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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

महात्मा गांधी और भारतीय शिक्षा पद्धति से सम्बन्धित कुछ प्रश्नोत्तर for UPSC exam : Mohandas Karamchand Gandhi and education system of British India

QUESTION :-   महात्मा गांधी की बेसिक शिक्षा की अवधारणा की विवेचना कीजिए . यह रूढिगत शिक्षा पद्धति से कहां तक भिन्न  थी?
इस प्रश्न में महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा का वर्णन करते हुए तत्कालीन शिक्षा पद्धति के दोषों को बताना है जिससे भिन्नता स्पष्ट हो सके.


ANSWER :- गांधीजी ने वर्तमान शिक्षा पद्धति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि अंग्रेजी शिक्षा पद्धति ने हमारे बच्चों को रट्टू बना दिया है। इसलिए उन्होंने बेसिक शिक्षा की विचारधारा को विकसित किया तथा उसी के अनुरूप शिक्षा में सुधार करने की दिशा में कार्य किया.

           बेसिक शिक्षा पद्धति इस अवधारणा पर आधारित थी कि जिससे बच्चों में सामाजिक और व्यक्तिगत रचनात्मक गुणों को विकसित करने में मदद मिलती है उनके अनुसार शिक्षा को आत्मनिर्भर होना चाहिए तथा यह राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो इसके तहत शारीरिक प्रशिक्षण स्वच्छता स्वालंबन पर जोर दिया गया शिक्षा को हस्तकला से संबंधित होना चाहिए तथा इसका माध्यम मैट्रिकुलेशन तक स्थानीय भाषा में हो उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को उच्चतम लक्ष्य की अनुभूति कराना स्वयं में सर्वोत्तम बनने में प्रेरणादायक होनी चाहिए जिससे बेरोजगारी एवं वर्ग संघर्ष को समाप्त करने में सहायता मिल सके मात्र अक्षर ज्ञान या पढ़ने लिखने की क्षमता ही शिक्षा नहीं है.

         तत्कालीन समय में शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से दी जाती थी जो पूर्ण रूप से विदेशी संस्कृति के हितों का संरक्षण करती थी यह पद्धति भारतीय संस्कृति के प्रतिकूल थी जिससे यहां के बच्चों का विकास अवरुद्ध होता था वे रचनात्मक कार्यक्रमों की बजाय  सैध्दान्तिक ज्यादा थी इस अर्थ में उनकी बेसिक शिक्षा पद्धति समयानुकूल तथा नैतिक शिक्षा पर जोर देने वाली थी


(2) रॉलेक्ट एक्ट के विषय में आप क्या जानते हैं?

उत्तर: - राजद्रोह (सेडिशन) जांच कमेटी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर 18 मार्च 1919 को एक कानून पास किया गया जिसे रौलट एक्ट कहा जाता है इस कानून के अनुसार राजद्रोह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद किया जा सकता है इसे काले कानून की संज्ञा दी गई तथा इसके विरोध में महात्मा गांधी द्वारा सत्याग्रह लीग की स्थापना की गई.

(3) महात्मा गांधी के आंदोलनों का मुख्य आधार ग्रामीण भारत का स्पष्ट कीजिए?

उत्तर में चंपारण तथा खेड़ा आंदोलन को सम्मिलित करते हुए यह स्पष्ट करना है कि किस प्रकार महात्मा गांधी ने ग्रामीण जनसंख्या को नेतृत्व प्रदान करते हुए उनकी समस्याओं का समाधान कर उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.


 ANSWER:- विस्तृत जनाधार के अभाव में कोई भी राष्ट्रीय आंदोलन सफल नहीं हो सकता है कोई भी वर्ग या समुदाय किसी आंदोलन का भाग तभी बनता है जब आंदोलन की प्रगति के साथ स्वयं की प्रगति दिखती है महात्मा गांधी की यही व्यवहारिक सोच ग्रामीण भारत की चेतना का मुख्य कारण बनी.

             भारत आने के साथ ही गांधी जी ने सर्वप्रथम भारत का भ्रमण किया यहां भारतीयों की समस्याओं को समझा तत्पश्चात उन्होंने अपने ग्रामीण आंदोलनों चंपारण खेडा में सफलता प्राप्त की उनकी सरल भाषा शैली ने उन्हें ग्रामीण भारत के समीप पहुंचा दिया.

               गांधी जी ने अपने कार्यक्रमों में ग्रामीण भारत के अनेक प्रश्नों जैसे अस्पृश्यता का अंत बुनियादी शिक्षा सुधार के लिए तालीमी संघ चरखा खादी स्वदेशी को अपनाया हुए भारत में रामराज के समर्थक थे उन्होंने ग्रामीण जीवन की उन्नति को आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया.

