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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

भूकंपीय तरंगों से जानें पृथ्वी की आंतरिक संरचना का विस्तार और परतों का विश्लेषण

भूकंपीय तरंगों का अध्ययन करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जाती है। भूकंप के दौरान उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगें पृथ्वी के अंदर से गुजरती हैं, जिससे वैज्ञानिकों को पता चलता है कि पृथ्वी की संरचना किन-किन परतों में विभाजित है, और उनमें क्या-क्या तत्व और विशेषताएँ पाई जाती हैं। इन तरंगों की गति, दिशा और मार्ग में आने वाले परिवर्तनों से पृथ्वी की आंतरिक संरचना का सटीक अध्ययन किया गया है। 

 पृथ्वी की संरचना के प्रमुख परतें→

पृथ्वी की आंतरिक संरचना को चार मुख्य परतों में बाँटा गया है:→
1. भूपर्पटी (Crust)
2. मेंटल (Mantle)
3. बाहरी कोर (Outer Core)
4. भीतरी कोर (Inner Core)

इन परतों के अलावा, भूकंपीय तरंगों की विशेषताएँ और उनका मार्ग इन परतों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में सहायक हैं।


1. भूपर्पटी (Crust)→

•विवरण→: यह पृथ्वी की सबसे बाहरी और ठोस परत है, जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। भूपर्पटी की मोटाई स्थलीय (महाद्वीपीय) भाग में और महासागरीय भाग में अलग-अलग होती है। भूमि के नीचे इसकी मोटाई लगभग 30-50 किमी और महासागरों के नीचे 5-10 किमी तक होती है।

•संरचना→: भूपर्पटी सिलिका, एल्यूमिनियम और अन्य धातुओं से बनी होती है। महाद्वीपीय क्रस्ट को ग्रेनाइट और महासागरीय क्रस्ट को बेसाल्ट का माना जाता है।
•प्रकार→:→
 •महाद्वीपीय भूपर्पटी (Continental Crust)→: मोटी, पुरानी और कम सघन होती है, जिसमें ग्रेनाइट और सिलिका प्रचुर मात्रा में होते हैं।

  •महासागरीय भूपर्पटी (Oceanic Crust)→: पतली, नई और अधिक सघन होती है, जिसमें मुख्य रूप से बेसाल्ट और मैग्नीशियम की अधिकता होती है।
•भूकंपीय तरंगें→: इस परत से P-तरंगें और S-तरंगें दोनों गुजर सकती हैं, जिनकी गति अन्य परतों की तुलना में थोड़ी धीमी होती है क्योंकि यह ठोस और सघन होती है।


 2. मेंटल (Mantle):→

•विवरण→: मेंटल पृथ्वी की दूसरी सबसे बड़ी परत है और भूपर्पटी के नीचे स्थित होती है। इसकी मोटाई लगभग 2900 किमी होती है, जो इसे पृथ्वी की सबसे मोटी परत बनाती है।


•संरचना→: मेंटल मुख्यतः सिलिका, मैग्नीशियम, और लोहे जैसे खनिजों से बना है। इसमें पाई जाने वाली चट्टानें उच्च तापमान पर थोड़ी द्रव अवस्था में होती हैं।

•उपविभाजन→:
  •ऊपरी मेंटल (Upper Mantle)→: यह ठोस अवस्था में होता है लेकिन इसमें ऐस्थेनोस्फीयर (Asthenosphere) नामक परत शामिल है, जो थोड़ा नरम और अधिक गतिशील है। ऐस्थेनोस्फीयर मेंटल के सबसे ऊपरी हिस्से के नीचे होता है और इसमें चट्टानें अर्ध-द्रव अवस्था में पाई जाती हैं।

  •निचला मेंटल (Lower Mantle)→: यह अत्यधिक दबाव और तापमान के कारण ठोस अवस्था में होता है।

•भूकंपीय तरंगें→: मेंटल से P-तरंगें और S-तरंगें दोनों गुजरती हैं। यहाँ पर तरंगों की गति बढ़ जाती है क्योंकि मेंटल की चट्टानें भूपर्पटी से अधिक सघन होती हैं।


3. बाहरी कोर (Outer Core):→

•विवरण→: यह मेंटल के नीचे स्थित तरल अवस्था में पाई जाने वाली परत है, जिसकी मोटाई लगभग 2200 किमी है। बाहरी कोर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के निर्माण में सहायक है।

•संरचना→: बाहरी कोर मुख्य रूप से पिघले हुए लोहे और निकेल का बना है, जिसमें सल्फर और ऑक्सीजन जैसे हल्के तत्व भी पाए जाते हैं।

•भूकंपीय तरंगें→:
  •S-तरंगें→: S-तरंगें इस परत में प्रवेश नहीं कर पातीं क्योंकि वे केवल ठोस माध्यमों में यात्रा कर सकती हैं।
  •P-तरंगें→: P-तरंगें बाहरी कोर में प्रवेश करती हैं लेकिन इनकी गति धीमी हो जाती है, जिससे संकेत मिलता है कि यह तरल अवस्था में है।


4. भीतरी कोर (Inner Core):→

•विवरण→: यह पृथ्वी की सबसे भीतरी परत है और ठोस अवस्था में पाई जाती है। इसकी मोटाई लगभग 1200 किमी होती है। यह भीतरी कोर अत्यधिक दबाव और तापमान के कारण ठोस अवस्था में रहती है।

संरचना→: भीतरी कोर मुख्य रूप से ठोस लोहे और निकेल का बना होता है। यहाँ पर तापमान लगभग 5000°C तक हो सकता है, फिर भी यह ठोस रहता है क्योंकि दबाव बहुत अधिक होता है।

•भूकंपीय तरंगें→: P-तरंगें भीतरी कोर में प्रवेश करती हैं और इनमें थोड़ा सा मोड़ होता है, जो यह दर्शाता है कि यह ठोस अवस्था में है।


भूकंपीय तरंगों के प्रकार:→

1. P-तरंगें (प्राथमिक तरंगें)→: ये संपीडन तरंगें होती हैं, जो ठोस, तरल और गैस सभी माध्यमों में यात्रा कर सकती हैं। इनकी गति सबसे अधिक होती है और ये पहले पहुँचती हैं, इसलिए इन्हें प्राथमिक तरंगें कहा जाता है।
   
2. S-तरंगें (अनुप्रस्थ तरंगें)→: ये केवल ठोस माध्यमों में यात्रा कर सकती हैं और तरल में प्रवेश नहीं कर पातीं। S-तरंगें भूपर्पटी और मेंटल से गुजर सकती हैं लेकिन बाहरी कोर में नहीं जा पातीं।


पृथ्वी की आंतरिक संरचना का चित्र:→


चित्र में निम्नलिखित परतों को दर्शाया गया है:→

1. Crust (भूपर्पटी)→: ठोस और सबसे बाहरी परत
2. Mantle (मेंटल)→: ठोस और अर्ध-द्रव परत जो भूपर्पटी के नीचे है
3. Outer Core (बाहरी कोर)→: पिघली हुई परत जो लोहे और निकेल से बनी है
4. Inner Core (भीतरी कोर)→: ठोस लोहे और निकेल की भीतरी परत

इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना एक जटिल परतयुक्त संरचना है, जो तापमान, दबाव और संरचना में विविधता दिखाती है।

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