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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

नाभिकीय कचरा क्या है? उस कचरे का उपयोग दूबारा किया जाना संभव हो सकता है?

नाभिकीय कचरे का निपटान 21वीं सदी की कुछ कड़ी चुनौतियों में से है जबकि माना जा रहा है कि नाभिकीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधन की प्रभावी स्थानापन्न हो सकती है। इस परिस्थिति में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है जो रेडियोधर्मी गैस को कृत्रिम हीरों में बदलकर लगभग महत्वहीन नाभिकीय कचरे से स्वच्छ बिजली पैदा करती है।कृत्रिम हीरे जब रेडियोधर्मी क्षेत्र में जब रख दिए जाते हैं तो अपनी स्वयं की विद्युत धारा पैदा करते हैं इस तरह ऐसी बैटरी बनाए जाने हेतु उपयोग में आते हैं जो रेडियोधर्मी पदार्थों की दीर्घायु के कारण लंबी अवधि तक विद्युत धारा पैदा करते हैं।

        भू रसायनवेत्ता टाॅम स्काॅट के अनुसार इसमें कोई गतिमान हिस्से शामिल नहीं हैं, कोई उत्सर्जन नहीं होता और किसी तरह के रखरखाव की आवश्यकता नहीं है। सीधे बिजली का उत्पादन होता है। हीरो के अंदर रेडियोधर्मी पदार्थ बंद करने से हम नाभिकीय कचरे की दीर्घकालिक समस्या को नाभिकीय संचालित बैटरी द्वारा स्वच्छ ऊर्जा की दीर्घकालिक आपूर्ति में बदल सकते हैं।

        नाभिकिय ऊर्जा संयंत्रों में मंदक की तरह उपयोग होने वाले ग्रेफाइट से पैदा होने वाले कार्बन 14 का प्रयोग करके इन बैटरियों  की कुशलता और तकनीक को बढ़ाने के लिए शोध किए जा रहे हैं। कार्बन 14 को स्रोत पदार्थ चुनने की वजह इस की अर्ध आयु 5730 साल होना है और यह बहुत छोटे परास का विकिरण उत्पन्न करता है, जिसे शीघ्रता से और सुरक्षित रूप से हीरो के भीतर ही अवशोषित कर लिया जाता है।

          इन बैटरियों का उन स्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है जहां पारस्परिक बैटरी को चार्ज करना या बदलना संभव नहीं है। स्पष्ट रूप से इसका प्रयोग कम ऊर्जा के उन विद्युत उपकरणों को बनाने में होगा जिनके लिए लंबी आयु वाले ऊर्जा स्रोत की आवश्यकता है, जैसे पेसमेकर, सैटेलाइट, उच्च अक्षांश पर चलने वाले ड्रोन या अंतरिक्ष यान।


अंतरिक्ष व्यापार की संभावनाएं:

    अंतरिक्ष अभियानों के निजीकरण की संभावनाएं बहुत तेजी से आकार ले रही है क्योंकि बहुत सी व्यापारिक हस्तियां अंतरिक्ष क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश का भविष्य देख रही हैं। इस क्षेत्र में उल्लेखनीय निवेश करने वाले कुछ महत्वपूर्ण नाम इस प्रकार हैं:

इलोन मस्क पे पल(paypal) के संस्थापक हैं, जिन्होंने अपनी निजी संपत्ति से लगभग 100 मिलियन डॉलर स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजी नामक कंपनी में निवेश किया है। यह कंपनी स्पेसएक्स नाम से विख्यात है। amazon.com कंपनी के संस्थापक जेफ बेजोस, ब्लू आॅरिजिन नामक कंपनी में निवेश कर रहे हैं। यह कंपनी न्यू शेफर्ड  नामक अंतरिक्ष यान का भी निर्माण करती है। ब्रिटेन के अरबपति उद्यमी सर रिचर्ड ब्रेन्सन का वर्जिन ग्रुप, वर्जिन गैलेक्टिक नामक कंपनी में निवेश कर रहा है।

        चूँकि  अंतरिक्ष क्षेत्र तीव्र व्यापारिक संभावना वाला क्षेत्र है, अत: बहुत से देशों के बीच अंतरिक्ष अनुसंधानों ,मानवयुक्त अभियानों ,शोधपरक क्षेत्रों तथा दूरसंचार सैटेलाइटों जैसी साझी सेवाओं  वाले क्षेत्रों के लिए होड़ मची हुई है जो कि इन्हें लाँन्च करने वाले देशों  की आय के प्रमुख स्रोत हैं। विश्व के कोने कोने में जो आज सूचनाएं प्रसारित होती हैं उन्हें अन्य देशों द्वारा संचार उद्देश्यों के लिए पट्टे पर लिया जाता है तथा खरीदा जाता है। सेटेलाइट सेवाओं का उपयोग नेविगेशन प्रणाली में संचार स्थापित करने में मौसम विज्ञान में तथा धरती की निगरानी करने में किया जाता है।

