इजराइल ने बीते दिन ईरान पर 200 इजरायली फाइटर जेट्स से ईरान के 4 न्यूक्लियर और 2 मिलिट्री ठिकानों पर हमला किये। जिनमें करीब 100 से ज्यादा की मारे जाने की खबरे आ रही है। जिनमें ईरान के 6 परमाणु वैज्ञानिक और टॉप 4 मिलिट्री कमांडर समेत 20 सैन्य अफसर हैं। इजराइल और ईरान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव ने सैन्य टकराव का रूप ले लिया है - जैसे कि इजरायल ने सीधे ईरान पर हमला कर दिया है तो इसके परिणाम न केवल पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाल सकते हैं। यह हमला क्षेत्रीय संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय संकट में बदल सकता है। इस post में हम जानेगे कि इस तरह के हमले से वैश्विक राजनीति, अर्थव्यवस्था, कूटनीति, सुरक्षा और अंतराष्ट्रीय संगठनों पर क्या प्रभाव पडेगा और दुनिया का झुकाव किस ओर हो सकता है। [1. ]अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव: सैन्य गुटों का पुनर्गठन : इजराइल द्वारा ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर गुटबंदी तेज हो गयी है। अमेरिका, यूरोपीय देश और कुछ अरब राष्ट्र जैसे सऊदी अरब इजर...
कैबिनेट मिशन योजना:
ब्रिटिश संसदीय प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट का अध्ययन करने के पश्चात 1946 में 13 स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से जानते हैं.
, कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष पैथिक लारेंस भारत सचिव व पर्यटन व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टैनफोर्ड क्लिप्स तथा नौसेना अध्यक्ष एबी एलेग्जेंडर सदस्य थे.
कैबिनेट मिशन का मूल उद्देश्य कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराने के लिए मध्यस्थता करवाना तथा वायसराय को भारत की संविधान सभा के गठन में सहायता करना था.
भारत में संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानों के अनुसार प्रत्यक्ष रूप से राज्यों की विधानसभा द्वारा नवंबर 194 6 में किया गया था निर्वाचन केवल 3 संप्रदाय मुस्लिम सिख व अन्य हिंदू में विभक्त किया गया था.
चीफ कमिश्नर ई प्रांतों को भी संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था.
कैबिनेट मिशन के अनुसार संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 जिनमें 292 प्रांतों से तथा 93 देसी रियासतों से चुने जाते थे 4 कमिश्नरी क्षेत्रों से थे प्रत्येक प्रांत और देशी रियासतों को अपनी जनसंख्या के अनुपात में स्थान आमंत्रित किए गए थे.
संविधान सभा में जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधि निर्धारित किए गए थे 1000000 पर एक.
संविधान सभा में महिलाओं की संख्या तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी.
संविधान निर्माण के विभिन्न चरण:
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया था तथा मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया था.
11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया था.
श्री बी एन राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया था.
13 दिसंबर 1946 को जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य करना प्रारंभ किया यह प्रस्ताव संविधान सभा ने 22 जून 1946 को पारित कर दिया था.
संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां जैसे प्रक्रिया समिति वार्ता समिति संचालन समिति कार्यसमिति संविधान समिति झंडा समिति आदि का निर्माण किया गया था.
विभिन्न समितियों में प्रमुख प्रारूप समिति थी जो कि 19 अगस्त 194 7 को गठित की गई इसका अध्यक्ष डॉक्टर बी आर अंबेडकर को बनाया था.
संविधान सभा की बैठक तृतीय वाचन अंतिम वाचन के लिए 14 नवंबर 1949 को हुई थी यह बैठक 26 नवंबर 1949 को समाप्त हुई.
भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन में किया गया था.
संपूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र घोषित किया गया संविधान सभा को ही आगामी संसद के चुनाव तक भारतीय संसद के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी.
संविधान निर्माण के पीछे मुख्य रूप से जवाहरलाल नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल राजेंद्र प्रसाद मौलाना अबुल कलाम आजाद आचार जेबी कृपलानी टीटी कृष्णमाचारी एवं डॉ बी आर अंबेडकर का मस्तिष्क था कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने डॉक्टर बी आर अंबे डकर को संविधान का पिता कहां है.
संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियों का गठन किया इन समितियों ने अगस्त 1947 तक अपनी अपनी रिपोर्ट भेजी और उसके पश्चात उन रिपोर्ट्स पर संविधान सभा ने विचार किया तत्पश्चात डॉक्टर बी एन राव ने संविधान सभा द्वारा किए गए निर्णय के आधार पर संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया इसे तैयार करने में सर बी एन राव ने लगभग 3 महीने लगाएं संविधान के प्रथम प्रारूप में 243 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थी.
संविधान सभा की विभिन्न समितियां:
संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियों का गठन किया इन समितियों ने अगस्त 1947 तक अपनी अपनी रिपोर्ट भेजिए और उसके पश्चात उन रिपोर्ट्स पर संविधान सभा ने विचार किया.
एन माधवराव बीएल मित्र के स्थान पर बाद में नियुक्त किए गए.
प्रारूप समिति के सदस्य श्री एम गोपाल स्वामी आयंगर अलादी कृष्णस्वामी अय्यर मोहम्मद सादुल्लाह के एम मुंशी बेलमील और डीपी खेतान थे.
डॉक्टर बी आर अंबेडकर संविधान सभा के सदस्य के लिए बंगाल समिति से निर्वाचित हुए थे.
संविधान सभा की सदस्यता अस्वीकार करने वालों में महात्मा गांधी जयप्रकाश नारायण तथा तेज बहादुर सप्रू प्रमुख थे.
भारतीय संविधान की प्रकृति और स्वरूप:
भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 22 भाग एवं चार परिशिष्ट वह 8 अनुसूचियां थी जबकि वर्तमान समय में अनुच्छेदों की संख्या कुल 95 तथा कुल 5 भाग एवं 5% तथा 12 अनुसूचियां हैं.
हमारा संविधान एकात्मक और संघात्मक दोनों है यानी दोनों का सम्मिश्रण है भारतीय संविधान संघीय कम एवं एकात्मक अधिक है - डीडी बसु
भारत का संविधान अर्ध संघीय है: K.C,व्हीलर
भारत का पांडुचेरी ऐसा राज्य जहां सबसे अधिक फ्रेंच बोली जाती है.
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