Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
(1). युद्ध में चलती फिरती तोपों का उपयोग अंग्रेजों से पूर्व ही मुगल काल में होने लगा था. बाबर के द्वारा पानीपत का युद्ध जीतने के पीछे एक बड़ा कारण उसकी तोपखाना पद्धति थी. बाबर ने उज्बेको की युद्ध नीति तुलगुमा युद्ध पद्धति तथा तोपों को सजाने में उस्मानी विधि (रुमी विधि) का प्रयोग किया. अकबर के आयुध निर्माण कारखाने में तमाम प्रकार की बड़ी छोटी तोपें तैयार की जाती थी.
(2) भारत में तंबाकू व लाल मिर्च की खेती पुर्तगालियों की देन थी पुर्तगालियों ने ही भारत में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की थी.
( 3) रैयतवाड़ी बंदोबस्त: - अंग्रेजों द्वारा भारत में भू राजस्व वसूली हेतु लागू की गई इस व्यवस्था का जन्मदाता टॉमस मुनरो व कैप्टन रीड को माना जाता है.
(a) यह व्यवस्था ब्रिटिश भारत के 51 प्रतिशत क्षेत्र पर लागू की गई. जिसमें मद्रास मुंबई के कुछ हिस्से पूर्वी बंगाल असम व कुर्ग आदि क्षेत्र शामिल थे.
(b) इसके तहत रैयतों को भूमि का मालिकाना और कब्जादारी अधिकार दिया गया था जिसके द्वारा यह प्रत्यक्ष रूप से सीधे या व्यक्तिगत रूप से सरकार को भू राजस्व का भुगतान करने के लिए उत्तरदाई थे यह स्थाई नहीं था प्रत्येक 20 से 30 वर्षों में लगान का पुनः निर्धारण किया जाता था।
(c) इस व्यवस्था के अंतर्गत भूमि की उत्पादन क्षमता के आधार पर सर्वेक्षण कर भू राजस्व का निर्धारण किया गया और कृषकों को यह छूट गई कि वह जिस प्रकार की भूमि का चयन करते हैं उसी आधार पर भू राजस्व चुकाना होगा हालांकि 1820 के बाद इस व्यवस्था में परिवर्तन आने लगा और कृषकों को उनकी इच्छा के विरुद्ध जबरन भूमि जोतने को बाध्य किया गया.
( 3) 1793 लार्ड कार्नवालिस ने स्थाई बंदोबस्त (जमीदारी व्यवस्था) प्रारंभ किया. इसके तहत निम्न प्रावधान किए गए -
(a) जमीदारों को भू - स्वामी बना दिया गया. उस समय तक उन्हें उनकी भूमि से पृथक नहीं किया जा सकता था जब तक कि वह अपना निश्चित लगान सरकार को देते रहें.
(b) राजस्व के कर का विभाजन स्पष्ट रूप से सरकार और जमींदारों के बीच किया गया. सरकार के लिए राजस्व का 10: 11 तथा जमीदारों के लिए 1: 11 निश्चित किया गया.
(c) भू राजस्व को स्थाई बना दिया गया.
(d) यह व्यवस्था बंगाल बिहार उड़ीसा बनारस में लागू की गई जो कि कुल क्षेत्र का 19 प्रतिशत थी.
(e) कृषकों की स्थिति किरायेदार के रूप में स्वीकार की गई भूमि पर उनका किसी प्रकार का अधिकार नहीं था परंपरागत कृषि संबंधी अधिकार जैस चारागाह वन आदि समाप्त हो गए.
इस व्यवस्था में निम्न वजह से कानूनी विवादों की प्रकृति में बढ़ोतरी देखी गई -
(a) जमीदारों का क्षेत्र पूर्ण रूप से निर्धारित ना होना.
(b) जमीदारों का कृषकों के बीच अनेक मध्यस्थ होने के कारण भी विवाद बड़े.
(c) भूमि को बिक्री योग्य बना देने के कारण भी विवाद बढे।
(4) होम चार्जेस: - इंग्लैंड में नियुक्त भेजो कि अधिकारियों के वेतन भत्ते सैनिक खरीदारी भारत सचिव के ऑफिस का खर्च भारतीय सार्वजनिक ऋण एवं रेलवे पर लगाई गई पूंजी पर दिया गया ब्याज भारत के कारण इंग्लैंड में दिए जाने वाले नागरिक व सैनिक शुल्क आदि होम चार्जेस के प्रमुख संगठन थे.
