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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

Patanjali ( महर्षि पतंजलि)

भारत के महान पुरुषों में पतंजलि का नाम विद्वान लोग बड़े आदर से लेते हैं. संस्कृत व्याकरण का कोई विद्वान नहीं समझा जाता जिस ने इनकी पुस्तक ना पड़ी हो. पतंजलि का नाम तो बातों के लिए विख्यात है. एक तो यह कि उन्होंने व्याकरण की बड़ी अनूठी और पंडिताई से पूर्ण एक पुस्तक लिखी जिसे महाभाष्य कहते हैं. 


           पतंजलि योग दर्शन के भी रचयिता हैं. योग दर्शन में दर्शन या शास्त्र है जिसमें मन को वश में करने का ढंग बताया गया है. पतंजलि के दर्शन के अनुसार यदि मनुष्य अपने मन और शरीर की साधना कर ले तो भाई ईश्वर का दर्शन कर सकता है.

             कुछ विद्वानों का कहना है कि योग शास्त्र के रचयिता पतंजलि और महाभाष्य के रचयिता पतंजलि दो अलग व्यक्ति हैं. योग शास्त्र वाले पतंजलि बहुत पहले हुए और महाभाष्य वाले उनके बहुत पीछे. खेद की बात है कि इसका ठीक-ठीक निशा अभी नहीं किया जा सका है. बहुत से लोग दोनों को एक ही मानते हैं. यदि दो पतंजलि थे तो दोनों ही असाधारण विद्वान और महान व्यक्ति थे. किंतु अधिक विद्वानों का मत है कि दोनों व्यक्ति एक ही थे. महाभाष्य और योग दर्शन के लिखने के ढंग से तथा और बातों से लोगों ने यह स्वीकार किया है कि दोनों के लिखने वाले एक ही पतंजलि है.


             यह कब है इस पर  भी उन लोगों का एक मत नहीं है. अधिक लोगों का विचार है कि यह उस समय थे जब पाटलिपुत्र में पुष्यमित्र शुंग राज्य करते थे. पुष्यमित्र शुंग ने एक यज्ञ किया. उसमें पतंजलि मौजूद थे. पुष्यमित्र आज से लगभग 2100 वर्ष पहले राज्य करते थे.


           इनका जन्म वही हुआ जिसे आजकल को नार्थ कहते हैं. इनकी माता का नाम गोनिका था. पिता के नाम का पता नहीं लगता है. महाभाष्य काशी में रचा गया. काशी में एक स्थान है जिसे नाग कुआं कहते हैं. उसी के समीप में रहते थे. आज भी नाग पंचमी के दिन इस कुएं के पास अनेक पंडित तथा विद्यार्थी एकत्रित होते हैं और संस्कृत व्याकरण के संबंध में विवाद करते हैं. महाभाष्य है तो व्याकरण का ग्रंथ किंतु उन्होंने जो बहुत से उदाहरण दिए हैं उनमें उस समय के चार ढाल रहन-सहन भूगोल साहित्य धर्म समाज और इतिहास का पता लगता है और आज हम उस समय की बहुत सी बातों को जान सकते हैं.


             विद्वानों का कहना है कि महाभाष्य जिस ढंग से लिखा गया है उस ढंग से संसार की किसी भाषा में कोई व्याकरण की पुस्तक नहीं लिखी गई है. एक अंग्रेज विद्वान ने इन्हें व्याकरण का  सम्राट लिखा है. इनके पहले भी संस्कृत भाषा के व्याकरण बनाने वाले हो चुके थे उनमें कुछ परिणी के ढंग पर चलने वाले थे और कुछ दूसरे. उन सबका नाम महाभाष्य में आया है उनकी रचनाएं अब नहीं मिलती किंतु उनके नाम का पता चल जाने से हम यह जान जाते हैं कि हमारे देश में बहुत पुराने समय से संस्कृत भाषा की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाता था वह उस समय सब लोग मानते हैं इनकी मृत्यु के दो तीन सौ साल बाद इनकी पुस्तक बिखर गई. उसी युग में छापे की मशीन नहीं थी. हाथ की लिखी पुस्तक एक थी उसकी प्रतिनिधि एक दो होती थी. आज से लगभग 1100 वर्ष पहले कश्मीर के राजा जय आदित्य ने बड़े परिश्रम से इनकी पुस्तक की खोज की और पूरी पुस्तक लिखवा कर अपने राज्य में उसका प्रचार किया. तब से आज तक उनकी पढ़ाई होती आ रही है और आज तो कोई संस्कृत भाषा का पंडित नहीं माना जाता जिसने महाभाष्य ना पढ़ा हो.

             हमारे देश के जितने महापुरुष हो गए हैं सब में एक ना एक विशेषता थी वह हमारे देश की उन्नति में कुछ ना कुछ शक्ति लगाते थे हमारे सभ्यता का जो विशाल भवन है उसमें कुछ ना कुछ बनाकर वह जाते थे पतंजलि ने हमारी संस्कृत भाषा को ऐसा बना दिया कि वह संसार में सबसे सुव्यवस्थित और वैज्ञानिक हो गई. इससे संसार में संस्कृत भाषा को बहुत ऊंचा पद मिला हम यह कह सकते हैं कि हमारे देश को जिन लोगों ने महान बनाया उनमें पतंजलि भी थे. इन्हीं लोगों के नाम से और काम से विश्व में हमारे देश को एक अलग पहचान मिलती है. इतने पुराने समय में दूसरे किसी देश में कोई ऐसा विद्वान नहीं हुआ जिसने भाषा के सुधार में ऐसा कार्य किया हो इसी से विदेशी भी हमारे देश की सभ्यता का लोहा मानते हैं यूनान में भी पुराने समय में बड़े-बड़े विद्वान हुए हैं चीन में भी हुए हैं उन लोगों की रचनाओं से भी उनके देशों संसार को ज्ञान मिला पतंजलि उन्हीं महान पुरुषों में है जो एक देश से होकर भी सारे संसार के हो जाते हैं.

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