Skip to main content

Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान शक्ति (pardoning power of president and governor)

सुर्खियों में क्या?
हाल के घटनाक्रमों में राजीव गांधी की हत्या के मामले के दोषियों को सुर्खियों में ला दिया है इस संबंध में गठित हालिया घटनाओं से स्पष्ट होता है कि उपयुक्त प्राधिकारी दोषियों की क्षमा याचिका पर स्पष्ट निर्णय लेने में असमर्थ रहे हैं तथा अब मामले को उच्चतर प्राधिकारी (राष्ट्रपति) को सौंप दिया गया है.


पृष्ठभूमि: -

वर्ष 1991 ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में आत्मघाती बम विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में 7 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था. वर्ष 1999 उच्चतम न्यायालय ने उनमें से चार को मृत्युदंड और अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

हालांकि वर्ष 2000 में एक दोषी नलिनी की मृत्यु दंड की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था वर्ष 2014 को उच्चतम न्यायालय द्वारा पेरारिवलन सहित अन्य तीन की मृत्यु दंड की सजा को भी उम्र कैद में बदल दिया गया है.


वर्ष 2015 में पेरारिवलन ने तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष एक क्षमा याचिका दायर की थी सितंबर 2018 में उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल को निर्देश दिया कि यदि वे उचित समझे तो क्षमा याचिका पर निर्णय ले सकते हैं.


उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद तमिलनाडु मंत्रिमंडल पेरारिवलन और छह अन्य लोगों को रिहा करने के लिए राज्यपाल (अनुच्छेद 161 के तहत) से सिफारिश कीथी।


हालांकि राज्यपाल द्वारा सिफारिश और क्षमा याचिका पर 2 वर्ष से अधिक समय तक कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण पेरारिवलन में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।


हाल ही में केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को यह आश्वासन दिया कि पैराफिनम की रिहाई के संबंध में सुनवाई करने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल को अनुरोध किया गया है हालांकि बाद में राज्यपाल के कार्यालय द्वारा स्पष्ट किया गया कि इस मामले में संलिप्त सभी दोषियों की क्षमा याचिका पर सुनवाई राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।


क्षमादान के मामले में राष्ट्रपति और राज्यपाल की तुलनात्मक शक्तियां

राष्ट्रपति


संविधान के अनुच्छेद 72 मैं राष्ट्रपति को और व्यक्तियों को क्षमा करने की शक्ति प्रदान की गई है जो निम्नलिखित मामलों में किसी अपराध के दोषी है:

( 1) संघीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध में किया गया दंड मे

(2)सैन्य न्यायालय द्वारा दिए गए दंड में तथा

(3) यदि दंड का स्वरूप मृत्युदंड हो तो


राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति में निम्नलिखित शामिल है

क्षमा(pardon):

 इसमें दंड और बंदी करण दोनों को निरस्त कर दिया जाता है तथा दोषी को सजा दंड दंड आदेश एवं निरर्हताओ से पूर्णतया मुक्त कर दिया जाता है।


लघुकरण(Commutation)

इसका अर्थ है कि सजा की प्रकृति को बदलकर उसको कमतर करने जैसे मृत्युदंड को कठोर कारावास में करना.


परिहार(Remission)

सजा की अवधि ना कि उसकी प्रकृति को बदलना जैसे 2 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में बदलना.

विराम(respite)

विशेष परिस्थितियों की वजह से सजा को कम करना जैसे तो उसी की शारीरिक अपंगता या दूसरी महिलाओं की गर्भावस्था के कारण


प्रविलंबन(Reprieve)

यह किसी दंड को कुछ समय के लिए टालने की प्रक्रिया से संबंधित है जैसे फांसी की प्रक्रिया को कुछ समय के लिए टालना।


राज्यपाल


अनुच्छेद 161 के तहत किसी राज्य के राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्तियां प्राप्त है।


परंतु निम्नलिखित दो परिस्थितियों में राज्यपाल की क्षमादान की शक्तियां राष्ट्रपति से भिन्न है

सैन्य न्यायालय द्वारा दिया गया दंड को केवल राष्ट्रपति क्षमा कर सकता है ना कि राज्यपाल।

मृत्युदंड को केवल राष्ट्रपति क्षमा कर सकता है जबकि राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकता है यहां तक कि अगर मृत्युदंड की सजा राज्य विधि के तहत की गई है तो क्षमा दान करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है ना कि राज्यपाल के पास।



राज्यपाल के पास राज्य विधि के तहत किसी अपराध के लिए दोषी व्यक्ति के दंड को क्षमा उसका प्रविलंबन विराम या परिहार करने की अथवा दड के निलंबन परिहार या लघुकरण की शक्ति होती है।


हालांकि राज्यपाल मृत्युदंड की सजा को निलंबित परिहार अथवा उसका लघुकरण कर सकता है।



Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है किंतु उसका सार एकात्मक है . इस कथन पर टिप्पणी कीजिए? (the Indian constitutional is Federal in form but unitary is substance comments

संविधान को प्राया दो भागों में विभक्त किया गया है. परिसंघात्मक तथा एकात्मक. एकात्मक संविधान व संविधान है जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में निहित होती है जो कि प्राया केंद्रीय सरकार होती है जोकि प्रांतों को केंद्रीय सरकार के अधीन रहना पड़ता है. इसके विपरीत परिसंघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजन रहता और सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है यह संविधान विशेषज्ञों के बीच विवाद का विषय रहा है. कुछ विद्वानों का मत है कि भारतीय संविधान एकात्मक है केवल उसमें कुछ परिसंघीय लक्षण विद्यमान है। प्रोफेसर हियर के अनुसार भारत प्रबल केंद्रीय करण प्रवृत्ति युक्त परिषदीय है कोई संविधान परिसंघात्मक है या नहीं इसके लिए हमें यह जानना जरूरी है कि उस के आवश्यक तत्व क्या है? जिस संविधान में उक्त तत्व मौजूद होते हैं उसे परिसंघात्मक संविधान कहते हैं. परिसंघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व ( essential characteristic of Federal constitution): - संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं...