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असुरक्षित ऋण क्या होते हैं? भारतीय बैंकिंग संकट, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और RBI के समाधान की एक विस्तृत विवेचना करो।

Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...

भारतीय संविधान एवं संविधान का निर्माण: Indian Constitution and constitution build

Aisa likha pathriya dastavej Jo Sarkar ki ruprekha vah Pramukh written ka nirdharan Karta Hai Is Desh Ki sarvottam AVN Aadhar per dikha Ja sakta hai yah vahi dastavej hai jo Raja ke samast angom vidhayika karyapalika nyaypalika ko shaktiyan pradan Karta Hai ine teenon Ko sanvidhan ki Maar Yadon Mein rahakar Apne Kartavya ka Nirman karna hota hai ise aasani se Badla Nahin Ja sakta hai.



            अंग्रेजी भाषा भाषा के कंस्टीटूशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द कांस्टीट्यूट से हुई है जिसका अर्थ शासन करने वाला सिद्धांत है.


               जिस देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धांतों के अनुसार चलता है उन सिद्धांतों या नियमों के समूह को संविधान कहा जाता है.


                  संविधान उन कानूनों या नियमों के समूह को कहते हैं जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से राज्य की सर्वोच्च सप्ताह की शक्ति के वितरण उपयोग को निश्चित करता है.


                  आधुनिक युग में संसार में सर्वप्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है जो 1787 में फिलाडेल्फिया सम्मेलन के बाद बनाया गया था.


                  यूरोप में सबसे पहला संविधान नीदरलैंड में बना जो वर्तमान में विद्यमान है.


संविधान की परिभाषा:

        संविधान एक मौलिक दस्तावेज एवं देश की सर्वोच्च विधि माना जाता है.


           यह विभिन्न अंगों की शक्तियों का निर्धारण सृजन करता है.

           या राज्य के अंगों के अधिकार को मर्यादित कर उन्हें निरंकुश एवं तानाशाह होने से रोकता है.

               संविधान देश की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का पुण्य होता है


संविधान सभा के चरण:

6 दिसंबर 1946 से 14 अगस्त 1947 तक कैबिनेट मिशन के अंतर्गत संविधान सभा का कार्य.


15 अगस्त 1947 से 26 नवंबर 1949 तक संविधान सभा संप्रभुता संपन्न निकाय पदार्थ संसद के रूप में.


        27 नवंबर 1949 से 26 जनवरी 1950 संसद के रूप में.


संविधान का उद्देश्य:

सरकार के अंगो का सृजन करना जैसे विधान पालिका कार्यपालिका न्यायपालिका आदि.


सरकार के अंगों की शक्तियों जैसे कर्तव्य और दायित्व आदि को निर्धारित करना.

सरकार के सभी अंगों के बीच संबंधों को स्पष्ट करना.

संविधान का प्रयोग:

संविधान का निर्माण सर्वप्रथम एथेंस यूनान से हुआ था आधुनिक युग में यूएसए का संविधान बना जो लिखित रूप में था.


इंग्लैंड को संसदीय सरकार का उद्गम स्थान कहां जाता है एवं संयुक्त राज्य अमेरिका को अध्यक्षात्मक सरकार का जन्मदाता मानते हैं तथा स्विट्जरलैंड को गणतंत्र यह लोकतंत्र की जननी कहा जाता है.


नागरिकों के मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य नीति निर्देशक तत्व आदि का उल्लेख करना.


संविधान निर्माण की क्रमिक मांग:

सैद्धांतिक  रूप से संविधान सभा का विचार ब्रिटिश विचारक सर हेनरी मैंने प्रस्तुत किया था मैं व्यवहारिक रूप से सबसे पहले संविधान निर्माण के लिए अमेरिका में संविधान सभा का गठन किया गया था.


संविधान सभा के सिद्धांत के दर्शन सर्वप्रथम 1895 के स्वराज विधेयक में होते हैं जिसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के निर्देश में तैयार किया गया था.


संविधान सभा का सुझाव सर्वप्रथम गांधी जी के द्वारा 1922 में हरिजन नामक पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि भारत का संविधान भारतीयों को स्वयं बनाने का अधिकार होना चाहिए.


भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा हुआ जून 1934 में सर्वप्रथम संविधान सभा के लिए औपचारिक रूप से एक निश्चित मांग पेश की गई थी.


1936 में लखनऊ में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन में भारत के लिए प्रजातांत्रिक संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा की मांग प्रस्तुत की गई थी.


अगस्त प्रस्ताव 1940 में पहली बार संविधान सभा की मांग को ब्रिटिश सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया था.

क्रिप्स प्रस्ताव 1942 में स्पष्ट रूप से संविधान सभा की रूपरेखा की बात कही गई है.


1946 में ब्रिटिश मंत्रिमंडलीय शिष्टमंडल ने अपनी योजना के अंतर्गत वर्तमान संविधान सभा की संरचना बनाई थी.

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