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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

भारत छोड़ो आंदोलन, royal Navy विद्रोह( quit India Movement ,royal indian Navy revolution) 1946 से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

Question (1): - नाविक विद्रोह (आर आई एन) की उत्पत्ति का वर्णन कीजिए. स्पष्ट कीजिए कि इसमें भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया?

इसमें ROYAL INDIAN  NAVY विद्रोह के कारण बताकर उसके प्रभावों के बारे में लिखना है.

Answer: - भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अंतिम पड़ाव की शौर्यपूर्ण घटना थी ,भारतीय नौसैनिकों का विद्रोह 18 फरवरी 1946 को रॉयल इंडियन नेवी (भारतीय शाही नौसेना) के गैर कमीशंड अधिकारीयों  एवं नौसैनिकों जिन्हें रेटिंग्ज कहा जाता था ने बम्बई (मुंबई ) मे सैनिक विद्रोह कर दिया .इस नौसैनिक विद्रोह का मुख्य कारण थे- घटिया भोजन ,रंगभेद एवं नस्ली गालियां ,उनके राष्ट्रीय चरित्र पर छींटाकशी करना था. इस विद्रोह का प्रारंभ नौसैनिक प्रशिक्षण पोत  तलवार के नौसैनिकों द्वारा खराब खाने के बारे में शिकायत के साथ शुरू हुआ 19 फरवरी तक यह विद्रोह  20 नौसैनिक (बम्बई मे)जहाजों में फैल गया था। इस विद्रोह ने भारतीय राजनीति को निम्न रूप से प्रभावित किया.

  • इस आंदोलन से यह स्पष्ट हो गया कि बिना किसी राजनीतिक दल के समर्थन के भी भारतीय जनता विद्रोह कर सकती है.

  • इससे नेताओं को यह आभास हुआ कि यदि कोई बड़ा स्वतंत्रता आंदोलन नहीं किया गया तो संपूर्ण जनता स्वयं ही आंदोलनरत एवं हिंसक गतिविधियों में संलिप्त हो जाएगी.

  • इस विद्रोह से यह स्पष्ट हो गया कि अब सेना भी सरकार के साथ नहीं है.

  • इस आंदोलन का प्रभाव यह रहा कि ब्रिटिश सरकार ने कैबिनेट मिशन भेजा.

  • इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को और अधिक तीव्रता प्रदान करने में ईधन का काम किया.

  • इसने स्वतंत्रता आंदोलन एवं राजनीतिक नेतृत्व की दशा एवं दिशा बदल दी.


Question (2): - भारत छोड़ो आंदोलन के प्रति विभिन्न राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण ओं का मूल्यांकन कीजिए.

Explanation: - प्रश्न के उत्तर में विभिन्न राजनीतिक दलों जैसे कांग्रेस समाजवादी दल मुस्लिम लीग तैयारी का भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान का उल्लेख करना है.

  • Answer: - वर्ष 1942 में क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया .इस आंदोलन के लिए प्रत्येक राजनीतिक दल अलग-अलग विचार रखते थे .एक ओर जहां कांग्रेस और समाजवादी दल इस आंदोलन के समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर साम्यवादी उदारवादी और मुस्लिम लीग इसका विरोध कर रहे थे.

  • मुस्लिम लीग का विरोध इसलिए था क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि बंटवारे से पहले अंग्रेज भारत छोड़े वहीं साम्यवादी दल भी इस आंदोलन को साम्राज्यवादी बताकर विरोध कर रहे थे.

  • प्रारंभ में हिंदू महासभा ने इस आंदोलन में हिंदुओं की भागीदारिता को रोकने का प्रयास किया किंतु बाद में उसने भारत में पूर्ण स्वतंत्रता व राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की मांग की.

  • उदारवादी दल ने आंदोलन को अकल्पित व असामयिक बताया तथा विरोध स्वरूप गांधी जी को स्वयं को राजनीति से अलग करने को कहा.

  • हरिजन ईसाई तथा अकाली दल ने भी इस आंदोलन का विरोध किया किंतु पारसी इस आन्दोलन  के समर्थन में थे तथा भारत की पूर्ण स्वतंत्रता चाहते थे.


Question (3): - भारत की स्वतंत्रता में सुभाष चंद्र बोस के योगदान का मूल्यांकन कीजिए?

Explanation: - उत्तर में कांग्रेस सदस्य के रूप में सुभाष चंद्र बोस की उपलब्धियां तथा आजाद हिंद फौज का वर्णन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में करना है.


Answer: - भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन तथा स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस का नाम अविस्मरणीय है. इन्होंने आईसीएस की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बावजूद देश की सेवा के लिए पद को त्याग दिया वेसीआर दा से अत्यधिक प्रभावित है तथा वर्ष 1921 में सीआर दास द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कालेज के प्राचार्य नियुक्त हुए तथा आगे चलकर इन्होंने महात्मा गांधी द्वारा संचालित आंदोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक दल का कमांडर बनाया गया.

जब स्वराज दल का गठन हुआ तो इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी BOSE को दी गई तथा कोलकाता कारपोरेशन में जब उनके दल की विजय हुई तो उन्हें मेयर बनाया गया.

लेकिन इंडिपेंडेंट लीग तथा महात्मा गांधी से बढ़ते हुए मतभेदों के कारण कांग्रेस से त्यागपत्र देकर फारवर्ड ब्लाक नामक दल का निर्माण किया इससे पहले दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे.

सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज को नेतृत्व प्रदान किया नेता जी के नेतृत्व में सेना ने अंग्रेजों से लोहा लिया और उन्हें हराते हुए भी इंफाल तक पहुंच गए लेकिन युद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिंद फौज के अफसरों को गिरफ्तार कर लिया गया किंतु नेताजी वहां से गायब हो गए जो कि आज तक रहस्य बना हुआ है.

