Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
वैश्विक स्तर पर पूंजी एवं तकनीकों के आदान-प्रदान द्वारा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों संस्थाओं का विशेष योगदान रहा है. बड़े अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी आसियान, सार्क ,s.c.o. जैसे संगठन इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष( international Monetary Fund, IMF)
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना जुलाई 1944 में ब्रेटनवुड्स न्यू हैम्पशायर(USA)मे आयोजित 44 राष्ट्रों के सम्मेलन में हुए समझौते के अनुसार अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विश्व विकास बैंक(IBRD) के साथ की गई. इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में स्थित है. IMF के समझौते का प्रलेख 27 दिसंबर 1945 को लागू हुआ.
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य:-
- अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विस्तार और संतुलित वृद्धि को आसान बनाना.
- मुद्रा स्थायित्व को बढ़ावा देना.
- भुगतान की बहुपक्षीय प्रणाली की स्थापना में सहायता देना।
- पर्याप्त सुरक्षा के तहत सदस्यों के भुगतान संतुलन की कठिनाइयों को दूर करना।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य राष्ट्र:-
वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 188 सदस्य हैं जिनमें 187 देश संयुक्त राष्ट्र संघ के तथा एक सदस्य कोसोवो है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सभी सदस्य अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण विकास बैंक(IBRD) के भी सदस्य हैं.
भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष( india and IMF):-
भारत आईएमएफ का संस्थापक सदस्य है. भारत का वित्त मंत्री आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का पदेन गवर्नर होता है. आईएमएफ में भारत का प्रतिनिधित्व एक कार्यकारी निर्देशक करता है जो एक साथ बांग्लादेश ,श्रीलंका और भूटान का भी प्रतिनिधि होता है. अपनी आवश्यकता के लिए आईएमएफ से कर्ज लेने वाले देश के बदले भारत अब आईएमएफ का वित्त पोषक राष्ट्र बन चुका है. यह भारत के भुगतान संतुलन के सुदृढ़ होने तथा विदेशी मुद्रा कोष में वृद्धि के कारण हुआ है.
विशेष आहरण अधिकार( special drawing rights SDR)
विशेष आहरण अधिकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जनित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय परिसंपत्तियों हैं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने एसडीआर को अंतरराष्ट्रीय तरलता की समस्या के समाधान के लिए शुरू किया था वर्ष 1971 से पहले आई एम में सदस्यों का कोटा तथा इससे निकाली जाने वाली समस्त राशियों को डॉलर में व्यक्त किया जाता था एसडीआर को कागजी स्वर्ण (Paper gold )के नाम से भी जाना जाता था.
विशेष आहरण एसडीआर का नवीनतम कोटा आवंटन आईएमए के कोटे को सदस्य देशों द्वारा स्वर्ण( कोटेे का 25%) तथा अपने देश की मुद्रा( कोटेे का 75%) मे जमा करना पड़ता है. वर्तमान में अमेरिका मुद्रा कोष के पास सर्वाधिक कोटा है.
विश्व बैंक( world Bank):
विश्व बैंक की स्थापना वर्ष 1944 में समझौते के तहत वर्ष 1945 में की गई थी. यह आईएमएफ की एक संस्था है. विश्व बैंक की अधिकांश विकास सहायता इसकी सहयोगी एजेंसी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी(IDA) द्वारा प्रदान की जाती है. विश्व बैंक का मुख्यालय वाशिंगटन(USA) में है प्रारंभ में यह बैंक दो संस्थाओं के सहयोग से बनाया गया था.
विश्व बैंक के उद्देश्य
- विश्व का आर्थिक प्रगति के रास्ते पर ले जाना.
- विश्वा में गरीबों को कम करना.
- अन्तर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देना.
विश्व बैंक के कार्य
- रचनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपने सदस्य राष्ट्रों के पुनर्निर्माण एवं विकास कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराना. अपेक्षाकृत कम विकसित देशों में उत्पादक सुविधाओं और संसाधनों के विकास को प्रोत्साहन देना.
- प्रतिभूतियां देकर निजी विदेशी निवेश को बढ़ावा देना तथा उचित शर्तों पर संसाधनों के विकास के लिए पूंजी उपलब्ध कराना.
