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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजनIndia's great mathematician Srinivasa Ramanujan

आज हम बात करने वाले हैं भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के बारे में जिनका जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड( तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास अयंगर था तथा इनकी माता का नाम कोमलताम्मल था। इन्होंने अपनी लगन एवं गणित के विषय में रुचि होने के कारण भारत का नाम विदेशों में भी गौरवान्वित किया। तमिलनाडु के इरोड में जन्मे रामानुजम बचपन से ही काफी कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने दसवीं के दौरान एक घन और द्विघात समीकरणों को हल करने का सूत्र खोज लिया था। गणित में अत्यधिक जिज्ञासा के कारण एवं गणित के जटिल प्रश्नों पर अपना अत्यधिक समय बिताने के कारण वह 12वीं की परीक्षा में गणित छोड़कर अन्य सभी विषयों में फेल हो गए थे। कई बार प्रयास करने के बाद भी वह 12वीं की परीक्षा नहीं पास कर पाए इसके बाद उन्होंने औपचारिक शिक्षा छोड़ दी।


     बाद में वे अपने पूर्व शिक्षक प्रोफेसर अय्यर की मदद से नेल्लोर जिले के तत्कालीन कलेक्टर आर. रामचंद्र राव से मिले जोकि तत्कालिक समय में इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी के अध्यक्ष भी थे।आर.रामचंद्र राव रामानुजन की गणितीय विद्वता से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उनके लिए नौकरी का प्रबंध कर दिया। इसके उपरांत रामानुजन इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी के जनरल के लिए काम करने लगे।

       प्रतिवर्ष महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन  की जयंती( 22 दिसंबर) को राष्ट्रीय गणित दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में गणित के प्रति रुचि जागृत करते हुए उनकी प्राकृतिक जिज्ञासा को बढ़ाना है। इसके साथ ही छात्रों के मस्तिष्क से गणित का भय हटाते हुए गणित के उपयोग की आदत एवं कौशल का विकास गणित शिक्षकों की शिक्षण विधि में सुधार लाना है।

       वर्ष 1911 में बरनौली नंबर पर उन्होंने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसके उपरांत उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली। वह मद्रास पोर्ट ट्रस्ट के लेखा विभाग में कार्य करने लगे।


     रामानुजन के जीवन का निर्णायक मोड़ तब आया जब उन्होंने तत्कालिक समय के सर्वाधिक प्रसिद्ध गणितज्ञ में शामिल प्रोफेसर जी एच आर हार्डी को पत्र लिखा अपने शोध के कार्यों को उनके समक्ष प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि इस पत्र में उन्होंने डायवर्जेंट सीरीज पर अपने शोध समेत स्वयं द्वारा खोजे गए प्रेमेयों के साथ बीजगणित त्रिकोणमिति और कैलकुलस के निष्कर्ष भी शामिल थे। काफी गहन जांच के पश्चात प्रोफेसर जीएस हार्डी रामानुजन  की विद्वता से काफी प्रभावित हुए एवं उन्होंने रामानुजन  को कैंब्रिज विश्वविद्यालय आने का निमंत्रण दिया।