यही कारण था कि गांधीजी के आंदोलनों में ग्रामीण भारत का नेतृत्व प्राप्त हुआ इसके अभाव में भारतीय स्वतंत्रता कोरी कल्पना ही प्रतीत होती.


(4) क्या आपके विचार में खिलाफत आंदोलन को महात्मा गांधी के समर्थन में उनकी धर्मनिरपेक्ष साख पर बट्टा लगा दिया था घटनाओं के आंकलन को आधार बनाते हुए अपना तर्क प्रस्तुत कीजिए.

         उत्तर में यह स्पष्ट करना है कि गांधीजी ने एक सांप्रदायिक आंदोलन को समर्थन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की सफलता को प्रोत्साहित करने के लिए दिया था.

 ANSWER :- गांधी जी के दर्शन में धार्मिक पूर्वाग्रहों का नितांत अभाव था वह छुआछूत के अंत के माध्यम से भी सभी धर्मों की व्यापक एकता के समर्थक थे ऐसी ही सामाजिक सौहार्द की भावना से प्रेरित होकर गांधी जी ने खिलाफत आंदोलन को भी समर्थन दिया.

        खिलाफत के प्रश्न पर जो भी भारतीय नेता राष्ट्रीय जागरण से सहानुभूति रखते थे वह खिलाफत आंदोलन के प्रवर्तक बन गए इसमें अली बंधु डॉक्टर अंसारी मौलाना आजाद तथा महात्मा गांधी जैसे नेता शामिल थे इस आंदोलन का उद्देश्य टर्की के विभाजन को रोकना तथा खलीफा को पुनः प्रतिष्ठित करना था किंतु मुस्तफा कलाम पाशा के द्वारा खलीफा के पद को समाप्त किए जाने के साथ ही खिलाफत आंदोलन भी समाप्त हो गया.

            गांधी जी का इस आंदोलन को दिया गया समर्थन उनकी दूरदृष्टि का परिणाम था क्योंकि उन्हें ज्ञात था कि राष्ट्रीय आंदोलन की सफलता के लिए संप्रदायिकता को हतोत्साहित करना आवश्यक था इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय नेताओं ने राष्ट्रीय आंदोलन के मंच से खिलाफत के प्रश्नों को उठाकर मुस्लिमों को प्रसन्न तो किया लेकिन यह प्रयास भारत के विभाजन को रोक ना सका.


(5) विदेशी शक्ति को हटा लिया जाएगा लेकिन मेरे अनुसार वास्तविक स्वतंत्रता का तभी आगमन होगा जब हम अपने आप को पश्चिमी शिक्षा पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी जीवनशैली से मुक्त कर लेंगे जो हमारे अंदर कूट-कूट कर भरी गई है.

     भारत की शिक्षा के माध्यम को लेकर पूर्वी तथा पश्चिमी भाषाई मतमतान्तरों को स्पष्ट करते हुए ब्रिटिश दृष्टिकोण को स्पष्ट करना है.


ANSWER :- वर्ष 1833 के चार्टर एक्ट के द्वारा यह निर्देशित किया गया कि भारत में कोई मान्य शिक्षा पद्धति निर्धारित की जाए अतः लार्ड विलियम बैटिंग ने अपने वैधानिक सलाहकार लार्ड मैकाले के नेतृत्व में एक शिक्षा आयोग का गठन किया शिक्षा के माध्यम के विषय को लेकर विद्वानों के पक्ष  उभरकर सामने आए जिनमें एक पक्ष देसी भाषा तथा दूसरा पक्ष पश्चात भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने का पक्षधर था.

         राजा राममोहन राय मैकाले इत्यादि पाश्चात्य भाषा में शिक्षा देने के पक्ष में थे जिसका मुख्य उद्देश्य काले शरीर में गोरा मन स्थापित करना था किंतु पाश्चात्य भाषा शिक्षा के भारतीय विचारक इसे सामाजिक चेतना की वृद्धि के अस्त्र के रूप में देखते थे.

         दूसरी ओर जेम्स प्रिंसेप तथा राधाकांत जैसे विचारक भी थे जो अपनी पूर्वी शिक्षा तथा प्राचीन संस्कृति पर गर्व का अनुभव करते थे उनका विचार था पाश्चात्य  संस्कृति भारत का उद्धार नहीं कर सकती इनके अनुसार देसी भाषा संस्कृति तथा मूल्यों को अस्त्र बनाकर ही वास्तविक स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है।

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