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दीर्घ स्थायी संतुलित वृद्धि को बढ़ावा देना और सदस्य देशों के उत्पादक संसाधनों के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहन देना, सदस्य देशों के भुगतान शेष में संतुलन बनाए तथा उनके क्षेत्र में श्रमिकों की उत्पादकता एवं उनके जीवन स्तर की परिस्थितियों को बेहतर बनाने में सहायता देना.
- अन्य माध्यमों से अंतरराष्ट्रीय ऋणों के अनुपात में इसके द्वारा दिए गए अथवा गारंटी शुदा ऋणों की व्यवस्था करना ताकि अधिक उपयोगी एवं जरूरी छोटी बड़ी परियोजनाओं पर पहले स्थान दिया जा सके.
विश्व बैंक की सदस्यता
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य ही विश्व बैंक के सदस्य होते हैं। जैसे ही कोई देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सदस्यता का त्याग करता है उसकी विश्व बैंक की सदस्यता स्वता ही समाप्त हो जाती है। 75% सदस्यों की सहमति से ही कोई सदस्य राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सदस्यता त्यागने पर भी विश्व बैंक का सदस्य बना रह सकता है।
यदि कोई देश इसकी सदस्यता छोड़ता है तो इसके द्वारा दिए गए ऋण पर उसको ब्याज सहित सारे ऋण वापस करने पड़ते हैं।
विश्व बैंक की संरचना
इसकी प्रशासनिक संरचना त्रिस्तरीय है। प्रथम स्तर में इसका एक अध्यक्ष होता है। दूसरे स्तर पर अधिशासी निदेशक तथा तीसरे स्तर पर शासक मंडल होता ।प्रशासनिक निर्देशक बोर्ड की मीटिंग नियमित रूप से वर्ष में एक बार होती है जिसकी अध्यक्षता शासक मंडल का अध्यक्ष करता है ।अध्यक्ष के स्टाफ के रूप में 6000 से अधिक व्यक्ति होते हैं जो विश्व बैंक का कार्य चलाते हैं ।कई वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा विविध विभागों एवं क्षेत्रों के निर्देशक उनके काम में सहायता करते हैं। प्रत्येक सदस्य देश 5 वर्ष की अवधि के लिए एक गवर्नर एवं एक वैकल्पिक गवर्नर की नियुक्ति करता है ।प्रत्येक गवर्नर के मतदान की शक्ति उसके देश की सरकार के वित्तीय योगदान से संबंध रखती है।
भारत और विश्व बैंक
- भारत विश्व बैंक के संस्थापक सदस्यों में से एक है
- विश्व बैंक में भारत को आर्थिक सहायता देने के लिए वर्ष 1958 में इंडिया क्लब कंसोर्टियम की स्थापना की गई थी।
- जून 1994 में इसका नाम बदलकर भारत विकास मंच कर दिया गया।
- विश्व बै़क भारत को ऋण ,सलाह ,अध्ययन दल आदि द्वारा सहायता पहुंचाता है।
- भारत-पाकिस्तान के बीच नदी जल विवाद सुलझाने में भी विश्व बैंक सहायक रहा है।
- विकसित देशों में स्थापित भारत सहायता संघ विश्व बैंक के सुझाव पर भारत की विकास योजना में सहायता करता है.
विश्व बैंक समूह:-
वर्तमान में पांच संस्थाओं को सम्मिलित रूप से विश्व बैंक समूह कहा जाता है जो कि निम्न है
(1) अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक( आई बी आर डी)
(2) अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद( आई डी ए) बाद में इसके सहयोग के लिए तीन और संस्थाएं बनाई गई
(3) अन्तर्राष्टिय वित्त निगम (IFC)
(4) बहु पदीय विनियोग गारंटी अभिकरण(MIGA)
(5) इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटेलमेंट एंड इन्वेस्टमेंट बूट्स(ICSID)
अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक:( international Bank for reconstruction and development ,IBRD):- IBRD की स्थापना ब्रेटनवुड्स सम्मेलन के तहत दिसंबर 1945 में IMFके साथ हुई थी. इसने जून 1946 से अपना कार्य प्रारंभ किया. इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है और इसकी वर्तमान सदस्य संख्या 188 है। वर्तमान में विश्व बैंक का प्रधान कार्य सदस्य राष्टों विशेषत: अल्प विकसित राष्ट्रों को विकास हेतु आवश्यकतानुसार ऋण सामान्यत: दीर्घकालीन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दिए जाते हैं। इनकी अवधि 5 से 20 वर्ष तक होती है.
अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद( international Development Association IDA):-
24 सितंबर 1960 को IDA की स्थापना की गई । विश्व बैंक की एक इकाई है। वर्ष 1961 में IDA को संयुक्त राष्ट्र (UN)से जोड़ा गया ।विश्व बैंक के तरह विकासशील देशों को दीर्घकालीन आवश्यकताओं के लिए उन्हें आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना की गई. इसके अंतर्गत विकासशील देशों में आर्थिक विकास को तेज करने उत्पादकता में वृद्धि करने तथा जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए शून्य ब्याज दर पर लंबी अवधि के लिए ऋण दिया जाता है. सामान्यत: जो IBRD के सदस्य होते हैं वही देश IDA के भी सदस्य होते हैं।IDA द्वारा केवल उन्ही देशों को ऋण उपलब्ध कराया जाता है जिन देशों में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय $375 से कम होती है ।IDA किसी देश को ऋण देने के लिए 3p नीति को आधार बानाती है अर्थात P Poverty (गरीबी) P Preference(वरीयता) तथा P Project परियोजना.
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम( international Finance Corporation IFC):- बैंक समूह की एक संस्था के रूप में इसकी स्थापना 1956 में की गई थी इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है। वर्ष 1961 में यह संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO)का अभिकरण बना। यह संस्था विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के लिए पूंजी जुटाने में सहायता प्रदान करती है तथा 184 देश इसके सदस्य हैं.
बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी( multi literal investment guarantee agency MIGA):- इसकी स्थापना वर्ष 1988 में की गई थी इसका उद्देश्य गैर व्यापारिक अवरोधों को समाप्त करके समता निवेश तथा अन्य प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ाना है ।अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विनियोजकों को गैर व्यापारिक जोखिमों के विरुद्ध गारंटी देता है तथा विकासशील देशों की विदेशी विनियोग संबंधी नीति निर्धारण में सहायता और कार्यक्रम संबंधी सलाह देता है.
इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटेलमेंट आफ इन्वेस्टमेंट डिस्प्यूट( national Centre for settlement of investment dispute ICS):- इसकी स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी। विश्व बैंक ने राज्य और अन्य राज्यों के नागरिकों के निवेश संबंधी झगड़े सुलझाने के लिए इस अंतरराष्ट्रीय केंद्र की स्थापना की इसके अभी 158 सदस्य है.
अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद को उदार ऋण की खिड़की कहा जाता है.विकसित देशों द्वारा अपने निर्यातकों को तीन प्रकार की सब्सिडी दी जाती है। यह है ग्रीनबॉक्स सब्सिडी ब्लू ब्लॉक सब्सिडी तथा एम्बर बाॅक्स सब्सिडी।पत्र स्वर्ग अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का विशेष आहरण अधिकार है.
विशिष्ट रक्षोपाय क्रियाविधि मुहावरा विश्व व्यापार संगठन के कार्यों के संदर्भ में चर्चित है .
व्यापार एवं प्रशुल्क विषयक सामान्य समझौता( General agreement of tariffs and trade ,GATT):- वर्ष 1947 में भारत सहित 53 राष्ट्रों का सम्मेलन हवाना में आयोजित किया गया। इसमें भारत सहित 23 देशों ने व्यापार प्रतिबंधों तथा टेरिफ में कमी लाने के उद्देश्य से एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसी समझौते को बाद में व्यापार एवं प्रशुल्क विषयक सामान्य समझौता नाम दिया गया। वर्ष 1948 में जिनेवा सम्मेलन से गैट का प्रारंभ माना जाता है.
गैट के आठवें दौर की बातचीत दिसंबर 1986 में उरुग्वे में आयोजित की गई। इस दौर में सदस्यों द्वारा परंपरागत मुद्दों के अलावा कुछ गैर परंपरागत मुद्दे उठाए गए। ये मुद्दे थे व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा अधिकार(TRIPS) व्यापार संबंधी निवेश(TRIMs) व्यापार संबंधी सेवाएं(TRSs) आदि.
समझौते को जीवित रखने के उद्देश्य से गैट के महानिदेशक आॅर्थर डंकल को एक सर्वमान्य प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया। डंकन द्वारा आम सहमति बनाने के उद्देश्य से जो मसौदा तैयार किया गया उसे ही डंकल ड्राफ्ट के नाम से जाना जाता है.