( 5) ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत भारत का शोषण किया गया इसके तहत धन निकासी ग्रह व्ययजैसे तरीकों से भारत की धनसंपदा को ब्रिटेन की ओर प्रवाहित किया गया.
(6)आरसी दत्त द्वारा लिखित भारत का आर्थिक इतिहास में गृह खर्च का सिद्धांत दिया गया इसके अंतर्गत भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा ब्रिटेन में किया गया खर्च आता है.
( 7) भारत के बाहर हुए युद्ध को लड़ने में अंग्रेजों द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली kharchहमेशा ग्रह खर्च पर पूर्णता निर्भर नहीं होती थी.
( 8) चार्टर एक्ट 1813: - चार्टर एक्ट 1813 द्वारा कंपनी का भारतीय व्यापार पर एकाधिकार समाप्त कर दिया गया यद्यपि उसके चीन के साथ व्यापार तथा चाय के व्यापार पर एकाधिकार बना रहा इस एक्ट में कंपनी द्वारा अधिकार में लिए गए राज्य क्षेत्रों पर ब्रिटिश राज (क्राउन) की संप्रभुता सुदृढ़ हो गई.
( 9) भारत शासन अधिनियम 1858 के द्वारा कोर्ट आफ डायरेक्टर्स तथा “बोर्ड ऑफ कंट्रोल” समाप्त कर उनके अधिकार एक 15 सदस्यीय परिषद को सौंप दिए गए जिसके अध्यक्ष को मुख्य राज्य सचिव या भारत राज्य सचिव (secretary of state for India) के नाम से जाना गया. गौरतलब है कि 15 सदस्यीय परिषद में भारत सचिव को वेतन भारतीय राजस्व से दिया जाना तय किया गया लेकिन उनका संचालन लंदन से होता था इसे होम चार्जेस कहा गया.
( 10) भारत शासन अधिनियम 1935 द्वारा स्थापित संघ में अवशिष्ट शक्तियां गवर्नर जनरल को प्रदान की गई.
1930 - 32 मैं लंदन में हुए तीन गोलमेज सम्मेलनों में संवैधानिक सुधारों से संबंधित संतुष्टि ओं के फल स्वरुप भारत शासन अधिनियम 1935 का निर्माण किया गया. इसके तहत भारत में सर्वप्रथम संघीय शासन प्रणाली की नींव रखी गई केंद्र में द्वैध शासन की स्थापना अर्थात केंद्र तथा राज्य इकाइयों के मध्य शक्तियों का विभाजन किया गया संघ सूची प्रांत सूची तथा समवर्ती सूची. संघ सूची में 59 विषय, प्रांत सूची में 54 विषय तथा समवर्ती सूची में 36 विषय शामिल किए गए तथा अवशिष्ट शक्तियां गवर्नर जनरल में निहित थी.
( 11) द्वैध शासन का सिद्धांत प्रत्येक प्रांतीय सरकार की कार्यकारी शाखा को आधिकारिक और लोकप्रिय रूप से जिम्मेदार वर्गों में विभाजन को मान्यता देता है ब्रिटिश भारत के प्रांतों के लिए द्वैध शासन भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा प्रारंभ किया गया था.
( 12) भारत शासन अधिनियम, 1919 को मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है. मांटेग्यू के साथ एक उच्च स्तरीय दल स्थिति का जायजा लेने भारत आया दल के अध्ययन के आधार पर जुलाई 1918 मैं मांटेग्यू चेम्सफोर्ड रिपोर्ट प्रकाशित की गई. यह रिपोर्ट 1919 के भारत शासन अधिनियम का आधार बनी इसी के आधार पर ब्रिटिश संसद में 1919 में भारत के औपनिवेशिक प्रशासन के लिए नया विधान बनाया जो 1921 में क्रियान्वित किया गया.
मांटेग्यू चेम्सफोर्ड प्रस्ताव की विशेषताएं: -
(a) इस अधिनियम में सर्वप्रथम उत्तरदाई शासन शब्द का स्पष्ट प्रयोग किया गया था.