      रामानुजन की विद्वता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रोफेसर जीएच हार्डी ने उनकी तुलना जैकोबी और यूलर जैसे युगांत कारी विद्वानों से की। इसके अलावा प्रोफ़ेसर जी एच हार्डी ने सभी प्रतिभावान व्यक्तियों के लिए एक पैमाना विकसित किया जिसमें रामानुजन को ही केवल 100 अंक दिए। उल्लेखनीय है कि इस पैमाने पर अधिकतर गणितज्ञों को केवल 100 में से 30 अंक मिले। एवं स्वयं प्रोफेसर जी एच हार्डी ने अपने को 30 अंक दिए थे। गणित में किए गए उल्लेखनीय शोध कार्यो के लिए रामानुजन को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा बीए की उपाधि प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन का फैलो चुना गया। लंदन में प्रतिकूल मौसम एवं अन्य समस्याओं के कारण रामानुजन का स्वास्थ्य लगातार गिरने लगा था। लगातार खराब स्वास्थ्य के कारण वह अपना काम छोड़कर 1919 में भारत लौट आए। लेकिन उन्हें आगे चलकर क्षय रोग हो गया। लगातार खराब स्वास्थ्य होने के बावजूद उन्होंने प्रोफेसर जी एच हार्डी को लिखे गए अपने अंतिम पत्र में माक थीटा फंक्शन के बारे में बताया जिसका उपयोग वर्तमान में कैंसर जैसी बीमारी को समझने में किया जाता है। मात्र 32 वर्ष की आयु में खराब स्वास्थ्य के कारण 26 अप्रैल 1920 को उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उन्होंने अपने पीछे गणित पर किए गए शोधों की एक ऐसी विरासत छोड़ गए जिस पर आज तक कार्य किया जा रहा है। रामानुजन  के द्वारा किए गए शोध कार्यों पर कार्य करते हुए जीन पियरे डेलिग्ने को गणित का नोबेल कहे जाने वाले फील्ड मैडम पुरस्कार मिला। वर्तमान में रामानुजन के द्वारा प्रतिपादित गणितीय सूत्र का प्रयोग विज्ञान के एक वृहद क्षेत्र में किया जा रहा है। जिसमें सिगनल प्रोसेसिंग से लेकर ब्लैक होल तक के सिद्धांत शामिल है। उल्लेखनीय है कि उनके द्वारा 20 वीं सदी में दिए गए सिद्धांत माॅक थीटा  फंक्शन थी जिसके रहस्य की गुत्थी 21वीं सदी में सुलझाया जा सका।

इसके  उपरांत लोगों को यह पता चला माॅक थीटा फंक्शन ब्लैक होल को समझने के लिए जरूरी है। इस महान गणितज्ञ के सिद्धांतों पर लोगों का ध्यान 1991मे  गया। एमआइटी  के प्रोफेसर रॉबर्ट कैनिगेल ने बहुचर्चित बायोग्राफी द मैन हू न्यू इनफिनिटी दी जीनीयस ऑफ रामानुजन को लिखा। इसके उपरांत 2016 में इन पर मैन हू न्यू इनफिनिटी मूवी बनी जिसे मैथ्यू ब्राउन के द्वारा बनाया गया। रामानुजन के गणित के क्षेत्र में किए गए कार्यों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा उनकी 125वीं  जन्मतिथि पर वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित करते हुए उनके जन्मदिन पर 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने का फैसला लिया।


रामानुजन का गणित में योगदान:
रामानुजम ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवन काल में लगभग 3900 परिणामों (समीकरण और सर्वसमिका ओं का संकलन किया) उनके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में पाई की अनंत श्रेणी शामिल थी। उन्होंने पाई के अंको की गणना करने के लिए कई सूत्र प्रदान किए जो परंपरागत तरीकों से लगते हैं।



खेल सिद्धांत:

उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए नवीन विचार प्रस्तुत किया जिन्होंने के सिद्धांत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खेल सिद्धांत में उनका योगदान विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित है और इसे अभी तक गणित के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।


श्रीनिवास रामानुजन की प्रसिद्ध रचना कौन सी थी?

 उन्होंने रीमैन श्रृंखला, दीर्घवृत्तीय अभिन्न, हाइपरज्यामितीय श्रृंखला, जीटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरण, और अपसारी श्रृंखला के अपने स्वयं के सिद्धांत पर काम किया, जिसमें उन्होंने अपने द्वारा आविष्कृत तकनीक का उपयोग करके ऐसी श्रृंखला के योग के लिए एक मान पाया।  रामानुजन योग कहा जाता है।


           Today we are going to talk about India's great mathematician Srinivasa Ramanujan, who was born on 22 December 1887 in Erode, Tamil Nadu (the then Madras Presidency).  His father's name was Srinivasa Iyengar and his mother's name was Komaltammal.  Due to his passion and interest in the subject of mathematics, he made the name of India proud even abroad.  Born in Erode, Tamil Nadu, Ramanujam was very intelligent since childhood.  He had discovered a formula to solve cubic and quadratic equations during the tenth.  Due to excessive curiosity in mathematics and spending too much time on complex mathematical questions, he failed in all other subjects except mathematics in the 12th examination.  Even after trying several times, he could not pass the 12th examination, after which he left formal education.



