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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

UPSC previous year most important question answer part 4

(1):-  

             भारतीय राज्य समिति ने सर हरकोर्ट बटलर की अध्यक्षता में 1927 में एक समिति गठित की जिसे बटलर समिति भी कहा जाता है इस समिति का गठन भारत सरकार और देशी राजाओं के बीच के संबंधों की जांच और स्पष्टीकरण के लिए किया गया था इसके गठन का उद्देश्य भारत सरकार और भारतीय राजाओं के मध्य संबंधों की जांच करना और उनके मध्य के इन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना था ताकि ब्रिटिश भारत और देसी रियासतों के मध्य संतोषजनक संबंधों की स्थापना की जा सके.


(2): - भारत में क्रांतिकारियों के प्रभाव का अध्ययन तथा उसे समाप्त करने के लिए 1917 में सर सिडनी रौलट की अध्यक्षता में सेडिशन कमेटी गठित की गई इसकी सिफारिश पर रोलेट अधिनियम पारित हुआ.

               (A) इसके तहत मजिस्ट्रेट को किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को जेल में डालने का अधिकार था उस व्यक्ति को अपील करने की भी अनुमति नहीं थी।

            (B)  गांधीजी ने इसके विरोध में सत्याग्रह सभा की स्थापना की तथा रोलेट एक्ट के विरुद्ध सारे देश में हड़तातो का आयोजन किया गया इसके लिए गांधीजी ने होम रूल लीग के नेताओं के उपयोग का प्रयास किया।


               (C) साइमन कमीशन 1927 ईस्वी में गठित किया गया इसके सभी सदस्य अंग्रेज होने के कारण 1927 - 28 मे इसका व्यापक विरोध हुआ .


( 3): - तंजौर ( तंजावुर) तमिलनाडु राज्य में है जहां सी राजगोपालाचारी ने त्रिचनापल्ली से बेदरा यम तक की यात्रा की तथा नमक कानून तोड़ने के लिए तंजौर के तट पर अभियान संगठित किया.


         (A) सविनय अवज्ञा आंदोलन गांधी जी की साबरमती से दांडी तक की यात्रा से प्रारंभ हुआ 6 अप्रैल 1930 ईस्वी को गांधी जी ने दांडी में नमक बनाकर कानून तोड़ा.

             (B)   पश्चिमोत्तर प्रांत (पेशावर में) इसका नेतृत्व खान अब्दुल गफ्फार खान ने किया यह लाल कुर्ती आंदोलन नाम से प्रसिद्ध हुआ.

           (C)  मुंबई में इसका केंद्र बिंदु धरासना था जहां सरोजिनी नायडू एक महत्वपूर्ण नेत्री के रूप में उभरी.

    (D)     देश के अन्य हिस्सों में भी यह आंदोलन चलता रहा बंगाल में मिदनापुर उड़ीसा में बालासोर पुरी कटक आदि तथा असम में सिलहट इस आंदोलन के केंद्र हैं.


(4) दिसंबर 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन लाहौर (रावी नदी के किनारे) हुआ था. इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे.

            इस अधिवेशन में स्पष्ट कहा गया कि नेहरू रिपोर्ट को लागू करने की अवधि समाप्त हो गई है अतः अब और स्वाधीनता की प्राप्ति की एकमात्र उद्देश्य होगा.


( 5): - 1927 में गठित 7 सदस्य साइमन कमीशन का उद्देश्य भारत के राजनीतिक भविष्य का फैसला करना था जिसमें एक भी भारतीय सदस्य नहीं था आता भारतीयों को यह बात गलत लगी कि हमारे भविष्य के फैसले में हमारी कोई भूमिका नहीं है. इसलिए साइमन कमीशन के विरुद्ध जन आंदोलन हुआ.


( 1) साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्य समिति नियुक्त की गई सभी सदस्य यूरोपीय भारत में इसके विरोध का यही सबसे बड़ा कारण था.

( 2) साइमन कमीशन को भारत के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण करना था इसमें निम्न सिफारिशें थी -

     (A)  प्रांतों में द्वैध व्यवस्था को समाप्त कर उत्तरदाई शासन स्थापित हो.

(B) संघीय संविधान का निर्माण हो.

(C) केंद्र में अभी कोई उत्तरदायित्व भारतीयों को प्रदान ना किया जाए.

(D) बर्मा को भारत से अलग किया जाए तथा उड़ीसा एवं सिंधु को अलग प्रदेश का दर्जा दिया जाए.


( 6): - भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत 8 अगस्त 1942 को हुई थी. कैबिनेट मिशन योजना 1946 की है. साइमन कमीशन रिपोर्ट 1928 की है तथा वेवेल योजना 1945 में आई और क्रिप्स मिशन मार्च 1942 में भारत आया. भारत छोड़ो आंदोलन की संगति क्रिप्स मिशन से ही बैठाई जा सकती है.


  •          क्रिप्स प्रस्ताव में कोई ठोस योजना ना होने के कारण कांग्रेस ने इसका विरोध किया.

