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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

महात्मा गांधी “ मेरे सपनों का भारत ” mahatma Gandhi mere sapnon ka Bharat

2021 को भारत अहिंसा के पुजारी गांधी जी की 152 वी जयंती मना रहा है. उनके सम्मान में विश्व अहिंसा दिवस मनाता है. उन्होंने भारत के भविष्य के लिए क्या सोचा था. जाने उनकी पुस्तक मेरे सपनों का भारत के अंश से.


      भारत की हर चीज मुझे आकर्षित करती है. सर्वोच्च आकांक्षाएं रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिए जो कुछ चाहिए, वह सब उसे भारत में मिल सकता है. भारत दुनिया के उन गिने चुने देशों में से हैं जिन्होंने अपनी अधिकांश पुरानी संस्थाओं को कायम रखा है साथ ही वह अभी तक अंधविश्वास और बुलंदियों की इस गाय को दूर करने की और इस तरह अपना शुद्ध रूप प्रकट करने की अपनी सहज क्षमता भी प्रकट करता है. उसके लाखों-करोड़ों निवासियों के सामने आर्थिक कठिनाइयां खड़ी है उन्हें सुलझा सकने की उनकी योग्यता में मेरा विश्वास इतना उज्जवल कभी नहीं रहा जितना आज है. मेरा विश्वास है कि भारत का दे दूसरे देशों के देर से कुछ अलग है. भारत ने आत्म शुद्धि के लिए सुरक्षा पूर्वक जैसा प्रश्न किया है उसका दुनिया में कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. भारत को फौलाद के हथियारों की इतनी आवश्यकता नहीं है वह हथियारों से लड़ा है और आज भी वह उन्हीं हथियारों से लड़ सकता है. दूसरे देश पशु बल के पुजारी रहे हैं. यूरोप में अभी जो भयंकर युद्ध रहा है वह इस सत्य का एक प्रभावशाली उदाहरण है. भारत अपने आत्मबल से सबको जीत सकता है. यदि भारत तलवार की नीति अपनाए तो वह छड़ी किसी भी जा पा सकता है. लेकिन जब तक भारत मेरे गर्व का विषय नहीं रहेगा मैं भारत की भक्ति करता हूं क्योंकि मेरे पास जो कुछ भी है वह सब उसी का दिया हुआ है. मेरा पूरा विश्वास है कि उसके पास सारी दुनिया के लिए एक संदेश है. उसे यूरोप का अंधानुकरण नहीं करना है. भारत के द्वारा तलवार का स्वीकार मेरी कसौटी की घड़ी होगी मैं आशा करता हूं कि उस कसौटी पर मैं खरा उतरूंगा. राजधर्म भौगोलिक सीमाओं से मर्यादित नहीं है यदि उसमें मेरा जीवंत विश्वास है तो वह मेरे भारत प्रेम का भी अतिक्रमण कर जाएगा. मेरा जीवन अहिंसा धर्म के पालन द्वारा भारत की सेवा के लिए समर्पित है. भारत ने हिंसा को अपना धर्म स्वीकार कर लिया और यदि उस समय में जीवित रहा तो मैं भारत में नहीं रहना चाहूंगा. तब वह मेरे मन में गर्व की भावना उत्पन्न नहीं करेगा मेरा देश प्रेम मेरे धर्म द्वारा नियंत्रण है मैं भारत से उसी तरह बंधा हुआ हूं जिस तरह कोई बालक अपनी मां की छाती से लिपटा रहता है. जिस तरह कोई बालक अपनी मां की छाती से लिपटा चिपका रहता है क्योंकि मैं महसूस करता हूं कि वह मुझे मेरा आवश्यक आध्यात्मिक पोषण देता है. उसके वातावरण से मुझे अपनी उच्चतम आकांक्षाओं की पुकार का उत्तर मिलता है. मैं भारत को स्वतंत्र और बलवान बना हुआ देखना चाहता हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि वह दुनिया के भले के लिए स्वेच्छा पूर्वक अपनी पवित्र आहुति दे सके. की स्वतंत्रता से शांति और युद्ध के बारे में दूधिया की दृष्टि में जड़ मूल से क्रांति हो जाएगी. उसकी मौजूदा लाचारी और कमजोरी का सारी दुनिया पर बुरा असर पड़ेगा.

          मैं यह  मान ने जितना नम्र तो हो ही की पश्चिम के पास बहुत कुछ ऐसा है जिसे हम उस से ले सकते हैं. पचा सकते हैं और लाभान्वित हो सकते हैं. ज्ञान किसी एक देश या जाति के एकाधिकार की वस्तु नहीं है पाश्चात्य सभ्यता का मेरा विरोध असल में उस विचार ही और विवेक ही नकल का विरोध है जो यह मानकर की जाती है कि एशिया निवासी तो पश्चिम से आने वाली हर एक चीज की नकल करने जितनी ही योग्यता रखते हैं मैं दृढ़ता पूर्वक विश्वास करता हूं कि यदि भारत में दुख और तपस्या की आग में गुजरने जितना धीरज दिखाया और अपनी सभ्यता पर जो अपूर्ण होते हुए भी अभी तक काल के प्रभाव को जेल सकी है किसी भी दिशा से कोई अनुचित आक्रमण ना होने दिया तो वह दुनिया की शांति और ठोस प्रगति में स्थाई योगदान कर सकती है.

