Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
प्राचीन काल से ही भारत scientist और philosopher एवं विद्वानों का देश रहा है. प्राचीन काल में जहां वराहमिहिर ब्रह्मा गुप्ता तथा भास्कराचार्य और चरक जैसे महान वैज्ञानिक हुए हैं वहीं modern India में भी british Empire की स्थापना के पश्चात kolkata mumbai तथा मद्रास में विश्वविद्यालय तथा आयुर्विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना हुई है भारतीय विद्वानों के प्रयत्न स्वरूप 18 76 में कोलकाता में इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस (indian Association for cultivation of science) नामक संस्था की स्थापना की गई विज्ञान की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया कुछ भारतीय वैज्ञानिकों का परिचय इस प्रकार है -
Prafulla Chandra Ray (प्रफुल्ल चंद्र रे) 1861 - 1944: -
प्रफुल्ल चंद्र रे का जन्म बंगाल के एक समृद्ध परिवार में 2 august 1861 को हुआ था उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें gilchrist scholarship प्रदान कर उन्हें higher education के लिए edinburg (एडिनबर्ग) भेजा गया.1888 मे doctor of science की उपाधि प्राप्त कर कलकत्ता लौटने पर वे presidency College (प्रेसीडेंसी महाविद्यालय) रसायन शास्त्र के प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए.27 वर्ष तक chemistry के क्षेत्र में research करने के पश्चात उन्होंने अवकाश ग्रहण किया उसके पश्चात वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में विज्ञान महाविद्यालय में प्रोफेसर ऑफ केमिस्ट्री (professor of chemistry के पद पर नियुक्त हुए उन्होंने indian School of chemistry की स्थापना की रासायन शास्त्र के क्षेत्र में उपलब्धियों के कारण ब्रिटिश शासन ने इन्हें नाइट की उपाधि से विभूषित किया तथा लंदन की केमिकल सोसायटी का मानद सदस्य बनाया उन्होंने एक ग्रंथ द हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमिस्ट्री (the history of Hindu chemistry) की रचना की उनका स्वदेशी वस्तुओं विश्वास था तथा रविंद्र नाथ टैगोर गांधी जी हम जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रशंसित थे वे जीवन भर अविवाहित रहे उनका निधन 16 जून 1944 को हो गया...
( 2) jagdish Chandra Bose (जगदीश चंद्र बोस) 1858 - 1937: -
वनस्पतियों में भी संवेदना होती है यह प्रमाणित करने वाले प्रथम भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस थे उनका जन्म बंगाल के मैमनसिंह (आधुनिक बांग्लादेश) मे सन 1858 में हुआ उनकी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता में हुई तथा बाद में भी उच्च अध्ययन के लिए लंदन गए जहां cambridge मे physics chemistry तथा प्राणिशास्त्र का अध्ययन कर BSC की उपाधि प्राप्त की बाद में कलकत्ता लौटने पर वे प्रेसीडेंसी महाविद्यालय मे प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुये। जगदीश चंद्र ने विद्युत चुंबकीय तरंगों का शोध कार्य कर अति सूक्ष्म रेडियो तरंगों को उत्पन्न किया और बेतार तथा रेडियो क्षेत्र में उनकी उपयोगिता को प्रदर्शित किया.
अपने शोध कार्य के दूसरे चरण में उन्होंने वनस्पतियों में भी संवेदना होती है को सिद्ध किया उनके द्वारा अविष्कृत क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र पौधों के स्पंदन को लाखों गुना विस्तृत कर प्रदर्शित कर सकता है अवकाश करने के पश्चात उन्होंने कलकत्ता में बोस अनुसंधान संस्थान की स्थापना की 24 नवंबर 1937 में उनका देहांत हो गया.
( 3) G.Ramanujam (जी. रामानुजम) 1887 - 1920): -
रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 18 87 को तमिलनाडु को तंजौर जिले के कुमाकोनम में हुआ था वह बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि वाले माने जाते थे तथा अपना समय अंकगणित की समस्याओं को सुलझाने में लगाते थे इन समस्याओं में व्यस्त रहने से वे अपनी इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी सफल नहीं हो सके उन्होंने बाद में पोर्ट ट्रस्ट में एक लिपिक की नौकरी आरंभ ही परंतु शीघ्र ही उनकी प्रतिभा को cambridge college professor Hardy ने भांप लिया तथा उन्हें छात्रवृत्ति देकर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड बुला लिया गणित के कठिन समस्याओं को सुलझाने कि उनकी असीम प्रतिभा को विद्वानों ने सराहा तथा वे रॉयल सोसाइटी के फेलो चुन लिए गए इंग्लैंड में 5 वर्ष रहने के दौरान वे तपेदिक से पीड़ित हो गए वह भारत लौट आए जहां 26 अप्रैल 1920 के अल्पायु में ही उनका देहावसान हो गया.
