🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...
(1) भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान(IITM) के अनुसार महासागर सतह तापमान(SST) महासागर के ऊपरी सतह के कुछ मिलीमीटर तक सीमित है जो तेज हवाओं, वाष्पीकरण या घने बादलों से प्रभावित है। इसके विपरीत महासागर औसत तापमान( ocean mean temperature)26°C समताप रेखा की गहराई तक मापा जाता है। जो जनवरी मार्च के दौरान दक्षिण पश्चिमी हिंद महासागर में 50 100 मीटर की गहराई में होता है। शोधकर्ताओं ने 1993 से 2017 तक 25 वर्षीय ओएमटी डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि ओएमटी जो जनवरी-मार्च में एकत्रित किया जाता है वहSST से ज्यादा प्रभावशाली है। OMT का आंकलन यह निर्धारित करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है कि मानसून में वर्षा की मात्रा एक निश्चित दीर्घकालीन औसत वर्षा से कम होगी या अधिक।
(2) प्रति विषुवत रेखीय धारा विषुवत रेखा के समांतर पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। यह धारा स्पष्ट रूप से अटलांटिक एवं प्रशांत महासागर में देखी जाती है। हिंद महासागर में प्रति विषुवतीय धारा पश्चिम में जंजीबार द्वीप के निकट आरंभ होकर पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
वास्तव में महासागरों के पश्चिमी भाग में विश्वत रेखा के समीप उत्तर तथा दक्षिण विषुवत रेखीय धाराओं के अभिसरण के कारण इतनी अधिक मात्रा में जल राशि एकत्रित हो जाती है कि पश्चिम से पूर्व की ओर सामान्य ढाल बन जाता है। इससे क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति विषुवतीय धारा प्रवाहित होने लगती है।
(3) सूर्य एवं चंद्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने को ज्वार भाटा कहा जाता है।
सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे( तट की ओर) बढ़ने को ज्वार तथा उस समय निर्मित उचित जल तल को उच्च ज्वार(high Tide) एवं सागरीय जल के नीचे गिरकर सागर की ओर लौटने को भाटा(Ebb) तथा उस से निर्मित निम्न जल तल को निम्न ज्वार कहते हैं।
सागरीय जल की उत्पत्ति के उत्तरदाई कारण:
(a) चंद्रमा का आकर्षण: चंद्रमा के सामने स्थित सागरीय भाग के जल पर आकर्षण बल लगता है, परिणाम स्वरूप चंद्रमा के सामने स्थित पृथ्वी का जल आकर्षित होता है जिस कारण ज्वार अनुभव किया जाता है।
(b) सूर्य का आकर्षण: जब सूर्य और चंद्रमा एक सीध में होते हैं तो दोनों की आकर्षण शक्ति मिलकर एक साथ कार्य करती है तथा उच्च ज्वार का अनुभव किया जाता है, यह स्थिति पूर्णमासी तथा अमावस्या को होती है। इसके विपरीत जब सूर्य, चंद्रमा तथा पृथ्वी समकोण पर होते हैं तो सूर्य तथा चंद्रमा के आकर्षण बल एक दूसरे के विपरीत कार्य करते हैं जिस कारण निम्न ज्वार का अनुभव किया जाता है।
(c) पृथ्वी का अपकेंद्रीय बल: पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न अपकेंद्रीय बल के प्रभाव से सागरीय जल पृथ्वी केंद्र से दूर गमन करता है, जिससे ज्वार की उत्पत्ति होती है।
(4) भारत के प्रवाल भित्ति क्षेत्र मन्नार की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी, अंडमान एवं निकोबार दीप समूह लक्ष्यद्वीप में सीमित हैं। लक्षद्वीप एटाॅल प्रवाल द्वीप है तथा शेष सभी तटीय प्रवाल भित्ति हैं। सुंदरवन जोकि गंगा का डेल्टा है, वहां जल में अवसाद की मात्रा अधिक होने के कारण प्रवाल विकसित होने के लिए उपयुक्त दशाएं नहीं है। सुंदरवन में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं।
प्रवाल भित्तियों का निर्माण, सागरीय जीव मूंगा(कोरल पाॅलिस) के अस्थि पंजरों के समेकन तथा संयोजन द्वारा होता है। कोरल उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाए जाते हैं तथा चूने का निर्वाह करते हैं।