  •          इसके अलावा कांग्रेस कार्यसमिति को संविधान निर्मात्री सभा के गठन पर भी आपत्ति थी क्योंकि इसमें देसी रियासतों के प्रतिनिधियों को जनता द्वारा निर्वाचित ना करके रियासतों के शासकों द्वारा नामित किया जाना था.

  • कुछ प्रांतों के संघ में शामिल ना होने से संबंधित प्रावधान भारतीय एकता एवं अखंडता के लिए गंभीर खतरा थे आता उनका भी विरोध किया गया.

  •           केंद्र सरकार के संबंध में प्रतिरक्षा विभाग पर ब्रिटिश सरकार का ही नियंत्रण बना रहना था.

  •             यह तो क्रिप्स मिशन द्वारा छेड़े जाने तथा दूसरे जापान के तेजी से बढ़ते हुए प्रभुत्व के कारण वर्धा बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ करने का संकल्प लिया गया.


( 7): - ब्रिटिश सरकार के क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी भावनाओं को कुचलने के लिए सिग्नल ऑमलेट की अध्यक्षता में 1919 में एक रौलट एक्ट पारित किया इस एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करना गुप्त रूप से मुकदमा चलाना आदि प्रावधान शामिल थे.


  •              इस एक्ट को बिना वकील  बिना अपील तथा बिना दलील का कानून भी कहा गया भारतीय जनता ने काला कानून कहकर इसका विरोध किया.

  •               किंतु जब इस संवैधानिक प्रतिरोध का कोई असर नहीं हुआ तब गांधी जी ने सत्याग्रह का सुझाव दिया फरवरी 1919 में सत्याग्रह सभा का गठन किया गया तथा देशव्यापी हड़ताल एवं प्रार्थना सभा आयोजित की गई.

  •                रौलट एक्ट के विरोध में पंजाब में आंदोलन में उग्र रूप धारण कर लिया वहां पर सरकार ने डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू और सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया तथा अमृतसर से निर्वासित कर दिया.

  •                   इसी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में लोग एकत्र हुए जिन पर जनरल डायर ने गोली चलवा दिए.


( 8): - उग्रवादी व उदार वादियों का झगड़ा 1916 के लखनऊ अधिवेशन में ही सुलझा लिया गया और 1929 द्वारा द्विराष्ट्र का सिद्धांत सामने नहीं आया था इसलिए 1929 के लाहौर अधिवेशन में इस पर कांग्रेस द्वारा संकल्प प्रस्ताव पारित कर इसे अस्वीकार करने का कथन पूर्णतया गलत है.


  •           कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार को दी गई 1 वर्ष की समय सीमा डोमिनियन स्टेटस के संदर्भ में समाप्त हो जाने के बाद दिसंबर 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का आयोजन हुआ इस ऐतिहासिक अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की इसके तहत निम्न ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किए गए: -

( 1) नेहरू समिति की रिपोर्ट को निरस्त घोषित कर दिया गया.

( 2) इस अधिवेशन में पारित पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव के अनुसार कांग्रेस के संविधान में स्वराज शब्द का अर्थ पूर्ण स्वतंत्रता या पूर्ण स्वराज होगा इसे ही अब राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया.

( 3) रावी नदी के तट पर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया गया.

( 9): - वर्ष 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारंभ हो गया जिसमें एक और मित्र राष्ट्र थे वहीं दूसरी ओर सर्व सत्तावादी ताकते थे कांग्रेस यह चाहती थी कि पर्यटन यह घोषणा करेगी युद्ध का एकमात्र उद्देश्य साम्राज्यवाद का उन्मूलन होगा और भारत को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिया जाएगा परंतु वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहा था।


  •              इसके अतिरिक्त लिनलिथगो ने बिना भारतीयों की अनुमति के यह घोषणा कर दी कि भारत भी जर्मनी के विरुद्ध ब्रिटेन के साथ युद्ध में शामिल है अतः कांग्रेस शासित प्रदेशों के मंत्रियों ने कांग्रेस कार्य समिति की अनुमति के बाद 28 माह पुराने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया।


  •                कांग्रेसी मंत्रियों के त्यागपत्र के बाद मुस्लिम लीग ने दलित नेता भीमराव अंबेडकर के साथ मुक्ति दिवस मनाया.


( 10): - रैमजे मैकडोनाल्ड ने कम्युनल अवार्ड की घोषणा की इसके विरोध में गांधी ने ने आमरण अनशन किया.

  •            अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति के तहत ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को सांप्रदायिक निर्णय प्रस्तुत किया.

  •             इसके तहत प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विधान मंडलों में कुछ सीटें सुरक्षित कर दी गई जिन के सदस्यों का चुनाव पृथक निर्वाचन मंडलों द्वारा किया जाना था.


  •          मुसलमान सिख और ईसाई तो पहले से ही अल्पसंख्यक माने जाते थे अब इस नए कानून के तहत दलित वर्ग को भी अल्पसंख्यक मानकर हिंदुओं से अलग कर दिया गया.


  •          इस समय गांधीजी यरवदा जेल में थे वे इसके विरोध में जेल में आमरण अनशन पर बैठ गए.

