🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...
आंध्र प्रदेश: -
भद्राचलम गणेश मंदिर: - भद्राचलम् का यह मंदिर राजामुंडरी से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस स्थान पर लगभग 25 मंदिर है जो श्री राम मंदिर के अंतर्गत आते हैं जिनमें भिन्न-भिन्न भगवानों की पूजा-अर्चना होती है श्री राम मंदिर गोदावरी नदी के किनारे भद्राचलम में स्थित है इन प्रसिद्ध मंदिरों में यह गणेश मंदिर भी जगत प्रसिद्ध है.
पाटला विनायक(विजयवाडा): - विजयवाड़ा राजामुंडरी से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर है इस स्थान पर पूर्व दिशा में बहुत सी गुफाएं हैं और इन्हीं में एक गुफा में गणपति का विग्रह स्थापित है यहां भक्तों की भारी भीड़ पूरे वर्ष भर रहती है इसके अलावा यहां आरसवाली मंदिर भी प्रसिद्ध है जो श्रीकाकुलम जिले में स्थित है।
बिहार
राजगृह: - यह स्थान उसी प्रकार प्रसिद्ध जिस प्रकार बिहार में बुद्ध के तीर्थ स्थान प्रसिद्ध है यह प्रसिद्ध मंदिर विपुल आंचल पहाड़ी जो राजगृह के निकट स्थित है के दक्षिण में है.
मंडर पर्वत: - यह स्थान दक्षिणी भागलपुर कि से लगभग 50 किलोमीटर दूर एवं 700 फुट ऊंचा है इसी स्थान पर एक झील है जिसे पापहरणी कहते हैं यहां श्री गणेश का एक प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिर है.
रामगढ़: - रामगढ़ शाहबाद जिले में स्थित एवं भाबुआ रेलवे स्टेशन से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर है यहीं पर मुंडेश्वरी मंदिर स्थित है इसी मंदिर में गणेश जी का विग्रह रूप बहुत ही प्रसिद्ध है.
गोवा
खण्डोलयाचा गणपति खंडोला (पोंडा तालुका): - यह मंदिर नवेली में स्थित है जो दिवाडी गांव तिसवाडी तालुका में है सन 1560 के एक युद्ध के दौरान यहां पर गणपति के विग्रह रुप को यहां के प्रसिद्ध भगवान खाण्डेप के साथ पोंडा में स्थापित किया गया था.
गोपाल गणपति (बाण्डीवाडे): - लगभग 90 से 100 वर्ष पहले एक ग्वाला जिसे हापो कहते हैं वह बाण्डीवाले के राजा सौनधेकर के यहां नौकरी करता था उसे 1 दिन जंगल में 1 फुट ऊंची गणेश की पत्थर की मूर्ति मिली उसने वही जंगल में नारियल की पत्तियों से एक मंडप बनाकर उस मूर्ति को वही रख दिया इसे देखकर वहां के मुख्यमंत्री बाण्डोकर ने वहां गणपति के एक मंदिर बनवाया जो 1966 में बनकर तैयार हुआ.
गुजरात
भद्रगणेश: - दुर्गाकुटा गणेश सोरती सोमनाथ के निकट स्थित है माना जाता है कि यह मंदिर पेशवा काल का है जो अहमदाबाद में स्थित है.
गांव सिसोदरा नवसारी जिले में एक बरगद के वृक्ष के साथ ही गणेश जी की एक मूर्ति है कहते हैं यह मूर्ति लगभग 400 साल पुरानी है.
दुशाधिराज गणपति (बड़ौदा): - गणेश भक्त गोपाल राव मेरल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था इसके अलावा सिद्धनाथ मंदिर एवं रेवती गणेश मंदिर जो गिरनार की पहाड़ियों पर स्थित है बहुत प्रसिद्ध है.
गणपति मंदिर (पटवारोरा): - यह मंदिर 10 अप्रैल उन्नीस सौ दो में यादवराव गोण्डदेव पगेदार द्वारा बनवाया गया था ताकि सभी यहां पूजा अर्चना कर सकें.
मोधेरा गणेश: - स्थान बेचराजी से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां भगवान गणेश का प्रसिद्ध मंदिर है जहां गणेश जी की रिद्धि सिद्धि के देवता के रूप में पूजा की जाती है.
एकदंत गणपति (धांगधरा ) -: एक किंवदंती के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक ग्वाले ने करवाया था इस मंदिर में रखी मूर्ति 7 फुट ऊंची तथा एक ही पत्थर को काटकर बनवाई गई है एवं इस मूर्ति का केवल एक ही दंत है.
हिमाचल प्रदेश
श्री गणेश ( गणेश गुफा): - ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश ने महाभारत को इसी स्थान पर लिखा था.
अमरनाथ गुफा: - यहां श्री गणेश की बर्फ की मूर्ति को देखा जा सकता है.
सद्भुजा गणेश: - बैद्यनाथ (कांगड़ा) एक महान संत ज्ञानेश्वर ने अपनी पुस्तक ज्ञानेश्वरी में श्रीगणेश के छः हथियारों या अस्त्र शस्त्र का वर्णन किया था वही अस्त्र-शस्त्र यहां गणेश के छह हाथों में दिखाई देते हैं.