            भारत का भविष्य पश्चिम के उच्च रक्त रंजित मार्ग पर नहीं है जिस पर चलते चलते पश्चिम अब खुद थक गया है उसका भविष्य दोष सरल धार्मिक जीवन द्वारा प्राप्त शांति के अहिंसक रास्ते पर चलने में ही है भारत के सामने इस समय अपनी आत्मा को खोने का खतरा उपस्थित है. और यह संभव नहीं है कि अपनी आत्मा को खोकर भी व जीवित रह सके इसलिए आलसी की तरह उसे लाचारी प्रकट करते हुए ऐसा नहीं कहना चाहिए कि पश्चिम की इस बाढ़ से मैं पूछ नहीं सकता अपनी और दुनिया की भलाई के लिए उस बाढ़ को रोकने योग्य शक्तिशाली तो उसे बनना ही होगा.

              यूरोपीय सभ्यता बेशक यूरोप के निवासियों के लिए अनुकूल है लेकिन यदि हमने उसकी नकल करने की कोशिश की तो भारत के लिए उसका अर्थ अपना नाश कर लेना होगा. मतलब यह नहीं कि उसमें जो कुछ और हम पचा सके ऐसा हो उसे हम ले नहीं या  पचाए नहीं. इसी तरह उसका यह मतलब भी नहीं है कि उस सभ्यता में जो दोस्त घुस गए हैं उन्हें यूरोप के लोगों को दूर नहीं करना पड़ेगा शारीरिक सुख सुविधाओं की सतत खोज और उनकी संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि ऐसा ही एक दोस्त है और मैं साहस पूर्वक यह घोषणा करता हूं कि जिन सुख सुविधाओं के वे गुलाम बनते जा रहे हैं उनके बॉस से यदि उन्हें कुछ नहीं जाना है तो यूरोपीय लोगों को अपना दृष्टिकोण बदलना पड़ेगा. संभव है मेरा यह निष्कर्ष करत हो लेकिन यह मैं निशा पूर्वक जानता हूं कि भारत के लिए इस सुनहरे माया मृग के पीछे दौड़ने का अर्थ आत्मनास के सिवा और कुछ ना होगा. हमें अपने हृदय ऊपर एक पाठ सात तत्व नाथ का यह बोध वाक्य अंकित कर लेना चाहिए सादा जीवन उच्च चिंतन आज तो यह निश्चित है कि हमारे लाखों करोड़ों लोगों के लिए सुख सुविधाओं वाला जीवन संभव नहीं है और हम मुट्ठी भर लोग जो सामान्य जनता के लिए चिंतन करने का दावा करते हैं सुख सुविधाओं वाले उचित जीवन की निरर्थक खोज में उच्च चिंतन को खोने का जोखिम उठा रहे हैं.

             मैं ऐसे संविधान की रचना करवाने का प्रयत्न करूंगा जो भारत को हर तरह की गुलामी और परवालंबन से मुक्त कर दे. ऐसे भारत के लिए कोशिश करूंगा जिसमें गरीब से गरीब लोग भी यह महसूस करेंगे कि यह उनका देश है जिनके निर्माण में उनकी आवाज का महत्व है.

              मैं ऐसे भारत के लिए कोशिश करूंगा जिसमें ऊंचे और नीचे वर्गों का भेद नहीं होगा और जिसमें विभिन्न संप्रदायों में पूरा मेलजोल होगा. ऐसे भारतीय अस्पृश्यता या शराब और दूसरी नशीली चीजों के अभिशाप के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता उसमें स्त्रियों को वही अधिकार होंगे जो पुरुष को होंगे क्योंकि शेष सारी दुनिया के साथ हमारा संबंध शांति का होगा यानी ना तो हम किसी का शोषण करेंगे और ना किसी के द्वारा अपना शोषण होने देंगे इसलिए हमारी सेना छोटी से छोटी होगी ऐसे सब हितों का जिनका करोड़ों मूर्ख लोगों से कोई विरोध नहीं है पूरा सम्मान किया जाएगा फिर वह हित देसी हो या विदेशी अपने लिए तो मैं यह कह सकता हूं कि मैं देसी और विदेशी के फर्क से नफरत करता हूं यह है मेरा सपनों का भारत.

                 महात्मा गांधी की पुस्तक मेरे सपनों के भारत से लिया गया कुछ अंश.

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