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कर्तव्य का अर्थ:
और अधिकार के साथ कर्तव्य भी जुड़ा होता है हम बहुत से अधिकारों की मांग करते हैं क्योंकि अधिकारों पर बल देना और कर्तव्यों को भूल जाना देश में अव्यवस्था और गड़बड़ी उत्पन्न करता है अतः देश के नागरिक होने के नाते हमारा अपने संविधान और देश के प्रति कर्तव्य बनता है इन कर्तव्यों को मूल कर्तव्य कहा गया है.
“अधिकार और कर्तव्यों के मध्य संतुलन होना आवश्यक है”
मौलिक कर्तव्य:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 ( क) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य निम्नलिखित हैं -
( 1) संविधान का आदर करें और उसके आदर्शों संस्थाओं राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें.
( 2) राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान लोगों ने अहिंसा लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता आदर्शों से प्रेरणा प्राप्त की थी अतः हम भी इन आदर्शों में आस्था रखें और अपने जीवन में इनका पालन करें.
( 3 ) भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
( 4) देश की रक्षा करें और आव्हान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें.
( 5) भारत के सभी लोग में समर सत्ता और सामान भाई चारे की भावना का निर्माण करें जो धर्म भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है.
( 6) हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें.
( 7) प्राकृतिक पर्यावरण की जिसके अंतर्गत जंगल झील नदी और वन्य जीव है रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें.
( 8) वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें.
( 9) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहे.
( 10) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले.
( 11) यदि माता-पिता या संरक्षक है 6 से 14 वर्ष की आयु वाले अपने यथास्थिति बालक या प्रतिपादन को शिक्षा के अवसर प्रदान करें.
मोस्ट इंपोर्टेंट(most important)
हमारे मूल संविधान में मौलिक कर्तव्यों की व्यवस्था नहीं की गई थी किंतु संविधान के 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा संविधान में मूल कर्तव्य शीर्षक से एक नया भाग 4 (क) जोड़ा गया है इस नए भाग में अनुच्छेद 51 ( क) में 10 मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है.
वर्ष 2002 में 86 में संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा 11 मूल कर्तव्य जोड़ा गया अर्थात वर्तमान में मौलिक कर्तव्य के कुल संख्या 11 है.
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