             अंतरिक्ष तकनीकों तथा सेटेलाइट अभियानों से भू स्थानिक स्थापन प्रणाली(Geo Spatial positioning system ) के रूप में आम आदमी को एक महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुआ है। इसे संक्षेप में जीपीएस कहा जाता है। इसके द्वारा अक्षांशों तथा देशांतरों की सटीक रीडिंग व स्वतंत्र रूप से छोटे-छोटे रिसीवरों की ऊंचाई ज्ञात की जा सकती है, इसके द्वारा कहीं बेहतर व सुरक्षित व वाणिज्यिक संभावनाओं के साथ समुद्री व उड्डयन नौवहन(navigation) में मदद मिलेगी। इसकी उपयोगिता को देखते हुए इन अंतरिक्ष कंपनियों ने संसाधनों को बढ़ाने तथा उन्हें आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इसके लिए वर्तमान  विनियमों में सुधार किया जा रहा है ताकि निजी कंपनियां इन अभियानों में निवेश करने की अनुमति पा सके और संसाधनों की बिक्री से लाभ उठा सकें।

अंतरिक्ष व्यापार की अर्थव्यवस्था:

सभी गहन अंतरिक्ष अभियान सामान्यतया international Space Station(ISS) मेंlog on करते हैं. आईएसएस अंतरिक्ष में स्थापित एक ऐसी सेवा है जिसे भी सभी देश साझा करते हैं जो अंतरिक्ष में अन्वेषण करते हैं और इसके रखरखाव में योगदान देते हैं। इसके बदले इन पर आईएसएस आगे के अभियानों पर अपनी आपूर्ति के लिए भी निर्भर करता है। इन सब के कारण अभियान की अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाती है जिससे लागत बहुत बढ़ जाती है और पृथ्वी के संसाधनों का क्षरण भी होता है। यदि इन संसाधनों का अंतरिक्ष से ही निष्कर्षण और उपयोग किया जाए तो पृथ्वी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी बोझ कम हो जाएगा। यह उन प्रतिष्ठानों के लिए भी एक उम्मीद जगाने वाला कारक है जो अंतरिक्ष के संसाधन बेचकर उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार ला सकता है।

सीमा रेखा:

     यह सरकार और निजी क्षेत्र का संयुक्त निवेश है जो यह सुनिश्चित करता है कि अभियानों में नवीनतम शोधों से प्राप्त अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाए जो विभिन्न प्रत्याशित जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करें और  विनियमों की पूर्ति करें। इस पूरी प्रक्रिया को दो वर्गों में विभाजित किया गया।

  • प्राथमिक

  • द्वितीयक निर्माता

         जहां एक ओर प्राथमिक निर्माता गहन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अवधारणाओं अभियानों तथा शोध एवं विकास आदि को देखते हैं वहीं दूसरी ओर द्वितीयक निर्माता प्राथमिक उत्पादकों की सेवाओं का उपयोग करके उन्हें वाणिज्यिक रूप से व्यवहार सेवाओं  में रूपांतरित करते हैं। उदाहरण के लिए जहां उपग्रह के स्वामित्व वाली कंपनी उपग्रह का निर्माण करके और उनके रखरखाव की सेवाएं प्रदान करके प्राथमिक भूमिका अदा करती है वही रिमोट सेंसिंग  सेवा सैट टीवी सेवा मौसम पूर्वानुमान सेवा इत्यादि सेवाएं तृतीय प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध करवाई जाती हैं। इस क्षेत्र में अग्रणी निर्माता कंपनी स्पेसएक्स है।


अंतरिक्ष खनन:

  नासा से एक प्रोब पृथ्वी के समीप एक क्षुद्र ग्रह पर भेजा जाएगा। इस अभियान का एक पहलू छुद्र ग्रहों से नमूने इकट्ठा करना है। दरअसल छुद्र ग्रह छोटे अंतरिक्ष पिण्ड  होते हैं, जिनकी कच्छा पृथ्वी के समान होती है और उनमें पर्याप्त संसाधन होते हैं। उनमें जल, बहुमूल्य खनिज और अविसरित सौर ऊर्जा होती है, जिसका भविष्य में मानव जाति के आर्थिक लाभ के लिए प्रयोग किया जा सकता है।


