आधार पर होने वाली आर्थिक गतिविधियों पर चर्चा करेंगे।
ब्लॉग की ड्राफ्टिंग
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परिचय
- पठार क्या हैं और इन्हें "खनिजों का खज़ाना" क्यों कहा जाता है।
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विश्व के प्रमुख पठार और उनकी खनिज संपदा
- छोटा नागपुर पठार (भारत)
- अफ्रीकी पठार
- ब्राज़ील का पठार
- तिब्बती पठार
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खनिज आधारित आर्थिक गतिविधियों में पठारों की भूमिका
- औद्योगिक विकास
- निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन
- स्वच्छ ऊर्जा में योगदान
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प्राकृतिक संसाधनों का संधारणीय उपयोग
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ और समाधान।
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निष्कर्ष
- पठारों की महत्ता और इनके सही उपयोग की आवश्यकता।
ब्लॉग का मुख्य भाग
परिचय: पठार - खनिजों का खज़ाना
पठार वे भू-आकृतियाँ हैं, जो अपनी समतल और ऊँचाई वाली सतह के लिए जानी जाती हैं। ये क्षेत्र खनिज संपदा के लिए अत्यधिक समृद्ध होते हैं। कोयला, लौह अयस्क, ताँबा, और सोना जैसे खनिज पठारों की सतह और गहराई में पाए जाते हैं। ये खनिज उद्योग, ऊर्जा उत्पादन, और वैश्विक व्यापार के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
विश्व के प्रमुख पठार और उनकी खनिज संपदा
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छोटा नागपुर पठार (भारत)
इसे "भारत का खनिज हृदय" कहा जाता है।- खनिज: कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक।
- उदाहरण:
- धनबाद का झरिया कोयला क्षेत्र भारत के ऊर्जा उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है।
- नोवामुंडी क्षेत्र लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है।
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अफ्रीकी पठार
अफ्रीका का यह पठार सोना, ताँबा, और कोबाल्ट जैसे खनिजों का भंडार है।- खनिज: सोना (विटवाटरसैंड बेसिन), ताँबा (कटंगा पठार)।
- उदाहरण:
- कांगो का तांबा वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को समर्थन देता है।
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ब्राज़ील का पठार
यह पठार लौह अयस्क और सोने के भंडार के लिए जाना जाता है।- खनिज: लौह अयस्क, मैंगनीज, सोना।
- उदाहरण: ब्राज़ील का लौह अयस्क निर्यात इसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है।
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तिब्बती पठार (चीन)
इसे "एशिया का वाटर टॉवर" भी कहा जाता है।- खनिज: लिथियम, क्रोमाइट।
- उदाहरण:
- लिथियम बैटरी प्रौद्योगिकी में उपयोगी है और स्वच्छ ऊर्जा के लिए महत्त्वपूर्ण है।
खनिज आधारित आर्थिक गतिविधियों में पठारों की भूमिका
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औद्योगिक विकास:
पठारों से प्राप्त खनिज उद्योगों की रीढ़ हैं।- उदाहरण: भारत में टाटा स्टील और BALCO जैसे उद्योग।
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निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्थाएँ:
खनिज निर्यात कई देशों की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा है।- उदाहरण: ब्राज़ील और कांगो के खनिज निर्यात।
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स्वच्छ ऊर्जा में योगदान:
तिब्बती पठार का लिथियम और कोलोराडो पठार का यूरेनियम स्वच्छ ऊर्जा के विकास में मददगार हैं।- उदाहरण: लिथियम-आधारित बैटरियों से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा।
प्राकृतिक संसाधनों का संधारणीय उपयोग
खनिज दोहन के साथ पर्यावरणीय चुनौतियाँ जुड़ी होती हैं।
- चुनौतियाँ:
- वनों की कटाई।
- जल और वायु प्रदूषण।
- समाधान:
- पुनः वनीकरण।
- खनन के लिए पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग।
- खनिज राजस्व को सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में निवेश।
निष्कर्ष
पठार न केवल खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि ये वैश्विक आर्थिक विकास की रीढ़ भी हैं। भारत के छोटा नागपुर और दक्कन पठार से लेकर अफ्रीका और ब्राज़ील के पठार तक, ये क्षेत्र दुनिया को ऊर्जा, उद्योग और समृद्धि प्रदान करते हैं। हालाँकि, इन खनिजों का उचित और संधारणीय उपयोग पर्यावरण संरक्षण और भावी पीढ़ियों के लिए जरूरी है।
ब्लॉग क्यों खास है?