इस पर व्यापक चर्चा के बाद 15 सितंबर 1993 को 117 देशों के प्रतिनिधियों ने ड्राफ्ट के संशोधित रूप पर हस्ताक्षर कर दिये। डंकन ड्राफ्ट में सेवा व्यापार को इसके दायरे से बाहर रखा गया। 12 से 15 अप्रैल 1994 में मराकेश मोरक्को में आयोजित मंत्री स्तरीय बैठक में भारत सहित 110 देशों ने इसके अंतिम प्रारूप पर हस्ताक्षर किए.
इसके साथ ही भारत सहित 104 देशों ने विश्व व्यापार संगठन के निर्माण संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते के तहत 31 दिसंबर 1994 को तक गैट का अस्तित्व रहा तथा 1 जनवरी 1995 से डब्ल्यूटीओ का जन्म हुआ.
विश्व व्यापार संगठन( world Trade Organisation WTO) 31 दिसंबर 1994 को गैट की समाप्ति के साथ ही 1 जनवरी 1995 से डब्ल्यूटीओ अस्तित्व में आया। इसका मुख्यालय जिनेवा में है ।इसके सदस्य की संख्या 160 है। येमेन इस संगठन का नवीनतम सदस्य है। जिसने जून 2014 से पूर्ण सदस्यता ग्रहण की।
डब्ल्यूटीओ के सदस्य बनने के बाद आपसी व्यापार में कोई देश एक दूसरे से भेदभाव नहीं कर सकता है। यह सदस्यों के मध्य सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र की अवधारणा पर आधारित है। डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत किए गए समझौते वस्तु सेवा एवं बौद्धिक संपदा से संबंधित है।
WTO और भारत
- भारत WTO का संस्थापक सदस्य है ।भारत अपनी इच्छा अनुसार डब्ल्यूटीओ से कभी भी हट सकता है.
- डब्ल्यूटीओ बैठक में भारत विकासशील देशों का नेता बनकर उभरा है.
- डब्ल्यूटीओ की सदस्यता से भारत के कई स्वतंत्र आर्थिक निर्णय प्रभावित हुए हैं.
- डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत पेटेंट कानून से भारत में कई दवाइयां एवं बीज महंगे हुए हैं.
- WTO की सदस्यता के कारण भारत को अलग से द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते करने से मुक्ति मिली है.
- डब्ल्यूटीओ की सदस्यता से भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है.
- डब्ल्यूटीओ की सदस्यता से भारत के विदेशी वस्तु व्यापार सेवा व्यापार तथा कृषि व्यापार में वृद्धि हुई है.
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन:- संयुक्त राष्ट्र से संबंधित इस संगठन की स्थापना वर्ष 1967 में की गई। इसका मुख्यालय जिनेवा स्विजरलैंड में है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक संपदा के लिए सम्मान बढ़ाना बौद्धिक संपदा को संरक्षण प्रदान करना तथा इसके उपयोग में तेजी लाना है। इसके सदस्यों की संख्या 186 है.
संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक संगठन( united Nations Industrial Development organisation,UNIDO):- इसकी स्थापना जनवरी 1967 में हुई थी ।इसका मुख्यालय भी वियना (आस्टिया) में है। वर्ष 1985 में यह संयुक्त राष्ट्र की विशिस्ट संसी बना। इसका उद्देश्य विश्व में क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर औद्योगिक क्रियाओं के केंद्रीय समन्वयक संस्था के रूप में कार्य करना तथा विश्व औधोगिक विकास तथा सहयोग को परिवर्तित करना है.
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स( Bank for international settlements, BIS):- बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स यानी बी आई एस एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो केंद्रीय बैंकों व अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक नीति निर्माताओं में सहयोग को बढ़ावा देता है. वर्ष 1930 में स्थापित यह विश्व के प्राचीनतम अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में से एक है. वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) के अनुरूप मुद्रा के कारोबार को प्रसारित करने के उद्देश्य से इसका गठन किया गया था.
इसका मुख्य लक्ष्य सूचना आदान-प्रदान का संवर्धन व आर्थिक अनुसंधान के मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करना है तथा यह बैंकों का केंद्रीय बैंक है ।यह किसी व्यक्ति या निगम को वित्तीय सेवाएं नहीं प्रदान करता है ।बी आई एस स्विट्जरलैंड के बेसल शहर में स्थित है तथा इसका प्रतिनिधि कार्यालय मैक्सिको सिटी व हांगकांग में स्थित है.
