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इजरायल ईरान war और भारत ।

इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4  मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं।                    इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे  कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है।  [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:   सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...

यूपीएससी के प्रमुख question answer: Civil services some question answers

1 पारितंत्र एवं जैव विविधता का अर्थ तांत्रिक वैश्विक पहल है जो बताता है कि किस प्रकार प्रकृति का मूल्य दृष्टिगत होता है इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि निर्णय के प्रत्येक स्तर पर पारितंत्र एवं जैव विविधता का महत्व प्राप्त हो.


                इस पहल को प्रारंभ करने का निर्णय मार्च 2007 में जर्मनी में आयोजित G8+5 समूह के देशों के पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन में लिया गया था इस पहल के अंतर्गत जैव विविधता के वैश्विक लाभ हो जय विविधता से क्षय की लागत तथा संरक्षण उपायों की असफलता बनाम प्रभावी संरक्षण का लागत की विश्लेषण करने की निर्णय लिया गया। इस रिपोर्ट को वर्ष 2008 में आयोजित कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी के कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज की मीटिंग में एक प्रस्तुत किया गया। वर्ष 2010 में इसकी दूसरी रिपोर्ट आई जिसे सीबीडी या कॉन्फ्रेंस आफ पार्टीज 10 नागोया( जापान) मैं प्रस्तुत किया गया.


           वैश्विक स्तर पर जब सेteeb रिपोर्ट आई है तब से विभिन्न देशों द्वारा अपने पारितंत्र और जैव विविधता का मूल्य प्रदर्शन का चलन बढ़ा है तथा वह नीति निर्धारण में पारितंत्र में जैव विविधता के महत्व को भी अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं.



2. Red sanders रेड सैण्डर्स:

       इसको सामान्य रूप से लाल चंदन की लकड़ी भी कहा जाता है यह मुक्ता या भारत के दक्षिण पूर्वी घाट के पहाड़ियों में पाई जाती है यह उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनों की एक प्रमुख प्रजाति है इसका वैज्ञानिक नाम तेरोकार्पस सैण्टनस है। सफेद चंदन के विपरीत इसमें महक नहीं होती है इसकी जाती भी सफेद चंदन से अलग होती है इसकी लकड़ी का उपयोग पूजा पाठ एवं सजावट की वस्तुएं बनाने में होता है इसके वृक्ष प्रमुख रूप से तमिलनाडु से लगे आंध्र प्रदेश के 4 जिलों चित्तूर कडप्पा कुरनूल नेल्लोर में फैले शेषाचलम के पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं इसकी लकड़ी का रंग लाल होता है जिस कारण से लाल चंदन कहा जाता है इसके वृक्ष की औसत ऊंचाई 8 से 11 मीटर होती है यह अत्यंत अल्प गति से बढ़ने वाला वृक्ष है जिस कारण इसकी लकडी का घनत्व बहुत अधिक होता है.

3. ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल सरकारों एवं व्यवसायियों द्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को समझने परिणाम निर्धारित करने एवं प्रबंधन हेतु एक अंतरराष्ट्रीय लेखाकर्म साधन है ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल व्यवसाई सरकार को एवं पर्यावरण संस्था के साथ मिलकर कार्य करती है जिससे वैश्विक स्तर पर एक सशक्त एवं प्रभावी कार्यक्रम का विकास हो जो जलवायु परिवर्तन से निपट सके.

          GHG प्रोटोकॉल विकासशील देशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित प्रबंधन तकनीक देती है जिससे वह वैश्विक बाजार एवं सरकारी स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित निर्णय से अवगत रहेGHG  प्रोटोकॉल का पहला संस्करण वर्ष 2001 में प्रकाशित हुआ था इसके पश्चात से
GHG प्रोटोकॉल एक रणनीति कार के रूप में विकासशील और विकसित देशों में व्याप्त होती जा रही है.

4. एजेंडा 21 धारणीय विकास की एक वैश्विक कार्य योजना है यह मुक्त अयान वर्ष 1992 के रियो पृथ्वी सम्मेलन की उपज है यह संयुक्त राष्ट्र विभिन्न वैश्विक बहुपक्षीय संगठन एवं देशीय सरकारों का सम्मिलित एजेंडा है जिसको स्थानीय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करना है जिससे विकास की रफ्तार को बढ़ाया जा सके एजेंडा 21, 21 प्रमुख रूप से 21 सदी को प्रदर्शित किया गया है. वर्ष 2002 के जोहांसबर्ग में हुए इस वैश्विक सम्मेलन को रियो +10 भी कहा जाता है इस सम्मेलन में एजेंडा 21 के पूर्ण रुप से लागू करने के साथ-साथ मिलेनियम डेवलपमेंट गोल को भी आगे बढ़ाया गया है.


5. सत्यशोधक समाज एक संगठन था जिसकी स्थापना ज्योतिबा फुले ने की और इस संस्था ने महाराष्ट्र में एक जाति विरोधी आंदोलन को प्रोत्साहित किया ज्योतिबा फूले सत्यशोधक समाज के प्रथम अध्यक्ष थे जबकि नारायणराव गोविंदराव इसके पहले सचिव के रूप में चुने गए.


सत्यशोधक समाज के प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं -

. शुद्ध एवं गैर सूत्र के बीच की दूरी को कम करना तथा ब्राह्मणवादी धार्मिक गुलामी से लोगों को मुक्त करके उनके अधिकार के प्रति सचेत करना.


. सभी भक्तों मानव भगवान के बच्चे हैं और भगवान ही उनका संरक्षक है.

. भगवान की पूजा करने के लिए किसी पुजारी की आवश्यकता को सत्यशोधक समाज ने नकारा है.


. वर्ष 18 से 73 में ज्योतिबा फुले द्वारा पुणे महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की गई थी.


6. जीवाणु कवक तथा पादप सभी को विषाणु  संक्रमित कर सकता है उदाहरण के तौर पर बैक्टीरियोफेज नमन विषाणु जीवाणु को संक्रमित करते हैं वह गंगा नदी की शुद्धता का भी यही प्रमुख कारण है कि उसके जल मे बैक्टीरियोफेज विषाणु होते हैं जो जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं जिससे जल संक्रमित होने से बचा रहता है इसी प्रकार के माइक्रो वायरस नामक विषाणु कवकों को संक्रमित करता है। जबकि पादपो और वनस्पति आदि को संक्रमित करने वाले विषाणु ओं की संख्या बहुत अधिक होती है तब वह टौबेको मोसैक विषाणु वनस्पति की पत्तियों को धब्बा युक्त तथा मलीन बना देते हैं।

7. आधार क्षय एवं लाभ स्थान तरण मुक्तयाक्का वचन की एक योजनाबद्ध रणनीति है जिसके अंतर्गत बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर नियम के अंतराल एवं बेमेल ता का गलत फायदा उठाती है और यह प्रदर्शित करती है कि उनको कमला हुआ है जिससे वह कर देने की स्थिति में नहीं है (base erosion and profit shifting विकासशील देशों की मुख्य विशेषताएं क्योंकि वहां की सरकारें निगम कर पर अधिक निर्भर होती है.
           
    

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