Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
चट्टानें पृथ्वी के भौतिक निर्माण का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जो कई भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण विभिन्न प्रकारों में पाई जाती हैं। ये हमारी पृथ्वी की सतह को बनाती हैं और भूगर्भीय परिवर्तनों का प्रमाण हैं। चट्टानों का अध्ययन भूविज्ञान का एक मुख्य अंग है और यह UPSC जैसी परीक्षाओं में भी महत्त्वपूर्ण है।
चट्टानें क्या हैं?
चट्टानें एक या एक से अधिक खनिजों का मिश्रण होती हैं जो प्राकृतिक रूप से कठोर हो जाती हैं। भूवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, चट्टानें धरती की सतह पर स्थित बाहरी परतों से लेकर आंतरिक परतों तक पाई जाती हैं। चट्टानों का निर्माण विभिन्न तापमान, दबाव, और भौतिक-रासायनिक प्रक्रियाओं के प्रभाव से होता है।
चट्टानों के प्रकार:→
चट्टानों को उनके निर्माण प्रक्रिया और खनिजों की प्रकृति के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:→
1. आग्नेय चट्टानें (Igneous Rocks):→
आग्नेय चट्टानें, जिन्हें 'प्रथम' चट्टानें भी कहा जाता है, पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद मैग्मा के ठंडा और कठोर होने से बनती हैं। ये चट्टानें किसी भी अन्य चट्टान का आधार होती हैं और ये विभिन्न प्रकार की भौतिक प्रक्रियाओं का संकेत देती हैं।
उदाहरण:→ ग्रेनाइट, बेसाल्ट, ओब्सीडियन, पेरिडोटाइट
प्रकार:→
•अभ्यंतरिक आग्नेय चट्टानें (Intrusive Igneous Rocks):→ ये चट्टानें तब बनती हैं जब मैग्मा धरती के अंदर ही ठंडा हो जाता है। इनकी बनावट मोटे दाने वाली होती है, जैसे ग्रेनाइट।
•बहिर्भूत आग्नेय चट्टानें (Extrusive Igneous Rocks):→ ये तब बनती हैं जब मैग्मा धरती की सतह पर लावा के रूप में निकलता है और ठंडा हो जाता है। इनकी बनावट महीन दाने वाली होती है, जैसे बेसाल्ट।
2. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)→
अवसादी चट्टानें, मिट्टी, रेत, जैविक अवशेषों, और अन्य कणों के आपस में जमने और कठोर होने से बनती हैं। इनका निर्माण जल, हवा, या बर्फ द्वारा लाए गए अवसादों के जमने से होता है।
उदाहरण:→बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, शैल, कोयला
प्रकार:→
•यांत्रिक अवसादी चट्टानें (Clastic Sedimentary Rocks):→ ये छोटे-छोटे खनिज और चट्टान के कणों के संधार के कारण बनती हैं, जैसे बलुआ पत्थर।
•रासायनिक अवसादी चट्टानें (Chemical Sedimentary Rocks):→ ये खनिजों के जल में घुलने और जमने से बनती हैं, जैसे चूना पत्थर।
•जैविक अवसादी चट्टानें (Organic Sedimentary Rocks):→ये जैविक अवशेषों के जमने से बनती हैं, जैसे कोयला।
3. रूपांतरित चट्टानें (Metamorphic Rocks):→
रूपांतरित चट्टानें मूल चट्टानों के तापमान, दबाव, और रासायनिक क्रियाओं के प्रभाव से बदलने पर बनती हैं। इनके गठन में आम तौर पर आग्नेय या अवसादी चट्टानों का रूपांतरण शामिल होता है।
उदाहरण:→ संगमरमर, गनीस, क्वार्ट्जाइट, शिस्ट
प्रकार:→
•पर्णीय रूपांतरित चट्टानें (Foliated Metamorphic Rocks):→ये चट्टानें परतदार बनावट वाली होती हैं, जैसे गनीस और शिस्ट।
•अपर्णीय रूपांतरित चट्टानें (Non-Foliated Metamorphic Rocks):→इन चट्टानों में परतें नहीं होतीं, जैसे संगमरमर और क्वार्ट्जाइट।