खाद्य एवं कृषि संगठन( food and Agriculture Organisation, FAO):- यह संगठन संयुक्त राष्ट्र(UN) से संबंध है ।इसकी स्थापना 16 अप्रैल 1945 को की गई थी ।इसका मुख्यालय रोम इटली में है ।इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विश्व भर में कृषि एवं पोषण स्तर में सुधार लाकर लोगों की उत्तरजीविता को बढ़ाना है.
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन( international Labour Organisation ILO):- इसकी स्थापना वर्ष 1919 में की गई थी। वर्ष 1946 में यह संयुक्त राष्ट्र का अंग बना इसका मुख्यालय जेनेवा में है ।यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट संस्था है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य मानवीय तथा श्रम सामाजिक न्याय के प्रवर्तन के लिए प्रयास करती है.
अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष( international fund for agricultural development IFAD)- इस संगठन की स्थापना 13 जून 1976 को की गई थी ।इसका मुख्यालय रोम इटली में है ।इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में निम्न आय वर्ग के लोगों को खाद उत्पादन एवं पोषाहार के साधन जुटाने में मदद करना है.
एशियाई विकास बैंक( asian Development Bank ADB):- वर्ष 1966 में स्थापित एशियाई विकास बैंक 67 देशों की अंतरराष्ट्रीय सहभागिता वाली संस्था है ।जिसका मुख्यालय मनीला फिलीपींस में है। भारत इसका संस्थापक सदस्य एशियाई विकास बैंक एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अपने विकासशील सदस्यों के आर्थिक सामाजिक विकास को प्रोत्साहित करने में संलिप्त है.
एशियाई विकास बैंक के प्रमुख कार्य:-
(1) अपने विकासशील सदस्य देशों की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए ऋण इक्विटी निवेश उपलब्ध कराना.
(2) विकास परियोजनाओं और कार्यक्रम तथा परामर्श सेवाएं तैयार करने और उन्हें लागू करने के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना.
(3) विकासशील सदस्य देशों में संघ में कार्य विकास नीतियों और योजनाओं में सहायता के अनुरोधों पर कार्यवाही करना.
(4) समन्वयकारी नीति और योजनाओं के विकासशील सदस्य देशों के सहायता अनुरोध पर कार्रवाई करना।
इस समय भारत में एशियाई विकास बैंक की सहायता वाली 27 परियोजनाएं तथा 49 तकनीकी परियोजनाएं चल रही है.
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का आसियान( association of South East Asian Nation Asean):- आसियान की स्थापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक में की गई थी। इसका सचिवालय जकार्ता इंडोनेशिया में है ।इसके सदस्यों की संख्या 10 है।आसियान का नवीनतम सदस्य कंबोडिया है जिसने वर्ष 1999 में आसियान में शामिल किया गया ।आसियान के सदस्य राष्ट्र इंडोनेशिया फिलीपींस मलेशिया थाईलैंड सिंगापुर ब्रुनेई वियतनाम लाओस कंबोडिया और म्यामांर। आसियान कि वर्ष 1992 में आयोजित सिंगापुर बैठक में आसियान मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना का निर्णय लिया गया. वर्ष 2003 से 6 देशों में AFTA का क्रियान्वयन हो गया है.
ये हैं ब्रुनेई इंडोनेशिया मलेशिया फिलीपींस सिंगापुर तथा थाईलैंड । शेष देशों की आने वाले समय में AFTA के अंतर्गत शामिल होने की संभावना है।
आसियान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक विरासत को कायम रखना आर्थिक सामाजिक तकनीकी सांस्कृतिक वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है इसके अलावा कृषि एवं उद्योग क्षेत्र में तकनीकी आधार प्रदान बढ़ाना भी इस संगठन का उद्देश्य है.
आसियान और भारत:-
आसियान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भारत आसियान का पूर्ण सदस्य नहीं बन सकता है। 23 जुलाई 1996 में भारत को आसियान का पूर्ण वार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ ।वर्ष 2002 में भारत आसियान के बीच वार्षिक बैठक का आयोजन किया जा रहा है.
आसियान का वार्ता भागीदार होने के साथ-साथ भारत आसियान रीजन फोरम (ARF)का भी सदस्य है।13 अगस्त 2009 को भारत और आसियान के बीच मुक्त व्यापार समझौता(Free Tradeto Agreement) पर हस्ताक्षर किय का शुल्क मुक्त व्यापार संभव हो सकेगा .
