सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं। भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं। भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...
मशीन: - बकेट्स ब्रश ट्रीमिंग नाइफ रोलर्स, रबर या पोली यूरेथेन फोम स्पन्ज मैकेनिकल मिक्सर ड्रायिंग ओवन।
कच्चा माल: - रेजिन रेनफोर्समेंट फिलर्स आदि.
बनाने की विधि: - उत्पादित वस्तु के स्पर्श में आने वाली मोल्ड की उस सतह पर हार्ड वैक्स या फिल्म बनाने वाला कोई दूसरा पदार्थ जैसे अल्कोहल आदि का अच्छी तरह से लेपन करते हैं सतह को चिकनी चमकदार और जलवायु प्रतिरोध बनाने के लिए ग्लास फाइबर की झिल्ली चढ़ाते हैं या ब्रश की मदद से मोल्ड की सतह पर कोटिंग करते हैं रेनफोस्डर् के फाइबर को मोल्ड़ के आकार के अनुसार मोल्ड की सतह में फिट कर देते और रेनफोर्स्ड प्लास्टिक को उत्प्रेरित रेजिंन तर कर देते हैं ।यह कार्य ब्रश की सहायता से किया जाता है अब सतह को वाश रोलर की सहायता से भलीभांति रोल करते हैं ताकि रेनफोर्स्ड प्लास्टिक के फाइबर आपस में अच्छी तरह से बंध जाए और हवा आदि का कोई बुलबुला उसमें ना रह जाए अब मोल्डिंग को कमरे के ताप पर जैल के लिए 1 घंटे तक रखते हैं और इसके बाद मोल्डिंग को गर्म करने या ओवर आदि में जिसका ताप इस 140°f [फॉरेनहाइट] से स्थानांतरित कर देते हैं कम से कम 2 घंटे तक गर्म कमरे में रखते हैं अब मोल्डिंग को गर्म कमरे में से निकालकर मोल्ड़ को चारों तरफ से मिलाकर फिनिश्ड प्रोडक्ट मोल्ड में से निकाल लेते हैं.
विशेष : - रेनफोस्र्ड प्लास्टिक, प्लास्टिक के क्षेत्र में नया पदार्थ है और यह रेजिन वह पदार्थ जो प्लास्टिक को मजबूत बनाते हैं जैसे ग्लास फाइबर सिंथेटिक फाइबर एस्बेस्टस आदि के मिश्रण से बना होता है। रेनफोर्स्ड प्लास्टिक एक बहुत ही लाभदायक पदार्थ है क्योंकि यह वजन में हल्का व इस पर रासायनिक क्रिया का असर नहीं होता है रेनफोस्र्ड प्लास्टिक पर ऊचे ताप दाब आदि का कोई प्रभाव नहीं होता है और यह उस्मा विद्युत ध्वनि का कुचालक होता है रेनफोस्र्ड प्लास्टिक की मजबूती या अन्य गुणों को देखते हुए इसके हेलमेट काफी लाभदायक सिद्ध हुए हैं और हेलमेट बनाने का उद्योग काफी तरक्की कर चुका है और कर रहा है ।रेनफोर्स्ड प्लास्टिक से हेलमेट बनाने की कई विधियां हैं परंतु लागत मशीन व उपकरण आदि को देखते हुए हेण्डलेअप प्रोसेस से ही हेलमेट बनाना उपयुक्त होता है ।यह विधि सिंगल मोल्ड प्रोसेस बकेट एंड ब्रश टेक्निक आदि के नाम से भी जानी जाती है इस विधि से बहुत कम मशीनें व उपकरण प्रयोग में लाए जाते हैं और इसमें मोल्ड भी सस्ते वाले जैसे लकड़ी के प्लास्टर ऑफ पेरिस के प्लास्टिक आदि के प्रयोग किए जा सकते हैं इसमें सिर्फ एक मोल्ड की आवश्यकता होती है.
प्रयोग में आने वाले अन्य सहायक पदार्थ: उत्प्रेरक पदार्थ (colouring material) accelerator and colouring material ही रेजिन्स में सहायक पदार्थ के तौर पर मुख्य रूप से मिलाए जाते हैं उत्प्रेरक व एक्सेलेरेटर्स रेजिन को सख्त करने व इन्फ्यूजिबल स्टेट के लिए मिलाए जाते हैं अधिकतर जोयल पराक्साइड को ही उत्प्रेरक के तौर पर प्रयोग करते हैं रेजिन्स को रंगीन बनाने के लिए अकार्बनिक पिगमेंट मिलाए जाते हैं बहुत से केस में पॉलिस्टर रेजिन खुद ही रंग का कार्य करते हैं.
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