कर्नाटक: -
कौण्डिया महागणपति (कुरजमले कोलार जिला): - महागणपति की एक 9 फुट ऊंची मूर्ति जो हरे संगमरमर से बनी है यहां देखी जाती है.
विघ्न हरण विनायक हंपी: - यह मूर्ति हाथी के सिर की नहीं होकर एक मनुष्य रूपी है विघ्न हरण विनायक ने गजमुखासुर असुर का वध यही किया था मंदिर का महाद्वार एवं मुख्य मंडप विजयनगर काल का है मंदिर में 25 खंभे जो लगभग 12 फुट मुख्य मंडप को संभाले हुए हैं.
गोकर्णा गणपति: - यहां के गणपति एक ब्राह्मण के रूप में देखे जाते हैं जिसका नाम बातु था जिसने एक शिवलिंग को रावण के दुष्ट हाथों से बचाया था मूर्ति लगभग 5 फुट ऊंची है.
पट्टा गणपति: - यहां गणपति को पट्टा या चिंतामणि गणपति कहते हैं.
केतकी गणपति: - यहां गोकर्णा का तीसरा मंदिर है जिसमें गणपति केतकी विनायक के रूप में पूजे जाते हैं.
मध्य प्रदेश: -
चिंतामन गणेश मंदिर: - मध्य प्रदेश के उज्जैन में चिंतामन गणेश मंदिर के नाम से मशहूर इस मंदिर में गणेश आपरूपी निकले हैं इन्हें विघ्नेश्वर के नाम से जाना जाता है यहां की मान्यता के अनुसार यहां भक्तों की चिंता और हर तरह के दुखों का अंत होता है भक्तों के रास्ते में जो भी बाधाएं आती हैं वह सब दूर हो जाती हैं गणेश जी की दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि भक्तों के लिए कष्ट विनायक हैं और यह श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों के दुखों को संहार करती है इसलिए गणपति को लोग चिंतामन के नाम से भी जानते हैं उज्जैन में स्थित बड़े गणेश जी का मंदिर जिसमें गणेश जी गज के मुख में है जो कि सफलता और बुद्धिमानी का सूचक है इनके दर्शन से आप की स्थिति में सुधार व अन्य इच्छाओं की पूर्ति होती है.
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में गिना जाता है और यह देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पवित्र ज्योतिर्लिंग है जमीन के भीतर आपरुपी यानी स्वयंभू भगवान गणेश के ज्योतिर्लिंग से निकला प्रकाश पूरे मंदिर को रोशनी से भर देता है.
बड़ा गणेश: - इंदौर के इस मंदिर में भगवान गणेश के 12 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है.
महाराष्ट्र: -
स्वेता वीणाभकर मंदिर में भगवान गणपति श्वेत यानी उजले रंग में है और यहां भगवान पूजा का केंद्र बिंदु है पहले इसे भगवान शिव को समर्पित किया गया था जिसे हम श्वेता वीणाभकर पवित्र स्थल के नाम से ज्यादा जानते थे वीणाभक चतुर्थ के दौरान इस मंदिर में इन 10 दिनों तक त्यौहार मनाया जाता है स्वयंभू गणपति मंदिर जिसे मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं किया गया है बल्कि महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव गणपति पुले में भगवान गणेश आपरूपी प्रकट हुए तकरीबन 400 साल पुराने श्रीरीन बीच के नाम से मशहूर इस गणपति मंदिर को एक अलग विशेषता प्राप्त है वहां के लोग गणेश जी की पूजा अर्चना के साथ साथ लगातार पांच दिनों तक गणेश चतुर्थी का त्योहार भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं.
गणपतीफुले: - सिसौर के निकट यह महाराष्ट्र प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर कहते हैं ऋषि परशुराम ने यहां पहाड़ी की ऊंचाई पर भगवान गणेश की मूर्ति को स्वयं स्थापित किया था यह पहाड़ी स्वयं में गणेश की आकृति की है.
मंगल मूर्ति (चिंचवाड़ पुणे): - संत ऋषि मौरया गोसावी को यहां मोर गांव में गणेश की मूर्ति प्राप्त हुई जिसे संत ने चिंचवाड में स्थापित किया.
दिगंबर सिद्धिविनायक (कांड़व): - संत कनव ने मंदिर बनवाया था और जिस समय यह प्रतिमा बिना वस्त्रों के रही उस वक्त से ही इसे दिगाम्बर कहा जाने लगा इसके अलावा भी महाराष्ट्र में विभिन्न मंदिर प्रसिद्ध है जैसे श्री सिद्धिविनायक श्री गणपति देवस्थान सांगली कसाबा गणपति पुणे राजपुरा गणपति राजपुर दशाभुजा लक्ष्मी गणेश एक चक्र गणेश केल्चर श्री मोडाश्वर नासिक बाल ब्रह्मचारी श्री गणेश श्री बरगुंडा वासवी सिद्धिविनायक लुका दापोली जिला रत्नागिरी.
Comments