बिम्सटेक( Bimstec):- इस संगठन का पूरा नाम( bay of Bengal initiative for the multi-sectorial technical economics Corporation hai) है.
जून 1997 मे बैंकॉक में इसकी स्थापना की गई थी ।प्रारंभ में इसके 4 सदस्य थे बांग्लादेश ,भारत ,श्रीलंका, थाईलैंड इसलिए इसका प्रारंभिक नाम BISTEC था। परंतु बाद में नेपाल भूटान एवं म्यामार के इससे जुड जाने से इसका नाम BIMSTEC हो गया।
वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 7 है। ये है बांग्लादेश ,भारत ,श्रीलंका, थाईलैंड, म्यामार, नेपाल तथा भूटान।इस संगठन का मुख्यालय ढाका में है। बिम्सटेक की स्थापना का मुख्य उद्देश व्यापार , निवेश उद्योग परिवहन विज्ञान और प्रौद्योगिकी और जामा मस्जिद किए कृषि आदि क्षेत्रों में पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना.
साप्टा एवं साफ्टा (Sapta and Safta)
सार्क देशों के बीच आपसी व्यापार में प्रशुल्क संबंधी बाधाओं को दूर करने के तथा रियायती शुल्क प्रशुल्कों पर व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से साप्टा( south Asian preferential trading agreement) प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। यह 7 दिसंबर 1995 को प्रभावी हुआ.
इसी प्रक्रिया के अगले चरण के रूप में साफ्टा( safta South Asian free trading agreement) लाया गया। यह 1 जनवरी 2006 से प्रभावी हो गया ।साफ्टा में कुल 24 अनुच्छेद है ,जिनमें अनुच्छेद 3,7,10, 16 व 21 सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.
साफ्टा समझौते का मुख्य उद्देश्य मुक्त व्यापार से संबंधित बाधाओं को दूर करने और सदस्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है.
इस समझौते को सभी देशों को बराबर लाभ के सिद्धांत पर तैयार किया गया है ।इसके तहत नेपाल ,भूटान ,बांग्लादेश, मालदीप आदि अल्पविकसित देशों को शुल्क दरों में विशेष छूट दी गई है.
जी -8(G- 8)
यह औधोगिक रूप से विकसित 8 देशों का संगठन है ।ये देश है अमेरिका ,कनाडा, जर्मनी ,इटली ,जापान व रूस । रूस 21 जून 1997 को इस संगठन का सदस्य बना। इसकी स्थापना 5 देशों द्वारा वर्ष 1975 में की गई थी ।इस संगठन का कोई मुख्यालय नहीं है ।प्रतिवर्ष इसके सदस्यों की बैठक आयोजित की जाती है ।आयोजन कर्ता देश ही इसकी अध्यक्षता करता है तथा इसका खर्च भी वहन करता है ।विश्व की उभरती हुई अर्थव्यवस्था भारत ,चीन ,ब्राजील ,मैक्सिको तथा दक्षिण अफ्रीका ने आउटरीच 5 नामक समूह बनाया जो g8 की बैठकों में भाग लेता है.
जी 20 (G20):-
जी 20 विश्व के 20 औद्योगिक और विकासशील देशों का समूह है। इस समूह में g8 के देशों अमेरिका रूस फ्रांस जर्मनी कनाडा ब्रिटेन इटली तथा जापान के अतिरिक्त अर्जेंटीना ऑस्ट्रेलिया ब्राजील चीन तथा भारत इंडोनेशिया मैक्सिको सऊदी अरब दक्षिण अफ्रीका दक्षिण कोरिया तुर्की तथा यूरोपीय संघ शामिल है। यह समूह विश्व जीडीपी का लगभग 90% विश्व विश्व व्यापार का 80% तथा विश्व आबादी के 65% भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं ।इस समूह का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग व विकास को बढ़ावा देना है.
जी -24(G- 24):-
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ (IMF)में विकासशील देशों के हितों को समन्वित करने के उद्देश्य g24 का गठन वर्ष 1971 में किया गया ।अफ्रीकी देशों में अल्जीरिया आइवरी कोस्ट मिस्त्र इथोपिया गैबाॅन घाना नाइजीरिया दक्षिण अफ्रीका तथा कांगो इसके सदस्य हैं।
लैटिन अमेरिका तथा कैरीबियन क्षेत्र में अर्जेंटीना ब्राज़ील कोलंबिया ग्वाटेमाला मैक्सिको त्रिनिदाद एवं टोबेको पेरू तथा वेनेजुएला जी 24 के सदस्य है। इनके अलावा एशिया से भारत ईरान लेबनान पाकिस्तान फिलीपींस श्रीलंका सीरियल इस संगठन के सदस्य हैं।जी 24 का मुख्यालय वाशिंगटन में है.
