Skip to main content

UPSC परीक्षा में मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार के बारे में परिचर्चा करो?

सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय कला एवं संस्कृति एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसमें भारतीय कला एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रारंभिक परीक्षा तथा मुख्य परीक्षा में यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण Topic में रखा गया है। इसमें अगर महत्वपूर्ण Topic की बात की जाये भारतीय वास्तुकला, मूर्तिकला और मृद्भाण्ड, भारतीय चित्रकलायें, भारतीय हस्तशिल्प, भारतीय संगीत से सम्बन्धित संगीत में आधुनिक विकास, जैसे महत्वपूर्ण विन्दुओं को UPSC Exam में पूछे जाते हैं।                      भारतीय कला एवं संस्कृति में भारतीय वास्तुकला को भारत में होने वाले विकास के रूप में देखा जाता है। भारत में होने वाले विकास के काल की यदि चर्चा कि जाये तो हड़प्पा घाटी सभ्यता से आजाद भारत की कहानी बताता है। भारतीय वास्तुकला में राजवंशों के उदय से लेकर उनके पतन, विदेशी शासकों का आक्रमण, विभिन्न संस्कृतियों और शैलियों का संगम आदि भारतीय वास्तुकला को बताते हैं।          भारतीय वास्तुकला में शासकों द्वारा बनवाये गये भवनों की आकृतियाँ [डिजाइन] आकार व विस्तार के...

Bharat ke rashtriy Pratik ke bare mein bataiye: आजाद भारत के राष्ट्रीय प्रतीक

राष्ट्रीय प्रतीक का अर्थ:

          विश्व के प्रत्येक स्वतंत्र देश का अपना राष्ट्रध्वज, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्रीय चिन्ह, एवं राष्ट्रगान होता है यह सब राष्ट्रीय प्रतीक ना केवल राष्ट्रीय एकता के परिचायक है अपितु देश की स्वतंत्रता के प्रतीक हैं इनमें से किसी के प्रति किया गया अपमान सारे देश का अपमान माना जाता है.


भारत के राष्ट्रीय प्रतीक:


  • राष्ट्रगान -              जन गण मन

  • राष्ट्रगीत -              वंदे मातरम

  • राष्ट्रीय ध्वज -            तिरंगा

  • राष्ट्रीय चिन्ह -           अशोक की लाट


“यह सभी राष्ट्रीय प्रतीक हमारे राष्ट्रीय आंदोलनों की देन है”

राष्ट्रगान:

  • हमारे देश के राष्ट्रीय गान में मातृभूमि की प्रशंसा की गई है जिसे कभी रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा है.


           पूरी कविता 5 पदों में है परंतु राष्ट्रीय गान के लिए केवल प्रथम पद लिया गया है.



राष्ट्रीय ध्वज:

22 जुलाई 1947 को मध्य भाग में चरखी के स्थान पर अशोक चक्र वाला नया झंडा जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तावित किया था को संविधान सभा द्वारा स्वीकृत किया गया.


  • यह आकार में आयताकार और लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3 : 2 है.

  • राष्ट्रीय ध्वज तीन विभिन्न रंगों केसरिया, सफेद और हरे रंग की समांतर पतियों में बटा है इन तीनों रंगों के अर्थ निम्न वत है -


केसरिया:
यह ध्वज की पहली पट्टी का रंग है जो शौर्य और त्याग का प्रतीक है।

सफेद:
यह ध्वज की दूसरी पट्टी का रंग है जो सत्यम पवित्रता का प्रतीक है.


हरा:
यह ध्वज की तीसरी और अंतिम पट्टी का रंग है जो संपन्न का समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है.


  • राष्ट्रीय ध्वज 3 रंगों का होने के कारण तिरंगा कहलाता है.

  • सफेद पट्टी के बीचों-बीच नीले रंग का एक गोलाकार चक्र है जिसमें 24 कमानिया है इस चित्र को वाराणसी के निकट सारनाथ के एक स्तंभ  से लिया गया है जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध के प्रथम प्रवचन जिसे उन्होंने इसी स्थान पर दिया था की याद में बनवाया था.


राष्ट्रीय चिन्ह:

  • सारनाथ के स्तंभ के शिखर पर एक शीर्ष है जो इतना शानदार है कि भारत सरकार ने इसे अपना राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया है.


राष्ट्रीय चिन्ह दो भागों में विभाजित है -

( 1) शीर्ष

( 2) आधार


शीर्ष: तीन शेर दिखाई देते हैं जो पट्टीनू में आधार पर पीठ से पीठ मिल आई हुई है वास्तव में यह चार शेर है परंतु चौथा शेर चित्र में दिखाई नहीं देता है.

आधार:

आधार में बाई और एक घोड़ा था और एक वृषभ और बीच में एक चक्र है.

राष्ट्रीय चिन्ह में बने शेर घोड़ा वृषभ एवं चक्र का अलग-अलग अर्थ होता है जो निम्नलिखित  है -

  • शेर साहस का और शक्ति का प्रतीक है.

  • घोड़ा ताकत और चाल का प्रतीक है.