4 चंद्रशेखर वेंकटरमन chandrashekhar Venkatraman (1889): -
चंद्रशेखर वेंकटरमन आधुनिक भारत के एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक थे 17 नवंबर 1889 को त्रिचनापल्ली तमिलनाडु में उनका जन्म हुआ उनकी शिक्षा मद्रास विश्वविद्यालय में हुई और वे भारतीय शासन में वित्त विभाग में अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए अपने सरकारी कार्यकाल के दौरान भी वह विज्ञान के रुचि रखते थे जब उनका स्थानांतरण कलकत्ता में हुआ तो कलकत्ता विश्व विधालय के कुलपति सर आशुतोष मुखर्जी ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर पर नियुक्त किया इस पद पर कार्य करते हुए उनके शोध परिणाम विस्मय कारी सिद्ध हुए और 1928 में उन्होंने रमन इफेक्ट की खोज की 1929 में ब्रिटिश शासन ने उन्हें नाइट की उपाधि से विभूषित किया और 1930 में वे प्रथम भारतीय एशियन थे जिन्हें भौतिकी के क्षेत्र में बहुमूल्य शोध प्रस्तुत करने के फलस्वरूप नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया.
रमन के शोध का स्पेक्ट्रोस्कॉपी था 1933 में उन्हें बेंगलुरू स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान का संचालक नियुक्त किया गया इस पद पर वे कुछ वर्षों तक बनी रहे इसके बाद उन्होंने रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा इंडियन एकेडमी ऑफ साइंस की स्थापना की स्वतंत्रता के पश्चात भौतिकी के नेशनल प्रोफेसर नियुक्त हुए 1954 में उन्होंने फ्लोरल कलर से संबंधित अनेक खोजें कीं। वे अपने जीवन के अंत तक प्रयोगात्मक विज्ञान में रुचि लेते रहे उनका स्वर्गवास नवंबर 1972 में हो गया.
5: मेघनाद साहा meghnath Saha 1893 - 1956: -
मेघनाथ साहा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भारतीय वैज्ञानिक थे 16 अक्टूबर 1893 में उनका जन्म आधुनिक बंगाल में ढाका के निकट शेवड़ातल्ली में हुआ कलकत्ता विश्वविद्यालय में डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने इंग्लैंड व जर्मनी में शोध कार्य किया 1923 से 1938 तक आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर पद पर कार्यरत रहे तत्पश्चात 1952 तक वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे। 1951से 1956 तक संसद सदस्य भी रहे । उनके ऊष्मीय आयनिक सिद्धांत को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई और इसे खगोल भौतिकी के क्षेत्र में एक महान खोज माना जाता है द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व मेघनाद शाह ने न्यूक्लियर फिजिक्स के विशाल भविष्य को समझकर इस पर शोध कार्य करने पर बल दिया स्वतंत्रता के पश्चात उन्होंने कलकत्ता में स्थित इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर फिजिक्स की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उसके संस्थापक निर्देशक रहे 1935 में उन्होंने साइंस एवं कल्चर नामक विज्ञान की पत्रिका निकाली और उसके अजीवन संपादक रहे.
( 6) होमी जहांगीर भाभा ( Homi Jahangir Bhabha) 1910 - 1966: -
भारतीय वैज्ञानिकों में होमी जहांगीर भाभा का नाम आदर भाव से लिया जाता है उनका जन्म 30 अक्टूबर 1910 में हुआ था काॅस्मिक विकिरण के क्षेत्र में इनके शोध कार्य पर 1934 में इन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डॉक्टर आफ फिलासफी की उपाधि प्राप्त की उन्होंने पाउली एवं फर्मी जैसे अनेक प्रसिद्ध भौतिकशास्त्रियों के साथ कार्य किया कॉस्मिक किरणों की बौछार के सिद्धांत का प्रतिपादन किया 45 वर्ष की अवस्था में उन्हें लंदन की रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया इंग्लैंड से लौटने के पश्चात उन्होंने बेंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में रीडर के पद पर कार्य करना प्रारंभ किया तत्पश्चात वे प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए.
1954 में बम्बई में टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की और उन्हें इसका निर्देशन नियुक्त किया गया वह 1948 से 1966 तक परमाणु शक्ति आयोग के अध्यक्ष एवं 1954 से 1966 तक भारत सरकार के परमाणु शक्ति विभाग के सचिव रहे 1951 में आप भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष चुने जाएंगे 1912 मे एडम पुरस्कार 1948 में होपकिंस पुरस्कार तथा 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया इनका निधन जनवरी 1966 में एक वायुयान दुर्घटना में हुआ ।उन्हीं के नाम पर मुंबई स्थित एटॉमिक रिसर्च सेंटर का नाम रखा गया है.
7: - विक्रम साराभाई (vikram Sarabhai) 1919 - 1971: -
होमी जहांगीर भाभा के निधन के बाद इनके रिक्त स्थान की पूर्ति विक्रम साराभाई ने की उन्होंने विकासशील राष्ट्र के जीवन स्तर को बढ़ाने में अंतरिक्ष विज्ञान के योगदान पर बल दिया इन्हीं के प्रयासों से भारत में कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष शोध केंद्र त्रिवेंद्रम बेंगलुरु श्रीहरिकोटा एवं अहमदाबाद आदि में कार्य कर रहे हैं इनका निधन 1971 में मात्र 52 वर्ष की आयु में हो गया.
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