शंघाई सहयोग संगठन( shanghai cooperation organisation SCO):- वर्ष 1996 में 5 देशों रूस चीन कजाकिस्तान किर्गिस्तान एवं तजाकिस्तान ने मिलकर शंघाई 5 नाम से इस संगठन की स्थापना की। बाद में इसे शंघाई सहयोग संगठन कहा जाने लगा ।उज़्बेकिस्तान को भी सदस्य के रूप में शामिल किए जाने के बाद इसे अब शंघाई 6 के नाम से भी जाना जाता है। भारत-पाकिस्तान व ईरान को इस संगठन में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है इसका उद्देश्य आतंकवाद तथा अलगाववाद के विरुद्ध मिलकर कार्य करना है। यह इसे स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र( free trade zone) मे परिणत करने के प्रयास जारी है.
डी-8(D 8):-
8 विकासशील मुस्लिम राष्ट्रों का समूह डी8 विश्व के विकासशील एवं बड़ी जनसंख्या वाले 8 मुस्लिम राष्ट्रों द्वारा जून 1997 में डेवलपिंग 8 अर्थात डी 8 के नाम से समूह का गठन किया गया। इस संगठन का उद्देश्य व्यापार एवं अन्य क्षेत्रों में परस्पर सहयोग स्थापित करना है.
ओपेक ( organisation of the petroleum exporting countries OPEC):- ओपेक पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन है। जिसकी स्थापना वर्ष 1960 में बगदाद में की गई थी ।ईरान इराक कुवैत सऊदी अरब तथा वेनेजुएला ओपेक के संस्थापक सदस्य हैं तथा वर्तमान में ओपेक के 12 सदस्य हैं। ओपेक की स्थापना के प्रमुख उद्देश्य हैं
(1) खनिज तेल के उत्पादन एवं इसकी कीमत को नियंत्रण करके पेट्रोलियम निर्यातक देशों के हितों की रक्षा करना।
(2) तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता लाना।
(3) तेल उत्पादन कीमत एवं निर्यात संबंधी नीति का निर्धारण करना।
विश्व आर्थिक मंच( world economic forum WEF):- विश्व आर्थिक मंच एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें विश्व भर के शीर्ष व्यापार नेताओं अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक नेता पत्रकार विश्व के समक्ष वर्तमान चुनौतियों का विचार करते हैं ।इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी। इसका मुख्यालय स्विजरलैंड के जिनेवा में है। इसके संस्थापक प्रोफेसर कलास श्वाब है.
विश्व व्यापार संगठन में अधिकांश निर्णय अनौपचारिक सभाओं में लिए जाते हैं जिसे ग्रीन रूप मीटिंग कहते हैं जिसमें अधिकांश सदस्य आमंत्रित नहीं होते.मंत्री स्तरीय सम्मेलन विश्व व्यापार संगठन की सर्वोच्च निर्णायक संस्था है जिसकी 2 वर्ष में कम से कम एक मीटिंग अवश्य होती है।वर्ष 2003 में भारत ब्राजील दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर इब्सा नामक संगठन की स्थापना की.
इब्सा( india Brazil and South Africa IBSA):- यह तीनों महादेशों (एशिया, दक्षिण अमेरिका व अफ्रीका) के तीनों उभरते हुए विकासशील देशों (भारत ,ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका) का संगठन है। ये तीनों देश सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के भी दावेदार है ।यही संगठन G3 के नाम से भी जाना जाता है.
यूरो(Euro):- दिसंबर 1991 को यूरोपीय आर्थिक समुदाय के तत्कालीन 12 राष्ट्रों ने मास्टिश्च(नीदरलैण्ड) मे आयोजित शिखर सम्मेलन में आम सहमति के बाद यूरोप के राजनीतिक आर्थिक एवं मौद्रिक एकीकारण हेतु एक संधि पर हस्ताक्षर किया और यही मास्ट्टिश्च संधी यूरो करेंसी के उदय की भी बुनियाद बनी.