         किसी भी अंतरिक्ष अभियान में ईंधन, जल और ऊर्जा के रूप में भारी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है। अंतरिक्ष अभियान की लागत काफी कम हो जाएगी यदि ऐसे संसाधन अंतरिक्ष से ही प्राप्त हो जाएं। उदाहरण के लिए कुछ ऐसे खनिज है जिन्हें अंतरिक्ष पिंडो से प्राप्त किया जा सकता है और जिनका प्रणोदक तथा ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। ऐसी प्रौद्योगिकी की कल्पना की जा रही है जिसकी मदद से यह सुविधाएं यथा स्थान उपलब्ध हो यानी खनन परिशोधन और आपूर्ति सब कुछ अंतरिक्ष में ही हो।

           कुछ महत्वपूर्ण खनिज है: सोना चांदी इरीडियम तथा रेडियम जिन्हें पृथ्वी पर वापस लाकर यहां उपयोग किया जा सकता है। अंतरिक्ष से प्राप्त जल और हाइड्रोजन को सीधे-सीधे अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण के लिए उपयोग किया जा सकता है तथा हाइड्रोजन ऑक्सीजन और जल को राकेट के लिए प्रणोदक तैयार करने हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है।

         मानव युक्त अभियानों की शुरुआत बस चार दशक पूर्व ही हुई है। भारत समेत कई देशों ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा है और वहां अनुसंधान किए हैं। हवाई यात्रा स्वयं देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देती है और इसके अतिरिक्त माल ढुलाई ,पर्यटन ,आतिथ्य  उद्योग इत्यादि के रूप में अप्रत्यक्ष राजस्व भी प्राप्त होता है। इसी प्रकार भविष्य में अंतरिक्ष की सैर भी एक वाणिज्यिक व्यापार संभावना के रूप में आशाजनक दिख रही है।


     वर्तमान में वाणिज्यिक  अंतरिक्ष यात्रा का लक्ष्य इस में भाग लेने वालों को एक ऐसे क्षेत्र में 5 मिनट का भार रहित अनुभव प्रदान कराना है जो पृथ्वी के समीप की कक्षा में स्थित है। उसके बाद यह वापस अपने आधार पर आ जाता है। फिलहाल इसे रोमांचकारी यात्रा में गिना जाता है जो कि कुछ एक अमीर व्यक्तियों के लिए ही है क्योंकि इसकी प्रति व्यक्ति लागत करीब दो से $300000 या उससे भी अधिकार आ सकती है।


        इस संभावना को बाजार में लाने के लिए सख्त प्रयोग और परीक्षण लगातार किए जा रहे हैं। स्पेसएक्स का दावा है कि वह लोगों को छोटे समूह में यात्रा करवाने में सक्षम हो जाएगी । उनकी आगे की कल्पना मानव की रिहाईश के लिए मंगल की यात्रा को संभव बनाना है।


     अंतरिक्ष सफाई:

कुछ अन्य ऐसी सेवाएं जो आर्थिक मूल्य की हो सकती है उनमें गहन अंतरिक्ष सफाई भी शामिल है। इसके तहत खराब हो चुके हैं या कार्य नहीं कर रहे अंतरिक्ष यानों  द्वारा छोड़े गए अंतरिक्ष के कचरे का एकत्रीकरण और निष्कासन किया जाता है। इनमें अब तक अंतरिक्ष में छोड़े गए समूचे प्रोब या उनके हिस्से शामिल हैं। आगे की योजना ऐसी वस्तुओं को जमा करके उन्हें अंतरिक्ष में मौजूद सुविधा तक भेजने की है, जहां उन्हें आवश्यकतानुसार नष्ट या पुनर्चक्रण किया जाएगा।

        आकाशीय पिंडों के खनन या उनमें आवास के अधिकारों या स्वामित्व को लेकर कई प्रकार के तर्क दिए जाते रहे हैं। 2012 में बाह्य  अंतरिक्ष संधि(The outer space Treaty) पर हस्ताक्षर करके कई देश इस बात पर एकमत हुए थे कि किसी भी व्यक्ति या राष्ट्र विशेष के पास आकाशीय वस्तुओं पर स्वामित्व का अधिकार नहीं है। हालांकि वे उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने के लिए और उन पर स्वामित्व का दावा करने के लिए स्वतंत्र है।

         25 नवंबर 2015 को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्यिक  अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रतिद्वंदिता अधिनियम( the US commercial space launch competitiveness act) को कानून के रूप में पारित किया जिसके अंदर अमेरिकी नागरिकों को उनके द्वारा हासिल किया गया अंतरिक्ष के संसाधनों का स्वामित्व रखने के अधिकार को मान्यता दी गई। साथ ही उनमें शुद्र ग्रह के संसाधनों के वाणिज्यिक अन्वेषण और उपयोग को प्रोत्साहन दिया गया।



    

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