  •         विदित हो अंबेडकर दलितों के लिए पृथक निर्वाचन का पक्ष ले रहे थे.

  •       मालवीय जी राजेंद्र प्रसाद आदि के प्रयासों से गांधी जी और डॉक्टर अंबेडकर के मध्य 24 सितंबर 1932 को पूना समझौता हुआ.

  •         पुणे समझौते के तहत दलित वर्गों के पृथक निर्वाचन समाप्त कर दिए गए तथा प्रांतीय व केंद्रीय विधान मंडलों में हरिजनों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या में वृद्धि कर दी गई इस प्रकार प्रांतीय विधान मंडलों में दलितों के लिए सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 148 कर दी गई वहीं केंद्रीय विधान मंडल में सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई.

( 11): - साइमन कमीशन को नियुक्त करने वाले तत्कालीन राज्य सचिव लाड वर्क एंड हेड का यह सोचना था कि भारतीय लोक संवैधानिक सुधार के लिए ठोस प्रस्ताव बनाने में असमर्थ है.


  •           भारतीय नेताओं ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए फरवरी मई और अगस्त 1928 में विभिन्न सर्जरी सम्मेलनों का आयोजन किया तथा पंडित मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति की स्थापना की गई जिसे भारत के संविधान के सिद्धांतों का निर्धारण करना था इसी समिति की रिपोर्ट नेहरू रिपोर्ट कहलाई की उसकी निम्न प्रकार सिफारिशें थी -


  •            भारत को डोमिनियन स्टेटस का दर्जा दिया जाए.

  •        भारत एक संघ होगा जिसके नियंत्रण में केंद्र में द्विसदनीय विधानमंडल होगा मंत्रिमंडल सदन के प्रति उत्तरदाई होगा.

  •              वायसराय की स्थिति संवैधानिक मुखिया भर की रहेगी.

  •            सांप्रदायिक आधार पर पृथक निर्वाचन मंडल अस्वीकार कर दिया गया.

  •              नागरिकता को परिभाषित करने के साथ-साथ मूल अधिकारों को भी प्रतिपादित किया गया.


( 12): - उषा मेहता ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और स्वतंत्रता के बाद वह गांधीवादी दर्शन के अनुरूप महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयासरत रहेगा भारत छोड़ो आंदोलन के समय खुफिया रेडियो चलाने के कारण पूरे देश में विख्यात हुई.

  •           भारत छोड़ो आंदोलन के प्रारंभ से ही दमन के निर्णय के कारण ब्रिटिश सरकार ने सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया परंतु द्वितीय पंक्ति के नेताओं ने भूमिगत होकर आंदोलन का नेतृत्व किया.

  •             जयप्रकाश नारायण हजारीबाग जेल से फरार हो गए तथा 1942 के आंदोलन में भूमिगत होकर उन्होंने आजाद दस्ता का गठन किया.

  •          रेडियो स्टेशन का मुख्य कार्य कांग्रेस की सूचनाओं का प्रसारण करना होता था.

  •           कालांतर में यह रेडियो स्टेशन सरकार द्वारा जप्त कर लिया गया था.


( 13): - भारत छोड़ो आंदोलन स्वता उत्पन्न था अपने को तो इसलिए यह कई स्तरों पर बटा हुआ था इसका नेटवर्क तो महात्मा गांधी ने पूर्ण रूप से नहीं किया था.

  •            मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन की विफलता से स्पष्ट हो गया कि सरकार भारतवासियों को साथ सम्मानजनक समझौते के लिए तैयार नहीं है अतः कांग्रेस ने अगस्त 1942 में भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित कर दिया परंतु सरकार ने आंदोलन का दमन करने के लिए अगले ही दिन सभी महत्वपूर्ण नेताओं को गिरफ्तार कर लिया.

  •          अतः यह आंदोलन सापेक्षिक रूप से स्वता स्पूर्ति था तथा इसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने नहीं किया था.

  •           यह आंदोलन बाकी  के आंदोलनों के सापेक्ष थोड़ा उग्र अवश्य था परंतु यह हिंसक नहीं कहा जा सकता है यह हिंसा मात्र प्रक्रियात्मक थी.


  •        गांधी जी ने स्वयं जनता द्वारा 1942 में की गई हिंसा की निंदा करने से इनकार कर दिया उनका कहना था कि यह सत्ता की दिस का जवाब था.

      (13)     अनटू दिस लास्ट(UNTO THE LAST) जान रस्किन द्वारा अर्थव्यवस्था पर लिखा गया एक लेख है इस लेख में उसने बताया था कि वास्तविक संपत्ति मुद्रा या सोना नहीं बल्कि वास्तविक संपत्ति जीवन है इसी तरह इस लेख का एक अंश व्यक्ति का कल्याण सबके कल्याण में नियत है ने महात्मा गांधी को प्रभावित किया है इसी से प्रभावित होकर गांधी जी ने सर्वोदय तथा अंत्योदय जैसी अवधारणाओं का विकास किया






    

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