Skip to main content

Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

Multani mitti ke kya fayde Hain ( Benefits ) of multani mittiमुल्तानी मिट्टी के फायदे

कहने को तो मिट्टी बेकार की वस्तु मानी जाती है लेकिन आज के समय में मिट्टी बहुत कीमती चीज हो गई है. बाजार में आपको यह मिट्टी मिलेगी कि नहीं चाहे आप कितने पैसे खर्च कर ले. आप सोच रहे होंगे ऐसी कौन सी मिट्टी है जिसका उपयोग अधिक होता है इस कारण बाजार में नहीं मिल पाती है इस मिट्टी का नाम है मुल्तानी मिट्टी.


                  मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग आज के दिन सौंदर्य प्रसाधनों में अधिक हो रहा है इस कारण इसकी अधिक खपत हो रही है यह मिट्टी राजस्थान के इलाकों में अधिक पाई जाती है बाजार में भी मुल्तानी मिट्टी खरीदी जा सकती है हर छोटे या बड़े शहर में मुल्तानी मिट्टी आपको मिल जाएगी मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग विभिन्न तरीके से कर सकते हैं.

 (A) मुल्तानी मिट्टी का USE आप एक चम्मच खीरे का रस कच्चे आलू का रस मिलाकर आंखों के नीचे लगाएं. आंखों के नीचे का कालापन दूर हो जाएगा. ग्लिसरीन मिलाकर EVERY DAY दिन प्रयोग से काला हिस्सा साफ हो जाएगा.



                 (B)     मुल्तानी मिट्टी चंदन पाउडर हल्दी कपूर का तेल मिलाकर लगाने से चेहरे के दाग धब्बे दूर होंगे अगर चेहरे का रंग निकालना है तो एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी का पाउडर एक चम्मच खीरे के रस नींबू के रस की कुछ बूंदें और टमाटर का रस मिलाकर पेस्ट बना लें. PASTE  बनाकर लगाएं इस पेस्ट को चेहरे पर लगाने के बाद अपने आप सीखने का मौसम के अनुसार गुनगुने ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें इस पेस्ट का प्रयोग करने से रंग GLOWING  साथ ही चेहरे की त्वचा में भी कांति आएगी.


चेहरे को यह बनाएगी चमकदार: -

चेहरे पर चमक लाने के लिए विभिन्न तरह के फेस पैक बाजार में उपलब्ध है अगर आप घर पर भी बनाना चाहे तो घर पर तैयार कर सकते हैं. 

(C) मुल्तानी मिट्टी का पाउडर चंदन का पाउडर नींबू का रस बराबर मात्रा में लेकर एक शीशी में भर लें जब भी फेस पैक लगाना है कच्चा दूध गुलाब जल नींबू का रस मिलाकर उसमें मिट्टी का पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाएं. बड़ी उम्र की महिलाएं सप्ताह में दो बार इस पैक को लगाएं छोटी उम्र की महिलाएं महीने में दो बार इस पैक का प्रयोग कर सकती हैं.


            त्वचा को सुंदर व आकर्षक बनाने के लिए भी मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग कर सकते हैं मुल्तानी मिट्टी से त्वचा खुश्क नहीं होती है गर्मियों के मौसम में इसका प्रयोग काफी लाभकारी है क्योंकि गर्मियों के मौसम में घमौरिया काफी हो जाती है. घमौरियों को दूर करने के लिए मुल्तानी मिट्टी का पाउडर में दही मिलाकर साबुन  की टिक्की की तरह प्रयोग करें. घमौरियों से राहत मिलेगी.

            सप्ताह में एक बार नींबू का रस व खीरे का रस मिलाकर हाथ पैर पर लगाएं. FACE PACK  बनाने के लिए अभी मुल्तानी मिट्टी को प्रयोग में ला सकते हैं बालों को सोते समय साफ करते समय दही छाछ मट्ठे में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर लगाएं बालों में रूसी हो गई हो तो मुल्तानी मिट्टी में नमक तेल मिलाकर बालों की सफाई करें. बालों बालों को जड़ों  से मजबूत करने के लिए नींबू का रस बालों की जड़ों में लगाएं उसके पश्चात मुल्तानी मिट्टी से बाल धोये ।



             इस प्रकार से हमारे शरीर में कई सारे मुल्तानी मिट्टी से कई सारे फायदे हमारे शरीर को प्राप्त हो सकते हैं अगर हम बात करें तो मुल्तानी मिट्टी एक प्राकृतिक वरदान के रूप में हमारे शरीर को सौंदर्य प्रदान करने वाली एक प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन की वस्तु हमारे इस पर्यावरण से हमें प्राप्त होती है यह हमारे शरीर की सुंदर काया को बनाने में काफी मदद करती है.

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है किंतु उसका सार एकात्मक है . इस कथन पर टिप्पणी कीजिए? (the Indian constitutional is Federal in form but unitary is substance comments

संविधान को प्राया दो भागों में विभक्त किया गया है. परिसंघात्मक तथा एकात्मक. एकात्मक संविधान व संविधान है जिसके अंतर्गत सारी शक्तियां एक ही सरकार में निहित होती है जो कि प्राया केंद्रीय सरकार होती है जोकि प्रांतों को केंद्रीय सरकार के अधीन रहना पड़ता है. इसके विपरीत परिसंघात्मक संविधान वह संविधान है जिसमें शक्तियों का केंद्र एवं राज्यों के बीच विभाजन रहता और सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं भारतीय संविधान की प्रकृति क्या है यह संविधान विशेषज्ञों के बीच विवाद का विषय रहा है. कुछ विद्वानों का मत है कि भारतीय संविधान एकात्मक है केवल उसमें कुछ परिसंघीय लक्षण विद्यमान है। प्रोफेसर हियर के अनुसार भारत प्रबल केंद्रीय करण प्रवृत्ति युक्त परिषदीय है कोई संविधान परिसंघात्मक है या नहीं इसके लिए हमें यह जानना जरूरी है कि उस के आवश्यक तत्व क्या है? जिस संविधान में उक्त तत्व मौजूद होते हैं उसे परिसंघात्मक संविधान कहते हैं. परिसंघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व ( essential characteristic of Federal constitution): - संघात्मक संविधान के आवश्यक तत्व इस प्रकार हैं...