                Later, with the help of his former teacher Professor Iyer, the then collector of Nellore district R.K.  Ramachandra Rao, who was also the President of the Indian Mathematical Society at that time. R. Ramachandra Rao was greatly impressed by Ramanujan's mathematical scholarship and arranged a job for him.  After this Ramanujan started working for the General of the Indian Mathematical Society.


           Every year the birth anniversary of the great mathematician Srinivasa Ramanujan (December 22) is celebrated as National Mathematics Day.  The main purpose of celebrating this day is to increase the natural curiosity of the students by awakening their interest in mathematics.  Along with this, by removing the fear of mathematics from the mind of the students, the development of habit and skill of using mathematics is to improve the teaching method of mathematics teachers.


          In the year 1911, he presented his research paper on Bernoulli number, after which he got a lot of fame.  He started working in the accounts department of the Madras Port Trust.


          The turning point in Ramanujan's life came when he wrote a letter to Professor GHR Hardy, one of the most famous mathematicians of his time, presenting his research work to him.  It is noteworthy that in this paper he also included his research on divergent series, as well as findings from algebraic trigonometry and calculus, along with self-discovered theorems.  After a very thorough investigation, Professor GS Hardy was very impressed with Ramanujan's scholarship and he invited Ramanujan to come to Cambridge University.


                                              Ramanujan's scholarship can be gauged from the fact that Professor GH Hardy compared him with erudite scholars like Jacobi and Euler.  Apart from this, Professor GH Hardy developed a scale for all gifted persons, in which only Ramanujan was given 100 marks.  It is noteworthy that most mathematicians got only 30 out of 100 marks on this scale.  And Professor GH Hardy himself gave himself 30 marks.  Ramanujan was awarded the BA degree by Cambridge University for his remarkable research work in mathematics.  Along with this, he was elected Fellow of the world's most prestigious Royal Society of London.  Due to adverse weather and other problems in London, Ramanujan's health started declining continuously.  Due to continuing ill health, he left his job and returned to India in 1919.  But he later developed tuberculosis.  In his last letter to Professor G H Hardy, despite his continued ill health, he described the Mach theta function, which is currently used to understand diseases such as cancer.  He died on 26 April 1920 due to poor health at the age of just 32.  But he left behind a legacy of research done on mathematics which is being worked on till date.  Working on the research work done by Ramanujan, Jean-Pierre Deligne received the Field Madam Award, called the Nobel of Mathematics.  Presently the mathematical formula propounded by Ramanujan is being used in a wide area of ​​science.  Which includes principles ranging from signal processing to black holes.  It is noteworthy that the theory given by him in the 20th century was the Mach theta function, the mystery of which could be solved in the 21st century.


After this, people came to know that Mach theta function is necessary to understand black holes.  People's attention was drawn to the principles of this great mathematician in 1991.  MIT professor Robert Kanigel wrote the famous biography The Man Who Knew Infinity the Genius of Ramanujan.  After this, in 2016, the Man Who Knew Infinity movie was made on him, which was made by Matthew Brown.  Keeping in mind the work done by Ramanujan in the field of mathematics, the Government of India declared the year 2012 as National Mathematics Year on his 125th birth anniversary and decided to celebrate National Mathematics Day on December 22 on his birthday.



 Contribution of Ramanujan to Mathematics:

 Ramanujam compiled about 3900 results (equations and identities) in his short life of 32 years. Among his most important works was the infinite series of pi.  He provided several formulas for computing the digits of pi that appear to be traditional methods.




 game theory:


 He introduced innovative ideas to solve many challenging mathematical problems that played a significant role in the development of the theory of calculus.  His contributions to game theory are based purely on intuition and are still respected in the field of mathematics.

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