- सरल भाषा।
- आम उदाहरणों का उपयोग।
- पठारों की महत्ता और उनके सही उपयोग पर संतुलित दृष्टिकोण।
- UPSC, SSC और अन्य परीक्षाओं के लिए उपयोगी।
छोटा नागपुर पठार और खनिज संपदा से संबंधित UPSC में आए या संभावित प्रश्नों का विस्तृत विश्लेषण:
प्रश्न 1: छोटा नागपुर पठार को 'भारत का खनिज हृदय स्थल' क्यों कहा जाता है? (UPSC MAINS - GS Paper 1, 2017)
उत्तर:
छोटा नागपुर पठार भारत का खनिज भंडार है। यहाँ प्रमुख खनिज संसाधन पाए जाते हैं, जो देश के औद्योगिक विकास में सहायक हैं।
- प्रमुख खनिज संसाधन:
- कोयला: झरिया और बोकारो क्षेत्र भारत के ऊर्जा उत्पादन में योगदान देते हैं।
- लौह अयस्क: नोवामुंडी खदानें इस्पात उद्योग का आधार हैं।
- मैंगनीज और अभ्रक: इलेक्ट्रॉनिक्स और निर्माण उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण।
- उद्योगों के लिए महत्त्व:
- जमशेदपुर में टाटा स्टील और बोकारो स्टील प्लांट।
- कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट।
मुख्य बिंदु:
खनिज भंडार, उद्योगों का विकास, और आर्थिक योगदान इसे 'भारत का खनिज हृदय स्थल' बनाते हैं।
प्रश्न 2: छोटा नागपुर पठार में खनिज आधारित उद्योगों का विकास कैसे हुआ? (UPSC MAINS - GS Paper 3, 2020)
उत्तर:
- औद्योगिक आधार:
- ब्रिटिश काल में खनिजों का दोहन शुरू हुआ।
- 20वीं सदी में टाटा स्टील जैसे उद्योगों की स्थापना हुई।
- भौगोलिक कारक:
- पठार का कठोर धरातल खनन कार्य के लिए उपयुक्त है।
- दामोदर और सुवर्णरेखा नदियाँ जल आपूर्ति में सहायक हैं।
- आधुनिकीकरण:
- रेलवे नेटवर्क ने खनिज परिवहन को सुगम बनाया।
- पंचवर्षीय योजनाओं में भारी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
मुख्य बिंदु:
खनिज संसाधन, भौगोलिक लाभ, और योजनाबद्ध औद्योगिकीकरण ने क्षेत्र के विकास को गति दी।
प्रश्न 3: खनिज संपदा के दोहन के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय चुनौतियों पर चर्चा करें। (UPSC MAINS - GS Paper 3, 2018)
उत्तर:
खनिज दोहन से निम्नलिखित पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं:
- वनों की कटाई:
- खनन के लिए बड़े पैमाने पर वनों को नष्ट किया गया।
- उदाहरण: झरिया और बोकारो खनन क्षेत्र।
- जल और वायु प्रदूषण:
- खनन अपशिष्ट नदियों में बहता है।
- कोयला खनन से उत्सर्जन।
- जैव विविधता पर प्रभाव:
- वन्यजीवों के आवास नष्ट हो जाते हैं।
- मृदा अपरदन।
समाधान:
- खनिज दोहन के बाद पुनः वनीकरण।
- पर्यावरण-अनुकूल खनन तकनीकों का उपयोग।
प्रश्न 4: विश्व के प्रमुख पठारों और उनकी खनिज संपदा का विश्लेषण करें। (UPSC MAINS - GS Paper 1, 2015)
उत्तर:
- छोटा नागपुर पठार (भारत):
- कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज।
- जमशेदपुर और बोकारो जैसे औद्योगिक केंद्र।
- अफ्रीकी पठार:
- सोना (दक्षिण अफ्रीका), तांबा (कांगो)।
- वैश्विक खनिज निर्यात का प्रमुख केंद्र।
- ब्राज़ील का पठार:
- लौह अयस्क और मैंगनीज।
- ब्राज़ील की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा।
- तिब्बती पठार (चीन):
- लिथियम और क्रोमाइट।
- स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में योगदान।
प्रश्न 5: छोटा नागपुर पठार में जनजातीय समाज पर खनन और औद्योगिकीकरण का प्रभाव। (UPSC MAINS - GS Paper 1, 2019)
उत्तर:
- सकारात्मक प्रभाव:
- रोजगार के अवसर।
- बुनियादी सुविधाओं का विकास।
- नकारात्मक प्रभाव:
- विस्थापन और भूमि का नुकसान।
- सांस्कृतिक विरासत का ह्रास।
- प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएँ।
- उदाहरण:
- कोयला खनन क्षेत्रों में संथाल और मुंडा जनजातियों का विस्थापन।
- समाधान:
- स्थानीय समुदायों के लिए पुनर्वास।
- लाभांश में स्थानीय भागीदारी।
प्रश्न 6: खनिज संपदा के सतत विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम। (UPSC MAINS - GS Paper 3, 2021)
उत्तर:
- खनिज नीति:
- राष्ट्रीय खनिज नीति 2019: पर्यावरणीय स्थिरता और खनिज विकास में संतुलन।
- पर्यावरण संरक्षण:
- खनिज क्षेत्र में पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग।
- स्थानीय समुदायों की भागीदारी:
- CSR (Corporate Social Responsibility) के तहत जनजातीय विकास।
- प्राकृतिक संसाधन निधि:
- खनिज राजस्व का विकास परियोजनाओं में उपयोग।
संभावित प्रश्न
- "भारत के खनिज-आधारित औद्योगिक विकास में छोटा नागपुर पठार का योगदान पर चर्चा करें।"
- "खनिज दोहन के दीर्घकालिक प्रभावों का पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करें।"
- "दुनिया के प्रमुख पठारों और उनकी खनिज संपदा की तुलना करें।"
- "खनिज आधारित औद्योगिक विकास और क्षेत्रीय विषमताएँ।"
उत्तर लेखन के सुझाव:
- उत्तर संरचित और बिंदुवार लिखें।
- मानचित्र और डेटा का उपयोग करें।
- सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण का संतुलित विश्लेषण करें।
- संबंधित योजनाओं और नीतियों का उल्लेख करें।
यह दृष्टिकोण UPSC में प्रभावी और सटीक उत्तर प्रस्तुत करने में सहायक होगा।
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