Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
हाल के वर्षों में देश का pharma sector तेजी से आगे बढ़ते हुए engineering और medical को कड़ी टक्कर देता दिख रहा है coronavirus pandemic में तमाम सेक्टर जहां कमोबेश बदहाल रहे वहीं इस दौरान pharma sector में और तेजी से छलांग लगाई इसका प्रमाण भारत में लगातार बढ़ती pharma company की संख्या और इस sector में skilled professionals की मांग है.
reserve Bank of India की ताजा आकलन रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक देश का pharma business 3 गुना से भी ज्यादा हो जाएगा जो अभी मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा औषधि उत्पादक देश है विभिन्न तरह की नौकरियों की प्रारूप संभावनाओं ने ही इस फील्ड की और युवाओं का ध्यान खींचा है फार्मा कोर्स करने के बाद आप सिर्फ hospital में pharmacist बनने का विकल्प ही नहीं है बल्कि research analyst drug inspector marketing executive medical executive, जैसे कई अन्य आकर्षक package वाली नौकरियां भी सामने आ गई है इनमें तरक्की के अवसर भी खूब है.
Growth full sector of Pharma (तेजी से बढ़ता सेक्टर): - विभिन्न रोगों के इलाज में काम आने वाली ayurvedic medicine के निर्माण storage और doctor के training के अनुसार medicine के वितरण से जुड़े science को pharmacy कहते हैं medical के field में हर दिन जिस तरह की नई research हो रही है उसमें pharmacy का अहम रोल है यही वजह है कि पिछले 3 दशकों के दौरान फार्मेसी के जानकार औषधि अनुसंधान और निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं आइए जानते हैं pharmacy का course करके आप किस-किस रूप में आकर्षक career बनाने की राह पर बढ़ सकते हैं.
Pharmacist (फार्मासिस्ट): - यह पारंपरिक और सदाबहार नौकरी है सरकारी व private hospitals nursing homes health care centre आदि में इनकी अनिवार्य जरूरत होती है doctor के prescription को समझकर उसके अनुसार सही दवा देने का काम फार्मासिस्ट ही करते हैं डॉक्टर द्वारा लिखे प्रिसक्रिप्शन को ठीक से ना समझ पाने के कारण पर आया यह मरीज या तीमारदार को दवाओं के सेवन के बारे में अच्छी तरह समझाते भी हैं दवाओं की दुकान खोलने के लिए एक फार्मासिस्ट के रूप में समुचित प्राधिकारी से लाइसेंस (licence) होना चाहिए या लाइसेंस उसे ही मिलता है जो किसी मान्यता प्राप्त संस्था से फार्मेसी का कोर्स (degree or diploma pharmacy) कर चुका होता है.
Drug inspector (ड्रग इंस्पेक्टर): - pharma course करके drug inspector भी बन सकते हैं pharma company से निर्माण के बाद जब दवाएं बाजार में आती है तो ड्रग इंस्पेक्टर ही दवाओं की गुणवत्ता उसकी उपयोगिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने का काम करते हैं ड्रग इंस्पेक्टर को medicine के बारे में aur medicine से जुड़े कानूनों की अच्छी जानकारी होती है दवाओं में salt के कॉमिनेशन और उसकी टेस्टिंग की भी इन्हें समझ होती है.
Medical representative (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव): - बी फार्मा डिग्री कोर्स (b Pharma degree) करके मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (medical representative) (एमआर) भी बना जा सकता है सभी छोटी-बड़ी फार्मा कंपनियां अपने फार्मा प्रोडक्ट्स और मेडिकल डिवाइसेज (medical devices) की मार्केटिंग के लिए ऐसे प्रोफेशनल्स (professional) को नियुक्त करती है ऐसे professional ko package ( पैकेज ) भी काफी अच्छा मिलता है साथ में सालाना सेल्स इंसेंटिव (sales incentive) भी मिलता है.
Quality control associate (क्वालिटी कंट्रोल एसोसिएट): - फार्मा इंडस्ट्री (pharma Industry) में इस विशेषज्ञता वाले प्रोफेशनल की भी काफी मांग देखी जा रही है फार्मा क्यूटिकल (pharmaceutical) से लेकर सभी तरह के मेडिकल डिवाइसेज के प्रोडक्शन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट (manufacturing unit) में गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे प्रोफेशनल की सेवाएं ली जाती है बी फार्मा में ग्रेजुएशन करके प्रोडक्शन एवं क्वालिटी कंट्रोल एसोसिएट (quality control associate) के तौर पर कैरियर शुरू किया जा सकता है.
Medical Scribe (मेडिकल स्क्राइब): - यह एक नए तरह का job profile है इन दिनों इस में career opportunity बहुत तेजी से बढ़ रही है मेडिकल स्क्राइब को ही मेडिकल कोडर या मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन एग्जीक्यूटिव (medical transcription executive) भी कहा जाता है जो मेडिकल दस्तावेजों का writing करते हैं दवाओं का डिस्क्रिप्शन और मैनुअल तैयार करते हैं शुरुआत में छोटी-छोटी फार्मा कंपनियों के लिए काम करते हुए आगे चलकर यहां बड़ी कंपनियों में अवसर बड़ी आसानी से मिल जाते हैं तब सैलरी भी काफी अच्छी हो जाती है अमूमन बी फार्मा क्वालीफाई (b Pharma qualified) लोगों को कंपनियां अपने हैं इन पदों पर रखती हैं.
Clinical pharmacist drug information pharmacist (क्लिनिकल फार्मासिस्ट ड्रग इनफॉरमेशन फार्मासिस्ट): - ऐसे प्रोफेशनल मरीजों को दी जाने वाली दवाओं के विभिन्न पहलुओं की क्लीनिकल जांच करते हुए उससे मरीजों को जागरूक कहते हैं ऐसा माना जाता रहा है कि आने वाले दिनों में नई-नई बीमारियों के सामने आने से इस प्रोफाइल के जॉब्स की उपयोगिता और बढ़ेगी.
Education qualification (शैक्षणिक योग्यताएं): - 12वीं के बाद फार्मेसी में डिप्लोमा (डी फार्मा) या डिग्री कोर्स किया जा सकता है डिप्लोमा कोर्स के लिए फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी तथा मैथ के साथ 12वीं होना चाहिए यह तो वर्ष का होता है वही ग्रेजुएशन यानी बी फार्मा (bachelor in pharmacy) course 4 वर्ष की अवधि क्या होता है मैथ के अलावा कंप्यूटर साइंस बायो टेक्नोलॉजी वा बायोलॉजी से 12वीं करने वाले भी यह कोर्स कर सकते हैं.
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