प्रवाल के विकास की निम्नांकित आवश्यक दशाएं:
- मध्यम से उच्च तापमान(20° 30°C)
- सागर तल से 200 से 250 फीट की गहराई तक( सूर्य प्रकाश प्राप्ति के लिए)
- स्वच्छ जल( अवसाद मुक्त)
- मध्यम सागरीय लवणता( 27% से30% के बीच औसत सागरीय लवणता)
- अंतः सागरीय चबूतरो की उपलब्धता
(5) संसार में महत्वपूर्ण मत्स्यन क्षेत्र उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं ,जहां प्लैंकटन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। ये प्लैंकटन ही मछलियों के मुख्य आहार हैं।
जिन क्षेत्रों में गर्म एवं शीत जलधाराएं मिलती हैं, वहां प्लैंकटन विकास के लिए आदर्श दशाएं निर्मित होती हैं।
डाॅगर बैंक (उत्तरी सागर यूरोप ), ग्रैंड बैंक (उत्तर पश्चिमी अटलांटिक के न्यूफाउंडलैंड तट के समीप),जाॅर्ज बैंक (नोवा स्कोशिया के समीप) आदि महत्वपूर्ण मत्स्यन क्षेत्रों की उपस्थिति ऐसे ही क्षेत्रों में विद्यमान है।
(6) मेकांग नदी: यह नदी तिब्बत से प्रारंभ होकर चीन के युनान प्रांत ,म्यांमार , थाईलैंड, लाओस एवं कंबोडिया से होकर अंत में यह छोटी-छोटी धाराओं के रूप में दक्षिण चीन सागर में मिल जाती है। यह नदी पूर्वी एशिया में दक्षिण पूर्वी एशिया के मध्य ट्रांस बाउंड्री का निर्माण करती है।
थेम्स नदी: इसे लंदन की गंगा के नाम से जाना जाता है। यह चैल्थनम में सेवेन स्प्रिंग्स से निकलती है और ऑक्सफोर्ड, रैडिंग, मैडेनहैड,विंड्सर ईटन, लंदन जैसे शहरों से होकर इंग्लिश चैनल में जाकर गिरती है।
वोल्गा नदी: यह रूस की प्रमुख नदी है। यह रूस के वाल्दे पहाड़ी से निकलती है और कैस्पियन सागर में गिर जाती है। यह नदी बृहद डेल्टा का निर्माण करती है।
जम्बेजी नदी: यह नदी उत्तर पश्चिम जांबिया के वैटलैंड से निकलती है और अंगोला, नामीबिया, बोत्सवाना, जांबिया, जिंबाब्वे से होती हुई हिंद महासागर में गिर जाती है।
(7)अलेप्पो: यह सीरिया के उत्तर पश्चिम में भूमध्य सागर के तट से कुछ दूरी पर अवस्थित एक शहर है। यह प्राचीन काल से ही यूरोप और एशिया के मध्य व्यापार के लिए महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
किरकूक: किरकूक इराक में बगदाद से लगभग 150 मील दूर उत्तर में स्थित एक शहर है। यह विशाल क्षेत्र में स्थित विविध आबादी भाषा वाला बहुभाषी क्षेत्र है।
मोसूल: यह भी उत्तरी इराक का एक शहर है। दजला नदी के किनारे बसा यह शहर हाल ही में आई एस द्वारा मारे गए 39 भारतीयों के कारण चर्चा में रहा।
मजार -ए -शरीफ: मजार ए शरीफ अफगानिस्तान का चौथा सबसे बड़ा शहर है।
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(8)केटालोनिया स्पेन में स्थित है, जहां अभी कुछ दिनों पहले स्वतंत्रता की मांग उठी थी, इसलिए यह चर्चा में आया था। क्रीमिया यूक्रेन में मिंडानाओ फिलीपींस में तथा ओरोमिया इथियोपिया में अवस्थित है।
(9) भूमध्य सागर उत्तर में यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और पूर्व में मध्य पूर्व के देशों से घिरा है।
अफ्रीकी देशों में: मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया और मिस्र की सीमा भूमध्य सागर से लगती है।
यूरोप के देशों में: स्पेन, फ्रांस, इटली और ग्रीस की सीमा भूमध्य सागर से लगती है।
मध्य पूर्व के देशों में: तुर्की, सीरिया, लेबनान और इजराइल की सीमा भूमध्य सागर से लगती है।
(9) एशिया का दक्षिण पश्चिमी भाग भूमध्य सागर से सागर लग्न है जिससे टर्की,सीरिया , लेबनान तथा इजराइल की सीमाएं भूमध्य सागर से स्पर्श करती हैं। जबकि जॉर्डन की सीमाएं भूमध्य सागर से स्पर्श नहीं करती हैं।
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