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Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन क्या था ?(Quit india movement)

26 अप्रैल 1942 को गांधी जी ने अपने एक लेख में अंग्रेजों का आह्वान किया कि वह व्यवस्थित रूप से और समय अनुसार भारत छोड़ो.


  • 24 मई 1942 को एक अन्य लेख में अंग्रेजों से भारत को भगवान के भरोसे छोड़ देने को कहा गया.

जुलाई 1942 में वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने भारत छोड़ो आंदोलन प्रस्ताव पास किया.

  • 7 और 8 अगस्त को 1942 में मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में इस पर पुनर्विचार हुआ और गांधीजी ने भारतीयों को करो या मरो का नारा दिया.


  • भारत छोड़ो आंदोलन में कार्यक्रमों की कोई निश्चित योजना नहीं बनाई गई 12 सूत्री कार्यक्रमों की एक छोटी सी पुस्तक प्रकाशित की गई जिसे 11 अगस्त 1942 को ही सरकार ने जप्त कर लिया.


  • 8 और 9 अगस्त 1942 में कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया जो अधिकतर मुंबई में ही थे.
गांधीजी को पूना जेलमें रखा गया जबकि नेहरू जी, मौलाना आजाद, गोविंद बल्लभ पंत, डॉ प्रफुल्ल चंद्र घोष, आसफ अली,  सीतारामय्या ,डॉ सैयद अहमद और आचार्य कृपलानी को अहमदनगर किले में रखा गया.

  • राजेंद्र प्रसाद को पटना में ही नजरबंद कर लिया गया कांग्रेस को अवैध संगठन घोषित किया गया.

  • नेतृत्व तो अब बचे हुए नेताओं के हाथ में आया कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में भूमिगत रहकर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया.

  • कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के प्रमुख लोग राम मनोहर लोहिया अच्युत पटवर्धन रामानंद मिश्रा और एस एम जोशी थे.

  • कांग्रेस कार्यकारिणी के अधिकारी सुचेता कृपलानी एवं सादिक अली ने भी ऐसी योजना बनाई.

इस आंदोलन में जयप्रकाश नारायण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

  • गुजरात में छोटे भाई पुरानी वीके मजूमदार यूनाइटेड प्रीवियस एंसवेर रामलोचन तिवारी झारखंड राय संपूर्णानंद केडी मालवीय नंदकिशोर वशिष्ठ महाराष्ट्र में नाना पाटील जैसे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं में आंदोलन को गति प्रदान की.


  • यह आंदोलन सरकार के लिए सबसे भयानक साबित हुआ इसमें सरकार ने 538 बार गोलियां चलाई तथा 60229 लोगों को जेल में डाल दिया गया कम से कम 7000 व्यक्ति मारे गए.


नकारात्मक पक्ष:

  • मुसलमान समानता अलग रहे


  • उच्च वर्ग एवं उपाधि प्राप्त वर्ग ने सरकार का साथ दिया

  • मजदूर वर्ग विभाजित रहा


साम्य वादियों ने अगस्त 1942 के कांग्रेस प्रस्ताव का विरोध किया

  • उदार वादियों ने भी आंदोलन का विरोध किया

  • सावरकर ने सरकार की आलोचना की किंतु अपने अनुयायियों को आंदोलन से अलग रहने को कहा

  • एंथोनी के नेतृत्व में एल्बो इंडियन समाज ने इसका विरोध किया

  • पारसियों  ने आंदोलन का समर्थन किया

आंदोलन की असफलता के मुख्य कारक इसके संगठन और कार्यक्रमों में कमियां सरकारी राज भक्तों की वफादारी एवं सरकार की कई गुना दमन शक्ति  थी।


हिंदू महासभा

  • स्थापना 1915 में कुंभ मेले के अवसर पर मदन मोहन मालवीय द्वारा हुई इसमें वी डी सावरकर डॉक्टर वी एस मुंजा लाला लाजपत राय जैसे नेताओं ने भाग लिया।

  • उद्देश्य हिंदुओं में सामाजिक एवं सांस्कृतिक जागरण लाना था बाद में हिंदू महासभा ने अखंड भारत का नारा दिया।



साम्यवादियों की भूमिका

  • भारत में साम्यवादी दल का उदय 1925 में हो गया था किंतु 1934 में इसकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया 1942 तक यह गैरकानूनी घोषित रहा।


  • 1939 में सोवियत संघ ने महायुद्ध को साम्यवादी युद्ध कहकर कटु आलोचना की लेकिन जर्मनी द्वारा सोवियत भूमि पर आक्रमण से सोवियत संघ-ब्रिटेन के साथ मिल गया।


  • भारत में भी साम्य वादियों की नीतियों में बदलाव आया और अंग्रेजों को युद्ध में पूरी सहायता देने का वादा किया बदले में सरकार द्वारा साम्यवादी दल से प्रतिबंध हटा लिया गया।


  • अब साम्यवादियों ने द्वितीय महायुद्ध को साम्राज्यवाद के युद्ध की जगह जन युद्ध कहना प्रारंभ कर दिया था.

  • इसके साथ ही 1941 में एक पत्र द्वारा भारत के साम्यवादी दल ने बहु राष्ट्रीयता के सिद्धांत की घोषणा की और भारत को अनेक छोटे-छोटे राष्ट्रों का समूह  बताया.


  • 1946 में साम्यवादीयो ने कैबिनेट मिशन के समक्ष एक स्मृति पत्र में भारत को 17 पृथक राज्यों में बांटने का प्रस्ताव रखा.

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