यूरो जोन(Euro Zone):- यूरो जोन की स्थापना मास्ट्रेश्च संधि के फल स्वरुप हुई।दिसंबर 1991 में नीदरलैंड के नगर मास्ट्रेश्च में यूरोपीय आर्थिक समुदाय द्वारा एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया ।इस सम्मेलन में 12 यूरोपीय राष्ट्रों ने भाग लिया तथा मौद्रिक एकीकरण के लिए एक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस संधि के पश्चात 1 नवंबर 1993 को यूरोपीय संघ का जन्म हुआ तथा कालांतर में यूरोप के सभी मुद्रा के रूप में यूरोप विश्व पटल पर आई.
यूरो जोन में भागीदारी की शर्तें:-
मास्ट्टिश्च संधि पत्र में यूरो के प्रचलन के लिए चार मुख्य शर्तों का उल्लेख किया गया
- मुद्रास्फीति की दर पर नियंत्रण (उत्तम निष्पादन करने वाले पहले 3 देशों में प्रचलित मुद्रास्फीति दर से मुद्रास्फीति कर दर का 1.5 से अधिक ना होना)
- निम्न ब्याज दर (उत्तम निष्पादन करने वाले प्रथम की ब्याज दर की तुलना से 2% से अधिक ना होना)
- सरकारी रेट का जीडीपी के 60% से अधिक ना होना।
- वार्षिक बजट घाटा जीडीपी के 3% से अधिक ना होना।
- मास्ट्टिश्च संधि में यूरोपीय आर्थिक समुदाय के देशों से उपरोक्त शर्तों को पूरा करने का अनुरोध किया गया कि वे यूरोप की साझी मुद्रा यूरो में अपनी भागीदारी दर्ज कर सके। यूरोप के अब तक 18 राष्ट्रों ने यूरो में भागीदारी हेतु सभी आवश्यक पूर्व शर्तों को पूरा कर लिया है।
पूर्व में यूरोपीय संघ के 12 राष्ट्रों में एकीकृत मुद्रा यूरो का चलन 1 जनवरी 1999 से प्रारंभ हो गया था। इन राष्ट्रों में ऑस्ट्रिया बेल्जियम फिनलैंड फ्रांस जर्मनी ग्रीस आयरलैंड इटली लक्जमबर्ग नीदरलैंड पुर्तगाल और स्पेल शामिल है। यूरो चलन वाले राष्ट्रों के लगभग 30 करोड़ जनसंख्या वाले इस क्षेत्र को यूरो जोन (Euro Zone)कहा जाता है.
ब्रिक्स( brazil Russia India China and South Africa BRICS):- वर्ष 2009 में विश्व के उभरते हुए अर्थव्यवस्था वाले 4 देशों ब्राजील रूस भारत व चीन द्वारा ब्रिक नाम से इस संगठन की स्थापना की गई ।अप्रैल 2010 को ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया में आयोजित ब्रिक देशों के दूसरे सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका को भी संगठन में शामिल करने का निर्णय लिया गया ।इसके बाद इस संगठन का नाम ब्रिक्स पड़ा.
इस संगठन का पहला शिखर सम्मेलन येकाती रिनबर्ग(रूस) में हुआ था।ब्रिक्स का मुख्य उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास करना है। इसे R5 के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इन 5 देशों की मुद्रा R से शुरू होती है। नए ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना तथा वित्तीय सुरक्षा जाल के रूप मे आकस्मित रिजर्व व्वस्था(CRA) के सृजन पर सहमति इस शिखर सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियां रही है.
एशियाई प्रशांत आर्थिक सहयोग( asian Pacific economic cooperation APEC):- एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 1989 में एपेक की स्थापना की गई ।वर्तमान में ऐपेक की सदस्य संख्या 21 है।APEC के सदस्य देश यूरोपीय आर्थिक समुदाय की भांति APEC को भी स्वतंत्र व्यापार क्षेत्र के रूप मे स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील है।
विदेशी बैंकों द्वारा भारतीय बैंकों के साथ खोले गए रुपया खाता को कोर्सेट्रो खाता कहते हैं।वर्ष 2008 में जी-20 देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों की बैठक शुरू हुई थी यह पहले वर्ष में दो बार होती थी किंतु अब वर्ष में एक बार होती है।वर्ष 2010 में 4 विकासशील देशों ब्राजील दक्षिण अफ्रीका भारत एवं चीन ने मिलकर बेसिक(BASIC) नामक संगठन की स्थापना की.
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