(b) सांप्रदायिक आधार पर निर्वाचन प्रणाली को सिखों यूरोपियन व आग्ल भारतीयों पर भी लागू किया गया
(c) इस अधिनियम के द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन पद्धति को लागू किया गया.
(d) इस अधिनियम ने भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया तथा भारत सचिव को भारत में महालेखा परीक्षक की नियुक्ति का अधिकार दिया.
“अतः मांटेग्यू चेम्सफोर्ड प्रस्ताव संवैधानिक सुधारों से संबंधित था.”
( 13) क्रिप्स मिशन ने पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर भारत को डोमिनियम स्टेटस (dominion status) देने का प्रस्ताव दिया था अर्थात भारत का राष्ट्र प्रमुख ब्रिटेन का राजा या रानी ही बने रहते .
डोमिनियन स्टेटस (स्वतंत्र उपनिवेश का दर्जा) की मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार उन्नीस सौ 8 ईसवी में की थी उस समय इसका अर्थ केवल इतना ही था कि आंतरिक मामलों में भारतीयों को स्वशासन का अधिकार दिया जाए जैसा कि ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत कनाडा को प्राप्त था बाद में कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन के तहत भारत का लक्ष्य पूर्ण स्वाधीनता घोषित किया 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अंतर्गत पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त कर ली. यह स्थिति 1949 ईस्वी में और अधिक स्पष्ट हो गई जब भारत को सर्व होम प्रभुसत्ता संपन्न स्वाधीन गणराज्य के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई.
( 14) भारत शासन अधिनियम 1919 की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता केंद्रीय एवं प्रांतीय सरकारों की अधिकारिता से संबंधित है.
(a) 1919 के अधिनियम में पहली बार उत्तरदाई शासन शब्द का स्पष्ट प्रयोग किया गया.
(b) प्रांतों में आंशिक उत्तरदाई शासन वाह द्वैध शासन की स्थापना की गई.
(c) इसके अनुसार सभी विषयों को केंद्र तथा प्रांतों में बांट दिया गया.
(d) केंद्रीय सूची में वर्णित विषयों पर सब परिषद गवर्नर जनरल का अधिकार था जैसे विदेशी मामले रक्षा डाक तार सार्वजनिक ऋण आदि.
(e) प्रांतीय सूची के विषय थे स्थानीय स्वशासन शिक्षा चिकित्सा भूमि कर जल संभरण अकाल सहायता कृषि व्यवस्था आदि.
(f) सभी अवशिष्ट शक्तियां केंद्रीय सरकार के पास थी.
( 15) भारत में संवैधानिक सुधारों की योजना के साथ मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुंचा इस में पैथिक लारेंस स्टेट फोर्ड क्रिप्स व एबी एलेग्जेंडर शामिल थे इन की सिफारिशें निम्नलिखित है -
(a) भारत में एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना होनी चाहिए जिसमें ब्रिटिश भारत और देसी राज्य सम्मिलित हो.
(b) संघीय विषयों विथ संचार तथा विदेशी मामलों के अतिरिक्त सभी विषय एवं अवशिष्ट शक्तियां प्रांतों में निहित होनी चाहिए.
(c) कैबिनेट मिशन ने मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग को अस्वीकार कर दिया किंतु प्रांतों का समूह करण कर परोक्ष रूप से विखंडन को बढ़ावा दिया.
(d) भारतीय न्यायालयों की शक्तियों का विस्तार तथा आई सी एस (भारतीय जनपद सेवा) मैं भारतीयों की भागीदारी बढ़ाने संबंधी प्रस्तावों से कैबिनेट मिशन का कोई संबंध नहीं था.
( 16) रेडक्लिफ समिति की नियुक्ति तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा जुलाई 1947 में की गई थी. इस समिति में अध्यक्ष सर रेडक्लिफ के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व मुस्लिम लीग के द्वारा नामांकित दो दो सदस्य भी थे. यह एक परामर्श दात्री समिति थी जिसे ब्रिटिश भारत के विभाजन के पश्चात भारत एवं पाकिस्तान के बीच सीमाओं को निर्धारित करने के संबंध में सुझाव देना था.
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