इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
ब्लू इकोनॉमी एक परिचय →
"ब्लू इकोनॉमी" का अर्थ है समुद्री और जल संसाधनों का सतत् और जिम्मेदार तरीके से उपयोग करना। इसका उद्देश्य आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना है। "ब्लू इकोनॉमी" का मुख्य केंद्र समुद्र, महासागर, तटीय क्षेत्रों और उनकी जैव-विविधता है। यह अवधारणा पहली बार संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक द्वारा सामने आई थी और इसका उद्देश्य उन देशों के विकास में सहायक बनाना है, जिनकी अर्थव्यवस्था समुद्री संसाधनों पर निर्भर है।
ब्लू इकोनॉमी के मुख्य घटक →
1. मत्स्य पालन और जलीय कृषि →: मछली और अन्य जलीय जीवों की खेती से रोजगार सृजन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
2. सागरीय पर्यटन→: पर्यटन उद्योग के लिए समुद्र और तटीय क्षेत्रों का उपयोग होता है, जो देशों को राजस्व देने के साथ-साथ रोजगार भी उत्पन्न करता है।
3. तेल और गैस→: समुद्री क्षेत्र से तेल और गैस का निष्कर्षण ऊर्जा उत्पादन में सहायक होता है।
4. नौवहन और बंदरगाह→: वैश्विक व्यापार में नौवहन और बंदरगाहों का प्रमुख योगदान होता है।
5. समुद्री ऊर्जा→: समुद्र से नवीकरणीय ऊर्जा जैसे ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और सौर ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
6. जैव-प्रौद्योगिकी और औषधि→: समुद्री पौधों और जीवों से दवाइयों और अन्य जैविक उत्पादों का विकास किया जाता है।
भारत में ब्लू इकोनॉमी की स्थिति →
भारत के पास लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा है, जो इसे ब्लू इकोनॉमी के लिए एक महत्वपूर्ण स्थिति प्रदान करती है। भारत की ब्लू इकोनॉमी नीति का उद्देश्य महासागर के संसाधनों का उपयोग करके सतत् विकास प्राप्त करना है। सरकार ने "सागरमाला परियोजना" जैसे पहल के माध्यम से बंदरगाहों का विकास, तटीय क्षेत्रों में रोजगार सृजन, और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
ब्लू इकोनॉमी के लाभ →
1. आर्थिक विकास→: समुद्री संसाधनों के उपयोग से भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ता है।
2. रोजगार सृजन→: मत्स्य पालन, पर्यटन, बंदरगाह विकास, और शिपिंग जैसे उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
3. पर्यावरण संरक्षण→: ब्लू इकोनॉमी का एक महत्वपूर्ण पहलू समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण है, जिससे जैव-विविधता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके।
4. राष्ट्रीय सुरक्षा→: समुद्री सुरक्षा पर ध्यान देकर, देश के तटीय क्षेत्रों और समुद्री संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
UPSC परीक्षा में ब्लू इकोनॉमी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर
UPSC परीक्षा में ब्लू इकोनॉमी से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं, विशेषकर भूगोल, पर्यावरण, और भारतीय अर्थव्यवस्था के हिस्सों में। यहाँ UPSC के पिछले वर्षों में ब्लू इकोनॉमी से संबंधित पूछे गए कुछ प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं: →
प्रश्न 1: ब्लू इकोनॉमी क्या है और यह भारत के विकास में कैसे सहायक हो सकती है?
उत्तर→:
ब्लू इकोनॉमी का उद्देश्य समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग करते हुए आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना है। भारत के लिए, ब्लू इकोनॉमी विकास के विभिन्न पहलुओं में सहायक हो सकती है: →
•आर्थिक वृद्धि→: मछली पकड़ने, शिपिंग, और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में विकास से अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है।
•रोजगार के अवसर →: समुद्री उद्योगों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जो स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में सुधार लाते हैं।
•पर्यावरण संरक्षण→: समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण जैव-विविधता को बनाए रखने में सहायक होता है।
•ऊर्जा सुरक्षा →: समुद्री ऊर्जा संसाधनों से देश को ऊर्जा की आपूर्ति प्राप्त हो सकती है, जिससे गैर-परंपरागत ऊर्जा का विकास होता है।
प्रश्न 2: ब्लू इकोनॉमी का भारत के ‘सागरमाला परियोजना’ से क्या संबंध है?
