Skip to main content

Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

घर में मनी प्लांट लगाते समय करें इन नियमों का पालन: Ghar mein money plant Lagate Samay karen niyamo ka Palan hoga fayda

ऐसी मान्यता है कि जिसके घर में मनी प्लांट का पौधा लगा होता है उसके घर पर ना केवल सुख समृद्धि में इजाफा होता है बल्कि घर में धन का भी आगमन होता है इसी वजह से कुछ लोग घरों में मनी प्लांट का पौधा लगाते हैं घर में मनी प्लांट लगाने पर सुख समृद्धि होने के साथ-साथ धन का आगमन बढ़ता है इसी के चलते लोग अपने घरों में यह पौधा लगाते हैं.

          इस पौधे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे घर के अंदर और बाहर दोनों ही जगह लगाया जा सकता है साथ ही इसकी वृद्धि के लिए जमीन में लगाया जाना जरूरी नही है यह किसी कांच की बोतल मे पानी में भी लगाया जा सकता है.

             मनी प्लांट को अगर वास्तु के अनुसार सही दिशा में लगाया जाए तो शीघ्र धन लाभ होता है आप भी जानिए कि  मनी प्लांट को कहां और कैसे लगाएं और किन बातों का रखें ध्यान.

(a) मनी प्लांट के पौधे को घर में लगाने के लिए आग्नेय (दक्षिण पूर्व) दिशा सबसे उचित होती है इस दिशा   में यह पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का भी लाभ मिलता है और धन लाभ भी होता है.

  • (b) मनी प्लांट का पौधा अगर जमीन में लगा हो तो इसकी बेल हमेशा ऊपर की ओर जाना चाहिए जमीन पर फैलती बेल से नकारात्मक ऊर्जा फैलती है..

  • (c) मनी प्लांट को घर के अंदर गमले या बोतल में पानी भर कर भी लगाया जा सकता है इससे सुख समृद्धि प्रदान करने वाले सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित किया जा सकता है.

  • (d) मनी प्लांट की सूखी पत्तियों को तुरंत हटा देना चाहिए इससे नकारात्मक ऊर्जा फैलती है.

  • (e) मनी प्लांट की बेल को कभी भी उखाड़ कर नहीं फेंकना चाहिए.

  • ( f) मनी प्लांट की बढती बेल समृद्धि का संकेत देती है.

  • (g)बेलों को कभी भी जमीन पर बिखरा कर नहीं रखना  चाहिए इससे आकस्मिक  धन हानि हो सकती है कोशिश करनी चाहिए कि मनी प्लांट दीवार पर चढ़ता हुआ हो ।

  • (h) पौधे को कभी मुरझाने ना दीजिए मुरझाए हुए पौधे में सबसे ज्यादा नेगेटिव एनर्जी रहती है और इसलिए नियमित रूप से पौधे में पानी डालते रहें.

  • (i) पूर्व पश्चिम की दिशा में मनी प्लांट लगाने से पति पत्नी के बीच लड़ाई झगड़े बढ़ जाते हैं.

  • (j) मनी प्लांट के आस पास कभी भी गंदगी ना रखें इससे आर्थिक तंगी हो सकती है इसकी पत्तियां सदा हरी रहती है यह तने पर एकांतर क्रम में होती है और हृदय जैसी आकृति वाली होती है.

  • (k) मनी प्लांट को आग्नेय यानी दक्षिण पूर्व दिशा में लगाने का कारण यह है कि इस दिशा में देवता गणेश जी हैं जबकि प्रतिनिधि शुक्र है गणेश जी अमंगल का नाश करने वाले हैं जबकि शुक्र सुख समृद्धि लाने वाले यही नहीं बल्कि बेल और लता का कारण शुक्र को माना गया है इसलिए मनी  प्लांट  को आग्नेय दिशा में लगाना उचित माना गया है.

मनी प्लांट को कभी भी ईशान यानी उत्तर पूर्व दिशा में नहीं लगाना चाहिए यह दिशा इसके लिए सबसे नकारात्मक मानी जाती है क्योंकि ईशान  दिशा का प्रतिनिधि देव गुरु बृहस्पति को माना गया है और शुक्र तथा बृहस्पति में शत्रुवत  संबंध होता है इसलिए शुक्र से संबंधित यह पौधा ईसान दिशा में होने पर नुकसान होता है हालांकि इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है.

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है किंतु उसका सार एकात्मक है . इस कथन पर टिप्पणी कीजिए? (the Indian constitutional is Federal in form but unitary is substance comments

संविधान को प्राया दो भागों में विभक्त किया गया है. परिसंघात्मक तथा एकात्मक. एकात्मक संविधान व संविधान है जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में निहित होती है जो कि प्राया केंद्रीय सरकार होती है जोकि प्रांतों को केंद्रीय सरकार के अधीन रहना पड़ता है. इसके विपरीत परिसंघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजन रहता और सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है यह संविधान विशेषज्ञों के बीच विवाद का विषय रहा है. कुछ विद्वानों का मत है कि भारतीय संविधान एकात्मक है केवल उसमें कुछ परिसंघीय लक्षण विद्यमान है। प्रोफेसर हियर के अनुसार भारत प्रबल केंद्रीय करण प्रवृत्ति युक्त परिषदीय है कोई संविधान परिसंघात्मक है या नहीं इसके लिए हमें यह जानना जरूरी है कि उस के आवश्यक तत्व क्या है? जिस संविधान में उक्त तत्व मौजूद होते हैं उसे परिसंघात्मक संविधान कहते हैं. परिसंघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व ( essential characteristic of Federal constitution): - संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं...