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Indus Valley Civilization क्या है ? इसको विस्तार से विश्लेषण करो ।

🧾 सबसे पहले — ब्लॉग की ड्राफ्टिंग (Outline) आपका ब्लॉग “ सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) ” पर होगा, और इसे SEO और शैक्षणिक दोनों दृष्टि से इस तरह ड्राफ्ट किया गया है ।👇 🔹 ब्लॉग का संपूर्ण ढांचा परिचय (Introduction) सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव और समयकाल विकास के चरण (Pre, Early, Mature, Late Harappan) मुख्य स्थल एवं खोजें (Important Sites and Excavations) नगर योजना और वास्तुकला (Town Planning & Architecture) आर्थिक जीवन, कृषि एवं व्यापार (Economy, Agriculture & Trade) कला, उद्योग एवं हस्तकला (Art, Craft & Industry) धर्म, सामाजिक जीवन और संस्कृति (Religion & Social Life) लिपि एवं भाषा (Script & Language) सभ्यता के पतन के कारण (Causes of Decline) सिंधु सभ्यता और अन्य सभ्यताओं की तुलना (Comparative Study) महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक खोजें और केस स्टडी (Key Archaeological Cases) भारत में आधुनिक शहरी योजना पर प्रभाव (Legacy & Modern Relevance) निष्कर्ष (Conclusion) FAQ / सामान्य प्रश्न 🏛️ अब ...

भारत में लोक सेवा: Civil services in India

भारत में ब्रिटिश राज्य की एक महत्वपूर्ण देन भारतीय सिविल सेवा है। 1947 में सत्ता के हस्तांतरण के साथ ही ब्रिटिश शासक तो चले गए परंतु के एक सुप्र - शिक्षित सक्षम तथा अनुभवी सिविल सेवा छोड़ गए ।


स्वतंत्रता प्राप्त होने के साथ ही संसदात्मक प्रणाली और नियोजित विकास पद्धति अपना जाने के कारण लोक सेवकों की भूमिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए एक और लोक सेवक विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में नीति निर्माण के कार्य में राजनीतिक कार्यपालिका की सहायता करते थे तो दूसरी ओर लोक सेवा की नीतियों के कार्यान्वयन के लिए उत्तरदाई थे.


वर्तमान में लोक सेवकों का कार्य शांति व्यवस्था बनाए रखने और राजस्व एकत्रित करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि उनका उत्तरदायित्व विकासात्मक कार्यों को संपादित करना भी है इस दृष्टि में भारत में लोक सेवकों के कार्यों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है.


( 1) परंपरागत कार्य:

                        वह कार्य जिन्हें लोकसेवक स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले से ही संपादित करते आ रहे हैं उदाहरण के लिए भू राजस्व एकत्रित करना शांति व्यवस्था बनाए रखना राजनीतिक कार्यपालिका को प्रशासनिक और तकनीकी सहायता देना तथा दिन प्रतिदिन के शासन को चलाना.


( 2) विकासात्मक कार्य:

                   देश के सामाजिक और आर्थिक विकास से संबंधित हैं कल्याणकारी  राज्य होने के कारण भारत में सरकार के कल्याणकारी कार्यों पर विशेष बल दिया गया है लोक सेवक इन कल्याणकारी कार्यो की रूपरेखा बनाने और इन्हें कार्यान्वित करने में सरकार की सहायता करते हैं.



               राजनीतिक कार्यपालिका की श्रेणी में मंत्री आते हैं जबकि स्थाई कार्यपालिका की श्रेणी में लोक सेवा कहते हैं यद्यपि मंत्रियों को जन्नत की जानकारी होती है परंतु में विशेषज्ञ नहीं होते हैं जबकि विशेषज्ञता के तत्वों की पूर्ति लोक सेवकों द्वारा की जाती है जो शिक्षित प्रशिक्षित और अनुभवी होते हैं सरकारी नीतियों को इमानदारी पूर्वक लागू करना लोक सेवकों का ही जिम्मेदारी होती है इस प्रकार मंत्री और लोकसेवक एक दूसरे के पूरक होते हैं.


राजनीतिक नेता होने के कारण मंत्री अपने पद पर तभी तक बने रह सकते हैं जब तक उन्हें बहुमत का समर्थन मिलता है जबकि लोक सेवकों का स्थायित्व प्रशासन में निरंतरता बना रहता है अतः लोक सेवकों के लिए यह आवश्यक है कि वे राजनीतिक तटस्थता बनाए रखें।


संघीय व्यवस्था होने के कारण भारत में 2 स्तर पर सरकार है केंद्र एवं राज्य स्तर पर केंद्रीय सरकार का प्रशासन चलाने वाले अधिकारियों को संघ लोक सेवा आयोग की सहायता से भर्ती किया जाता है और राज्य सरकार का प्रशासन चलाने वाले अधिकारियों को संबंधित लोक सेवा आयोग की सहायता से भर्ती किया जाता है.


भारत की सिविल सेवा में एक ऐसी भी श्रेणी होती है जो केंद्र तथा राज्य दोनों में सेवारत रहते हैं इन सेवाओं के लोगों को अखिल भारतीय आधार पर भर्ती किया जाता है भारतीय अखिल भारतीय सेवाओं के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा भारती अभियंता सेवा भारतीय वन सेवा तथा भारतीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा को जोड़ा गया है.


लोक सेवा के लिए केंद्र स्तर पर संघ लोक सेवा आयोग राज्य स्तर पर संबंधित राज्य लोक सेवा आयोग की व्यवस्था है परंतु यदि दो या अधिक राज्य अपने विधान मंडलों में यह प्रस्ताव पारित करवा लेते हैं कि इन राज्यों के समूह के लिए एक ही सेवा आयोग होगा तो कानून पारित करके संसद संयुक्त लोक सेवा आयोग का प्रावधान करेगी.


संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की सलाह पर करता है जबकि राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर करता है.


( राष्ट्रपति और राज्यपाल को आयोग के सदस्यों की संख्या निर्धारित करने का अधिकार है)


आयोग के लगभग आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं जो अपनी नियुक्ति के समय भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन न्यूनतम 10 वर्षों तक पदधारी रह चुके हो तथा शेष अन्य सदस्यों में से आधे सदस्य विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए होंगे.


आयोग का सदस्य 6 वर्ष की अवधि तकिया 65 वर्ष की आयु तक इनमें से जो भी पहले हो अपने पद पर कार्य करता है.

संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य के लोक सेवा आयोग में नियुक्त अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों को पद से केवल राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है अर्थात राज्यपाल को राज्य आयोग के सदस्य अध्यक्ष को हटाने का अधिकार नहीं है वह केवल उन्हें निलंबित कर सकता है.


इस आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संविधान आयोग के अध्यक्षों को सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी पद पर नियुक्त होने पर रोक लगाता है साथ ही आयोग के अन्य सदस्य केवल संघ राज्य के लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र हैं.


संघ लोक सेवा आयोग का अधिकार क्षेत्र संघ सरकार तथा संघ शासित प्रदेशों की सार्वजनिक सेवाओं तक फैला है राज्य सरकार की सार्वजनिक सेवाएं राज्य लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आती है.


संघ लोक सेवा आयोग दो या अधिक राज्यों के अनुरोध पर किसी ऐसी सेवा के लिए संयुक्त भर्ती की योजनाएं बना सकता है और परिचालित करने में उनकी सहायता कर सकता है जिसके लिए विशेष योग्यता धारी उम्मीदवारों की आवश्यकता है.


लोक सेवा आयोग का प्रमुख कार्य संघ तथा राज्य की सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाएं संचालित करना और सीधी भर्ती के लिए साक्षात्कार की व्यवस्था को संचालित करना है.

लोक सेवा आयोग से विभिन्न विषयों में परामर्श भी दिया जाता है वह विषय निम्न  बताए गए हैं -

सिविल सेवाओं तथा सिविल पदों पर भर्ती की पद्धतियों से संबंध रखने वाले सब मामलों पर

सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्ति करने में तथा एक सेवा से दूसरी सेवा में पदोन्नति में स्थानांतरण करने का अनुसरण किए जाने वाले सिद्धांतों पर तथा ऐसी नियुक्ति  पर पदोन्नति स्थानांतरण के लिए उम्मीदवारों की उपयोगिता.


भारत सरकार या राज्य सरकार के अंतर्गत सिविल पद पर सेवारत रहते हुए किसी व्यक्ति के घायल होने से संबंधित पेंशन को प्राप्त करने के लिए किसी दावे पर तथा ऐसी पेंशन की जगह से संबंधित किसी प्रश्न पर.


जब मंत्रालय अंतिम रूप से कोई नियुक्ति करते हैं तब भी आयोग की सलाह दी जाती है सेवानिवृत्त हो रहे या हो चुके अधिकारियों की पुनः नियुक्ति के प्रकरणों में भी आयोग की राय मांगी जाती है.


यह आयोग स्थाई या अस्थाई नौकरियों के मामलों पर भी विचार करते हैं.


राष्ट्रपति द्वारा परामर्श के लिए आयोग के पास भेजे गए किसी भी मामले पर परामर्श देना आयोग का कर्तव्य है.


संज्ञा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों या कर्मचारियों को दिया गया वेतन भत्ते और पेंशन सहित आयोग के सब खर्चे भारत की समेकित निधि या राज्य की समेकित निधि प्रभावित होते हैं.

आयोग एवं स्वतंत्र निकाय है तथा उनके द्वारा भर्ती किए गए सीरियल कर्मचारी अधिकारी भारत की प्रशासनिक व्यवस्था के स्तंभ है. 

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