  • वृषभ कठिन परिश्रम स्फूर्ति को दर्शाता है

  • चक्र धर्म का प्रतीक है


उपरोक्त सभी गुणों ऐसे हैं जिन्हें देश के सभी नागरिकों को अपने चरित्र तथा व्यवहार में अपनाना चाहिए राष्ट्रीय चीन के शीर्ष के नीचे देवनागरी लिपि में सत्यमेव जयते लिखा है जिसका अर्थ होता है सत्य की विजय.


राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रीय पर्व महत्वपूर्ण सरकारी भवन एवं अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावास के भवनों पर फहराया जाता है.

राष्ट्रीय ध्वज को आदर के रूप में तब नीचे झुका जाता है जब किसी आदरणीय राष्ट्रीय नेता या किसी मित्र देश के माननीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो.

Comments

Popular posts from this blog

पर्यावरण का क्या अर्थ है ?इसकी विशेषताएं बताइए।

पर्यावरण की कल्पना भारतीय संस्कृति में सदैव प्रकृति से की गई है। पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। भारत में पर्यावरण परिवेश या उन स्थितियों का द्योतन करता है जिसमें व्यक्ति या वस्तु अस्तित्व में रहते हैं और अपने स्वरूप का विकास करते हैं। पर्यावरण में भौतिक पर्यावरण और जौव पर्यावरण शामिल है। भौतिक पर्यावरण में स्थल, जल और वायु जैसे तत्व शामिल हैं जबकि जैव पर्यावरण में पेड़ पौधों और छोटे बड़े सभी जीव जंतु सम्मिलित हैं। भौतिक और जैव पर्यावरण एक दूसरों को प्रभावित करते हैं। भौतिक पर्यावरण में कोई परिवर्तन जैव पर्यावरण में भी परिवर्तन कर देता है।           पर्यावरण में सभी भौतिक तत्व एवं जीव सम्मिलित होते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसकी जीवन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। वातावरण केवल वायुमंडल से संबंधित तत्वों का समूह होने के कारण पर्यावरण का ही अंग है। पर्यावरण में अनेक जैविक व अजैविक कारक पाए जाते हैं। जिनका परस्पर गहरा संबंध होता है। प्रत्येक  जीव को जीवन के लिए...

सौरमंडल क्या होता है ?पृथ्वी का सौरमंडल से क्या सम्बन्ध है ? Saur Mandal mein kitne Grah Hote Hain aur Hamari Prithvi ka kya sthan?

  खगोलीय पिंड     सूर्य चंद्रमा और रात के समय आकाश में जगमगाते लाखों पिंड खगोलीय पिंड कहलाते हैं इन्हें आकाशीय पिंड भी कहा जाता है हमारी पृथ्वी भी एक खगोलीय पिंड है. सभी खगोलीय पिंडों को दो वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित हैं - ( 1) तारे:              जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और प्रकाश होता है वे तारे कहलाते हैं .पिन्ड गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े और गर्म होते हैं इनमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश का विकिरण भी होता है अत्यंत दूर होने के कारण ही यह पिंड हमें बहुत छोटे दिखाई पड़ते आता है यह हमें बड़ा चमकीला दिखाई देता है। ( 2) ग्रह:             जिन खगोलीय पिंडों में अपनी उष्मा और अपना प्रकाश नहीं होता है वह ग्रह कहलाते हैं ग्रह केवल सूरज जैसे तारों से प्रकाश को परावर्तित करते हैं ग्रह के लिए अंग्रेजी में प्लेनेट शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है घूमने वाला हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से उष्मा और प्रकाश लेती है ग्रहों की कुल संख्या नाम है।...

लोकतंत्र में नागरिक समाज की भूमिका: Loktantra Mein Nagrik Samaj ki Bhumika

लोकतंत्र में नागरिकों का महत्व: लोकतंत्र में जनता स्वयं अपनी सरकार निर्वाचित करती है। इन निर्वाचनो  में देश के वयस्क लोग ही मतदान करने के अधिकारी होते हैं। यदि मतदाता योग्य व्यक्तियों को अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करता है, तो सरकार का कार्य सुचारू रूप से चलता है. एक उन्नत लोक  प्रांतीय सरकार तभी संभव है जब देश के नागरिक योग्य और इमानदार हो साथ ही वे जागरूक भी हो। क्योंकि बिना जागरूक हुए हुए महत्वपूर्ण निर्णय लेने में असमर्थ होती है।  यह आवश्यक है कि नागरिकों को अपने देश या क्षेत्र की समस्याओं को समुचित जानकारी के लिए अख़बारों , रेडियो ,टेलीविजन और सार्वजनिक सभाओं तथा अन्य साधनों से ज्ञान वृद्धि करनी चाहिए।         लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। साथ ही दूसरों के दृष्टिकोण को सुनना और समझना जरूरी होता है. चाहे वह विरोधी दल का क्यों ना हो। अतः एक अच्छे लोकतंत्र में विरोधी दल के विचारों को सम्मान का स्थान दिया जाता है. नागरिकों को सरकार के क्रियाकलापों पर विचार विमर्श करने और उनकी नीतियों की आलोचना करने का ...