Drafting और Structuring the Blog Post Title: "असुरक्षित ऋण: भारतीय बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, और RBI की भूमिका" Structure: परिचय असुरक्षित ऋण का मतलब और यह क्यों महत्वपूर्ण है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में असुरक्षित ऋणों का वर्तमान परिदृश्य। असुरक्षित ऋणों के बढ़ने के कारण आसान कर्ज नीति। उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल का सही मूल्यांकन न होना। आर्थिक मंदी और बाहरी कारक। बैंकिंग क्षेत्र पर प्रभाव वित्तीय स्थिरता को खतरा। बैंकों की लाभप्रदता में गिरावट। अन्य उधारकर्ताओं को कर्ज मिलने में कठिनाई। व्यापक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव आर्थिक विकास में बाधा। निवेश में कमी। रोजगार और व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की भूमिका और समाधान सख्त नियामक नीतियां। उधार देने के मानकों को सुधारना। डूबत ऋण प्रबंधन (NPA) के लिए विशेष उपाय। डिजिटल और तकनीकी साधनों का उपयोग। उदाहरण और केस स्टडी भारतीय बैंकिंग संकट 2015-2020। YES बैंक और IL&FS के मामले। निष्कर्ष पाठकों के लिए सुझाव और RBI की जिम्मेदारी। B...
23 जनवरी 18 97 को उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर हुआ था.
1920 में आई सी एस की परीक्षा पास की.
- राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति उन्हें विशेष रूप से देशबंधु चितरंजन दास ने प्रेरित किया.
- असहयोग आंदोलन में उन्होंने 6 महीने की सजा काटी थी .
- 1923 में कोलकाता के मेयर चुने गए पर शीघ्री अक्टूबर 1924 में गिरफ्तार कर लिया गया और मांडले जेल में रखा गया.
देश के लिए सुभाष चंद्र बोस पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने वाले प्रथम व्यक्तियों में से एक थे.
- 1938 में हरिपुर कांग्रेस अधिवेशन में हुए इसके अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने क्रांतिकारी विचार गांधीजी के विचारों से टकरा गए.
- 1939 में अध्यक्ष पद के लिए सुभाष चंद्र बोस पून; खड़े हुए पर उनके विरोधी ke रुप main गांधी ने पट्टाभि सीतारामय्या को खड़ा किया।
- सुभाष चंद्र बोस पुनः अध्यक्ष तो बने किंतु गांधी जी से वैचारिक संघर्ष शुरू हो गया।
1 मई 1939 को सुभाष चंद्र बोसने कांग्रेस के भीतर ही एक नया गुट फारवर्ड ब्लाक की स्थापना कर दी।
- गांधीवादी लोगों की इस पर तीव्र प्रतिक्रिया स्वरूप उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
- मार्च 1940 को लंदन में सुनाम नामक स्थान पर पंजाब के उधम सिंह ने भूतपूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर डायर को गोली मारकर हत्या कर दी इस घटना से युवक क्रांतिकारियों का उत्साह बढ़ गया।
- जुलाई 1940 को भारत सुरक्षा कानून के तहत सुभाष चंद्र बोस को गिरफ्तार कर लिया गया जेल से छूटने के लिए सुभाष चंद्र ने अनशन कर दिया।
- सुभाष चंद्र बोस को मुक्त कर सरकार ने उनके घर के बाहर पहरा लगा दिया।
- 16 फरवरी 1941 को पठान के भेष में अपने घर से भाग निकले।
- अपने साथी भगतराम के साथ काबुल पहुंचे तथा एक मस्जिद में गूंगे के रूप में रात बिताई।
- वहां से जर्मनी पहुंचकर हिटलर से भेट की जर्मनी में ही सर्वप्रथम सुभाष को नेताजी का संबोधन दिया गया।
आजाद हिंद फौज
पहली आजाद फौज की गठन का श्रेय कैप्टन मोहन सिंह को है उन्होंने 1 सितंबर 1942 को आजाद हिंद फौज का पहला डिवीजन बनाया था।
- 2 जुलाई 1943 को सुभाष चंद्र बोस सिंगापुर पहुंचे जिस पर जापान का कब्जा हो चुका था
सिंगापुर में ही सुभाष चंद्र बोस ने दिल्ली चलो का नारा दिया था।
5 जुलाई 1943 को भारतीय स्वतंत्रता लीग की स्थापना सिंगापुर में ही की गई जिसके अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस बने ।
अक्टूबर 1943 में ही सुभाष चंद्र बोस को आजाद हिंद फौज का सर्वोच्च सेनापति बनाया गया।
सुभाष चंद्र बोस ने आजाद भारत की स्थाई सरकार की घोषणा की और कहा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का उद्घोष किया
- उन्होंने आजाद हिंद फौज की रेजीमेंट बनाई और देश को जय हिंद का नारा दिया फौज का झंडा तिरंगे की भांति था जिस पर दहाडते हुए शेर का चिन्ह था।
फौज की तीन ब्रिगेड के नाम सुभाष ब्रिगेड गांधी ब्रिगेड तथा नेहरू ब्रिगेड रखे गए महिलाओं की ब्रिगेड का नाम लक्ष्मी बाई ब्रिगेड रखा गया.
- सुभाष चंद्र बोस की अस्थाई सरकार को जापान जर्मनी इटली चीन आयरलैंड वर्मा तथा फिलीपींस ने मान्यता दे दी.
- 8 नवंबर 1943 को जापान ने अंडमान और निकोबार दीप सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिए.
नेताजी सुभाष चंद्र ने इनका नाम शहीद प्दीप और स्वराज द्वीप रखा।
- आजाद हिंद फौज ने नागा पहाड़ियों और कोहिमा को जीतकर अपना झंडा फहराया।
- लेकिन 7 मई 1945 को अचानक जर्मनी द्वारा पराजय स्वीकार करने तथा 15 अगस्त 1945 को जापान द्वारा पराजय स्वीकार कर लेने से जापान द्वारा जीते हुए सभी प्रदेश अंग्रेजों के अधिकार में चलेगा।
- जिसके कारण सुभाष चंद्र बोस की फौज को पीछे हटना पड़ा.
- माना जाता है कि फार्मूसा द्वीप के निकट हवाई जहाज में अचानक आग लगने से 18 अगस्त 1945 में सुभाष चंद्र की मृत्यु हो गई।
आजाद हिंद फौज के सैनिकों पर दिल्ली में लाल किले में मुकदमा चलाया गया प्रमुख आरोपी शाहनवाज खान गुरबख्श सिंह ढिल्लों तथा प्रेम कुमार शहगल थे।
इनको छुड़ाने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरु भूलाभाई देसाई तथा तेज बहादुर सप्रू ने मुकदमे की पैरवी की।
- तीनों सिपाहियों को रिहा कर दिया गया।
- वायु सेना एवं जल सेना का विद्रोह
- कराची में 20 जनवरी 1946 को वायु सेना के कुछ सैनिकों ने हड़ताल कर दी।
- मुंबई लाहौर तथा दिल्ली में भी यही हड़ताल फैल गई।
- सैनिकों की मांग थी कि भारतीय और अंग्रेज सैनिकों में बराबरी का व्यवहार किया जाए।
- जल सेना ने भी 19 फरवरी 1946 को कुछ भारतीय टुकड़ियों ने विद्रोह कर दिया 5000 सैनिकों ने आजाद हिंद फौज के बिल्ले लगाएं।
- ब्रिटिश शासन में विद्रोह का दमन करने की कोशिश की सरदार पटेल के बीज बचाओ से यह विद्रोह समाप्त हो गया।
Comments