Question (4): - भारतीय राष्ट्रीयता पर सर तेज बहादुर सप्रू के विचारों का समालोचनात्मक आंकलन कीजिए?

Explanation: - उत्तर में उदारवादी व्यक्तित्व के रूप में सर तेज बहादुर सप्रू की उपलब्धियों का विश्लेषण करना है.

Answer: - भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में प्रारंभ हुए उदारवादी विचारों के प्रमुख नेता सर तेज बहादुर सप्रू थे जिनकी भागीदारी ता के कारण ही कांग्रेस में उदारवादी दल स्पष्ट रूप से उभर कर  आया.

वर्ष 1916 में कांग्रेस में  उग्रवादियों को पुनः कांग्रेस में सर तेज बहादुर सप्रू के प्रयासों से ही संभव हो सका कि महान उग्रवादी नेता तिलक भारतीय राजनीति का दोबारा से हिस्सा बने.

इसके पश्चात गोल में सम्मेलन जो कि लंदन में हुए थे सप्रू द्वारा भागीदारी निभाई गई लेकिन असफल गोल में सम्मेलन के परिणाम पर जब गांधीजी सांप्रदायिकता के मुद्दे पर अनशन पर बैठे तो मध्यस्था करते हुए गांधी अंबेडकर के मध्य संप्रदायिकता के विरुद्ध पूना पैक्ट करवाया.

सर तेज बहादुर सप्रू एक नामी वकील थे उन्होंने मेरठ षड्यंत्र केस की पैरवी की जो कि साम्य वादियों के हित के लिए लड़ रहे थे यहां उन्होंने जवाहरलाल नेहरू एवं  भूलाभाई देसाई का सहयोग लिया था.

निसंदेह एक उदारवादी विचारधारा के प्रवर्तक सर तेज बहादुर सप्रू का राष्ट्रीय आंदोलन महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

Question (5): - फरवरी 1946 में तत्कालीन रॉयल इंडियन नेवी में गठित होने वाले लोक विद्रोह में घटनाओं के प्रमुख अनुक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए और स्वतंत्रता संग्राम में उसके महत्व पर प्रकाश डालिए क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि इस विद्रोह में भाग लेने वाले नाविक स्वतंत्रता संग्राम के कुछ अकीर्तित वीरों में से कुछ थे?

       Explanation: - उत्तर में नौसैनिक विद्रोह के प्रारंभिक कारण एवं उसकी वास्तविकता से अवगत कराते हुए इनका संबंध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से बताना है.

Answer: - मुंबई में हुए नौसैनिकों का विद्रोह अनेक कारणों का परिणाम था तद्नुसार नौसेना का विस्तार युद्ध काल में किया गया था जिसमें असैनिक वर्ग के लोगों को भी इस में भर्ती किया गया था यह असैनिक वर्ग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से ओतप्रोत राजनीतिक चेतना लिए हुए थे.

  • नौसैनिकों का युद्ध के दौरान गैर भारतीयों से संपर्क हुआ था यहां इन भारतीय नौसैनिकों को अपनी दयनीय स्थिति का पता चला। ये प्रजातीय विभेद से अत्यंत क्षुब्ध थे.

  • आजाद हिंद फौज के अधिकारियों पर चलाए गए मुकदमे से भी इन सैनिकों में रोष उत्पन्न हुआ.

  • इसके अलावा ब्रिटिश ने द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात की गई अपनी घोषणा का अनुमोदन नहीं किया था इन सारी घटनाओं का एक साथ उबाल तब उठा जब नौसैनिकों ने इन भेदभाव नीति के विरुद्ध आंदोलन का मार्ग धारण किया.

  • 18 फरवरी 1946 को बम्बई  (  मुंबई ) में तलवार नामक जहाज के नाविकों ने खुली बगावत आरंभ कर दी नौसैनिकों ने भेदभाव के रूप में मिलने वाले घटिया भोजन का विरोध किया तथा भूख हड़ताल पर बैठ गए अगले ही दिन बगावत मुंबई के अन्य जहाजों पर भी फैल गई ।विरोध के रूप में नाविकों ने अंग्रेजी झंडा उतार फेंका तथा भारतीय झंडा तिरंगा झंडा एवं हसिया बाली से युक्त साम्यवादी झंडा लहरा दिया.

  • इसको समाप्त करने के लिए ब्रिटिशों ने  जालसाजी करते हुए पहले तो आश्वासन दिया फिर उन पर दमनपूर्ण घेराबंदी की इसकी सहायता नागरिकों एवं दुकानदारों ने की कुछ ही समय में यह आंदोलन अन्य बंदरगाहों जैसे कोलकाता विशाखापट्टनम कराची में भी फैल गया.

  • आंदोलन के समर्थन में साम्यवादी दल एवं कांग्रेस समाजवादी दल ने पूर्ण हड़ताल की घोषणा की तथा इस क्रम में इनकी पुलिस से हिंसक झड़पें हुई जिसमें सैकड़ों व्यक्ति मारे गये बाद में 23 फरवरी 1946 को सरदार वल्लभ भाई पटेल के आश्वासन पर नाविकों ने अपना विद्रोह समाप्त किया.

  • कुल मिलाकर नौसेना विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना इतिहास दर्ज करता है जिसमें थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन समुद्र के रास्ते से ब्रिटिश अधिकारियों को चिंता में अवश्य डाला था अन्य भारतीय विद्रोह की तरह यह विद्रोह भी  ब्रिटिश नीति की अवहेलना था तथा अपने अधिकारों की लड़ाई थी इसमें भाग लेने वाले वीरों ने भारतीय संग्राम में अपना नाम शहादत के साथ दर्ज कराया।



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