UPSC परीक्षाओं में चट्टानों से संबंधित पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण→:
चट्टानों से संबंधित प्रश्न UPSC की परीक्षाओं, विशेषकर सिविल सेवा मुख्य परीक्षा (General Studies)और साक्षात्कार में अक्सर पूछे जाते हैं। यहाँ पिछले कुछ वर्षों में पूछे गए प्रमुख प्रश्नों का विश्लेषण दिया गया है:→
1. चट्टानों के प्रकार और विशेषताएँ→: UPSC में अकसर प्रश्नों में चट्टानों के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या और उनके निर्माण के बारे में पूछा गया है, जैसे: "अवसादी चट्टानें कैसे बनती हैं? इनके प्रकार और उदाहरण दें।" इस प्रकार के प्रश्नों में अवधारणाओं की गहरी समझ की आवश्यकता होती है।
2. चट्टानों का आर्थिक और पर्यावरणीय महत्त्व:→ UPSC में यह पूछा गया है कि विभिन्न चट्टानों का आर्थिक दृष्टिकोण से क्या महत्त्व है, जैसे कि "भारत में कोयला और चूना पत्थर की उपलब्धता का महत्त्व समझाएँ।"
3. भू-आकृतिक प्रक्रियाएँ और चट्टानों का रूपांतरण:→ यह UPSC की एक पसंदीदा श्रेणी है, जहाँ भौगोलिक और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे प्लेट विवर्तनिकी और ज्वालामुखी से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे "रूपांतरित चट्टानों के निर्माण में तापमान और दबाव का क्या योगदान है?"
4. भारत में विभिन्न प्रकार की चट्टानों की उपलब्धता:→UPSC में प्रश्नों में भारत के विभिन्न राज्यों में पाए जाने वाले चट्टानों का वितरण और उनका उपयोग पूछा गया है। उदाहरण: "भारत में संगमरमर और ग्रेनाइट के प्रमुख भंडार कहाँ पाए जाते हैं?"
5. प्राकृतिक संसाधनों के रूप में चट्टानों का योगदान→ : चट्टानों से प्राप्त खनिज और धातुओं का आर्थिक और औद्योगिक महत्त्व से जुड़े प्रश्न, जैसे "भारत में लौह अयस्क और बॉक्साइट के स्रोतों का भूगोल और उनके आर्थिक महत्त्व को समझाएँ।"
तैयारी के सुझाव:→
1. भूगोल और भूविज्ञान की आधारभूत समझ→: आग्नेय, अवसादी और रूपांतरित चट्टानों के निर्माण और उनकी विशेषताओं को समझें।
2. भारत के भौगोलिक क्षेत्र और चट्टानों का अध्ययन→: भारत के विभिन्न राज्यों में चट्टानों के वितरण और उनके खनिज संसाधनों पर ध्यान दें।
3. पूर्व प्रश्नपत्रों का अध्ययन→: UPSC के पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल करें, ताकि आप चट्टानों से संबंधित प्रश्नों के पैटर्न को समझ सकें।
4. नियमित रिवीजन और मानचित्र अध्ययन:→भूगोल में चट्टानों का वितरण और उनकी खनिज सम्पदा को मानचित्र पर अध्ययन करें।
निष्कर्ष:→
चट्टानें न केवल भौगोलिक अध्ययन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं बल्कि वे हमारे आर्थिक और पर्यावरणीय ढाँचे में भी प्रमुख भूमिका निभाती हैं। आग्नेय, अवसादी और रूपांतरित चट्टानों के अध्ययन से न केवल पृथ्वी की संरचना और निर्माण प्रक्रिया को समझने में सहायता मिलती है, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि विभिन्न प्रकार की चट्टानों का हमारे दैनिक जीवन में कितना महत्त्व है। UPSC जैसी परीक्षाओं में चट्टानों से संबंधित प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं, इसलिए इनके प्रकार, गुणधर्म और आर्थिक महत्त्व को अच्छी तरह से समझना आवश्यक है।
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