उत्तर: →
‘सागरमाला परियोजना’ का उद्देश्य भारत के बंदरगाहों और तटीय बुनियादी ढांचे का विकास करना है। यह परियोजना ब्लू इकोनॉमी की अवधारणा के अनुरूप है, जो कि समुद्री संसाधनों और तटीय क्षेत्रों के सतत् उपयोग पर जोर देती है। इस परियोजना के तहत बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, शिपिंग का विकास, और तटीय क्षेत्रों में औद्योगिक विकास शामिल हैं। इससे भारत के निर्यात में वृद्धि और तटीय राज्यों में रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 3: भारत की ब्लू इकोनॉमी नीति के मुख्य घटक क्या हैं और ये कैसे सतत् विकास में सहायक हैं?
उत्तर: →
भारत की ब्लू इकोनॉमी नीति के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं: →
•मत्स्य पालन और जलीय कृषि→: खाद्य सुरक्षा और रोजगार सृजन के लिए।
•नौवहन और बंदरगाह विकास→: वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए।
•समुद्री ऊर्जा→: अक्षय ऊर्जा संसाधनों का उपयोग, जैसे कि ज्वारीय ऊर्जा और पवन ऊर्जा।
•सागरमाला परियोजना →: तटीय क्षेत्रों का आर्थिक विकास, जिससे सतत् आर्थिक विकास होता है।
ये घटक सतत् विकास को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि ये पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाए बिना आर्थिक विकास की संभावनाओं को बढ़ावा देते हैं।
प्रश्न 4: "नीली अर्थव्यवस्था" और "हरी अर्थव्यवस्था" के बीच अंतर को स्पष्ट करें।
उत्तर: →
नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) और हरी अर्थव्यवस्था (Green Economy) दोनों का उद्देश्य सतत् विकास है, लेकिन इनका क्षेत्र और कार्यक्षेत्र अलग हैं: →
•नीली अर्थव्यवस्था→: यह समुद्र, महासागरों और तटीय संसाधनों के सतत् उपयोग से संबंधित है। इसका उद्देश्य समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और समुद्री संसाधनों का उचित उपयोग करना है।
•हरी अर्थव्यवस्था →: यह भूमि आधारित संसाधनों और पारिस्थितिकी तंत्र पर आधारित है, जो पर्यावरण अनुकूल विकास और प्रदूषण नियंत्रण पर जोर देती है।
इन दोनों का लक्ष्य आर्थिक विकास है लेकिन नीली अर्थव्यवस्था समुद्री संसाधनों पर निर्भर है जबकि हरी अर्थव्यवस्था भूमि संसाधनों पर।
पश्न 5: भारत में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर→:
भारत में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने में निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं: →
•समुद्री प्रदूषण→: औद्योगिक और शहरी कचरे के कारण समुद्री प्रदूषण बढ़ रहा है।
•जलवायु परिवर्तन→: समुद्री जलस्तर में वृद्धि और तटीय क्षरण ब्लू इकोनॉमी को प्रभावित करते हैं।
•अवैध मछली पकड़ना →: मत्स्य पालन में अवैध और अनियंत्रित गतिविधियाँ समुद्री संसाधनों को नुकसान पहुंचाती हैं।
•संरचनागत कमी→: बंदरगाहों और तटीय बुनियादी ढांचे का अभाव भी एक बड़ी समस्या है।
•अपर्याप्त अनुसंधान एवं विकास →: समुद्री जैव-विविधता और संसाधनों पर अनुसंधान की कमी भी एक बड़ी चुनौती है।
निष्कर्ष: →
ब्लू इकोनॉमी भारत के आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामुदायिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल समुद्री संसाधनों का उपयोग करके आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देती है, बल्कि इससे पर्यावरण संतुलन और जैव विविधता का संरक्षण भी होता है। भारत सरकार के "सागरमाला परियोजना" और अन्य नीतियाँ ब्लू इकोनॉमी के विकास की दिशा में सकारात्मक प्रयास हैं।
ब्लू इकोनॉमी से संबंधित प्रश्न UPSC में अक्सर पूछे जाते हैं, खासकर पर्यावरण, भारतीय अर्थव्यवस्था, और भूगोल के विषयों में। इन प्रश्नों के अध्ययन से न केवल परीक्षार्थियों की अवधारणाएँ मजबूत होती हैं बल्कि वे सतत् विकास और राष्ट्रीय नीतियों के महत्व को भी समझते हैं।
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